दुनिया के दिलों पर करे, जो राज-
उसका नाम है प्याज…
प्याज भोजन को चटपटा व स्वादिष्ट बनाती है।
प्याज को संस्कृत भाषा में प्लाण्डु:, यवनेष्ट, दुर्गन्ध, मुखदूषक कहते हैं।
प्याज कफ, जीर्णज्वर, वात-वकार, स्त्री रोग नाशक एवं बाल-वीर्य वर्द्धक होती है।
यह एक चमत्कारी प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधि है। प्याज के लिए आयुर्वेदिक निघण्टु के हरितक्यादी वर्ग: में संस्कृत के एक श्लोक का वर्णन है- यथा
प्लाण्डुर्य्वनेष्टश्च दुर्गंधो मुखदुष्क:!
प्लाण्डुस्तु गुणैर्ज्ञेयो रसोनसदृशो बुधै:!!
स्वादु: पाके रसेऽतुष्ण: कफकृन्नातिपित्तल:!
हरते केवलं वातं बलवीर्यकरो गुरु:!!
अर्थात-रसोन की तरह गुणयुक्त। पाक व रस में मधुर, शीतल तथा कफकारक है अर्थात जिनको अस्थमा , दमा की शिकायत हो या कफ नहीं निकलता, सूखा गया है, उन्हें पेयाज का रस सौंफ गुड़ के साथ जरूर लेना चाहिए।
प्याज, पित्त को उत्पन्न नहीं होने देता।
बल-वीर्य की वृद्धि करता है।
प्याज की पहचान…
¶~ रसोन यानी लहसुन की तरह प्याज का क्षुप या पौधा भी 2 से 3 फिट ऊंचा होता है।
¶~ प्याज सदैव जमीन के अंदर कन्द रूप में नासिक के महाराष्ट्र में अधिक पैदा होती है।
¶~ प्याज के पत्ते गोल ऊपर से खोखले होते हैं।
¶~ बीच का ठंढल तीन फीट तक लम्बा होता है।
¶~ प्याज के पौधे के ऊपर बहुत बड़े आकार झुमकेदार सफेद पुष्प लगते हैं।
¶~ प्याज पौधे के नीचे 2 तरह के कन्द निकलते है।
¶~ छोटे सफेद कन्द को घोड़-प्याज तथा राजपलाण्डु और
¶~ बड़े को पटनहिया या क्षीर प्लाण्डु प्याज कहते हैं।
¶~ बड़ी प्याज में रस अधिक होता है। यह पिच्छिल एवं मधुर होता है।
प्याज का तेल बालों में लगाने से लाइलाज रोग पालित्य-खालित्य अर्थात बालों में कीड़े लगना रूसी आदि और खालित्य यानी गंजापन जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
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