अमृतमपत्रिका, ग्वालियर मप्र से साभार…
मनुष्य का जीवन अच्छा कैसे गुजरे?..
एक इंसान को कैसे रहना चाहिए?..
आदमी सुखी कैसे रहे?..
बीमारी से बचने का सरल उपाय कौनसा है?…
आयुर्वेद और अध्यात्म के अनुसार स्वस्थ्य जीवन के उपाय क्या हैं।
जीवन को स्वस्थ्य और सर्वश्रेष्ठ कैसे बनाएं
भगवान से जुड़ने का सरल तरीका क्या है?
सिद्धि-समृद्धि, सफलता के लिए पूजा, ध्यान कैसे करें?
आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक शास्त्रों को समझे,
तो सयंमित जीवन सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है।
जिसके जीवन में जीने के नियम-धर्म, सिद्धान्त हैं, तो उसका जल्दी अंत नहीं होता।
जीवन को अच्छा बनाने के तरीके…
सुबह जल्दी उठें। मुख में पानी भरकर उसी पानी से आंख धोएं।
3 गिलास पानी पीकर अगर चाय की आदत हो, तो पियें।
फिर फ्रेश होकर एक घण्टा मॉर्निंग वॉक के लिए घूमे।
घर लौटे, सूर्य के समक्ष किसी ओषधि तेल से पूरे शरीर की मालिश करें। फिर स्नान करें।
सुबह 8 बजे तक इन सब कार्यों से मुक्त होकर बिना नाश्ता खाये कम से कम 20 से 30 मिनिट किसी एकांत स्थान में
शरीर को पूरी तरह तनाव रहित व ढ़ीला छोड़कर ध्यान करें।
* ध्यान करने का सरल तरीका…आराम से बैठकर दोनों नाक से गहरी-गहरी श्वांस नाभि तक ले जाएं फिर रोककर धीरे से छोड़ें।
इस दरम्यान सम्पूर्ण ध्यान नाभि पर देकर विचारों को विराम देंवें।
* अहसास करें कि आपका दिमाग खाली हो रहा है।
मस्तिष्क की उलजुलूल सोच बाहर निकलते ही बुद्धि सकरात्मक होने लगती है।
कुछ दिनों बाद ध्यान की इस प्रक्रिया स्वतः ही एक घण्टे तक पहुंच जाएगी।
ध्यान करते समय इस मन्त्र
!!ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय!! …
का जाप करते हुए अनुभव करें कि शरीर में सब सम होकर,
तेज, प्रकाश, ऊर्जा-उमंग, उन्नति के विचार प्रकट हो रहे हैं और अंधकार, अज्ञानता, अहंकार मिट रहा है।
ध्यान आदि से फ़ारिग होकर नाश्ता, भोजन आदि बहुत ही धैर्य के साथ ग्रहण करें।
एक घण्टे पश्चात गुनगुना या सादा जल पियें।
याद रखें भोजन, नाश्ते के बाद ही गर्म पानी पीने से शरीर में कभी चर्बी एकत्रित नहीं होती, मोटापा नहीं आता। उदररोग नहीं सताते।
यदि आप सुबह जल्दी उठने की आदत डाल लें, तो स्वल्पाहार 9 से 10 के बीच में हो सकता है।
आयुर्वेद की सहिंताओं में लिखा है कि प्रातः का अन्न स्वर्ण की तरह, दुपहर का भोजन चांदी या रजत जैसा
तथा रात्रि बिलम्ब से लिया गया खाना मिट्टी-गोबर के समकक्ष होता है।
सुबह अन्न ग्रहण के बाद कभी विश्राम न करें।
दुपहर के भोजन के उपरान्त करीब 20 से 30 मिनिट बाएं करवट लेटें, सोंये नहीं।
रात्रि भोज करें, तो आधा घण्टा टहलें।
* यह पूर्ण क्रम में आपके कर्म या कार्यों को नहीं जोड़ा गया है।
हो सके तो रात्रि में सोने से पहले एक दिपक अपने पितरों के निमित्त देशी घी का जरूर जलाने का नियम बनाये।
घर में स्वस्थ्य जीवन, सुख-शांति, समृद्धि हेतु यह आवश्यक है।
* अगर आप उपरोक्त नियम अपनाते हैं, तो जीवन में कभी बीमार नहीं होंगे।
* जब कभी मन में विकृत विचार आएं, तो अपनी नाभि को आदेश देंवें की यह निगेटिव बातों को जलाकर खाक कर दें।
मुझे शांति से जीना है यह विचार अपनी नाभि से निवेदन करें।
* कुण्डलिनी चक्र के मुताबिक मनुष्य की नाभि अग्नि या मणिपूरक चक्र है।
इसका बीज मंत्र !! रं !! है जिसे भक्तों ने राम-राम कहकर दूषित कर रखा है।
* सदगुरुओं की मान्यता है कि बीज मंत्र को कभी मुखः से नहीं बोलना चाहिए अन्यथा तन-मन और धन का सर्वनाश हो जाता है।
