मनुष्य इस दुनिया मे करोड़ो साल पहले से है। जब से वो आया है, आविष्कारो ने उसकी ज़िंदगी आसान, और बहुत आसान बनाई है।आविष्कार ही उसे अन्य जीवो से अलग बनाते है। और इन आविष्कारों का स्रोत होता है, विज्ञान। हम लगभग सभी चीज़ों को सबसे पहले विज्ञान की तराजू मे ही तौलते है और तब उस का विश्वास करते है।
लेकिन आज तक ऐसी सैकड़ो घटनाए हुई है ,जिनकी उपस्थिति को मनुष्य समझा नहीं पाता है और अपनी बुद्धि से बहुत दूर पाता है। और तब ये घटनाए रहस्य का दर्जा पा जाती है। इन रहस्यो को जब तक सुलझाया नहीं जाता है , तब तक इंसान अपनी कल्पना से इनके बारे मे राय बनाता जाता है। आज हम ऐसे ही कुछ अनसुलझे रहस्यो और इनसे जुड़ी कहानियो के बारे मे जानेंगे। तथा इनके पीछे मनुष्य ने जो कल्पनाए की है ,उन्हे समझने का प्रयास करेंगे ।
【1】
इजीप्शियन मिस्र के 7 अजूबे पिरामिड
जब से इजिप्ट मे स्थित इन पिरामिडो को ख़ोजा गया है, ना जाने कितने लोगो ने इसके भीतर समाहित रहस्यो को समझने मे अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । यहा इस लेख मे हम इनके प्रसिद्ध रहस्यो जैसे ;- ये कैसे बनी ?किसने बनाई? जैसे रहस्यो पर बात नहीं करेंगे, परंतु कुछ अलग, जो आज तक कम लोग ही जानते है, उन पर रोशनी डालने की कोशिश करेंगे ।
इजीप्शियन पिरामिडो की दीवारों पर हम काफी रहस्यमयी आकृतियो को देख सकते है, लेकिन सबसे चौकाने वाली बात ये है की इनके दीवारों पर यूएफ़ओ की चित्रे भी पाये गए है। इस आकृति में शिवलिंग, नदी, त्रिशूल, डमरू, नेत्र, त्रिपुण्ड देखखर विश्व के वैज्ञानिक हैरान हैं। पिछले एक हजार वर्षों से इस खोज चल रही है।
ये आकृतीय असाधारण रूप से असंदिग्ध लगती है और कई लोगो की इस भावना, कि मिस्त्र के लोगो के एलियन के साथ संबंध थे ,को असाधारण रूप से बल मिलता है। भारत के कुछ आध्यात्मिक धर्मग्रन्थ बताते हैं कि इन अजूबे श्रीयंत्र आकर के पिरामिडों की रचना महान सप्त ऋषियों ने की थी।
सौंदर्य लहरी, शारदा तिलक आदि किताबों में भी ऐसा वर्णन मिलता है। पृरी तरह श्रीयंत्र के आकार के ये पिरामिड अन्य धर्मों में बनाना सम्भव ही नहीं है।
यह एक प्रकार का मरवरोधी अंसन्धान केंद्र था और आज भी है। यहां म्रत्यु के बाद ममी इस मान्यताओं के साथ रखी गईं कि मरने वाला एक पुनः जीवित हो जायगा। जब मैं मिस्र घ्य और वहां के पिरामिड देखे, तो एक जानकार ने बताया कि यह पुराण सूर्य तिरत या लोक या मन्दिर है।
इन पिरामिड के बारे में भविष्यपुराण में भी उल्लेख मिलता है कि किसी रेगिस्तान में नील नदी जिसका पानी पृरी तरह नीला है। नील नदी के पास या देश में एक विशाल सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र ने करवाया था।
मिस्र की यह नदी अब नाइल नदी के नाम से प्रसिद्ध है। सिकन्दर का जन्म इसी देश में हुआ था।
फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडो
मिस्र की राजधानी कायरो से लगभग 250 km दूर हम सिकन्दर की जन्मभूमि अलेक्जेंडरिया बताते हैं। कुछ ग्रीक में जन्मा हुआ। हो सकता है कि पूर्व काल में यह हिसा ग्रीन का ही टुकड़ा हो।
मिस्र के शासक कट्टर सूर्य उपासक थे। जिन्हें महात्माओं कैदर्ज प्राप्त था। इनको फारो नाम से जाना जाता था। इस पदवी का प्रयोग ईसाई और इस्लाम काल के पूर्व काल में होता था। इसे फारोह भी लिखते हैं। फारो को मिस्र के देवता होरसका पुनर्जन्म माना जाता था। होरस द्यौ (आकाश) का देवता था और इसे मुसलमान सूर्य मानकर पूजते हैं।
मिस्र में ही पहली बार वृक्ष-तत्व-निर्मित कागज की खोज हुई थी। प्राचीन मिस्र में अनेक पुस्तकालय हैं, जहां संस्कृत भाषा की अनेक प्राचीन लाखों वर्ष पूर्व हस्तलिखित उपनिषद, पांडुलिपियों का संग्रह है।
अलैक्जैंड्रिया के विशाल पुस्तकालय में 900 वर्ष पहले लगभग 70,000 हस्तलिखित ग्रंथ थे, जो भारत से ले जाये गए थे। इनमें बिजली बनाने की विदाई, कायाकल्प विधि, स्वर्ण निर्माण की प्रक्रिया, परकाया प्रवेश, नागलोको की खोज,
नागमणि, पारसमणि कैसे प्राप्त करें।
तन्त्र से सिद्धि। खजानों के बीजक, आकाश के रहस्य, श्याम विवर के गुप्त रहस्य। आयुर्वेद से अमरता, मूल रावण सहिंता, महर्षि बाल्मीक रचित भोजपत्र पर हस्तलिखित रामायण, ज्योतिष के अनेक दुर्लभ ग्रन्थों का भंडार था।
जूलियस सीजर ने एक बार इस विशाल पुस्तकालय में आग लगाकर काफी पांडुलिपियां भस्म कर दी थीं।
ये ऐसे प्रश्नो को बढ़ावा देते है क्या एलियंस ने पिरामिड बनाने में उनकी मदद की? क्या होगा अगर वे वास्तव में एलियंस के वंशज थे?
