Pcod के मुख्य कारण क्या क्या है ?

यह महिलाओं को होने वाला विकार है-

लड़कियों की एक खतरनाक बीमारी- पीसीओएस या पीसीओडी/PCOD क्या है, अगर जानना चाहते हैं तो इस लेख को तसल्ली से पूरा पढ़ें…..

अमृतमपत्रिका से संगृहीत—

कई बार युवतियों की तन-मन के प्रति लगातार लापरवाही से शरीर में विभिन्न प्रकार की परेशानियां पैदा होने लगती हैं, जिनमें से एक है PCOD/PCOS बीमारी।

यह रोग 100 में 55 महिलाओं एवं लड़कियों में होना आजकल आम बात हो गई है। कुछ समय पूर्व तक यह स्त्रीरोग 30-35 उम्र से अधिक की महिलाओं को अधिक होता था। लेकिन अब 16 वर्ष की नवयौवनाओं या बच्चियों में भी यह समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।

आपको बता दें कि जिन लड़कियों में अनियमित माहवारी, मासिक धर्म अथवा पीरियड्स की समस्या देखने मिलती है, उन्हें पॉली सिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD) स्त्री विकार का सामना करना पड़ता है।

चिकित्सा जगत के शोधकर्ताओं ने इसे ओंपॉलीसिस्टिक ओवरियन सिन्ड्रोम,

(Polycystic Ovarian Syndrome) पीसीओएस या पीसीओडी बताया है। महिलाओं को यह तकलीफ सामान्य तौर पर ग्रन्थिरस या अंत:स्राव यानि हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) होने के कारण होती है।

हार्मोन की कमी या अधिकता दोनों ही शरीर में व्यवधान उत्पन्न करती हैं। इस विकार में महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन (Male Hormone Androgen) का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय (Ovary) पर सिस्ट बनने लगते हैं।

महिलाओं में बढ़ते एण्ड्रोजन अर्थात पुरुष हार्मोन के कारण माहवारी समय पर नहीं आना या बिल्कुल ना आना,

मासिक धर्म अनियमित होकर अवधि पूर्व बन्द हों जाना, शरीर और चेहरे पर अतिरिक्त बाल आने लगना, मुहांसे, पेल्विक दर्द, गर्भवती होने में कठिनाई, इत्यादि पीसीओडी बीमारी के लक्षणों में शामिल हैं, जो भविष्य

में भावनात्मक विचार कम कर सकता है।

पीरियड्स खुल कर ना आना आज की युवा पीढ़ी की लड़कियों के लिए एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है।
इससे भविष्य में गर्भवती होने में मुश्किल हो सकती है।
महिलाओं में सेक्स हार्मोन के असंतुलन के कारण अंडाशय में छोटी छोटी गांठ या सिस्ट हो जाती है। जिसके कारण महिलाओं के मासिक धर्म पर असर पड़ता है। अंडाशय में बनने वाली छोटी छोटी गांठें समय के साथ बढ़ने लगती हैं। इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता में कमी आती है। और महिलाएं गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाती हैं
पीसीओडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं की ओवरी बड़ी हो जाती है और फॉलिकल सिस्ट बहुत छोटा हो जाता है।

पीसीओएस के निम्नानुसार सबसे आम लक्षण हैं।

इसके लक्षणों में

■ मासिक चक्र अनियमित होना,

■ चेहरे और शरीर पर अनचाहे

■ अतिरिक्त बाल का विकास एवं

■ खोपड़ी पर बाल पतला होना

■ बारबार मुहांसे होना, पिगमैंटेशन,

■ अनियमित रूप से पीरियड्स का होना।

■ गर्भधारण में मुश्किल होना।

■ वजन बढ़ना आदि शामिल है।

पीसीओडी नवयौवनाओं/महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है.

आजकल बड़ी संख्‍या में लड़कियां इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं। इसमें ओवरी में सिस्‍ट बन जाते हैं जिसकी वजह से महिलाओं में बांझपन तक आ सकता है। अगर आपकी माहवारी अनियमित रहती है या आपको बहुत ज्‍यादा दर्द रहता है, तो पीसीओडी स्त्रीरोग से मुक्ति के लिए कम से कम 3 से माह तक आयुर्वेदिक उपचार करेँ।

जाने- पीसीओएस या पीसीओडी कौन सा स्त्री रोग है और क्या है संकेत…

समय पर मासिक धर्म का न आना- छोटी उम्र में ही अनियमित पीरियड्स आना इसका सबसे बड़ा संकेत होता है।

