कच्ची हल्दी के 25 लाजबाब फायदे…
आयुर्वेद में हल्दी को हरिद्रा कहा जाता है। भावप्रकाश ग्रन्थ के अनुसार हल्दी की विभिन्न चीजे होती हैं-
अम्बाहल्दी, दारुहल्दी, वनहल्दी आदि..
कच्ची हल्दी से अचार, बर्फी, लड्डू, रायता भी बनाते हैं
कच्ची हल्दी कैसे पैदा होती है-देखें यह वीडियो…
आयुर्वेद के अनुसार हल्दी के संस्कृत में श्लोक, विभिन्न नाम, गुण, उपयोग, फायदे जाने…
कितनी लाभकारी है-कच्ची हल्दी…
- कच्ची हल्दी दूध में उबालकर एक महीने लेवें, तो हो जाएगा कायाकल्प, मिटेगी झुर्रियां और बुढापा चला जायेगा।
- हल्दी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण व्यक्ति को विकारों से बचाते है।
- कच्ची हल्दी के औषधीय गुणों को ध्यान में रखकर इसकी सब्जी भी बनाकर खाते है।
- कच्ची हल्दी की तासीर गर्म होती है इसलिए ये सब्जी सर्दियों में ठंड से बचाने में और मौसमी बीमारियों को दूर कर, शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है।
- कच्ची हल्दी, देखने में अदरक के समान ही दिखती है।
- कच्ची हल्दी की सब्जी-चटनी खाने, दूध के साथ लेने और उबटन के फायदे…
- बहुत कम लोगों को मालूम है कि दूध में केवल कच्ची हल्दी उबालकर ही पीना चाहिए।
- “आयुर्वेदिक निघण्टु” तथा “गांवों की अदभुत ओषधियाँ” नामक किताबों में वर्णन है
- कि कच्ची हल्दी युक्त दूध पित्त को सन्तुलित कर, कफ को असंतुलित नहीं होने देता और सर्दी-खांसी, जुकाम,
- नजला, साइनस, निमोनिया, दमा, अस्थमा की तकलीफों को जड़ से मिटाता है।
- कच्ची हल्दी मिश्रित दूध पीने से फेफड़ों के सभी विकार साफ हो जाते हैं।
- जबकि गर्म दूध में सूखी हल्दी का पाउडर गर्मी पैदा कर कफ को सुखा देता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है।
- कच्ची हल्दी से करें क्या कायाकल्प- एंटीसेप्टीक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाने का विधान है।
- इसे पीसकर इसमें बेसन, सरसों का तेल मिलाकर पूरे शरीर पर धूप में बैठकर लगाएं और सूखने के बाद स्नान करें, तो भयंकर खूबसूरती बढ़ाती है।
कच्ची हल्दी बने कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक उत्पाद, जो सौंदर्य निखारते हैं-
- दुनिया का ऐसा कोई सौंदर्य उत्पाद नहीं है जिसमें हल्दी-हरिद्रा का उपयोग न होता हो।
- सुंदरता बढाने में हल्दी प्रकृति का दिया हुआ लाजबाब वरदान है।
- त्वचा निखार के लिए भी बहुत लाभदायक होती है ये त्वचा को उजला भी बनाती है।
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कच्ची हल्दी बहुत सी बीमारियों का घरेलू उपचार है-
- डाइबिटीज या मधुमेह पीड़ितों के लिए – कच्ची हल्दी में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने का गुण होता है।
- कच्ची हल्दी की चटनी बनाकर खाने से शरीर त्रिदोष रहित हो जाता है। कच्ची हल्दी इंसुलिन के साथ ग्लूकोज को भी सन्तुलित करती है।
- कच्ची हल्दी तन के साइड इफ़ेक्ट मिटायें…संक्रमण, बैक्टीरिया एवं इंफेक्शन से बचाती है…
- यह बात जगत विख्यात है कि हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं।
- साथ ही इसमें इंफेक्शन दूर करने के गुण भी पाए जाते हैं।
- कच्ची हल्दी के सेवन से सोराइसिस जैसे त्वचा रोगों स्किन प्रोब्लम से बचाव होता हैं।
- कच्ची हल्दी में कालीमिर्च तथा मिश्री मिलाकर मौसमी बीमारी जैसे जुकाम और खांसी से भी राहत देती है।
- कच्ची हल्दी शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है।
- कच्ची हल्दी वातविकार, गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
- कच्ची हल्दी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को रखें मजबूत –
