स्वस्थ्य हेल्दी बने रहने के अमृतम सूत्र। Ayurveda Life Style के अनुसार मन को अच्छा कैसे करें

अगर आप सदैव तनाव, चिंता, भय, भ्रम, अवसाद रहित स्वस्थ्य और प्रसन्न चित्त जीवन जीना चाहते हैं, तो आयुर्वेद की कुछ खास संस्कृत सूक्तियां आपकी मदद करेंगी।

अमृतत्वं विषं याति सदैवाऽमृतवेदनात् ।(योगवाशिष्ठ ६० / २८)
अर्थात सदा अमृत की भावना करते रहने से विष भी अमृत हो जाता है।
पातकात् पतनं ध्रुवम्।(हरिवंश पुराण १७/१५१)
अर्थात पाप से पतन अवश्य होता है।
चिनुध्वं भो बुधाः पुण्यं यत्पुण्यं सुखसंपदाम्।(महापुराण ३७ / २०० )
अर्थात समस्त सुख-संपदाओं के कारणभूत पुण्य का संचय करो।
लब्धोदयः खलजनः प्रथमं स्वजने करोति सन्तापम् ।
उद्गच्छन्दवदहनो जन्मभुवं दारु निर्दहति ॥ (नीतिद्विषष्टिका १०७) 
अर्थात उन्नति प्राप्त खलजन प्रथम स्वजन को संताप देते हैं । जंगली आग जिस वृक्ष में पैदा होती है उसी अरणि-वृक्ष को सर्वप्रथम जलाती है।
 आतुरस्य कुतो निद्रा। सौंदर्यलहरी ४ / २२) –
अर्थात जो मनुष्य आतुर होता है उसे निद्रा कहां?
गुणधर्मविहीनो यो निष्फलं तस्य जीवितम् । (मृच्छकटिकं १/३२) –
अर्थात जो मनुष्य गुण और धर्म दोनों से विहीन हो, उसका जीवन निष्फल है, बेकार है।
डिप्रेशन मिटाने की चिकित्सा शरीर के अंदर ही है, बाहर नहीं। मनुष्य की देह निष्क्रिय होकर शव की अवस्था में ही शांत हो सकती है। इसलिए जब भी मौका लगे, शरीर को पूरी तरह ढीला और निष्क्रिय छोड़ दो। डिप्रेशन मिटने लगेगा।
आयुर्वेद से मिलेगी राहत और हटेगा अवसाद
धार्मिक हस्तलिखित उपनिषदों में गुरुओं ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया है कि  आयुर्वेद की ब्राह्मी, जटामांसी, स्वर्ण भस्म, चंदन, स्मृतिसागर रस, स्वर्ण माक्षिक भस्म, हरड़ मुरब्बा, आंवला मुरब्बा एवं त्रिफला आदि ओषधियां मन मस्तिष्क का अंतुलन बनाए रखती हैं और अवसाद मिटाने के लिए परम शांति चाहिए।
– अतः
शांति खोजनी हो, तो आत्मा के भीतर जाइए। आत्मा के भीतर पहुंचकर ध्यान और एकाग्रता की स्थिति में संगीतमय स्वरों को जन्म मिलेगा। – 
स्वरों को जन्म मिला तो कहा जा सकता है, स्तब्ध कौन है, शांति कहां है ? -स्वरों का संगीत ही शांति है। 
-आत्मा का आंतरिक गीत परम शांति है ।
– एकाग्रता का प्रतिवाहन मन को विमान यात्रा करा देता है और ऐसे लोक में पहुंचाता है जहां आनंद का अखंड भंडार है ।
– सड़क बीरान नहीं हो सकती।
– सड़क का धर्म है सुविधा देना।
– सुविधा मिलेगी तो गति के लिए वह प्राणवायु का काम करेगी। – हम भ्रम में होते हैं, कहते हैं ‘सड़क चलती है।’ – सड़क निर्जीव पथ और पद-चिह्न है। वह स्थिर है, वह कभी नहीं चलती। – उस पर चलनेवाले भ्रम पालते हैं कि सड़क चल रही है। –
सड़क-जैसे स्थिर-बिंदु है और चलना हमारी शक्ति क्रिया है, उसी तरह आनंद भी आत्मानुभूति है। –