अचानक वजन बढ़ना- इस रोग में ज्यादातर महिलाओं के शरीर में मोटापा बढ़ जाता है।

अधिक बाल उगना (हिर्सुटिज़्म Hirsutism)

यानि महिलाओं में पुरुष-पैटर्न वाले अनचाहे बालों के विकास की स्थिति को हिर्सुटिज़्म कहा जाता है। यह एक तरह की बीमारी है जिसमें महिला के शरीर की उन जगहों पर बाल उगने लगते हैं, जहां पर आमतौर पुरुष के बाल बढ़ते हैं जैसे छाती, ठुड्डी, चेहरा और पीठ।

ठोड़ी पर अनचाहे बाल उगना सिर्फ हार्मोनल परिवर्तन ही नहीं इस बीमारी का लक्षण भी हो सकता है, इसके अलावा बालों का झड़ना, शरीर व चेहरे पर, छाती पर, पेट पर, पीठ पर अंगूठों पर या पैरों के अंगूठों पर बालों का उगना भी पीसीओडी समस्या के संकेत है।

भावनात्मक उथल-पुथल- जल्दी किसी बात पर इमोशनल हो जाना, अधिक चिंतित रहना, बेवजह चिड़चिड़ापन इस बीमारी के संकेत हो सकते हैं।

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का नियमित सेवन शुरू कर देना चाहिए।

क्या पीरियड्स खुल कर ना आने के कारण ही पीसीओडी जैसी परेशानियों से जुझ रही हैं-महिलाएं?…..

सही समय पर खुलकर पीरियड आना स्वास्थ्य और सुंदरता के लिए जरूरी है।

आयुर्वेदिक ग्रन्थ भेषजयरत्नावली एवं योगरत्नाकर के अनुसार हर महीने समय पीरियड्स न आना या खुल कर न आना उससे भी बड़ी परेशानी है।

कुछ लड़कियों को मासिक धर्म के परियडस से घृणा है और वो हमेशा कहती हैं कि यह झंझट, तो होना ही नहीं चाहिए। यह बड़ी प्रॉब्लम है।

आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ्य-सुंदर व फिट रहने के लिए तन के अंदर हर महीने गंदे खून का दूर होना, बाहर निकलना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसा न होने पर लड़कियों को विभिन्न तरह की दैहिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसका दुष्प्रभाव आने वाले समय में आपके शरीर पर साफ़ देखने को मिलेगा।

∆~ रात भर बैठकर मोबाइल चलाना, चैट करने के कारण समय पर नहीं सो पाते और नींद पूरी नहीं होने के कारण भी नारी को बीमारी घेर लेती हैं, इस वजह से वजन घटने या अचानक बढ़ने लगता है।

∆~ यहाँ तक की पीसीओडी की वजह से कम उम्र में ही मेनोपॉज का खतरा भी हो सकता है।

∆~ देर रात तक जागना, समय पर न सोना और सूर्यास्त के बाद जागने से तनाव आजकल हर किसी को छोटी उम्र की लड़कियों में होना आम समस्या है। यह भी पीसीओडी विकार का सबसे बड़ा कारण है।

∆~ बाहर का कुछ भी फास्ट फ़ूड खा लेना आदि। हमारी अमर्यादित, संस्कार हीन जीवन शैली, दिनचर्या भी। रोग केेई एक वजह है।

∆~ खून की कमी होना यह भी महावारी खुल कर न आने का बड़ा कारण है।

∆~ गर्भ निरोधक गोलियों का निरंतर सेवन, शारीरिक तकलीफों के प्रति लापरवाही और हेल्थ प्रॉब्लम भी इसके पीछे का कारण हो सकता है।

इसमें जरा भी लापरवाही न बरते क्योंकि अब इस समस्या से लड़कियों में पीसीओडी और पीसीओएस की बीमारी बढ़ती जा रही है।

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का इस्तेमाल कम से कम तीन महीने तक लगातार करें। इस रोग की चिकित्सा केवल आयुर्वेद से सम्भव है।

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ओवरियन सिस्ट में लाभकारी है- चुकंदर। चुकंदर हमारे शरीर के सिस्टम से विषाक्त पदार्थों को साफ कर लिवर को क्रियाशील कर पाचन क्षमता को बढ़ाता है।

अपने खाने-पीने की चीजों का विशेष ध्यान रखें, व्यायाम, योगा और घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल करें।

जरूरत अनुसार भरपूर नींद लेंवें। अमॄतम आयुर्वेदिक दवाएँ-शतावर, अशोक छाल,

सेव मुरब्बा, त्रिकटु, त्रिफला, गुलकन्द, द्राक्षा, आंवला मुरब्बा, हरड़ आदि बढ़िया काम करते हैं। आयुर्वेद में समय लग सकता है, लेकिन इलाज जड़ से होता है।

