लिवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट जमा होने से लीवर में सूजन आने लगती है या यकृत का साइज बढ़ जाता है।
■ पेट के दाएँ भाग के ऊपरी हिस्से में दर्द
■ वजन में गिरावट
■ कमजोरी महसूस करना
■ आँखों और त्वचा में पीलापन दिखाई देना
■ भोजन सही प्रकार से हजम नहीं होना जिसके कारण उदर में जलन, एसिडिटी का होना
■ पेट में लगातार सूजन बनी रहना।
जब वसा की मात्रा लिवर के भार से दस प्रतिशत अधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति में लिवर सामान्य रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है
फैटी लिवर से हानि….
लिवर यानी यकृत हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है। यकृत खाना पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। लिवर शरीर को संक्रमण से लड़ने, रक्त शर्करा या ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने, शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने, फैट को कम करने तथा प्रोटीन बनाने में अहम भूमिका अदा करता है।
आयुर्वेद में लिवर का संबंध पित्त के असन्तुलित होने से बताया गया है यानि पित्त के दूषित होने पर लिवर रोग ग्रस्त हो जाता है एवं भलीभाँति अपना कार्य नहीं कर पाता।
अधिक मात्रा में खाने, शराब पीने एवं अनुचित मात्रा में फैट युक्त भोजन करने से फैटी लिवर जैसे रोग यकृत में होने की संभावना होती है।
आप घरेलू आयुर्वेदिक उपायों से फैटी लीवर का इलाज कर सकते हैं। निम्नलिखित उपाय तीन दिन तक करें।
भावप्रकाश निघण्टु एवं रस तंत्रसार ग्रन्थानुसार आप निम्न ओषधियाँ एकत्रित करें…
मकोय
अर्जुन छल
धनिया
पुनर्नवा
नागरमोथा
निशोथ
कुटकी
कालमेघ
त्रिफला
अमलताध गूदा
सनाय
जीरा
सौंफ
शुण्ठी
अजवाइन
रोहतक
चित्रक मूलसभी समभाग यानी 100–100 ग्राम लेकर घर में अच्छी तरह साफ करके जौकुट यानी दरदरा क्वाथ करके रखें।
5 ग्राम गुड़,
1 ग्राम सेंधा नमक,
100 mg कालीमिर्च
मिलाकर सुबह खाली पेट पियें।
इसे काढ़े को पीने का तरीका—
सुबह उठकर कम से कम 2 से तीन ग्लास सादा जल, चाय आदि पीकर फ्रेश होकर उपरोक्त काढा पीना है।
खाने नाश्ते में क्या लेना है…
सुबह नाश्ते में आंवला मुरब्बा, पोहा, अनार जूस, पपीता, गन्ने का रस, मीठा दही आदि
दुपहर शाम…मूंग की दाल, आलू उबालकर नहीं, कंडे की जांच में सेंककर सब्जी बनाएं।
सादा रोटी।
पनीर सादा हल्का नमक, मसाला युक्त।
10–20 ग्राम भूंजे हुए चने लेकर पानी न पिएं।
लोंकी, तुरई, कटहल आदि की सब्जी कम तेल युक्त लेवें।
परहेज- अर्थात इन्हें त्यागें हमेशा के लिए
● अरहर की दाल
● गर्म पानी,
● रात को दही
● नमकीन दही कभी न लेवें।
● रात में सलाद, जूस फल, आदि कतई न लेवें।
यदि जड़ीबूटियों को एकत्रित करने में समस्या हो, तो उपरोक्त फार्मूले से तैयार अमृतम द्वारा निर्मित
की लिव माल्ट /KeyLiv Malt
कीलिव कैप्सूल
तीन महीने तक दूध या जल के साथ सेवन करें।
दूषित पित्त ही फैटी लिवर जैसे रोगों को जन्म देता है।
अनुचित खानपान, शराब, सिगरेट, तम्बाखू आदि का अधिक सेवन से लिवर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते है..
जिस कारण लिवर को सामान्य से अधिक कार्य करना पड़ता है। इससे लिवर में सूजन आ जाती है।
फैटी लिवर दो प्रकार के होते हैं-
【1】 एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज (Alcoholic fatty liver disease)-शराब का अत्यधिक सेवन करने वालों में होता है।
【2】नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज (Non-Alcoholic fatty।
आयुर्वेद के अष्टाङ्ग ह्रदय नामक ग्रन्थ में भी फैटी लिवर के बारे में बहुत अच्छा लिखा है।
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