लिवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा हिस्सा होने के साथ साथ जटिल अंग है। यही रस, रक्त, धातु का निर्माण करता है।
यह हमारे पाचन तंत्र का एक प्रमुख अंग हैं। हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, वह लिवर से होकर ही गुजरता है। हमारा लिवर अनेक जटिल कार्य करता है। यह संक्रमण और बीमारियों से लड़कर इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक है।
लिवर ही हमारे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। हमारे शरीर से विषैले तत्व को बाहर निकालकर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। रक्त के जमने में सहायता करता है और पित्त यानि बाइल का स्त्राव करता है।
तकलीफ युक्त जानकारी यह है कि 70 से 80 फीसदी लिवर जब जख्मी या डैमेज हो जाता है, तब यकॄत की इस बीमारी का पता चलता है।
कैसे बनाये यकॄत को शक्तिशाली—
◆ यकॄत को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा गरिष्ठ भोजन नहीं लेना चाहिए।
◆ सुबह उठते ही खाली पेट 2 से 3 गिलास सादा पानी पिएं। गर्म बिल्कुल भी नहीं।
◆ अपनी भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, नींबू, मुनक्का द्राक्षावलेह, कीलिव स्ट्रांग सिरप, अंगूर आदि को शामिल करें।
◆ किसी भी कीमत पर कब्ज, गैस एसिडिटी न बनने दें। लिवर की खराबी का यही कारण है।
◆ सप्ताह में एक बार निराहार रहें।
◆ रोजाना सुबह खाली पेट कच्ची सब्जियों का रस पीने से लिवर साफ रहता है।
◆ रात को दही, अरहर की दाल, सलाद, जूस कतई न लेवें। सादा पानी पीकर सोएँ।
◆ पोटैशियम युक्त खाद्य पदार्थों को खाएं।
◆अमृतम कम्पनी का कीलिव स्टरोंग सिरप अवश्य लेवें यह लिवर सोरायसिस, पेट की सफाई और क्षतिग्रस्त लिवर सेल्स की मरम्मत करने में सक्षम है।
बिगड़ते खानपान की वजह से हर दूसरे या तीसरे घर में किसी न किसी व्यक्ति को यकॄत की खराबी, लिवर में सूजन एवं फैटी लीवर की बीमारी पकड़ में आती है। मोटापे का कारण भी लिवर का बड़ा होना है। मोटापे के कारण होने वाले यकॄत का साइज बढ़ने लगता है। इस फैटी लीवर को नैश अर्थात नॉन अल्कोहलिक स्टेट ऑफ हेपेटाइटिस कहा जाता है।
लिवर की गड़बड़ी की वजह से से भविष्य में हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फाइब्रोसिस और कैंसर जैसी बीमारियों की सम्भावना बढ़ सकती है।
लिवर खराबी के लक्षण–
शरीर का पीला पड़ना, आंखों की पुतली सफेद न रहना, पीलिया, भूख कम लगना या बिल्कुल न लगना, पेट के अंदर पानी भर जाना आदि लिवर के कमजोर होने के लक्षण होते हैं।
यह सब समस्या अधिक रसायनिक दवाओं के सेवन से होती हैं। जो लोग आये दिन अंग्रेजी मेडिसिन का अधिक उपयोग करते रहते है, उनको लिवर की परेशानी अधिक होती है।
कभी-कभी खराब लिवर के कारण मरीज के दिमाग पर भी असर पड़ने लगता है, उसका दिमाग काम नहीं करता है, मरीज अपना होश खोने लगता है। उसे खून की उल्टियां होने लगती है। ये सारे लक्षण यकॄत दोष, लिवर की कमजोरी या फैटी लीवर के ही होते हैं।
लिवर प्रॉब्लम से पीड़ितों के लिए…
दुनिया में यकॄत की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए 28 जुलाई-विश्व हेपाटाइटिस डे के नाम से मनाया जाता है।
क्या आप कब्ज की शिकायत, पेट की बीमारियों से जूझ रहे हैं? ऐसा न हो कि- गृहिणी रोग से पीड़ित हैं…
यकृत विकार से ही गृहिणी या संग्रहणी रोग
इसे नई खोज एवं वैज्ञानिक भाषा में
इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम (आईबीएस ibs)
Irritable Bowel Syndrome रोग बताया
जा रहा है। ibs की इस तकलीफ से दुनिया में
68% से भी ज्यादा लोग पीड़ित हैं-
अनियमित मलत्याग,
एक बार में पेट साफ न होना,
मल का सूख जाना,
आवँ और बार-बार शौच जाने का कारण भी लिवर सोरायसिस हो सकता है।
यह यकृत की कैंसर के बाद सबसे असाध्य एवं गंभीर बीमारी है, इस बीमारी का उपचार यकृत प्रत्यारोपण के अलावा अन्य कोई नहीं है।