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खूबसूरती और आकर्षण कम करने वाले नवयौवनाओं व महिलाओं के “11” रोग

जिसकी वजह से सौंदर्य और सुन्दरता नष्ट हो जाती है।

“स्त्री रोग विशेषांक” किताब के अनुसार यह वे, 11 (ग्यारह) बीमारियां हैं, जिनके कारण नई उम्र की लड़कियों में आकर्षण खत्म हो जाता है।

महिलाओं/स्त्रियों/नवयौवनाओं को होने वाले “11” – रोग और “11”- उपाय

【१】माहवारी समय पर न होना यानि अनियमित मासिक धर्म।

【२】 पीरियड कष्ट से होना, जिसे आयुर्वेद की भाषा में कष्टार्तव कहा है।

【३】माहवारी का कम या नहीं होना

(ग्रंथो के अनुसार इसे नष्टार्तव कहते हैं)

【४】सफेद पानी की शिकायत

【५】श्वेत प्रदर/व्हाइट डिस्चार्ज

श्वेत प्रदर या सफेद पानी का योनी मार्ग से निकलना लिकोरिया/Leucorrhea कहलाता है।

योनि से लगातार सफेद पानी निकलने की दो वजह हो सकती हैं।

(A) स्वाभाविक प्रक्रिया-

स्वतः ही सफेद पानी निकलना प्राय: स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से कुछ मात्रा में होता रहता है।

विशेषत: माहवारी (मासिक धर्म) के पूर्व, माहवारी के बाद, अण्डोत्सर्ग (Ovulation)के समय और कामेच्छा उद्दिप्त/सेक्सी विचार होने पर स्वाभाविक है।

(B) बीमारी के लक्षण —

योनि में निरन्तर सफेद पानी का आते रहना श्वेत प्रदर/लिकोरिया/ल्यूकोरिआ कहा जाता है। आयुर्वेद शास्त्रों इसे एक खतरनाक स्त्रीरोग की श्रेणी में माना गया है। “सफेद पानी आना” महिलाओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार चिपचिपा पानी सा तरल पदार्थ निकलता रहता है। लिकोरिया से पीड़ित नवयोवनाएँ अपनी सुन्दरता और आकर्षण खो देती हैं। हीनभावना की शिकार हो जाती हैं। कम उम्र में ही

खूबसूरती नष्ट हो जाती है, जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है।

■ महिलाओं में श्वेत प्रदर/लिकोरिया/व्हाइट डिसचार्ज जैसी बीमारियों का होना आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु यह शरीर में अनेक रोगों को उत्पन कर देता है।

अन्य कई रोगों के कारण होता है।

【६】रक्त प्रदर या महावारी बिगड़ना

【७】गुप्तांगों में जलन, खुजली,

【८】गर्भाशय की शिथिलता, योनिशूल

【९】शारीरिक थकान और कमजोरी, चिड़चिड़ापन, तनाव, अशांति।

【१०】मासिक धर्म के समय का दर्द

【११】कम उम्र में मासिक धर्म का बन्द होना।

क्या महिलाओं को ये तकलीफ है-

सफेद पानी का निरन्तर स्त्राव

कमर एवं पिंडलियों में अकड़न या दर्द

पेट में जलन, उदर विकार, ऐंठन, तो

नियमित लेवें-आंवला मुरब्बा

यह 22 तरह के स्त्रीरोगों का नाशक है।

आंवला एक ऐसी दिव्य आयुर्वेदिक ओषधि है, जो अनेक तरह के असाध्य गुप्त स्त्री रोगों को जड़ से ठीक करने में मददगार है।

अश्वगन्धा, शतावर दर्द कमजोरी दूर कर स्तनों को सुढोल बनाकर सुंदरता प्रदान करता है।

अशोक छाल- सफेद पानी, लिकोरिया, पीसीओडी आदि गुप्त स्त्रियों की बीमारी का नाशक है। यह अंदरूनी अंगों में गर्मी के स्तर को सन्तुलित करता है।

