आर्युवेद में भी है मकर संक्रांति का महत्व….

आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाएं कई बीमारियों की कारण बन सकती हैं,

इसलिए प्रसाद के तौर पर खिचड़ी, तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने का प्रचलन है।

तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाई खाने से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

इन सभी चीजों के सेवन से शरीर के अंदर गर्मी भी बढ़ती है।

14 जनवरी मकर संक्रांति के साथ ही ठंड के कम होने की शुरुआत मानी जाती है।

हालांकि जलवायु परिवर्तन का असर मौसम पर भी पड़ा है।

मकर संक्रांति से बदलता है वातावरण…

मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है,

जिससे कई सारी शरीर के अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है।

यह शरीर को गर्म रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है..

कि उत्तारायण में सूर्य के ताप शीत को कम करता है।

मकर संक्रांति का महत्व

इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है।

इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है।

इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।

मकर संक्रांति पर करें किस चीज का दान?

मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।

इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है।

इस दिन से सभी शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी समाप्त हो जाता है।

इस पर्व पर खिचड़ी सेवन और खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व बताया जाता है।

खिचड़ी के फायदे

मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खाए जाने वाली खिचड़ी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है।

खिचड़ी से पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलने लगती है।

इसके अलावा अगर खिचड़ी मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है।

यह शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है

साथ ही बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती है।

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