-आनंद की खोज भी तो हमारा लक्ष्य है। – देखिए, शांति खोजते-खोजते आनंद और आनंद की श्रेष्ठ शक्ति सहजानंद तक हम पहुंच गये ।
– आनंद के अन्वेषक का पथचारी सत्य है।
-सत्य का संदेश नहीं होता, सत्य का अभिषेक होता है । – बाग में खुरपी लेकर किसी सुंदर पुष्प-पौधे के सामने तन्मय होकर क्रियाशील हो जाइए, आनंदतिरेक की लहरें आपको स्पंदित कर देंगी।
-शोर में भी शांति होती है और शोक में भी आनंद की सप्तम लहरें विद्यमान हैं।
-अकेले होकर खोजी बनने का उपक्रम निष्फल हो सकता है। –
प्रमाण स्पष्ट है : भीड़ में हम अकेले होते हैं, क्योंकि भीड़ की भयावहता से हमें आत्मरक्षा करनी होती है। ऐसे क्षणों में सोच एक सपना है। – 
नितांत एकांत में हमारा व्यतीत साथ नहीं छोड़ता। सारी भीड़ हमें घेर लेती है। विस्मृत चेहरे सीधे सामने आकर हमसे बात करते हैं। हमें उनका उत्तर देना होता है।
– अर्थ हुआ कि नितांत एकांत में शांति की खोज चीड़-वृक्ष में हीरा पाने की कल्पना है।
– हीरा तो अनंत रत्नगर्भा पृथ्वी के भीतर होता है और उसे पाने के लिए शांति नहीं, क्रांति की आवश्यकता होती है ।
-तब ?
– मिथ्या धारणा में जीते हैं वे जो हिमालय की कंदराओं में छुपते हैं। –
वहां छुपकर भी वे मनुष्य की खोज करते हैं, यह परम सत्य है। कोई व्यक्ति वहां पहुंच जाता है तो वे आल्हादित हो उठते हैं। 
ढोंग भले करते हों ज्ञान देने का, सचमुच ज्ञान उन्हें वह देता है जो वहां पहुंचता है। आपसे भागना आत्महत्या है। –
हत्या करना सहज है, आत्महत्या अत्यंत कठिन कर्म है । वह चेतन मस्तिष्क के किसी तंतृशिरा के हलके से हिल जाने का पलक झपकता क्षण होता है । उसी में अनजाने आत्महत्या हो जाती है।
-आत्महत्या के जितने भी जीवित क्षण बचते हैं वे पछतावा के शोकगीत होते हैं । –
– इसलिए सृष्टि से भागना कायरों का काम है।
– मनुष्य देह घर्षण से अवतरित होकर संघर्षण के लिए होती है। -संघर्षण कठिन और असाध्य परीक्षा के क्षण हैं।
-परीक्षा का प्रतिफल अनुकूल हुआ तो उससे अधिक आनंद और सुख-शांति का क्षण और कुछ नहीं होता ।
-परीक्षा सृजन का प्रतिभूत है।
-सृजन का सुख सर्जक ही अनुभव कर सकता है।
– अनुभूतियां हमारी जीवनी शक्ति हैं। –
-अनुभूतियों से ही स्पष्ट होता है कि फूल कैसे खिलता है, आत्म-ज्योति कैसे जाग्रत होती है, चेतना किस तरह उर्द्धगामी बनती है और मनुष्य कैसे तन्मय, सचेत, शांत और आल्हादित होता है।
-आल्हाद के क्षण प्रेम के परमतत्त्व हैं।
– प्रेम के बिना जीवन रेगिस्तान है ।
– प्रेम में ही संवाद है, प्रेम में ही एकांत शांति है। – – प्रेम की पराकाष्ठा आनंद की चरम प्राप्ति है, इसीलिए प्रेम को मनुष्य जीवन का मूलतत्त्व माना गया है। वही प्रेम जीवन को आकार देता है, वही प्रेम अग्रगामी होता है, वही प्रेम हिमगिरि बनता है और वही प्रेम जब ताप की लपटों से घिर जाता है तो ललाट का तिलक बनता है।
