प्यार के बारे में 35 ज्ञानवर्धक सूत्र आपको सोसाइड करने से रोक सकते हैं-
आत्महत्या की जगह आत्मचिंतन एवं आत्मप्रेम करने पर विचार करें……..
यह जबाब प्यार में डूबे इश्कबाजों को अवश्य पढ़ना चाहिए।
सच्चा प्यार तो यही है कि- मेरे ह्रदय में वास करो और कोई किराया मत दो।
प्यार की सत्यता जिक्र से नहीं फिक्र से पता लगती है।
लोग रंग बदलते हैं और बदनाम इश्क हो रहा है। मोहब्ब्त दिल से है या दिमाग से।
इसका अहसास करें। यह जानकारी गूगल पर नहीं मिलेगी।
प्यार के रिश्ते दिमाग के होंगे, तो कभी भी उनमें आग लग सकती है अर्थात उनके टूटने के आसार अधिक होते हैं।
अगर प्रेम दिल से है, तो इनका टूटना असम्भव होता है।
दिल का लव काबिल-ए-मरम्मत होता है।
छोड़ दिया है मोहब्ब्त करना,
क्योंकि हमसे होती नहीं है।
अब आँखे नम होती तो हैं,
लेकिन कभी रोती नहीं हैं।।
प्रकृति हो….प्रेमिका या पत्नी इनकी प्रसन्नता हीवसब सम्पन्नता प्रदान कर सकती है ।
पत्नी या प्रेमिका इन्हें पाने औऱ न पाने दोनो का दुःख सदैव बना रहता है ।
क्योंकि ये बांधकर रखना चाहती हैं, जो आदमी की फितरत से परे है । दर-दर भटकना, कहीं भी अटकना आदमी की आदत है।
लेकिन संसार का आनंद इन दोनों की बाहों में है ।
आदमी की आकांक्षा आकाश छूने की रहती है। व्यक्ति फैलना चाहता है, विस्तार चाहता है ।
स्त्री की सोच अपना “चप्पा” (पति) अपना “नमकीन” (बच्चे) औऱ थोड़ी सी “बर्फ” (कुछ रिश्तेदार) इन्हीं में रिस-रिस कर,
रस-रस कर, रच-रच कर पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है ।
मर्दों को आसमान छूने का प्रयास करना चाहिए। हमारे सपने ही हैं, जो आसमां से भी बड़े होते हैं।
इतना भी स्मरण रखें कि केवल सपने ही अपने होते हैं।
कुछ लड़के…फुकने (निरोध) लगाकर, रस टपकने को ही जीवन का सत्य मानते हैं,
उनकी राम-राम सत्य है,….होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। सेक्स की लत में रत होकर बाद में सरकने योग्य भी नहीं बचते।
हमें हर हाल में सफल होना है…. यही मन्त्र हमारे दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने में सहायता करता है।
लड़कियों के चक्कर में 100 जगह भागकर भाग्य को खराब करना अनुचित है।
सफलता के लिए कर्म करो, तो दिन-रात की मेहनत से नटराज भी एक दिन नतमस्तक हो जाता है।
यही विश्वास विश्व में प्रसिद्ध कर, हमें बाबा विश्वनाथ, भोलेनाथ से मिलवा देगॉ।
ये प्यार-मनुहार को त्यागकर अपने मनोबल को सदा बढ़ाये रखो। इसी बल के बुते हम दरिद्रता रूपी दल-दल से बाहर निकल पाएंगे ।
प्रेम ईश्वर से हो या अन्य किसी से उसकी याद, स्मरण हमें हर रण में लड़ने की शक्ति देता है।
उस “प्रेम की प्रतिमा” का भोलापन, सरलता, सहजता आपको हमेशा प्रेरित करेगी। आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी।
प्रेम ऐसा हो कि-मरने के बाद भी घर-घर आपकी “फ्रेम” फ़ोटो लग जाए। जैसे राधा-कृष्ण की।
