क्या आप गलतुण्डिका के बारे में जानते हैं ?
गलतुण्डिका गले की एक बीमारी है, जिसे
सभी लोग टॉन्सिल्स के नाम से पहचानते हैं।
यह समस्या कम उम्र के बच्चों को या किसी को भी हो सकता है।
क्या करें –
टॉन्सिल्स से बचने के लिए गर्म पानी में सेंधा नमक और चुटकी भर पिसी हल्दी मिलाकर गरारे करना सबसे बेहतर इलाज है। इसके अलावा
इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं, कुछ ऐसे अचूक घरेलू उपाय जो आपको टॉन्सिल्स यानि गलतुण्डिका या गिल्टी की समस्या से निजात दिलाने में सहायक होंगे।
क्यों होते हैं गलतुण्डिका/टॉन्सिल्स
गले में संक्रमण (इन्फेक्शन), ठंडा-गरम खाने मतलब ठंडे के ऊपर गर्म और गर्म के बाद ठंडा
खाने-पीने से, वायु प्रदूषण या वायरस की वजह से, प्रतिरोधक क्षमता कम होने व अधिक खट्टे पदार्थ मसालेदार खाना खाने से गले में टॉन्सिल की समस्या हो जाती है। ये एक प्रकार की बीमारी होती है। इसमें गले की नली चोक हो जाती है और कुछ भी खाने-पीने से गले में काफी दर्द होता है। कुछ भी निगलना मुश्किल हो जाता है। तकलीफ बढ़ने पर कभी-कभी ऑपरेशन की नोबत आ जाती है।
टॉन्सिलाइटिस क्या है?
हमारे शरीर में टॉन्सिल्स एक रक्षा तंत्र के रूप में कार्य करते हैं। वे सभी तरह के संक्रमण से आपके गले की रक्षा करने में मदद करते हैं। जब टॉन्सिल्स संक्रमित हो जाते हैं, तो इस स्थिति को ‘टॉन्सिलाइटिस’ कहा जाता है.
गलतुण्डिका से होने वाले नुकसान –
गलतुण्डिका अर्थात टॉन्सिल के सबसे सामान्य लक्षण में गले में खराश शामिल है। इसके अतिरिक्त, खांसी, उच्च तापमान (बुखार) और लगातार सिर दर्द रह सकता है। साथ ही खाया-पिया निगलना दर्दनाक हो जाता है,
तथा गर्दन ग्रंथियों (Glands) में सूजन आ सकती है। इसके अलावा टॉन्सिल सामान्य से ज्यादा लाल हो जाते हैं।
बच्चों की बीमारी —
टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है और बचपन में बच्चों को होने वाला एक सामान्य इंफेक्शन है। छोटी उम्र से लेकर मध्य-किशोरावस्था के बच्चों में टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों में गले में खराश, टॉन्सिल्स में सूजन और बुखार शामिल हैं। इस परेशानी का कारण संक्रामक और विभिन्न वायरस और जीवाणुओं के कारण हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया,
जो कि स्ट्रेप थ्रोट एक जीवाणु संक्रमण है।
सूजी हुई ग्रंथियां (लिम्फ नोड्स) जो गले में स्थित होती हैं। टॉन्सिल्स में यानी गले के दोनों तरफ सूजन आ जाती है। शुरुआत में मुंह के अंदर गले के दोनों ओर दर्द महसूस होता है।
टॉन्सिल्स की परेशानी बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है। टॉन्सिलाइटिस होने पर गले में दर्द, खाना निगलने में तकलीफ, गले में सूजन, बुखार, सिरदर्द, जीभ पर सफेद परत जमना आदि समस्या होती है।
टॉन्सिल्स, नर्म ग्रंथियों के ऊतक से बना होता है। यह शरीर की रक्षा करने वाले महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक हैं। मानव शरीर में दो टॉन्सिल होते हैं, जो चेहरे के नीचे गले में दोनों तरफ मौजूद होते हैं।
टॉन्सिल्स में आजमाएं, यह 6 देशी उपाय
टॉन्सिल्स में विशेष उपयोगी गन्ने का रस –
【1】200 ML गन्ने के रस में 20 ग्राम छोटी हरड़, 10 ग्राम सौंठ, 10 ग्राम मुलेठी, कालीमिर्च 2 ग्राम सभी को दरदरी करके
इतना उबाले कि वह 50 ml करीब रह जाये।
इसे गुनगुना रहने पर दिन में तीन से चार बार आधा से एक चम्मच पिलाएं।
यह बहुत ही बहुत असरदार घरेलू उपाय है।
इसके सेवन के एक घंटे तक कुछ खाना-पीना
नहीं चाहिए।
【2】सोंठ, मुलेठी, तुलसी, हल्दी और अडूसा सभी को सम भाग लेकर 16 गुने पानी में डालकर इतना उबले की दोगुना रह जाए, फिर, इसमें गुड़ मिलाकर पुनः उबालकर इस काढ़े को दिन भर में 4-5 बार 1 से 2 चम्मच गर्म-गर्म चाय की तरह पीने से टॉन्सिल जल्दी ठीक होता है।
【3】 सोंठ,हरड़, पीपल के लड्डू
सभी को सम भाग लेकर पीस लेवे, फिर, देशी घी मिलाकर हल्की आंच में सिकाई कर, इसमें गुड़ मिलकर लड्डू बना लेवे। इसे एक-एक लड्डू 2 या तीन बार खाएं। ये गले की खराश को दूर करता है।
अंजीर का रस
【4】 दो नग अंजीर, मुनक्का 5 नग, कालीमिर्च, अजवायन, हल्दी, कालानमक सभी को को 24 घंटे तक पानी में भिगों कर रखें। फिर इसे 300 मिली लीटर पानी में उबाल लें।
उबलने के बाद इन सबको पीसकर सेवन कर लें।
टॉन्सिल के दर्द में आराम मिलेगा
【5】फिटकरी के गरारे —
फिटकरी के एक बड़े ढ़ेले को एक लीटर पानी में उबालें। इसे हल्का ठंडा कर इसके पानी से रोजाना चार-पांच गरारे या कुल्ला करें। इससे टॉन्सिल ठीक होगा और दर्द में भी राहत मिलेगी।
टॉन्सिल की 2000 वर्ष पुरानी
सहायक आयुर्वेदिक ओषधि
इसे आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रंथो के अनुसार बनाया गया है, जो 45 तरह के फेफड़ों सम्बंधित रोगों जैसे- टॉन्सिल्स, सर्दी-खाँसी, जुकाम, गले के दर्द, फेफड़ों के इंफेक्शन, दमा, श्वांस, निमोनिया, गलतुण्डिका, आदि अनेक कफ विकारों में एक सहायक हर्बल सप्लीमेंट है। यह पूरी तरह हानिरहित है।
लोजेन्ज माल्ट को नियमित लेने से पॉल्युशन
से होने वाली समस्याओं रक्षा होती है।
चिकित्सा वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनियाभर में 4 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे इससे प्रभावित हैं।
बच्चों को बार-बार होने वाले कफ दोष/रोग सर्दी-खाँसी,जुकाम कफ दोष या रोग और निमोनिया, श्वांस नली की सूजन व इंफेक्शन का कारण फेफडों का संक्रमण हो सकता है।
https://www.amrutam.co.in/lungdiseasesayurvedictreatment-copd/
[best_selling_products]
Leave a Reply