अच्छी सुंदर पत्नी और बेहतरीन नोकरी या कारोबार चाहिए, तो केरल के इस श्रीदेवी मंदिर में अवश्य जाएं।

  • अच्छी सुंदर पत्नी और बेहतरीन नोकरी या कारोबार चाहिए, तो केरल के इस श्रीदेवी मंदिर में अवश्य जाएं। amrutam
  • केरल में एक ऐसा ही मन्दिर है जहां पुरुषो का प्रवेश वर्जित है अगर पुरुष जाता भी है, तो उसे स्त्री की तरह 16 श्रृंगार करके यानी हाथों में मेंहदी, बिछिया, साड़ी आदि धारण कर सजसंवर के ही जाना होगा अन्यथा पुरुषों का प्रवेश वर्जित हैं।
  • कोल्लम जिला केरल का एक ऐसा मंदिर जहां मर्दों को सोलह श्रंगार किए बिना जाना मना है। जाने क्या है कहानी और किस जगह है यह मंदिर।
  • ग्वालियर मप्र से लगभग 2600 किलोमीटर दूर केरल राज्य के कोल्लम Kollam जिले से करीब 20 km समुद्र किनारे स्थापित देवी का यह देवालय आपको चकाचोंध कर देगा। केरल प्रवास दौरान इनके दर्शन से अनेकों चमत्कारी फायदे हुए।
    • श्रीदेवी कोट्टनकुलंगरा मन्दिर Kottankulangara Devi Temple, केरल Chavara Kollam, Kerala! प्रतिदिन बढ़ रही है मां की स्वयंभू प्रतिमा।
  • आदिशक्ति मां दुर्गा देवी के इस मंदिर में पुजारी और पुरुषों को भी स्त्री भेष में जाना पड़ता है। जाने एक रोचक रहस्य।
  • केरल की राजधानी तिरुवनन्तपुरम (Thiruvananthapuram) या त्रिवेन्द्रम (Trivandrum) से यह तीर्थ मात्र 70 किलोमीटर दूर है। यहां से 2 घंटे में कोट्टनकुलंगरा मन्दिर पहुंचकर महासागर और मां की कृपा का आनंद ले सकते हैं।
  • विशेष बात यह भी है कि मंदिर में किसी एक या दो श्रृंगार करने से भी प्रवेश नहीं मिलता है। चाम्‍याविलक्‍कू पर्व के दौरान पुरुषों को पूरे 16 श्रृंगार करने का सख्‍त नियम है। मंदिर परिसर में पुरुषों के लिए एक अलग से मेकअप रूम भी है।
  • क्‍यों करना पड़ता है मर्दों को मां के मंदिर में सोलह श्रृंगार?आखिर क्‍या है इसके पीछे वजह? amrutam
  • हजारों साल पहले कुछ शिव भक्त अघोरी अवधूत स्त्री रूप धारण कर यानि नारी पोशाक पहनकर नियमित देवी के श्रीसुक्त मंत्र से हवन कर स्वर्ण का निर्माण करते थे। कुछ समय बाद यहां श्रीदेवी की स्वयंभू स्वर्ण प्रतिमा प्रकट हुई।
  • बीहड़ वन में कुछ चरवाहों को सोने के टुकड़े मिले। भूलवश एक दिन चरवाहों ने मां की मूर्ति को छू लिया, तो सारा शरीर कुष्ठ से सफेद होकर ग्लेन लगा, तब एक साधु ने उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनकर मूर्ति पर फूल चढ़ाने का आदेश दिया। दूसरे दिन स्त्री रूप सभी पशुपालकों ने नारी भेष में पुष्प, प्रसादी अर्पित की जिसके बाद उस स्थान से दिव्य शक्ति निकलने लगी। 535 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण जीर्णोद्वार हुआ।
  • कहते हैं कि मां के एक बार दर्शन करने से घर में स्वर्ण की कमी नहीं होती।

बिना छत का मंदिर

  • महान मान्यताओं के मुताबिक मंदिर में मां की म‍ूर्ति स्‍वयंभू रूप में विराजमान है। यह केरल प्रांत का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसके गर्भगृह के ऊपर किसी भी प्रकार की कोई भी छत नहीं है।

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