सुबह का उठना फायदेमन्द तो है, ही साथ ही यह अनमोल भी है।
बुजुर्ग कहते थे कि-सुबह की हवा सबसे बड़ी दवा है।
यह दवा दर्द को दबाती नहीं, अपितु देह को ठीक करती है।
ऊपर बर्फ का यह अदभुत हिम शिवलिंग लेह-लदाख से 135 किलोमीटर दूर लामायुरू रास्ते का है।
हम सुबह लेह से 5 बजे जब निकले, तो अचानक इस हिम शिवलिंग के दर्शन हुए।
लदाख में घूमने का आनंद प्रातःकालीन ही है।
बाद में सूर्योदय होते ही बर्फ पिघलने से प्राकृतिक दर्शन नहीं हो पाते।
बचपन की याद 55 में भी…
बचपन में एक कविता हरेक घर में माँ-दादी अपने बच्चों को सुबह जगाते वक्त गाती थीं।
शायद सबने सुनी होगी।
उठो लाल अब आंखें खोलो, पानी लाई मुहँ धोलो।
बीती रात कमल दल फूले, इनके ऊपर भौंरे झूले।
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुंदर।
जल में पड़ी सुनहरी छाया, ऐसा सुंदर समय न खो।
यह काव्य मुझे पृरी तरह याद नहीं है, यदि किसी को पूरा आता हो तो सहयोग करें।
यह पुराने शब्द जगाने के लिए प्रेरित करते हैं। आप दुनिया में सब कुछ पा सकते हैं, लेकिन सुबह का अमूल्य वक्त मिलना बहुत मुश्किल है।
सुबह की वायु आयु बढ़ाने में कारगर है। वायु शब्द को उल्टा लिखें, तो युवा बन जाता है।
अगर सदैव युवा बने रहना चाहते हो, तो सुबह सूर्योदय से पहले उठने का अभ्यास करें।
कभी जीवन में रोग नहीं होंगे।
कभी-कभा बिलम्ब से उठना कोई दोषपूर्ण नहीं है।
सुबह उठने का सर्वाधिक फायदा ओर भी है।
यह भाग्योदय में भी सहायक है।
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