इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए हमें कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • पुराने बुजुर्ग कहा करते थे कि हमेशा अपनी अक्ल लगाओ, किसी की बातों में न आओ। अपना ज्ञान, अपनी पहचान बनाकर, जान की रक्षा करता है। ऐसे लोगों पर खुदा भी मेहरबान रहता है।
  • आजकल देश दुनिया में भयंकर बीमारियां फैल रही हैं। इसके जिम्मेदार भी हम है। इंटरनेट पर बिना पढ़े, अज्ञानी लोगों ने अनेकों भ्रमित पोस्ट डालकर लोगों को रोगग्रस्त बना दिया है।
  • इंटरनेट, सोशल मीडिया, यूट्यूब, गुगल, फेसबुक और क्योरा आदि अनेक App हैं, जहां जानकारियों का भंडार भरा हुआ है। लेकिन ये सब ज्ञान बिना ग्रंथ, पुराण, शास्त्र के आधार पर लिखा जाता है।

कैसे हम अपना स्वास्थ्य अच्छा बनाये रखें? के लिए Ashok Gupta का जवाब कैसे हम अपना स्वास्थ्य अच्छा बनाये रखें? के लिए Ashok Gupta का जवाब

  1. एक आर्टिकल में बताया गया कि एक दिन में एक चम्मच लगभग 10 ग्राम हल्दी दूध के साथ लेना चाहिए।
  2. जबकि द्रव्यगुण विज्ञान नमक आयुर्वेदिक ग्रंथ के अनुसार रोज 10 से 25 MG तक ही हल्दी पाउडर सेवनीय है अन्यथा पित्त असंतुलित या कुपित होकर बवासीर, ह्रदय रोग जैसे विकार पैदा करता है।
  3. गुगल, क्योरा पर सुबह गर्म पानी, नींबू , शहद जल पीने निर्थक सलाह दी जा रही है। चिकित्सा चंद्रोदय ग्रंथ के हिसाब से गर्म पानी से त्वचा रोग एसिडिटी, गैस, कब्ज की समस्या बढ़ रही हैं।
  4. शिलाजीत सीधे खाने से या कैप्सूल आदि पच नहीं पाते। फिर आंतों में संक्रमण कर पाचक रस, रक्त, रज, वीर्य का निर्माण अवरुद्ध कर देते हैं। इससे नामर्दी बढ़ रही है।
  5. आयुर्वेदिक चूर्ण जैसे अश्वगंधा, शतावरी, कोंच बीज, सफेद मुसली, विदारी कंद, त्रिफला आदि चूर्ण एक दिन में 3 से 5 ग्राम तक लेने की खुराक है और इंटरनेट पर 10 से 20 ग्राम लेने की सलाह दी जा रही है।
  6. ग्राम काले, लाल मिर्च खून और कफ को साफ करने वाले द्रव्य है। इनके सेवन से कभी केंसर, मधुमेह जैसे रोग नहीं होते। लेकिन गुगल पर इसके नुकसान बताए हैं।
  7. लोग मेथीदाना, अलसी, तुलसी, अजवायन, लहसून, एलोवेरा, अदरक आदि की पोथी झूर का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि सबकी अनुपान विधि और मात्रा के बारे में चरक संहिता, भावप्रकाश निघंटू जैसे अनमोल शास्त्रों ने बारीकी से समझाया है।
  8. घरेलू चिकित्सा कभी भी किसी की सलाह मानकर न करें। अनेकों घरेलू सौंदर्य उत्पादों ने महिलाओं की खूबसूरती को तार तार करके बर्बाद कर दिया।
  9. आपको अगर आयुर्वेद की घरेलू चिकित्सा करना ही है, तो भावप्रकाश निघंटू, योग रत्नाकर, भैषज्य रत्नावली आदि ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करें।
  10. सावधान अपना रखें ध्यान – सुना सुनाया ज्ञान आपकी जान ले सकता है। आज हर तरह की जानकारी सिर्फ़ एक क्लिक की दूरी पर है। ऐसे में लोग अपनी बीमारी के निदान और उपचार के लिए भी इंटरनेट पर भरोसा करने लगे हैं, बजाय इसके कि आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या चिकित्सक से सलाह लें। इस तरह ख़ुद अपने शरीर में लक्षण ढूंढना और ख़ुद इलाज तय कर लेना जोखिम भरा हो सकता है।
  11. तन मन और मानसिक विकारों की अनुत्पत्ति में तथा उत्पन्न विकारों की शान्ति में माहोल, मित्रता, संगत बहुत बड़ा कारण हैं।चरक संहिता सूत्रस्थानम् अध्याय ७/५९ के अनुसार

