भगवान शिव के गले लिपटे नाग का नाम क्या है। श्लोक, ग्रंथ सहित जाने!

  • काद्रवेयाश्च बलिन: सहस्त्रममि तौजस:!!सुपर्णवशगा नागाजज्ञिरेsनेक मस्तका:।।
    • अर्थात- नागमाता कद्रू से बड़े-बड़े विषधारी, बलशाली, अपार तेजस्वी तथा अनेक फनों वाले एक हजार नाग उत्पन्न हुए। ये सभी नाग अपनी सगी मौसी विनता के पुत्र गरुड़ के वश में रहते थे।
    • ऋषि तार्क्ष्य कश्यप की 4 पत्नियों से जन्मी सन्ताने-नागमाता कद्रु से उत्पन्न नागों के नाम-पांच फ़ंनधारी शेषनाग, वासुकी, अनंत नाग, तक्षक, ऐरावत, महापद्म, कम्बल, अश्वतर, एलापत्र, शङ्ख, कर्कोटक, धनञ्जय, महानील, महाकर्ण, घृतराष्ट्र, बालहक, कुहर, पुष्पदँष्ट, दुर्मुख, सुमुख आदि इन सभी नागों के एक हजार सिर या फन हैं।
    • सर्पों की माता-क्रोधवशा—राजा दक्ष की साथ पुत्रियों में से तेरह का विवाह महर्षि कश्यप से हुआ था। इनमें नोवी कन्या का नाम था-क्रोधवशा। इसी से सर्पों का जन्म हुआ।श्रीमद्भागवत के मुताबिक

    -दंदशूकादय: सर्पों राजन् क्रोधवशात्मजा:६/६/२८

    • -हे राजन! साँप, बिच्छु, कृमि, केंचुएसंक्रमण, कम विषैले जाति के जीव-जन्तु, मेढ़क, कछुआ आदि क्रोधवशा से उत्पन्न हुए।इन जीवों की संख्या 14000 से अधिक बताई गई है। यह सब वायु पीकर जीवित रह सकते हैं।
    • Amrutam कालसर्प विशेषांक से साभार
  • शिवजी के गले में सर्प नहीं नाग लिपटा हुआ रहता है। नाग और सर्प में क्या अंतर है ये जानने के लिए amrutam पत्रिका गुगल पर पढ़ सकते हैं।
  • श्रीमदभागवत एवं गरुड़ पुराण के अनुसार भोलेनाथ के गले में वासुकी नाग लिपटे रहे हैं। यह अनंत, कर्कोटक आदि 12 नागों में से एक दिव्य मणिधारी नाग हैं।
  • वासुकी नाग के प्रयास से ही समुद्र मंथन हुआ था। सिंधपुराण में वासुकी नाग को ही राहु ग्रह बताया है। ये शिवजी के पुत्र समान थे।
  • वासुकी नाग के दिव्य साक्षात मंदिर नेपाल के पशुपति नाथ में है, जो साल में एक बार खुलता है।
  • बिहार के वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग से 20 किलोमीटर दूर भी वासुकी नाथ मंदिर में विराजमान हैं।
  • राहु रूप में वासुकीनाथ त्रिनागेश्वरम स्वयंभू शिवालय में विराजे हैं। यही मंदिर मूल यानि ओरिजनल नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है।

सृष्टि का एकमात्र राहु केतु शिवलिंग

  • वासुकी नाथ का एक स्वयंभू शिवालय वायु तत्व रूप में भी दक्षिण भारत में विशाल रूप से स्थापित है। स्कंध पुराण के मुताबिक पृथ्वी में सर्वप्रथम वायु तत्व का प्रकटन इसी स्थान से हुआ था।
  • जहाँ नाग, मकड़ी और हाथी ने की थी शिवलिंग की रक्षा। यहां 1000 शिवलिंग स्थापित हैं। राम लक्मन, कृष्ण, सप्तऋषियों ने भी पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी।
  • कालसर्प दोष की शांति तथा राहु की पूजा के लिए यह आदिकालीन तीर्थ है। इस शिवलिंग को छूने से व्यक्ति अंधा हो जाता है। शिवलिंग पर 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों का समावेश है।

केरल में परिवार सहित रहते हैं वासुकीनाथ

  • 30 हजार से भी ज्यादा नाग प्रतिमा वाला यह मंदिर विश्व का आश्चर्य है। यह मंदिर 16 एकड़ की भूमि पर फैला हुआ है। केरल के अलाप्पुज्हा शहर से 37 किलोमीटर दूर ऐसा ही एक मन्नारशाला नाग मंदिर स्थित है। यहां हर तरफ नाग मूर्तियां दिखाई देती हैं। अनेक रहस्यमयी बातें जानने के लिए अमृतम सर्च करें।

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