ग्वालियर मप्र के महान सूर्य उपासक, तपोनिष्ठ महर्षि ग्वालेर, ग्वाला ने खोजा था शून्य/जीरो…

■ संगीत सम्राट तानसेन की संगीत साधना स्थली विश्व विख्यात है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर घराना सदियों से सम्मानित है।
■ देश-दुनिया में मोती वाले राजा के नाम से ख्यातिप्राप्त सिंधिया परिवार के माधो महाराज ने ग्वालियर को ब्रिटेन के तर्ज पर बसाया था।
सिंधिया राजघराने के द्वारा निर्मित आज भी 3000 से अधिक शिव मंदिरों एवं अन्य 700 मंदिरों की देखभाल हेतु देश में पुजारीयो का वेतन भत्ता हर माह दिया जाता है।
सभी मुख्य तीर्थ स्थानों पर मोती वाले राजा  के नाम से धर्मशाला उपलब्ध हैं।
काशी, पुष्कर, उज्जैन आदि नदी तट पर सिंधिया घाट मौजूद हैं।

ग्वाला ऋषि की तपोभूमि  के बारे में कुछ महत्वपूर्ण रोचकतथ्य –

-ग्वालियर क़िले के चतुर्भुज मंदिर में ज़ीरो के पहले लिखित प्रमाण मौजूद है ।

-ग्वालियर के गोपांचल पर्वत पर जैन धर्म के प्रमुख तीर्थंकर आदिनाथ जी की 58 फ़िट ऊँची मुर्ती मौजूद है।

-देश की महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई जी की समाधि स्थली ग्वालियर में मौजूद है।

-महानसंगीतकार तानसेन की जन्म भूमि कर्म भूमि और तानसेन का मक़बरा ग्वालियर में मौजूद है।

ग्वालियर का सहस्राबहु (सास बहू मंदिर) भारतीय शिल्पकला का निर्माण कला का अधभुत नमूना है ।

ग्वालियर देश के शानदार किलों में से एक क़िला मौजूद है जिसे देश का जिब्राल्टर कहते हैं इस क़िले में राजपुतकालीन, मुगलकालीन, ब्रिटिशक़ालीन निर्माणकला का अधिभूत नमूना एक साथ देखने को मिलता है।

-देश के महान नेताओं में से एक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर में हुआ है ।

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