वर्जने यानि त्याग्यने योग्य मनुष्य

पापवृत्तवचःसत्त्वाः सूचकाः कलहप्रियाः।

मर्मोपहासिनो लुब्धाः परवृद्धिद्विषः शठाः॥

परापवादरतयश्चपला रिपुसेविन:।

निर्घृणास्त्यक्तधर्माणः परिवर्ज्या नराधमाः॥

  • अर्थात जिन मनुष्यों की वाणी और मन पापमय हों, चुगलखोर, झगड़ालू, कमजोरी या छिद्र को ढूंढकर उस पर हंसने वाले, लालची, जो दूसरी की उन्नति में द्वेष भाव रखते हैं।
  • दूसरों की निन्दा ही करना जिनका काम है, चंचल प्रकृति, अस्थिर मन, दुश्मन से मिले हुए, या काम क्रोधादि के वशीभूत, दयाके रहित, निर्दयी, धर्म से न डरने वाले, ऐसे नीच पुरुषों को छोड़ देना चाहिये।

मित्रता करने योग्य मनुष्य

बुद्धिविद्यावयःशीलधैर्यस्मृतिसमाधिभिः।

वृद्धोपसेविनो वृद्धाः स्वभावज्ञा गतव्यथाः॥

सुमुखाः सर्वभूतानां प्रशान्ताः शंसितव्रताः।

सेव्याः सन्मार्गवक्तारः पुण्यश्रवणदर्शनाः॥

  • अर्थात जो लोग बुद्धि, विद्या, आयु, शील, स्वभाव, धैर्य साहस, स्मरण शक्ति, (समाधि) मन का संयम आदि में अपने से बड़े हों, जो वृद्धों की सेवा करते हों।
  • चरकसंहिता का निर्देश है कि साथी ऐसा हो, जिसका स्वभाव को जानने वाले अनुभवी, गतव्यध जिनको कि किसी प्रकार की चिन्ता नहीं।
  • सुमुख सब प्राणियों निवृत्त के लिये प्रसन्नमुख, (प्रशान्त) इन्दियों के विषयों से ब्रह्मचारी, सच्चे मार्ग का उपदेश करने वाले, पुण्य शब्दों को सुनाने वाले एवं पुण्य दर्शनशील, जिनका शब्द और दर्शन पवित्र करता है इस प्रकार के आप्त पुरुषों का सेवन करना चाहिये।
  • स्वस्थ्य और प्रसन्चित्त लोगोंको गुरु मानना चाहिये, ये ज्ञान, विज्ञान, धैय्यं स्मृति आदि की शिक्षा देकर मानस रोगों को नष्ट कर सकते हैं।

आहाराचारचेष्टासु सुखार्थी प्रेत्य चेह च।

परं प्रयत्नमातिष्ठेद् बुद्धिमान् हितसेवने॥

न च संधुक्षयेत्पित्तमाहारं च विपाचयेत्।

शर्करासंयुतं दद्यात्तृष्णादाहनिवारणम्।।

मुद्गसूपेन संयुक्तं दद्याद्र तानिलापहम्।

सुरसं चाल्पदोषं च क्षौद्रयुक्तं भवेद्दधि।

उष्णं पित्तास्रकृद्दोषान् धात्रीयुक्तं तु निर्हरेत्॥ ज्वरासृक्पित्तवीसर्पकुष्ठपाण्ड्वामय भ्रमान्।

प्राप्नुयात्कामलां चोप्रां विधिं हित्वा दधिप्रियः)॥

  • अर्थात इहलोक और परलोक में सुख चाहने वाले बुद्धिमान् व्यक्ति को हितकारी आहार, खान पान, आचार वर्त्तन और चेष्टा क्रियाओं चाहिये कि इन में विशेष रूप से यत्नवान् रहे।
  • चरक सूत्रस्थानम् अध्याय ७/६९ तत्र श्लोकाः

