नेता हमेशा लेता है उसका कभी पेट नहीं भरता। एक नेता से किसी लड़की को भारी प्यार हो गया। वो इतनी अधिक प्रभावित थी कि अपना सब कुछ न्यौछावर कर देना चाहती थी यानी वो समर्पण को आतुर थी। फिर एक दिन नेता जी ने अपने मित्रों के साथ उसका लोकार्पण कर दिया।
लड़की का जब लोकार्पण हो गया, तो उसने उस दिन से चड्डी पहनना बंद कर दी और आगे जाकर बहुत बड़ी नेता बनी।
पुराने समय के नेता बहुत त्यागी और ईमानदार हुआ करते थे। बहुत कम लोग जानते होंगे कि जनसंघ के संस्थापक श्री श्यामाप्रसाद मुखर्जी के पिता श्री आशुतोष मुखर्जी कालीकट (कोलकाता) विश्वविद्यालय के कुलपति थे।
उन्होंने अपनी आय के अधिकांश हिस्से से ८०००० (अस्सी हजार) किताबों का संकलन किया था।
जिसका मूल्य वर्तमान में अमूल्य है। अन्त समय अपनी वसीयत में वे सारी किताबें कालीकट विश्वविद्यालय को दान दे गए। ऐसे देशभक्त विद्धपुरूष को भावभरा नमन्।
आज कलकत्ता नेशनल लायब्रेरी एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।
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