कोर्ट-कचहरी में आपने हिंदी और अंग्रेजी का इस्तेमाल होते हुए खूब देखा होगा। अगर हम कहें कि भारत में इन्हीं दो भाषाओं में सबसे ज्यादा दलीलें पेश की जाती है तो इसमें कोई शक की बात नहीं होगी। लेकिन हिंदी और अंग्रेजी की जगह कोई वकील अगर संस्कृत में ही वकालत करने लगे, तो वाकई यह सबको हैरान कर सकता है। पर ऐसा सच में है।
उत्तरप्रदेश के महान अधिवक्ता..
दरअसल उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ऐसे वकील हैं जो ना अंग्रेजी में लिखते हैं नहीं हिंदी में। उन्होंने अपनी भाषा के रूप में संस्कृत को चुना है। वह अपनी वकालत 41 सालों से संस्कृत भाषा में ही करते हैं। यह वकील हैं आचार्य श्याम उपाध्याय।
आचार्य श्याम उपाध्याय दुनिया के ऐसे एक मात्र वकील हैं जो अपना सारा मुकदमा संस्कृत में ही लड़ते हैं। न्यायालय में वकालतनामा पेश करने की बात हो या शपथ पत्र, प्रार्थना पत्र आदि जमा करने की बात हो, आचार्य श्याम उपाध्याय यह सभी काम संस्कृत भाषा में ही करते हैं।
इतना ही नहीं, आचार्य जब कोर्ट में संस्कृत भाषा में जिरह करने लगते हैं, तो विरोधी वकील के पास कोई जवाब नहीं होता है।
आचार्य श्याम उपाध्याय की मानें तो वह 40 साल से संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इसी वजह से वे संस्कृत में ही मुकदमा लड़ते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से देववाणी के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सकता है।
सादर नमन !
Leave a Reply