न नक्तं दधि भुञ्जीत न चाप्यघृतशर्करम्।

नामुद्गसूपं नाक्षौद्रं नोष्णं नामलकैर्विना।। (अलक्ष्मीदोषयुक्तत्वान्नक्तं तु दधि वर्जितम्।

श्लेष्मलं स्यात्ससर्पिष्कं दधि मारुतसूदनम्॥

  • अर्थात रात्रि में दही नहीं खानी चाहिये, और रात के सिवाय अन्य समय में जब दही खाना, तो कभी भी नमकीन दही न लेवें। दही का नामक युक्त छाछ बनाकर लिया जा सकता है।
  • दही हमेशा घी या शक्कर के विना, मूंग की दाल के विना, शहद के विना, गरम किये विना, अथवा आंवले के विना नहीं खानी चाहिये । जब खानी हो तो घो, मूंग, शहद, आंवला, इन के साथ या गरम करके खानी चाहिये।
  • रात को तो किसी भी प्रकार से नहीं खानी चाहिये।दही खाने से शरीर की श्लेष्मा और स्वास्थ्य नष्ट हो जाते १ भार शरीर के दोष कुपित होते हैं। दही में घी मिलाने से दही कफहो जाती है, परन्तु वायु का नाश करती है।
  • शर्करा युक्त दही पित्त (जठराग्नि या पित्त को ) नहीं बढ़ाती, परन्तु आहार भोजन को पचा देती है।
  • भोजन के बाद मीठा दही और amrutam Gulkand तृष्णा, प्यास और कलेजे की जलन को मिटाती है।
  • मूंग के साथ मिलाकर दही खाने से ‘वातरक्त’ रोग में लाभ होता है।
  • शहद के मिलाने से दही सुस्वादु और थोड़े दोष वाली हो जाती है।
  • दही को गरम करके खाने से रक्तपित्त जन्य विकार नष्ट होते हैं।
  • चरक संहिता के मुताबिक आंवले के साथ खाने से भी रक्त पित्त रोग शान्त होता है। बहुत दही खाने वाला मनुष्य जो इस उपरोक्त विधि को छोड़ कर दही खाता है, उसको ज्वर, रक्तपित्त, वीसर्प, कुष्ठ, पाण्डुरोग, भ्रम, और तीव्र कामला रोग हो जाते हैं।

वेगा वेगसमुत्थाञ्च रोगास्तेषां च भेषजम्।

येषां वेगा विधार्याश्च यदर्थं यद्धिताहितम्॥

उचिते चाहिते वर्ज्य सेव्ये चानुचिते क्रमः।

यथाप्रकृति चाहारो मलायनगदौषधम्॥

भविष्यतामनुत्पत्तौ रोगाणामौषधं च यत्।

वर्ज्याः सेव्याश्च पुरुषा धीमताऽऽत्मसुखार्थिना॥

विधिना दधि सेव्यं च येन यस्मात्तदत्रिजः।

न वेगान्धारणेऽध्याये सर्वमेवावदन्मुनिः॥

  • अर्थात मनुष्यों में उत्पन्न होने वाले स्वाभाविक वेग, वेगों को रोकने से उत्पन्न होने वाले रोग, इन रोगों को औषध, जिन के उपस्थित ढंग धारण करने चाहियें, जिस के लिये जो लाभकारी है।
  • उचित एवं अहितकारी, छोड़ने योग्य और सेवनीय क्रम, प्रकृति के अनुसार आहार, मलस्थान, मल की वृद्धि, क्षय, औषध, भविष्य में न होने वाले रोगों की औषध, सुख चाहने वाले बुद्धिमान् मनुष्य को जिन पुरुषों को छोड़ना या जिनका सेवन करना उचित है, और दही को सेवन करने की विधि यह उस मन के ही अधीन हैं। एवं ‘इन्द्रियों की चेष्टाओं, व्यापार का कारण मन ही है।

न्द्रियार्थसंकल्पव्यभिचरणाचानेकमेकस्मिन् पुरुषे सत्त्वं, (त्त्वगुरुयोगाचः न चानेकत्वं, नहीं कं हाककालमनेकेषु मान्नैककाला सर्वेन्द्रियप्रवृत्तिः॥

