पानी बनाये रखता है –जवानी
क़िस्से हैं पानी के, दुनिया की कहानी से ज्यादा
पानी में क्या नहीं है, और भी पानी से ज्यादा
दुनिया में पानी का कोई सानी नहीं है।
पानी भी एक औषधि है।
आज का पिया हुआ जल,
कल यानि
बुढ़ापे में काम आएगा।
आयुर्वेद में पानी की बहुत कहानी
लिखी हैं–
अंदर अंदर खोखले हो जाते हैं तन ।
जब शरीर में पानी सूख जाता है ।।
पानी का पीना और पानी का निकालना
शरीर के इम्यून सिस्टम को शक्ति
प्रदान करता है।
क्या है इम्यून सिस्टम यानि रोगप्रतिरोधक
मनुष्य के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण
हिस्सा है रोगप्रतिरोधक प्रणाली अर्थात
इम्यून सिस्टम यह एक ऐसा मजबूत तन्त्र
है, जो हमारे शरीर में रोगों और रोगाणुओं
को ढूढ़-ढूढ़ कर नष्ट करता रहता है।
दरअसल यह रोगप्रतिरोधक प्रणाली
एक प्रकार से शरीर रूपी किले की
सेना है, जो हमेशा हमारे शरीर की
दुश्मनों यानि रोगों से रक्षा करती
रहती है।
शरीर की सुदृढ़ दीवार बनाने के लिये
ही आयुर्वेद में रहन-सहन, खानपान
और जीवन जीने के सूत्र बताये गए हैं।
आयुर्वेद के मनीषी दावा करते हैं कि
पानी अकेला ही जिंदगी को सुहानी
बना सकता है।
मनुष्य यदि नीचे बताये नियमों का
नियमित पालन करें, तो वह बिना किसी
रोग के यानि निरोगी रहकर 120
की पूर्णायु पा सकता है।
पानी हमारे शरीर के अवयवों को
फिल्टर कर रोगप्रतिरोधक क्षमता
में वृद्धि करता है, जिससे प्रतिरक्षा
तन्त्र सुदृढ़ होता जाता है।
प्रतिरक्षा तंत्र की मजबूती से छोटी-मोटी
बीमारियां कभी छू भी नहीं सकती।
बार-बार होने वाले मौसमी विकार अथवा
हल्का सर्दी-जुकाम आदि बीमारियां
इम्यून सिस्टम के स्ट्रॉन्ग होने से
कभी पास ही नहीं फटकती।
कुछ नियम जिन्हें सहजता से
अपनाया जा सकता है–
【】भरपूर पानी पिएं। गर्मियों के दिनों में
दिन भर में कम से कम 8 से 9 लीटर
और सर्दी में 4 से 5 लीटर पानी शरीर के लिए जरूरी है।
झुर्रियों से बचाव
आयुर्वेद के जल चिकित्सा ग्रन्थ तथा
वैद्य कल्पद्रुम में उल्लेख है कि
कम उम्र में चेहरे पर जो झुर्रियां पड़ती हैं,
उसकी वजह शरीर में पानी की कमी है।
जल का पर्याप्त मात्रा में उपयोग
उम्ररोधी बताया गया है।
पानी ऐसे पियें-जैसे खा रहे हों
आयुर्वेद की एक सलाह है कि
भोजन ऐसे करें, जैसे पी रहे हों
अर्थात खाने को बहुत चबा-चबाकर
जब तक कि वह पानी की तरह
तरल न हो जाये। धीरे-धीरे
खाने से कभी मोटापा नहीं बढ़ता।
औऱ पानी को ऐसे पियें जैसे खा रहे हों।
पानी को हमेशा धीरे-धीरे बैठकर ही
पीना बहुत लाभकारी होता है।
खड़े होकर जल ग्रहण करने से
घुटनों व जोड़ों में दर्द की शिकायत
हो जाती है। यह पीड़ा बुढ़ापे में
बहुत दुःख देती है। इसलिए पानी हमेशा
बैठकर ही पीना चाहिए।
सुन्दरता वृद्धि में सहायक
एक ग्रन्थ में बताया है कि जो लोग
बहुत आराम से एक-एक घूंट करके
पानी पीने की आदत बना लेते हैं,
उनके चेहरे पर निखार आता चला जाता है। सुन्दरता में वृद्धि होती है।
चमकदार त्वचा और जवां बने रहने हेतु
पानी पीने के पहले
3 से 4 बार बहुत गहरी श्वांस लेकर
धीरे-धीरे छोड़ना चाहिए, फिर पानी पिएं।
जल को सदैव सम्मान के साथ,
अच्छे विचारों से,
पवित्र भाव से पीना चाहिए।
मासिक धर्म की समस्या से निजात–
जिन स्त्रियों, महिलाओं, नवयौवनाओं को
अक्सर माहवारी से सम्बंधित परेशानी
या विकार हों, उन्हें सुबह उठते ही
बिना कुल्ला किये खाली पेट
2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार अकेला पानी भी
प्रतिरक्षा तन्त्र को
बहुत मजबूत कर देता है।
पानी पीने से शरीर के 100 से
अधिक विकार मूत्र विसर्जन के
द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
पथरी से बचाव-
पर्याप्त पानी पीने वालों को कभी
पथरी की शिकायत नहीं होती।
मूत्ररोग, मधुमेह विकार, उदर रोग
उत्पन्न नहीं होते।
एसिडिटी हो शान्त-
जब कभी पेट में गेसा बनती हो या
