लोग इधर उधर की जानकारी जुटाकर कुछ भी खा पी रहे हैं। यही अज्ञानता उन्हें बीमार बना रही है।
आयुर्वेद के अनेक ग्रंथों में अनुमान विधि का वर्णन है। द्रव्यगुण विज्ञान के मुताबिक एक दिन में लोकी का जूस 10 ML से 15 ML तक ही लेना फायदेमंद है। इससे अधिक लेने पर मेटाबॉलिज्म डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है। लिवर कमजोर हो जाता है।
नीम का रस 5 ML पर्याप्त है।
अदरक एक दिन में अधिकतम 10 ग्राम केवल सर्दी में ले सकते हैं।
हल्दी दूध के साथ एक महीने में 10 ग्राम से ज्यादा सेवन न करें और भूलकर भी गर्मी के मोसम में हल्दी का सेवन न करें अन्यथा स्किन प्रॉब्लम, अस्थमा हो सकता है।
तुलसी, नीम, बेल, की पत्ती एक दिन में 3 से 5 तक ही लेवें अन्यथा पित्त असातुलित होने लगता है।
अजवायन कभी भी एक दिन में एक या 2 ग्राम तक ही लेवें। अजवायन का अधिक सेवन पेट दर्द की परेशानी खड़ी करता है।
आयुर्वेद के कोई भी चूर्ण जैसे अश्वगंधा, सफेद मूसली, श्तावर, कोंच बीज, त्रिफला, हरड़, आंवला चूर्ण, सितोपलादी चूर्ण, हिंगवाष्टक चूर्ण, लवण भास्कर, पंचसकार या कोई भी पेट साफ करने वाला चूर्ण और शक्ति वर्धक पाउडर एक दिन में 3 से 4 ग्राम तक ही लेना लाभकारी होता है।
येवसभी चूर्ण आयुर्वेदिक ओषधि लकड़ियां से निर्मित होने से यह जल्दी पचते नहीं और पेट को खराब कर आंतों को संक्रमित कर देते हैं।
कब क्या कितना खाए, वात, पित्त, कफ को संतुलित करने के लिए आयुर्वेद लाइफ स्टाइल किताब का अध्ययन करें।
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