【2】डांसिंग प्लेग
1518 की बात है । एक महिला स्ट्रासबर्ग,फ्रांस की फ्राउ ट्रोफ़िया स्ट्रीट्स मे चलते हुए असाधारण और अजीब रूप से नाचने लगी । तब कई लोगो ने उसे पागल समझा लेकिन उसके खौफनाक कदम संक्रामक प्रतीत हुए, क्योंकि लगभग 400 लोगों ने उसके मानसिक नृत्य की नकल करना शुरू कर दिया।
यह इतने लंबे समय तक चला कि इसने स्ट्रासबर्ग मजिस्ट्रेट और बिशप का ध्यान आकर्षित किया, और कुछ डॉक्टरों ने अंतत: हस्तक्षेप किया, जिससे पीड़ितो को अस्पताल में रखा गया।
इस दावे का मुख्य स्रोत जॉन वालर से आता है, जिन्होंने इस विषय पर कई जर्नल लेख और किताब लिखी है। वहा से ये पता चला कि कि ये कोई रहस्यमयी संक्रामक बीमारी थी, जिसने एक पूरे शहर को अपने चपेट मे ले लिया था। ये गुप्त रूप से फ्रांस मे आया और गुप्त रूप से गायब भी हो गया । आज तक इस रहस्य की कोई वैज्ञानिक थ्योरी नहीं मिली ।
【3】 द वॉयानीच मनुस्क्रिप्ट
1639 में, रोम में जिसूट एथेनेसियस किरचर को, एक प्राग नागरिक जोर्जियस बार्स्चियस ने एक पत्र में लिखा जिसमे उन्होने एक अजीब सी लिपि मे कुछ कुछ शब्द लिखे। वे शब्द कुछ इस प्रकार थे ….
“cumque in mea Bibliotheca Sphinx quaedam, Scripturae incognitorum characterum inutiliter occupasset locum,
…
Ex pictura herbarum, quarum plurimus est in Codice numerus, imaginum diversarum, Astrorum, aliarumque rerum, faciem chymicorum arcanorum referentium, conjicio totum esse medicinalem”
उन्होने बताया था की उपर्युक्त पैराग्राफ उनके पास रखी एक रहस्यमयी किताब से लिए गए है जिनका अर्थ वे नहीं जानते है । आश्चर्य की बात यह थी की ये लिपि उस समय की किसी भी लिपि या आज तक की किसी भी ज्ञात लिपि से नहीं मिलती थी।उनके पत्र मे उन्होने इस प्रकार लिखा था की ;-
“this above paragraph was written in an unknown script and was profusely illustrated with pictures of plants, stars, and alchemical secrets”
सबसे आश्चर्य की बात यह थी की उस किताब मे कुछ खास प्रकार की आकृतिया भी बनी थी जो इस प्रकार है ;-
इस लिपि को उस समय या आज तक के किसी भी क्रिप्टोग्राफर डिकोड नहीं कर पाये । इसीलिए इसे वायनिच पाण्डुलिपि के एक अलग पाण्डुलिपि मे वर्गीकृत किया गया ।
【4】बगदाद बैटरी
क्या आप जानते हैं कि प्राचीन लोगों ने भी बैटरी का इस्तेमाल किया होगा। आज हम लोग जिसे बैटरी के आविष्कारक के रूप मे परिचित है, वे काउंट एलेसेंड्रो वोल्टा है जिनहोने आज से 1000 साल से ज्यादा पहले पहली इलेक्ट्रिकल बैटरी का आविष्कार किया था। लेकिन इस प्राचीन बैटरी को बगदाद बैटरी कहा जाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, बगदाद बैटरी पहली बार 1938 में जर्मन पुरातत्वविद् विल्हेम कोनिग द्वारा इराक की राजधानी बगदाद में खोजी गई थी। इस कलाकृति में “एक चीनी मिट्टी के बर्तन, एक शुद्ध धातु की राड तथा दूसरे की अशुद्ध छड़” शामिल है, जैसा कि दिखाया गया है।
उपरोक्त मॉडल बिलकुल नीचे दिखाये गयी आधुनिक बैटरी से मिलता है ।इसी लिए आज भी ये रहस्य का विषय है की क्या हजारो साल पहले के हमारे पूर्वज बैटरी जैसे विद्युतीय चीज़ से परिचित थे ।
तो ये थे कुछ खास और अंजाने रहस्य जिनहे विज्ञान भी समझा नहीं पाया ।
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