  • में ‘मन’ एक ही है, परन्तु इन्द्रियों के अपने २ इज्य में विषय । एवं व्यभिचार से एक पुरुष में अनेक मन एवं मन के सत्य , सत्व, रजस्, तमस् इन गुणों के न्यूनाधिक होने से अनेक मन र में प्रतीत होते हैं।
  • वास्तव में मन एक ही है अनेक नहीं है। ही समय में एक मन अनेकों इन्द्रियों में प्रवृत्त नहीं होसकता । ही समय में सब इन्द्रियों की प्रवृत्तियां चेष्टा नहीं होती।
  • चामीक्ष्णं पुरुषमनुवर्तते सत्त्वं, तत्सत्त्वमेवोपदिशान्ति त्यानुशयान्।।
  • सत्व, रजस् या तमस्) बार बार विकसित होता जोगुण ( उसी ही गुण वाला मुनि लोग कहते हैं। क्योंकि जिस यकता होगी उसी गुग वाला मन होगा।

रसराणीन्द्रियास्वर्थग्रहणसमर्थानि भवन्ति॥

  • अर्थात मन को आगे करके ही विषय के ग्रहण करने में समर्थ होती व के इन्द्रियां विषय को ग्रहण नहीं कर सकती।
  • श्रोत्रं ब्राणं, रसनं, स्पर्शनमिति पञ्चेन्द्रियाणि॥बद्रव्याणि –खं वायुर्ज्योतिरापो भूरिति॥
  • वाधिष्ठानानि अक्षिणी करण नासिके जिह्वा त्वक्बायाः – शब्दस्पर्शरूपरसगन्धाः॥
  • अर्थात क्षेत्र, नासिका, जिह्वा और त्वचा ये पांच इन्द्रियां हैं। पांच पदार्थ है, यथा आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथिवी।

इंटरनेट के चिकित्सकों सलाह देने वालों दूर रहें

  • बाल अधिक झड़ रहे हैं- चेहरे पर काले निशान, दाग, धब्बे, या सेक्स पावर बढ़ाना हो, इंटरनेट पर उपचार खोजने बाल लगे।
  • सांस फूल रही है। महिलाओं को पीसीओडी, श्वेत प्रदर, लिकोरिया की समस्या हो। पेट साफ नहीं होता- इंटरनेट पर सर्च करने लगे।
  • इंटरनेट हमारी जानकारियों का पहला और सबसे सुलभ स्रोत हो गया है, इसलिए बहुत से लोग बीमारी का पता लगाने और इलाज के लिए भी इस पर भरोसा करने लगे हैं।
  • हालांकि इसके कारण ग़लतफ़हमियां पनपने, ग़लत उपचार होने और रोग बढ़ जाने, यहां तक कि गंभीर हो जाने का ख़तरा होता है।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं

  • आपको आधी रात को पेट के निचले बाएं हिस्से में दर्द उठता है। आप उठते हैं और घूमते हैं, लेकिन दर्द दूर नहीं होता है।
  • आप इंटरनेट पर लक्षण लिखकर सर्च करते हैं। कई वेबसाइट में लिखा होगा कि यह क़ब्ज या डायवर्टीकुलाइटिस या गुर्दे की पथरी या मूत्राशय में संक्रमण, गैस आदि के कारण हो सकता है।
  • आपका दिमाग़ सीधे गंभीर रोग की ओर जाता है। तनाव होने लगता है। फिर नींद नहीं आती।
  • कुछ मामलों में मरीज अपनी स्थिति और लक्षण के बारे में इंटरनेट पर ढूंढकर फिर डॉक्टर से परामर्श करते हैं। वे जो पढ़ते हैं उसके आधार पर कई बार उससे बेबुनियाद सवाल करते हैं।
  • यदि चिकित्सक ने दवाइयां लिखकर दी हैं तो उनके बारे में इंटरनेट पर पड़ताल करके उल्टे सवाल करते हैं कि यह दवाई किसी और समस्या के लिए है, तो मुझे क्यों दी है! हालांकि सच यह है कि एक ही दवा कई तरह से उपचार में मदद कर सकती है, जिसे अनुभवी चिकित्सक अच्छी तरह जानते हैं।