– प्रेम परमात्मा से भी परे है और शांति तथा आनंद का अनंत केंद्र है। – प्रेम के मूलतत्त्व को पहचान लीजिए, न आपको शांति की खोज करनी पड़ेगी और न आनंद का रस पाने के लिए अपने विवेक को खोना पड़ेगा।
मन चंगा रहने पर ही कठोती में गंगा के दर्शन संभव हैं। मन को प्रसन्न रखकर ही बुद्धि और भाग्य का साथ लिया जा सकता है। 
आयुर्वेद की एक जबरदस्त ओषधि है, जो दिमाग को ठीक रखने में उपयोगी है। 
ब्रेन की गोल्ड माल्ट का सेवन करें ये तकदीर की तासीर बदल देगा।
Brainkey Gold Malt
सृष्टि के आरम्भ से आज तक स्वस्थ्य शरीर को ही “तकदीर” कहा गया । वर्तमान में जिसका स्वास्थ्य अच्छा है वही भाग्यशाली है । जीवन में सफलता,समाज में प्रतिष्ठा, परिवार में पकड़, दैनिक नियम-धर्म का मुख्य आधार स्वस्थ शरीर है । आयुर्वेद के अनुसार
शरीर का धर्म क्या है –
तन-मन को स्वस्थ्य-पवित्र बनाये रखना, अपने कर्तव्यों को निभाना तथा प्रकृति के अनुसार चलकर स्वयं को सदा स्वस्थ बनाये रखना,हमेशा हँसते-मुस्कराते रहना,सबको खुश रखना,किसी का दिल न दुखाना,द्वेष-दुर्भावना रहित होना, किसी का हक न मारना, सभी के प्रति दया भाव रखना आदि इन सबको आयुर्वेद, यूनानी सहित सभी चिकित्सा ग्रंथो में तन-मन का कर्म व धर्म बताया गया है । धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष इन चार पुरुषार्थो में इसलिए ही धर्म सर्वप्रथम है । सबसे पहले ये समझें कि स्वस्थ्य-तंदरुस्त से रह सकते हैं
स्वस्थ रहना ही धर्म है –
अच्छा स्वभाव, सद्गुण,होना
स्वस्थ शरीर की पहली आवश्यकता है । सभी धर्म में मन की गति सर्वाधिक बताई है । मन में अमन की कमी “तन का पतन” कर देती है । अतः तंदरुस्ती हेतु ऐसे जतन (प्रयास) करें कि मन प्रसन्न रह सकें । मन के खराब होने से मानसिकता  विषैली हो जाती है । क्यों जरूरी है ब्रेन की गोल्ड माल्ट- काम की अधिकता रात दिन की भागमभाग, विपरीत जीवन शैली अनियमित खानपान, न समय पर सो पाना,न जागना,थकान, पाचन तन्त्र की खराबी, मेटाबोलिज्म का दिनोदिन बिगड़ना, लगातार चिन्ता,तनाव, लंबे समय तक कब्जियत का बना रहना । ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का सेवन, लम्बे समय तक भूखे रहना, शरीर में गर्मी रहना, शारीरिक अतृप्ति, हमेशा पेट खराब रहना, भूख न लगना आदि इन सब आधि-व्याधि की बर्बादी से बचने के लिए ब्रेन की गोल्ड माल्ट 3 माह तक नियमित 2 से 3 चम्मच सुबह खाली पेट गुनगुने दूध से 3 महीने तक लगातार सेवन करें। तीन महीने के लिए 5 शीशी हेतु अपना ऑर्डर आज ही ऑनलाइन देवें।
हमारा शरीर-हमारी तक़दीर
हमारी तकदीर बदल सकता है । क्योंकि तकदीर बदलने के लिए तजवीर या नित्य नवीन खोज, नई सोच की जरूरत है । नया आईडिया ही अब- इंडिया या भारत के बाहर आपको पहचान दिला सकता है ।
