शनि के रोक-रहस्य क्या हैं…

      • हमारे कर्म और विचार ही खराब होते हैं। ग्रह कभही किसी का अनिष्ट नहीं करते। यह भ्रम है।
      • दुनिया के ज्योतिषियों ने कालसर्प, पितृदोष, शनि की साढ़ेसाती आदि के नाम से डराकर अरबों-खरबों का कारोबार डाला। फिर, भी समस्या जस की तस है।
      • भगवान शनि न्याय के देवता हैं। वयः ब्रह्माण्ड के न्यायाधिपति हैं। वे किसी को भी नहीं छोड़ते।
      • जन्मपत्रिका में शनि जिस स्थान पर बैठते हैं उस भाव को शक्तिप्रदाता बना देते हैं।
      • शनिदेव की दृष्टि खराब मानी जाती है।
      • जैसे- कोर्ट-कानून की निगाह में आप आ गए, तो निश्चित ही जीवन खराब हो जाएगा।
      • लेकिन देश में कोर्ट-कानून के होने या बैठने से आम जनता की बहुत सुरक्षा होती है।
      • शनि कुंडली में अगर स्वग्रही अर्थात मकर-कुम्भ राशिगत हैं, तो उनकी दृष्टि भी फलदायी रहती है।
      • ज्यादातर ज्योतिष के जानकार शनि, राहु, केतु कमजोर, दूषित बताकर जातक को भयभीत बनाते हैं।

जब हो शनि से तनी हो तो शनि को कैसे करें प्रसन्न-शनिवार का दिन अक्सर सभी का तना तनी में गुजरता है।

संसार में अधिकाश अकाल मृत्यु, दुघर्टनायें शनिवार को ही घटित होती है।

  1. शनि की जनी (पत्नी) के शाप के कारण शनि की कुदृष्टि से सब कुछ पल भर में तबाह हो जाता है।
  2. जन्म पत्रिका में यदि शनि प्रथम,छठे, या ग्यारहवें भाव में स्थित हो,तो स्वर्ण पाद, दूसरे, पाँचवे या नौवे स्थान पर (राशि में नही) विराजमान हो,
  3. तो रजत (चाँदी के पाये) पाद में, तीसरे, सातवें या दसवें भाव में बैठे हो तो ताम्र पाद में तथा चोथे आठवें अथवा बारहवें भाव में ..
  4. स्थित होने पर लौह पाद शनि ग्रह के अलग-अलग पाद (पायें) में स्थित होने के फल इस प्रकार है कि –

यदि जन्म पत्रिका में शनि स्वर्ण पाद के हो अर्थात ६,८, ११ वे भाव में हो,तो सम्पूर्ण जीवन सुख प्रदान करते है।

ताम्र पाद यानि ३, ७, दशवें स्थान के शनि समता लौह पाद के शनि धन, तन तथा मन का पूरी तरह विनाश कर सकते है।

    • रजत चाँदी पाद यानि 2, 5, 9 भहाव के शनि सबसे शुभकारी, सौभाग्यशाली हैं।
    • लौह पाद के शनि जातक को जीवन भर परेशान करते रहते हैं, इन्हें समय-समय पर लौहा, तेल ..
    • तथा बर्तन का दान प्रत्येक शनिवार हर हाल में करते रहना चाहिए।

चंदन जैतून बादाम तैल के मिश्रण अथवा राहुकी तेल से मालिश करना चाहिये।

शनि-राहु की कुदृष्टि से बचने के लिए माथे पर चन्दन का त्रिपुण्ड अवश्य लगाएं।

https://bit.ly/3izVt6u

जब कभी शनिवार की अमावस्या हो, उस दिन ग्यारह किलो सरसों या तिल के तेल को किसी लौहे की कढ़ाई में

भरकर उसमें अपना मुख तीन बार देखकर किसी मंदिर या कही भण्डारे में कढ़ाई सहित दान कर देवें।