निम्नलिखित कारण हैं- यकृत व्याधि लिवर सोरायसिस होने के…
पेट तथा लिवर के इन असाध्य उदर विकारों का स्थाई इलाज केवल घर के मसालों में, प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद में ही सम्भव है।
उपरोक्त पेट की बीमारियों का जड़ मूल से मुक्ति
पाने के लिए असरकारी आयुर्वेद योग-घटक से
निर्मित अमॄतम कीलिव माल्ट KEYLIV Malt
कीलिव स्ट्रांग सिरप, कीलिव कैप्सूल यह सभी
100% आयुर्वेदिक ओषधियाँ तीन महीने तक नियमित ले सकते हैं। केवल ऑनलाइन उपलब्ध है।
अंग्रेजी, एलोपैथिक या अन्य रसायनिक दवाओं में
लिवर सोरायसिस का कारगर इलाज नहीं है।
कैसे पनपता है-लिवर सोरायसिस…
यदि आप लम्बे समय से कब्ज की शिकायत,
पेट की बीमारियों से जूझ रहे हैं, तो भविष्य में
लिवर सोरायसिस होने का संकेत है।
डेली न्यूज पेपर टाइम्स ऑफ इंडिया अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित एक आर्टिकल के अनुसार भारतवर्ष में हर साल लगभग 10 से 12 लाख लोग लिवर सोरायसिस रोग से संक्रमित होकर बीमार या शिकार हो जाते हैं।
डब्लूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने प्रकाशित शोध में बताया कि इंडिया में अधिकांश मरीजों का उपचार ठीक वक्त पर न होने के कारण बहुत से रोगियों की मौत अल्प समय में ही हो जाती है।
रोग के लक्षण….
लीवर सोरायसिस की शुरुआत पित्त दोष, लगातार कब्ज होने पर होती है।
यकृत रोगी कमजोरी, चक्कर आना, भूख न लगना एवं स्वयं को अस्वस्थ्य थका-थका महसूस करता है।
रोगी को आरम्भ में कोई विशेष तकलीफ का अनुभव नहीं होता लेकिन जैसे-जैसे परेशानी या लिवर की बीमारी बढ़ने लगती है लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।
इनमें से कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार है.
◆पेट की खराबी,
◆अग्निमान्द्य (Anorexia)
◆कामला, पीलिया (Jaundice),
◆अपच, अनिच्छा,
◆पाण्डु रोग यानि नवीन रक्त न बनना,
◆ खून की कमी,
◆अरुचि (खाने की इच्छा न होना),
◆भूख न लगना
◆कभी दस्त लगना, तो कभी कब्ज होना,
◆लिवर का बढ़ना (यकृत वृद्धि)
◆लिवर में सूजन (यकृतशोथ),
◆अजीर्ण (Dyspepsia),
◆छर्दी-वमन-कै- (वोमिटिंग),
◆उल्टी जैसा मन रहना,
◆पित्त सा निकलना
◆मल्लवद्धता,
◆कोष्ठवद्धता
◆एक बार में पेट साफ न होना
◆हमेशा कब्जियत बनी रहना,
◆आनाह–वद्ध कोष्ठ कब्ज (Constipation)
आदि अनभिज्ञ अंदरुनी यकृत रोग संग्रहणी रोग की श्रेणी में आते हैं।
भूख कम लगना औ ऊर्जा का कम होना (थकान), वजन में कमी या फिर अचानक वजन का बढ़ जाना,चोट के निशान की तरह शरीर पर लाल-लाल चकते आना,त्वचा व आंखों का रंग पीलापनयुक्त होना,त्वचा में खुजलाहट,एड़ी के जोड़ पर एडिमा होना, सुजन होना तथा पैर और पेट में भी सुजन के लक्षण दिख सकते है,मूत्र का रग भूरां या संतरे के रंग का होना,मल का रंग बदल जाना भ्रम, अनिर्णय, स्थितिभ्रांति जैसी स्थिति का होना या फिर व्यक्तित्व में अन्य कई तरह के बदलाव आना,मल में रक्त आना, बुखार होना इत्यादी लीवर सिरोसिस की पहचान कैसे होगी? लीवर रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक इस बीमारी का बड़ी आसानी से पहचान कर लेते हैं. बस उन्हें कुछ शारीरिक जांच या बहुत हुआ तो कुछ रक्त जांच कराने की जरुरत होती है, इस जांच लीवर फंक्शन टेस्ट औक कंप्यूट टोमोग्राफी ( सीटी स्कैन), अल्ट्रासाउंड या फिर एक विशेष जांच फाइब्रोस्कैन से आसानी से इस बीमारी की डायग्नोसिस किया जा सकता है।
लिवर सोरायसिस का मूल कारण…
शराब का अत्यधिक मात्र में सेवन
हेपेटाइटिस बी और वायरल सी का संक्रमण
रक्तवर्णकता (इसमें रुधिर में लौह तत्व की मात्रा बढ़ जाती है।)
गैर मादक स्टीटोहेपेटाइटिस (लीवर में वसा का जमाव हो जाने से लीवर धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। मोटापा, डायबिटीज लीवर सिरोसिस का प्रमुख कारण है।)
Leave a Reply