अम्लपित (एसिडिटी) की दिक्कत हो
या फिर, बार-बार हिचकी आ रही हो,
तो हर 2 या 3 मिनिट में
एक गिलास पानी को 15 से 20
मिनिट तक एक-एक घूंट करके
पीते रहें।
एसिडिटी, हिचकी, पेट की जलन
बेचैनी दूर हो जाती है।
सोने का पानी
सोने के बर्तन का पानी ब्रेन यानि
दिमाग की सुप्त नाडियों को जागृत
करने में चमत्कारी है। इसे
अक्टूबर से मार्च (सर्दियों में)
पीना चाहिए।
तांबे के पात्र का पानी
ताम्बे के बर्तन का पानी रक्त तथा
अवयवों की शुद्धि के लिए अत्यंत
फायदेमंद है इसे अप्रैल से सितम्बर
(वर्षा ऋतु) तक पीना उपयोगी है।
मिट्टी के घड़े का जल
मिट्टी के घड़े का पानी शरीर की जलन,
मानसिक वेदना, पेट की बीमारियों को
दूर करने में सहायक है इसे मार्च से जून (गर्मियों में) पीना हितकर रहता है।
स्वस्थ्य जीवन के — 17 नियम–
【१】सुबह उठ कर हल्का गर्म
पानी पीना चाहिए।
【२】 पानी पीने का तरीका यही है कि
सिप-सिप करके व नीचे बैठ कर
पीना चाहिए।
【३】दूध, दही, लस्सी हमेशा खड़े
होकर पीना हितकारी है
【४】भोजन को 32 बार चबाना चाहिए।
सुबह का नाश्ता भर पेट लेना चाहिए।
【५】सुबह खाने के साथ दही, छाछ, जूस, दूध आदि इनमें से कोई एक लेना चाहिये।
【६】सूर्यास्त के बाद उपरोक्त पदार्थ
प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर करते है।
रात्रि में केवल गर्म दूध लिया जा
सकता है, ठंडा नहीं।
【७】आयुर्वेदिक ग्रन्थ वैद्य चिंतामणि के
मुताबिक यदि दूध में हल्दी
मिलाना हो, तो 100 mg से
अधिक न मिलाए
【८】दोपहर को खाने के साथ फल, सलाद, मूंग की दाल लस्सी लेना फायदेमंद रहता है।
【९】रात को खाने के साथ कभी भी अरहर या तुअर की दाल कभी न लेवें, यह वायु विकार
पैदा करती है और लिवर/यकृत को
कमजोर बना देती है।
【१०】फ्रिज़ से निकाली हुई वस्तु को 1 घण्टे बाद खानी चाहिए
【११】रात के भजन में खिचड़ी, दलिया,
मूंग की दाल का पानी का सेवन
उदर रोगों से बचाता है। रात को
न के बराबर खाना लाभप्रद है
【१२】भोजन के 1 घण्टे बाद पानी पीना
हृदय को मजबूत बनाता है।
रात्रि को खाना खाने के बाद
【१३】500 से 700 कदम चलना चाहिए
और वज्रासन करना चर्बी नाशक है।
【१४】खाने में अजवायन, जीरा, सौफ,
कालीमिर्च, धनिया, हल्दी, दालचीनी,
छोटी पीपल, हिमाचली हरड़,
मुलेठी, मुनक्का, आँवला मुरब्बा,
आदि का उपयोग इम्यून सिस्टम को
मजबूत बनाने में सहायक हैं।
【१५】लिवर के रोग, पेट की बीमारियां,
डाइबिटिज, वातविकार, थायराइड
निमोनिया, ज्वर, एवं कैंसर ना हो इसलिए
भारत की प्राचीन राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति
आयुर्वेद को अपनाएं।
【१६】अपने शरीर का इम्यून सिस्टम
हमेशा मजबूत एवं सुदृढ़ बनाये
रखने के लिए जीवन भर
अमृतम गोल्ड माल्ट
का सेवन सदैव करते रहें।
अपने बच्चों को, तो खासतौर पर
इसे बचपन से ही देना चाहिए,
ताकि ताउम्र वह स्वस्थ्य-प्रसन्न
रह सकें।
एक बात याद रखें
स्वास्थ्य है, तो सौ हाथ हैं
अच्छा स्वास्थ्य सौ हाथ, सौ साथ
के बराबर है। स्वस्थ्य मनुष्य का
ही संसार में सब साथ देते हैं।
चाहें वह मस्तिष्क हो या मनुष्य
कहा भी गया है-
सुख के सब साथी,
दुःख का न कोई।
दुनिया का सबसे बड़ा दुःख या
कष्ट रोग है।
पानी के किस्सों को सुनकर मन-अन्तर्मन
प्रसन्न हो जाता है, तो पानी के हिस्सों की
लड़ाई ने कई देश-परिवार बरबाद कर दिए।
प्यार में दिलबर जानी को पानी बहुत प्रिय
लगता है।
गीत-संगीत, में पानी आग लगा देता है-
किसी समय मुक्ति फ़िल्म का यह गाना बहुत हिट हुआ था
कहीं ऐसा ना हो लग जाए,
दिल में आग पानी से।
बदल लें रास्ता अपना,
घटाएं मेहरबानी से।।
के यादों की ये बरसातें हमें सोने नहीं …
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विशेष निवेदन :-
आयुर्वेद और अध्यात्म एवं भारत
के दुर्लभ शिंवलिंग, शिव मंदिर,
कालसर्प, पितृदोषों के बारे में
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