    • यदि संभव हो, तो उस तेल में उड़द, मूंग की दाल के मगोड़े पकोड़े आदि सिकवाकर गुड़ सहित नन्दी या साढ़ को खिलावें।
    • शनि शांति के इन प्रयोगो से शनिवार का दिन खराब नही जाता।
    • शनि इन आध्यात्मिक उपायों से सभी दिन, सभी वार पर एतवार किया जा सकता है।
    • हर बेकार समय का हथियार मात्र ईश्वर ही आधार है।
    • प्रार्थना, अर्चना, पूजा आदि के द्वारा सब अनिष्टो से बचा जा सकता है।
    • अतः नवीन सवतत्सर के दिन किसी मन्दिर पर सफेद ध्वजा चढ़ाएं।
    • शनि से प्रार्थना करें कि नया साल हर हाल में नया अवसर प्रदान करें

शंका समाधान :-

शास्त्रों के अनुसार जन्म एवं नाम राशि के प्रधानता का निर्णय इस प्रकार करें कि समस्त विवाहदि मंगल कार्यो में,

यात्रा एवं ग्रह गोचर में जन्मराशि की प्रधानता होती है।

    • बोलते नाम का चिन्तन नही करना चाहिये।
    • देश, ग्राम, ग्रह, युद्ध, सेवाकर्म, व्यापार तथा व्यवहार में बोलते नाम की राशि की प्रधानता होती है।
    • श्री हनुमान को भगवान के स्थान पर गुरूमान पूजने से ये अपनी कृपा शीघ्र करते है।
  1. शनि की कृपा हेतु यदि हनुमंत बब्बा के समक्ष एक दीप जलाकर

!!जय-जय-जय हनुमान गुंसाईं,

कृपा करो गुरूदेव की नाईं!!

24 बार या तथा ग्यारह बार

!!ऊँ शम्भूतेजसे नमः शिवाय!!

मंत्र जाप करें तो जीवन में हर समस्या का समाधान कुछ ही दिनों मे हो जाता है।

यह प्रयोग एक बार अवश्य अजमाये।

  • हनुमान से हार मान जाते है….राहु-शनि
    श्री हनुमान जी एक ऐसे गुरू है जिनका मणिपुर चक्र पूर्णतः जाग्रतावस्था में है।
  • नाभि चक्र के बीज मंत्र ‘र‘ को सिद्ध कर लिया था इनमें अग्नितत्व की अधिकता है।
  • इनके समक्ष ऊँ शम्भूतेजसे नमः शिवाय मंत्र के जाप से सब ताप, तपन, रोग, दोष, आदि जलकर खाक हो जाते है।

हनुमान जी की एक विशेष अर्चना…

शास्त्रों में इनकी स्तुतियाँ गुरू रूप में ही की गई है। हनुमान मंदिर जितनी ऊँचाई पर होते है।

उतने ही सिद्ध होते है।

दुःख निवारण बजरंगबली…

    • यदि अचानक कोई खतरनाक कष्ट आ जाये या परेशानियों से मुक्ति नही मिल पा रही हो,
    • तो किसी भी ऊंचे शिखर या पहाड़ पर स्थित श्री हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें गुरू रूप में प्रणाम करें।

एक या चौबीस दीपक पान के पत्ते पर रखकर गुरू हनुमानजी की चौबीस परिक्रमा,

चौबीस दिन लगातार करने से कैसा भी र्दुभाग्य दोष, आपदा सन्तति, विवाह अवरोध दूर ही हो जाते है।

      • कार्य पूर्ण होने पर उस स्थान पर 108 दिन के दीपक जलाने हेतु घी दान करें।
      • एक घंटा टगवायें तथा 108 इलाचयी, 54 लोंग तथा 28 मखानों की एक ही माला बनाकर अपने गुरू जी (श्री हनुमान जी) को अर्पित करें।

बाबा के गुरु भगवान सूर्य हैं। नीचे लिखा सूर्य मन्त्र हो सके, तो रोज 5 बार अपने आज्ञाचक्र को सुनाएं।

    • ॐ असतो मा सद्गमय।
    • तमसो मा ज्योतिर्गमय।
    • मृत्योर्मा अमृतं गमय।
    • ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

      • शनि से सबसे बड़ा सगा राहु हैं। ये एक दूसरे को कभी दगा नहीं देते।
      • दोनों ही महादेव के परम भक्त, शिष्य हैं।
      • शनि के साथ राहु को जरूर साधना चाहिए।
      • राहु धनदायक मूल ग्रह हैं और शनि स्थाई धन के कारक हैं।
      • राहु की कृपा से जब अटूट सम्पदा आती है, तो शनि उसकी रक्षा करते हैं।

राहु के राज…..

