कभी कोली समाज के राजा की राजधानी गोरखपुर बाद में गुरु गोरखनाथ की तपस्या स्थली बना। गुरु के आदेश टालने के कारण कोली जाति के लोग गरीबी में जीवन यापन कर दर दर की ठोकर खा रहे हैं। गोरखपुर का भौगोलिक आपदा के चलते रामग्राम धंसकर झील में बदल गया। चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में इस क्षेत्र को पिप्पलिवन के नाम से भी जाना गया। गुरु गोरक्षनाथ के बढ़ते प्रभाव के चलते नौवीं शताब्दी में इसका नाम गोरक्षपुर हुआ। गोरखपुर विवि के प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. राजवंत राव के अनुसार जहां रामगढ़झील है वहां 2600 साल पहले रामग्राम हुआ करता था।
कब रहा कौन सा नाम…
रामग्राम (छठवीं शताबदी ईसा पूर्व)
पिप्पलीवन (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व)
गोरक्षपुर (नौवीं शताब्दी)
सूब-ए-सर्किया (13वीं, 14वीं शताब्दी)
अख्तरनगर (14वीं शताब्दी के बाद किसी कालखंड में)
गोरखपुर सरकार (17वीं शताब्दी से पूर्व किसी कालखंड में)
मोअज्जमाबाद (17वीं शताब्दी में)
गोरखपुर (1801 से अब तक।)
Leave a Reply