कैसे मिले सफलता –
इसके लिए बहुत तेज़-तर्रार दिमाग जरूरी है । अच्छी याददाश्त  वाला व्यक्ति ही बादशाहत पाता है। इन सबकी प्राप्ति के लिए तत्काल ब्रेन की गोल्ड माल्ट निरन्तर लेना जरूरी है।
क्या फायदे हैं
मस्तिष्क के रोग मनःस्थिति के बिगड़ने से होते हैं: अवसाद, डिप्रैशन, हीनभावना, आत्मविश्वास में कमी, अनिद्रा,भय-भ्रम,चिंता-तनाव, याददास्त की कमी, बार-बार भूलना, काम में मन न लगना, बच्चोँ का पढ़ाई में मन नहीं लगना उपरोक्त सभी समस्याओं का समाधान करने में पूरी तह सक्षम है। तीन महीने के लगातार उपयोग से आप जीवन में विशेष परिवर्तन का अनुभव करेंगे । एक बार के पढ़ने या समझने से याद होने लगेगा । दिमाग की डिम आग को प्रज्जलित करने वाला हर्बल माल्ट (अवलेह) या जैम के रूप में यह पहली दवा है। क्यों कारगर है ब्रेन की गोल्ड माल्ट- दिमाग को तेज,ऊर्जावान बंनाने वाली तथा याददाश्त,एकाग्रता बढ़ाकर मन-मस्तिष्क को खुश,प्रसन्न रखने में सहायक एवं पूर्णतःतनाव मुक्त कर, आयुर्वेद की ये सदियों सिद्ध व सदगुणी ओषधि मिलाकर ब्रेन की गोल्ड माल्ट बनाया गया है ।
इन जड़ीबूटियों के नाम निम्नलिखित हैं-
ब्राहमी
शंखपुष्पी,
जटामांसी
नागरमोथा,
भृङ्गराज
अरे मन…………
मनः संकल्प शक्ति-वेद वाक्य है-संकल्प शक्ति से ही मन काबू में किया जा सकता है, इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है!
क्यों कारगर है ब्रेन की गोल्ड माल्ट
दिमाग को तेज,ऊर्जावान बनाने वाली तथा याददाश्त,एकाग्रता बढ़ाकर मन-मस्तिष्क को खुश,प्रसन्न रखने में सहायक एवं पूर्णतःतनाव मुक्त कर, आयुर्वेद की ये सदियों सिद्ध व सदगुणी ओषधि मिलाकर ब्रेन की गोल्ड माल्ट बनाया गया है ।
इन जड़ीबूटियों के नाम निम्नलिखित हैं-
ब्राहमी
शंखपुष्पी,
जटामांसी
नागरमोथा,
भृङ्गराज
स्मृतिसागर रस
ये सब स्मृतिवर्द्धक प्राकृतिक दवाएँ स्मृतियों को जिन्दा बनाये रखने में बेहद कारगर है । मेटाबोलिज्म, पाचन तंत्र को मजबूती देने हेतु इसमें आंवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा, हरड़ का मुरब्बा गाजर मुरब्बा, बादाम पाक गुलकन्द अमलताश सहस्त्रवीर्या आदि के मिश्रण से ब्रेन की गोल्ड माल्ट को निर्मित किया है,जो पाचन तन्त्र को क्रियाशील बनाता है । अंदरूनी उदर रोगों का सर्वनाश करने में सहायक है ।  बहुत दिनों से बिगड़े हुए मेटाबोलिज्म ठीक करने में मददगार है ।शरीर में बन रहे यूरिक एसिड