* अनुभव लेना हो तो 54 दिन केवल कण्ठ से !! रं-रं-रं-रं !! बस यही बीज मंत्र हर समय चलते-फिरते,
काम करते हुए अपनी नाभि को सुनाएं और जीवन में चमत्कार देखें।
मात्र 54 दिन में ही आप स्वयं में इतने बदल जायेंगे कि विश्वास नहीं होगा।
दूसरे लोग भी आपकी माया को समझने में धोखा खा सकते हैं।
* दिन भर में जितनी मेहनत कर सकते हैं, जरूर करें। पैदल अधिक चले।
* आलस्य-सुस्ती, तनाव अठाने पर अपनी नाभि को आदेश देंवें की मेरी सुस्ती, निगेटिव सोच खत्म करें।
इस अभ्यास से शुरू में कुछ दिनों तक अटपटा लगेगा, लेकिन बाद में आप आनंद प्राप्त करेंगे।
* बेसन, मेंदा, बाज़ार चीजों से परहेज करें। 7 दिन में एक बार लंघन करें।
कभी सुबह से ही नाभि को कहें, की मुझे भूखह नहीं लगना चाहिए और उस दिन फिर, भोजन का परित्याग करें।
* मनुष्य की नाभि बहुत बड़ा विज्ञान है। यही शरीर का केंद्र है।
तिसी में सृष्टि की सारी सिद्धियां है। अमृत है। ज्ञान, माया, सम्पदा का स्थान यही है।
तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र नाभि से ही प्रकट होते हैं।
* ईश्वरोउपनिषद एवं कठोउपनिषद के अनुसार दीपावली जैसे विशेष त्याहारों पर नाभि साधना का ही महत्व है।
हमें नाभि में दीप जगाना या जलाना है।
अंधकार तभी हमेशा के लिए मिटेगा।
* अब यह लेख काफी विस्तृत हो चुका है।
यहीं विराम देते हैं।
* नाभि के रहस्य।
* धन-सम्पदा, एकाग्रता की वृद्धि के सूत्र
* तन-मन कैसे स्वस्थ रहे?
* नाभि सिद्धि से आयु, शान्ति-सफलता कैसे मिल सकती है आदि विषय आगे विस्तार से देंगे।
अगर आप पाठकगण इच्छुक होंगे, तभी।
* अंत में अनुभवानुसार इतना ही कह सकते हैं कि
ये शिव-शम्भू की लीला,
नहीं जाने गुरु और चेला।
अंत में सुखी रहने के सरल उपाय…
रोज उपयोगी 5 चमत्कारी उत्पाद….
अपनी तासीर के मुताबिक निम्नलिखित क्वाथ आपको स्वस्थ्य और सुखी बनाने में सदा सहयोग करेंगे।
【1】कफ की क्वाथ 【कफविनाश】https://www.amrutam.co.in/shop/kapha-key-herbs/
【2】वात की क्वाथ 【वातरोग नाशक】https://www.amrutam.co.in/shop/vata-key-herbs/
【3】पित्त की क्वाथ 【पित्तदोष सन्तुलित करने में विशेष उपयोगी।https://www.amrutam.co.in/shop/pitta-key-herbs/
【4】डिटॉक्स की क्वाथ 【शरीर के सभी दुष्प्रभाव, साइड इफ़ेक्ट मिटाता है】https://www.amrutam.co.in/shop/detox-key-herbs/
यह क्वाथ सभी तरह की डाइबिटीज पीड़ितों के लिए बहुत मुफीद है।
【5】बुद्धि की क्वाथ 【मानसिक शांति हेतु】https://www.amrutam.co.in/shop/buddhi-key-herbs/
उपरोक्त ये पांचों क्वाथ तासीर अनुसार सर्वरोग नाशक और देह को तन्दरुस्त बनाने में सहायक हैं।
यह जड़मूल से रोगों का नाशकर रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी को तेजी से बढ़ाते हैं।
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आयुर्वेद के नियमानुसार बाल, गाल, खाल या चाल में खराबी की वजह वात-पित्त-कफ का असंतुलन है।
देह में त्रिदोष के प्रकोपित होने से अनेक रोग पनपने लगते हैं।
जिसमें बालों के झड़ने की समस्या पहले होती है।
अतः बालों को बचाने के लिए त्रिदोष की चिकित्सा जरूरी है।
अमृतम ने आयुर्वेद के योग्य, विद्वान और वरिष्ठ वेद-चिकित्सकों द्वारा एक बेहतरीन पुस्तक प्रकाशित की है।
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असन्तुलित वात-पित्त-कफ अर्थात त्रिदोषों की जांच स्वयं अपने से करने के लिए अंग्रेजी की किताब
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आपकी दिचर्या कैसी, हो, कब-क्या खाएं?.. आदि स्वस्थ्य जीवन के इसमें उपाय भी बताएं हैं।
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