      • राहु बहुत रहस्यमयी छाया ग्रह है।
      • राहु के रहस्य को छाया की तरह आज तक कोई समझ नही पाया।
      • परम् शिव उपासक राहु के साथ देवों द्वारा छल करने के परिणाम स्वरूप सिर कटवाना पड़ा।
      • इस कपट पूर्ण प्रक्रिया के कारण राहु के दो धड़ हुए।
      • तत्पश्चात ऊपर का धड़ राहु ओर नीचे का धड़ केतु
      • ग्रह के नाम से जग में जाना जाता है।

अमृतम फार्मास्युटिकल्स द्वारा प्रकाशित

अमृतम मासिक पत्रिका के मुद्रक-प्रकाशक,

कालसर्प विशेषांक नाम पुस्तक लिखी थी।

      • पिछले 30 वर्षों से हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग के लिए प्रसिद्ध मरकरी एम. ऐजेंसी प्रा.लिमिटेड के प्रबन्ध
        निदेशक लेखक अशोक गुप्ता के अनुसार राहु से पीड़ित कभी कभी व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है।
      • दुनिया के जितने भी कष्ट, क्लेश, दुख, द्रारिद्रय सब राहु की देन है।
        राहु जब किसी को सताते है, तो ईश्वर भी मदद नही करता।
      • राहु की शांति का एक मात्र सबसे सरल उपाय है – प्रतिदिन राहुकाल में 54 दिन तक लगातार स्वयं अथवा किसी वैदिक..
      • ब्राह्मण द्वारा राहुकी तेल से, या मधु पंचामृत से शिवलिंग का रुद्राभिषेक कराकर अपने पिछले पापों का प्रायश्चित करें।
  • प्रतिदिन प्रातः सुबह 5.29 से 6.27 के बीच
    किसी शिवालय की साफ-सफाई कर कर्पूर जलाकर अपने कष्ट निवारण की प्रार्थना करें ।
    सम्भव हो,तो कच्चे दूध में चन्दन इत्र, गंगाजल
    अपने पित्तरों के निमित अर्पण करें ।
  • राहु के दुष्प्रभाव से होते हैं भारी नुकसान…
    चोरी, जुआ, नशा, बदनामी, गरीबी, धन व सुख की कमी, आर्थिक तंगी बनी रहती है।

राहु की कुदृष्टि से व्यक्ति मुकदमेंबाजी, असाध्य, कारागृह, रोग भय, पेट दर्द, पेट के रोग,

अविवाहित जीवन, विवाह न होना, औलाद न होना से पीड़ित रहता है।

एकांकी जीवन, मानसिक अशान्ति, वाद-विवाद, झगड़ा, छोटी सोच, चुगलखोरी, आलस्य,

नकारात्मक सोच यह सब राहु के प्रकोप से प्राप्त होता है।

राहु नपुंसक बना सकता है…..

  • काम (sex) के प्रति अरूचि, बार-बार रोगों से पीड़ित होना, गृह-क्लेश, तलाक, प्यार
  • में नाकामी, गणित की कमजोरी, किसी काम में मन न लगना उच्चाटन राहु की देन है।
  • आगे बढ़ने या कुछ करने की ललक न होना, आत्महत्या के विचार आना, डिप्रेशन,
  • अवसाद, चिड़चिडापन, भय, डर, चिंता, यह सब राहु के दूषित लक्षण है।

