- त्रिफला चूर्ण पूरी तरह हनिर्षित और निरापद ओषधि है। लेकिन एक बार में 3 gm से अधिक न लेवें। त्रिफला को सादे, गर्म पानी या दूध के साथ भी लिया जा सकता है।
- त्रिफला चूर्ण 100 से अधिक बीमारी मिटाता है। लिंक क्लिक कर पढ़ें।
- त्रिफला तीन ओषधि फलों जैसे आंवला, हरड़ और बहेड़ा के मिश्रण से निर्मित होता है।
- त्रिफला चूर्ण बनाने की सही विधि क्या है और इसे कितने समय तक यूज कर सकते हैं? के लिए अमृतम पत्रिका Amrutam Patrika का जवाब त्रिफला चूर्ण बनाने की सही विधि क्या है और इसे कितने समय तक यूज कर सकते हैं? के लिए अमृतम पत्रिका Amrutam Patrika का जवाब
- त्रिफला में मिला आंवला सांवला व्यक्ति का भी रंग निखार कर बुढ़ापा जल्दी नहीं आने देता।
- त्रिफला में मिलाया हरड़ पेट की हर समस्या को हर लेता है।
- बहेड़ा कफ विकारों में उपयोगी है और बालों की गंदगी साफ कर यूज मुलायम और चमकदार बनाता है।
- आयुर्वेद के 5000 साल पुराने ग्रन्थों में त्रिफला चूर्ण का उल्लेख मिलता है। चरक सहिंता में त्रिफला को अमृत ओषधि बताया है। यह खाने से लेकर बाल एवं आंख धोने में भी उपयोगी है।
- भावप्रकाश निघण्टु पुस्तक में त्रिफला में मिलने वाली ओषधि फल जैसे-हरड़, बहेड़ा, आंवला का पृथक पृथक वर्णन है।
- भैषज्य रत्नाकर नामक पुस्तक में त्रिफला बनाने की तीन विधियां बताएं हैं।
- सबसे विश्वसनीय पुस्तक रसतन्त्र सार सिद्धप्रयोग संग्रह में त्रिफला चूर्ण के विभिन्न सेवन विधियों का उल्लेख है।
- बहुत ही कम कंपनिया त्रिफला चूर्ण में छोटी हरड़ या बाल हरड़ का उपयोग करती हैं।
- त्रिफला चूर्ण– आंवला, छोटी हरड़ तथा बहेड़ा तीनो को बराबर मात्रा में लेकर घर में भी बनाया जा सकता है।
- त्रिफला चूर्ण में हमेशा छोटी हरड़ का ही उपयोग करें। बड़ी हरड़ का नहीं। दोनों के भाव में 8 से दस गुना का फर्क होने से बाजार में अधिकांश बड़ी हरड़ का ही त्रिफला मिलता है।
- त्रिफला चूर्ण में होते है-आँवला-हरड़-बहेड़ा! फायदे जानकर दंग रह जाएंगे। त्रिफला चूर्ण/पाउडर आयुर्वेद की शुद्ध और सर्वश्रेष्ठ ओषधि है।
- त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) नाशक है।
- तन-मन के विकारों को अंदर से ठीक करता है।
- इम्यूनिटी पॉवर यानि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में विशेष कारगर है।
- वात-पित्त-कफ त्रिदोष नाशक है।
- जीवनीय शक्ति वृद्धिकारक हैं।
- त्रिफला पाउडर शरीर के समस्त विकारों का नाश करने में उपयोगी है। इसीलिए आयुर्वेद की 500 से अधिक ओषधियों के निर्माण में इसका मिश्रण किया जाता है।
- त्रिफला चूर्ण एक ऐसी चमत्कारी ओषधि है, जो 50 प्रकार की बीमारी में लाभकारी है।
- पेट के रोग, कब्ज, बवासीर, लिवर की समस्या, वात रोग (अर्थराइटिस) आंखों की तकलीफ, बालों का झड़ना, टूटना, दांत दर्द जैसे अनेक ज्ञात-अज्ञात विकार मिट जाते हैं।
- पाचन तन्त्र (मेटाबॉलिज्म) को मजबूत बनाकर पेट के अंदरूनी रोगों का सफाया कर, उन्हें पुनः पनपते नहीं देता। त्रिफला की इसी विशेषताओं के कारण इसे आयुर्वेद का अमृत कहा जाता है।
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