प्रेम देने-ध्याने का नाम है। प्रेम में काम को विश्राम देकर, बस हमें समर्पण करना आना चाहिए।
खुद के अलावा किसी की जिंदगी बदलना ही सच्चा प्रेम है। एक बार किसी का “सारथी” बनकर, तो देखो।
लेकिन हम स्वार्थी बनकर उसके विश्वास की अर्थी निकल देते हैं।
प्रेमी हो या प्रेमिका….तन और मन के अलावा क्या है किसी के पास देने को! लेकिन क्या करे,
इस टेक्नोलॉजी के युग में सब विचित्र तरीके से बदल रहा है।
लोगों की निगाहें ब्रा पर ज्यादा हैं वृक्ष पर नहीं।
अपने को बदलने का प्रयास करो, निःस्वार्थ प्यार नहीं कर सकते हो, तो पेड़ लगाओ,
प्रेमिका के नाम से किसी का जीवन नष्ट-भृष्ट न करके, उसकी रक्षा करो।
केवल एक बार प्रकृति हो या अन्य उससे सच्ची लग्न लगाकर देखो। यदि दिल दर्द,
से बचकर “मर्द” बनना चाहते हो, तो ये करें-
दिल लगाने से अच्छा है, पौधे लगाओ, ये घाव नहीं, छांव देंगे। जब बहुत परेशान हो जाओ,
कोई रास्ता न सूझे, तो प्रकृति को ही अपना गुरु बनाकर सही मार्गदर्शन लेवें-
महाकाल से प्रार्थना करें कि-हमें अंधकार से प्रकाश की औऱ ले चलने में मदद करे-
“कोई हुनर , कोई राज , कोई राह , कोई तो तरीका बताओ….दिल टूटे भी न, साथ छूटे भी न….
कोई रूठे भी न ,सिर फूटे भी न, कुछ लुटे भी न, और ज़िन्दगी गुजर जाए।”
अब कायदे की बात भी समझने की कोशिश करें…
मेरा मानना है कि-
प्रेम मत करो, आत्महत्या के कई औऱ भी नायाब तरीके हैं।
प्रेम सफल, तो आदमी तबाह और अगर प्रेम असफल, तो जीवन तबाह हो जाता है।
प्रेम विवाह के दुष्प्रभाव….
प्रेम सफल का मतलब होता है-प्रेम विवाह ।
एक बार कर लिया, तो पूरा जीवन प्रेमिका रूपी पत्नी की मांग औऱ
पूर्ति में उलझ कर पूरा जीवन तबाह हो जाता है ।
माँग, तो वह खुद भर लेती है, किन्तु प्रेमिका एक ऐसी मूर्ति है,
जिसकी हर चीज की पूर्ति करते-करते प्रेमी हो या पति के प्राण निकल जाते हैं।
आदमी न अर्थशास्त्री बन पाता है और उसे चारो तरफ अनर्थ ही अनर्थ दिखाई पड़ता है।
सारे शास्त्र आँसुओं की सहस्त्रधारा में बह जाते हैं।
असफल प्रेम के नुकसान…
औऱ प्रेम असफल, तो जीवन तबाह का अर्थ है कि-
बेवफा प्रेमिका के ध्यान में पूरा जीवन व्यर्थ-व्यतीत होकर केवल अतीत बचता है।
उसकी याद ही याद में दिल व दिमाग में मवाद पड़ जाता है ।
उसकी याद का बेहिसाब खाता सब वाद-विवाद से दूर रखता है।
न खाने का मन, न पखाने का। न रोने का, न गाने का।
जमाने का डर पहले ही निकल चुका होता है ।
वो किस समय, क्या कर रही होगी, इसी ऊहापोह में समय कट जाता है-
सावन का महीना आया की वह विचार करता है कि-
घिर के आएंगी, घटाएँ फिर से सावन की
तुम, तो बाहों में रहोगे, अपने साजन की।
वैसे लड़कियां प्रेमी को अपनी जुल्फों में बांधकर रखती हैं।
उनके लंबे बाल का रहस्य है-अमृतम कुन्तल केयर स्पा हेम्पयुक्त
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