यदि जीवन की ऐसी स्थिति है, तो जन्म कुण्डली में राहु बहुत ही ज्यादाअनिष्टकारक है।

    • सभी iAS, IPS राहु का ही रूप है…..
    • राहु सृष्टि के प्रशासनिक अधिकारी है।
    • इस पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीव-जगत को पूर्व जन्म या प्रारब्ध के अनुसार
    • कर्मो के अनुसार कष्टकर, क्लेश या सुख-समृद्धि देना इनका ही काम है।
    • राहु राह दिखाते हैं, लेकिन जब रास्ते से भटकाते है, तो कही का नही छोड़ते।
    • विपरीत या अनिष्ट राहु पूर्वजों की सम्पत्ति आदि सब बर्बाद कर देते है!
    • शुभ राहु बनाये राजा-जबकि अनुकुल व शुभ कारक में राहु जातक को इतना सब कुछ देते हैं
    • जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता।
      1. अथाह धन-दौलत, यश-कीर्ति, ऐश्वर्य-सम्पदा,बयोग्य सन्तान, उच्च स्तर का रहन-सहन आदि देना राहु की जिम्मेदारी है।
  • जासूस,गुप्तचर, गोताखोर, समुद्री यात्रा, खोज, समुद्री जहाज वाहक, पाताल के रहस्यों की जानकारी,
  • जमीन के अंदर से निकलने वाली सोना-चांदी,ताम्बा जैसी धातु से लाभ ।
  • रत्नों, खदान,सड़क ठेकेदार, इन सबका कारक राहु देव ही हैं ।
  • राहु शान्ति के उपाय – राहु सदा सूर्य अर्थात हमारी आत्मा को ग्रहण लगाते है।
  • इनसे बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि प्रतिदिन राहुकाल में 108 बार
  • ।। नमः शिवाय च शिवाय नमः।। मन्त्र की एक माला का जाप जरूर करें।

प्रतिदिन प्रातः और शाम को “राहुकी तैल” के 2 दीपक जलाकर अपने पूर्वजों, पितरों, कुल देवी-देवताओं का विनम्र भाव से स्मरण या याद करें।

प्रतिदिन स्नान जल में गुलाब इत्र या चन्दन इत्र डालकर नहायें।

राहुदेव के गुरू श्री शुक्राचार्य जो सुख-सम्पन्नता, भौतिक जीवन के प्रदाता है।

अतः इनकी प्रसन्नता हेतु प्रत्येक शुक्रवार को घर के सभी सदस्य राहुकी तैल पूरे शरीर में लगाकर स्नान करें।

https://bit.ly/3DsAv1E

  • न्याय कारक शनि देव राहु के अभिन्न मित्र ग्रह हैं ।
  • अतः शनि की साढ़ेसाती के कोप से बचने तथा राहु-केतु, शनि कृपा प्राप्ति हेतु हर शनिवार सुबह 9 बजे से 10.30 के बीच ..
  • राहुकी तेल के 2 दीपक जलाकर पूरे बदन की सिर से तलबों तक अच्छी तरह मालिश कर 45 मिनिट बाद स्नान करें।

क्योकि शनिदेव राहु के अभिन्न मित्र है, जो आकस्मिक दुघर्टनाओं से बचाव करते है।

न्याय रक्षक होने से कभी कोई अन्याय करता है। उसका अनिष्ट कर देते है।

  1. जीवन को ग्रह-दोषों, कष्ट-क्लेश, दुख-दर्द से दूर रखने तथा सुखमयी बनाने के लिये शास्त्रों में भी भगवान शिव की शरण में जाना लाभकारी बताया है।
      • वेद का भेद-चारों वेद शिव के भेद से,तथा शिव पुराण,स्कंन्ध पुराण, भविष्य पुराण, हरिवंशपुराण,
      • श्रीमद भागवत, सभी उपनिषद, संस्कृत भाष्यो में महादेव, महाकाल को ही हर विषम काल को काटने वाला बताया है।
      • इसलिये माह में एक बार यदि संभव हो,तो प्रत्येक महिने की मास शिवरात्रि
      • (अमावस्या के दिन पहले की चौदस) को जल में मधुपंचामृत चन्दन या गुलाब इत्र डालकर शिवलिंग का रूद्राभिषेक कराना चाहिये।

कुछ अन्य उपाय रविवार को राहुकाल 4:30 से 6:00 बजे के बीच छुआरे या पिण्ड खजूर करीब 100 ग्राम किसी शिवालय में

2 दीपक राहुकी तैल के जलावें इस छोटे से सभी सातो वार, पूरा महिना, पूरा साल सपरिवार सुखमय बीत सकेगा।

अपना उज्ज्वल भविष्य जानने,

जन्म कुंडली दिखवाने तथा उपाय, ग्रह शान्ति,

आदि की जानकारी के लिए अमृतमपत्रिका पढ़ें!

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