त्रिकटु- इम्युनिटी बूस्टर होता है।

त्रिवंग भस्म- यह स्त्रीरोगों की अमृत ओषधि है। सुंदरता वृद्धि में सहायक है।

लिकोरिया नाशक “11” प्राकृतिक उपाय-

[1] सुबह उठते ही खाली पेट कम से कम 300 मिलि सादा जल ग्रहण करें।

[2] केवल सुबह नाश्ते में मीठा दही अवश्य लें।

[3] दिन भर में कम से कम 50 से 100 बार गहरी-गहरी श्वांस लेवें।

[4] 24 घंटे में 4 से 5 लीटर सादा पानी पीवें।

[5] प्रतिदिन 4 से 5 किलोमीटर पेदल चलें।

[6] मानसिक तनाव, बेचेनी, घबराहट, क्रोध से

बचने के लिए योगाभ्यास/प्राणायाम/ध्यान/मन्त्र जाप/आदि नियमित करें।

[7] हमेशा सकारात्मक रहें, पॉजिटिव सोचें।

[8] मासिक धर्म के समय सेक्स से बचें।

[9] माहवारी के दिनों में बाल न धोवें।

[10] रात में ही गहरी और पूरी नींद लेवें। दिन में कतई न सोवें।

[11] सदैव स्वस्थ्य प्रसन्न रहने के लिए केवल प्राकृतिक चिकित्सा करें।

स्त्री रोगों का समय पर सही और स्थाई इलाज जरूरी है। जो आयुर्वेद में उपलब्ध है।

नारी सौन्दर्य माल्ट

(नारी रोगों की संजीवनी)

NARI SAUNDRYA MALT

10 प्रकार के रोगों में लाभकारी है

√ जननांगों को स्वस्थ्य बनाये रखने हेतु सर्वोत्तम आयुर्वेदिक ओषधि है।

आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ

◆ आयुर्वेद सार संग्रह

◆◆ रस-तन्त्र सार संग्रह

◆◆◆ भावप्रकास निघंटु

◆◆◆◆ चरक सहिंताओं आदि में

महिलाओं की किसी भी प्रकार की बीमारियों में अथवा अन्य स्थितियों के उपचार के लिए

अशोक छल, अश्वगंधा, शतवारी, शिलाजीत, आँवला मुरब्बा, गुलकन्द, तृवंग भस्म आदि 27 ओषधियों से निर्मित

“नारी सौन्दर्य माल्ट” की सलाह दी जाती है।

यह महिलाओं की अनेक आधि-व्याधि

आदि तकलीफों को दूर करता है।

नारी रक्षक अमृत ओषधि के रूप में महिलाओं के तन-मन की मलिनता मिटाकर, शरीर को सुन्दर एवं आकर्षक बनाने में यह अत्यंत प्रभावी है।

नारी सौन्दर्य माल्ट- के फायदे

【】मेटाबोलिज्म को करेक्ट कर इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है।

【】 पाचनप्रणाली को ठीक कर भूख और खून बढ़ाने में मदद करता है।

【】सभी तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति करने में सहायक है।

【】इसमें मिलाया गया सेव मुरब्बा, गुलकन्द, आँवला मुरब्बा शतावरी,मुलेठी, अशोक छाल शरीर में सब प्रकार के विटामिन, कैल्शियम, शिथिल कोशिकाओं/अवयवों को रीचार्ज करते हैं।

【】 नई उम्र की युवतियों को सौन्दर्य प्रदान

करता है।

【】विवाहित स्त्रियों की सुंदरता बढ़ाने के लिए यह विलक्षण हर्बल मेडिसिन है।

【】एक माह तक निरन्तर सेवन करने से गजब की सौन्दर्यता, सुन्दरता,सहजता, स्वास्थ्य और शक्ति प्रदान करता है।

सेवन विधि—

-★ यदि मोटापा कम करना हो या दुबले-पतले,इकहरे बदन के लिए सुबह खाली पेट एवं शाम को खाने से पहले

नांरी सौन्दर्य माल्ट

“100 मिलि.” गरम/गुनगुने पानी में 2 से 3 चम्मच मिलाकर चाय की तरह पियें। इसी तरीके से एक दिन में 3 से चार बार भी ले सकतें हैं।

★★ स्वास्थ्य वृद्धि व हेल्थ या मोटा होने के लिए —

2 से 3 चम्मच नांरी सौन्दर्य माल्ट गर्म/गुनगुने दूध या जल से सुबह खाली पेट तथा शाम को नियमित 3 माह सेवन करें

विशेष ध्यान दें-

खूबसूरती, सुन्दरता और विशेष आकर्षक वृद्धि के लिए “नारी सौन्दर्य मसाज ऑयल” की नियमित मालिश करना बहुत ही लाभकारी है। इसमें

¶ चन्दन इत्र,

¶¶ गुलाब इत्र,

¶¶¶ केशर युक्त कुम-कुमादि तेल,

¶¶¶¶ जैतून तेल,

¶¶¶¶¶ बादाम तेल

आदि प्राकृतिक ओषधियों/तेलों का मिश्रण है जो शरीर के सभी दाग-धब्बों को मिटाकर रंग साफ करने में सहायक है।

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