नष्ट करने में “मुरब्बे” महत्वपूर्ण ओषधि के रूप में प्राचीनकाल से प्रसिद्ध हैं । यह त्रिदोष,त्रिशूल नाशक भी है । गुलकन्द पित्त नाशक है, यह पाचनतंत्र प्रणाली को व्यवस्थित करता है । बादाम सिर के भारीपन को कम करता है । ब्राह्मी,शंखपुष्पी,जटामांसी ब्रेन को तेज और शार्प करने वाली अमृतम आयुर्वेद की ख्यातिप्राप्त सबसे विश्वशनीय ओषधियाँ है,जो ब्रेन की शिथिल, मरी हुई या क्रियाहीन कोशिकाओं को तत्काल जाग्रत कर दिमाग को ऊर्जा से लबालब कर देती हैं । याददाश्त बढ़ाने वाली इन जड़ीबूटियों को इसीलिये बहुत अध्ययन व अनुसन्धान के कारण ब्रेन की गोल्ड माल्ट मिलाया गया है ।
आयुर्वेद के प्राचीन और प्रसिद्ध ग्रंथ
वृन्दमाधव
आयुर्वेद स्मृतियां
निघण्टु भावप्रकाश
भैषज्य रत्नाकर
आयुर्वेद एक खोज
आयुर्वेद अर्कप्रकाश
सौन्दर्यलहरी
मन्त्र महोदधि
आयुर्वेद व स्मरण शक्ति
मस्तिष्क तन्त्र विज्ञान
आयुर्वेद फार्मूलेशन ऑफ इंडिया (AFI) आदि
अनेक अमृतम आयुर्वेद की कृतियों में बताया है कि पाचन तंत्र के बिगड़ने से तथा उदर की बीमारी तन के तन्त्र को कमजोर कर देती है । तन तन्त्र का सीधा असर मानव मस्तिष्क पर होता है । इस कारण दिमाग की नाड़ियां या सेल क्रियाहीन होकर शिथिल होने से तन-मन विचलित होने लगता है ।  याददाश्त कमजोर हो जाती है ।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट से 19 फायदे –
1 – यह पाचनतंत्र को ठीक करता है ।
2 – पेट एक बार में साफ होता है ।
3 – कब्जियत कभी नहीं होती ।
4 – नाड़ी संस्थान को क्रियाशील बनाता है ।
5 – भूख खुलकर लगने लगती है ।
6 – बल,बुद्धि,वीर्य वृद्धि में सहायक है ।
7 – मन-मस्तिष्क को शांति प्रदाता है ।
8 – दिमाग के मृतप्रायः सेल (Cell)  जाग्रत करे ।
9 – शरीर को फुर्तीला व ऊर्जावान बनाता है ।
10- दिमाग में हमेशा सुकून शान्ति देता है ।
11 – तन-मन को हल्का व प्रसन्न रखता है ।
12 – मष्तिष्क को तनाव रहित रखता है ।
13 – क्रोध,चिड़चिड़ापन नहीं होने देता ।
14 – बिगड़े हुए मेटाबोलिज्म को सुचारू रूप से संचालित करता है ।
15 – अवसादग्रस्त से पीड़ितों को हितकारी है ।
16 – हीनभावना मिटाता है ।
17 – आत्मविश्वास में वृद्धिदायक है ।
18 – दिमाग की गर्मी में राहतकारी है ।
19 – समय पर गहरी नींद लाना इसका प्रमुख्य कार्य है ।
अनेक अद्भुत असरकारी जड़ीबूटियों के काढ़े,मेवा-मसाले तथा मुरब्बो के मिश्रण से ब्रेन की गोल्ड माल्ट और भी अधिक असरकारक हो गया है ।
कैसे सेवन करें ब्रेन की गोल्ड माल्ट”-
सुबह खाली पेट 2 से 3 चम्मच तथा रात्रि में गुनगुने दूध अथवा सादा पानी से दिन में 3 से 4 बार, तीन महीने तक नियमित लेवें हमेशा तरो-ताज़ा, स्वस्थ-तंदरुस्त व फिट बने रहने के लिए इसे जीवन भर लिया जा सकता है। इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है । यह शुद्ध हर्बल ओषधि है जो शरीर व दिमाग को “हर-बल“ प्रदान करती है । मस्तिष्क पर होता है । इस कारण दिमाग की नाड़ियां या सेल क्रियाहीन होकर शिथिल होने से तन-मन विचलित होने लगता है! याददाश्त कमजोर हो जाती है ।

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