- कच्ची हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होने से देह में इम्युनिटी की वृद्धि करती है।
- कच्ची हल्दी के सेवन से शरीर में कीटाणुओं, मौसमी बीमारी और बैक्टेरिया की समस्या से बचाव होता है।
- कच्ची हल्दी अंदरूनी ज्वर को जड़ से मिटाती है।यह बुखार होने से रोकती है।
- कच्ची हल्दी पुरुषों में होने वाली पोथे यानि प्रोस्टेट की शिकायत को दूर करती है।
- कच्ची हल्दी कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रि.त रखकर ह्रदय रोगों से बचाती है।
- कच्ची हल्दी हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होने वाले ट्यूमर से भी बचाव करती है।
- कच्ची हल्दी में शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।
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- कच्ची हल्दी कर्कट रोग यानी केंसर में भी हितकारी है।
- कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के साथ साथ उन्हें खत्म भी कर देती है।
- केंसर नाशक गोली-…10 ग्राम कच्ची हल्दी, मीठा नीम, मिश्री तीनों 1-1 ग्राम जीरा, कालीमिर्च, नागकेशर,
- सेंधानमक तीनों आधा-आधा ग्राम सबको पीसकर 5 गोली बनाएं और रोज सुबह खाली पेट दो गोली,
- भोजन के बाद एक गोली और रात में 2 गोली 2 से तीन महीने नियमित खिलाने से कैंसर नियंत्रित होता है।
- हल्दी एक मसाला है। लेकिन कच्ची हल्दी युक्त दूध सर्दी खांसी में लाभकारी है।
- किसी तरह की सूजन, मोच होने व चोट लगने पर हल्दी लगाने की परंपरा प्राचीन है।
- कच्ची हल्दी यकृत की सुरक्षा कर स्वस्थ रखती है।
- कच्ची हल्दी का अचार- अगर चेत्र मास में कच्ची हल्दी का अचार बनाकर पूरे साल सेवन किया जाए, तो कोरोना जैसे संक्रमण से बचाव होता है।
- कच्ची हल्दी का अचार बनाने का विधि-विधान..
- कच्ची हल्दी – ५०० ग्राम धो, किसकर, या छोटे टुकड़े करके २००ग्राम सरसों के तेल में हल्की भूंजाई कर,
- जब पानी सूख जाए, तो उसमें निम्नलिखित सामान मिलाएं-
- लाल मिर्च,सौंफ़, मेथी दाना, दरदरी पिसी, नमक, कालानमक, नागकेशर, कालीमिर्च, तेजपत्र, सरसों/ राई, हींग,
- खड़ा धनिया, अजवायन कादि जो भी मसले मिलना चाहें, सबको भूंजकर और नींबू का रस सभी सुविधानुसार मिलाकर धूप में रखें।
- कोशिश करें कि पात्र मिट्टी या चीनी का हो। एक महीने बाद इसका सेवन करें।
- ध्यान रखें-यह अचार कुछ गर्म होता है। अतः एक दिन में 5 ग्राम से ज्यादा न लेवें।
- कच्ची हल्दी की बर्फी… शरीर को शक्तिशाली और रोगरहित बनाने के लिए कच्ची हल्दी की बर्फी अत्यंत गुणकारी है।
कच्ची हल्दी की बर्फी बनाने का तरीका…कच्ची हल्दी की बर्फी बनाने के लिए सामग्री
– कच्ची हल्दी २०० ग्राम, धुली मूंग की दाल ५० ग्राम और बादाम 10 नग सभी को 24 घण्टे पानी में गलाकर,
अच्छी तरह पीसकर एक किलो दूध में गाढ़ा होने तक पकाएं।
फिर इसमें 200 ग्राम मावा एवं शक्कर डालकर पुनः भूंजे। गुलाबी रंग आने के बाद या जब ठीक से सिक जाए,
तो देशी घी, काजू, किसमिस, पिस्ता कादि मिलाकर ठंडा करें और बर्फी बनाकर उपयोग करें। इसके लड्डू भी बनाकर रख सकते हैं।
सेवन विधि- जो स्त्री-पुरुष अनेक तरह वातरोग, दर्द, सूजन, जोड़ों या पीठ दर्द से पीड़ित हों या ग्रन्थिशोथ यानि थायराइड से परेशान
हो, वे 10 से 20 ग्राम बर्फी या लड्डू रोज सुबह खाली पेट गुनगुने दूध के साथ सेवन करें।
भारत में कई जगह कच्ची हल्दी का रायता भी बनाकर खाते हैं।
36 गर्दन के आदिवासी खूबसूरती बढ़ाने के कच्ची हल्दी की कढ़ी बनाकर उपभोग करते हैं।
- आयुर्वेद की कुछ पुरानी किताबों से सही और सत्य जानकारी जरूर पढ़ें-
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