इंटरनेट आपके बारे में नहीं जानता

  • वेबसाइट्स को मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और अन्य लक्षणों के बारे में कुछ पता नहीं होता, जो सही निदान के लिए अनिवार्य है।
  • ख़ासतौर पर भारत में मधुमेह और दिल की बीमारियां आम हैं। ऐसे में ग़लत निदान मरीज की स्थिति को बदतर बना सकता है।

घरेलू स्व- निदान में दोहरा या के ज्यादा जोखिम है

  • थकान और सिरदर्द, डिहाइड्रेशन या पुरानी थकान के लक्षण हो सकते हैं और गंभीर मामलों में यह कैंसर भी हो सकता है।
  • इसलिए आम आदमी के लिए इंटरनेट पर पढ़कर अपनी बीमारी का ठीक से पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है।
  • कभी-कभी गंभीर बीमारी की अनदेखी हो जाती है या कुछ मामलों में बेवजह ही गंभीर बीमारी की चिंता सताने लगती है। रोगों का उपचार विशेषज्ञ ही सही बता सकते हैं

घरेलू दवाएं, उपाय खाने से बचें

  • हमने यह भी पाया है कि लोग टेस्ट कराने के बाद इसके परिणामों को भी इंटरनेट की मदद से समझने की कोशिश करते हैं। वे इसके लिए इंटरनल मेडिसिन, संक्रमण या मधुमेह विशषज्ञों की सलाह नहीं लेते।
  • ब्लड रिपोर्ट आते ही लोग इंटरनेट पर तलाश में जुट जाते हैं और अपने ब्लड ग्लूकोज, कॉलेस्ट्रॉल और लिवर एंजाइम जैसे पैरामीटर्स का अर्थ समझने की कोशिश करने लगते हैं।
  • हालांकि, ये पैरामीटर कई कारकों से जुड़े हो सकते हैं। एक प्रशिक्षित फिजिशियन ही रिपोर्ट को पढ़कर उसका सही. निष्कर्ष निकाल सकते हैं।
  • ज़रूरी नहीं कि ब्लड शुगर का स्तर बढ़ना डायबिटीज का ही संकेत हो। यह खाने-पीने की आदतों, तनाव और यहां तक कि कुछ दवाओं की वजह से भी हो सकता है।
  • इसी तरह लिवर एंजाइम का बढ़ना लिवर रोग का संकेत ही हो, ऐसा जरूरी नहीं। हाल ही में आपके द्वारा लिए आहार और अल्कोहल के सेवन के चलते भी यह बढ़ सकता है।
  • डॉक्टर व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री, वर्तमान में चल रही दवाओं; फिजियोलॉजी और जीवनशैली की आदतों को ध्यान में रखते हुए सी निदान करता है।
  • इसलिए सिर्फ़ रिपोर्ट में दिए गए पैरामीटर्स को देखकर सटीक निदान नहीं किया जा सकता। डॉक्टरी सलाह जरूरी होती है।
  • इंटरनेट से ख़ुद निदान करने के बाद लोग बाजार में उपलब्ध दवाओं का ख़ुद ही सेवन करने लगते हैं।
  • अधिक मात्रा में पेन किलर दवाओं के सेवन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, जैसे अल्सर और ब्लीडिंग तक हो सकती हैं। ओवरडोज़ और अनावश्यक दवाओं से संक्रमण होने की आशंका भी रहती है।
  • एंटीबायोटिक के ग़लत सेवन से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ता है, जो गंभीर रोगों का जोखिम बढ़ाता है।
  • ख़ुद दवाएं लेते रहने से मरीज़ डॉक्टर के पास देर से जाता है। तब तक बीमारी का प्रबंधन करना मुश्किल हो चुका होता है।
  • जब आप इंटरनेट पर अपनी सेहत संबंधी समस्या के बारे में खोजते हैं तो मिलने वाले सर्च रिजल्ट्स का असर सीधा आपके दिमाग़ पर पड़ता है। इससे सामान्य समस्या भी बहुत बड़ी दिख सकती है और नतीजतन तनाव, चिंता और अवसाद बढ़ सकता है।
  • ब्यूटी से संबंधित यूट्यूब वीडियो और घरेलू उपचार भी स्त्री पुरुषों को प्रभावित करते हैं।
  • बाल कैसे घने करने हैं, त्वचा या स्किन में निखार कैसे लाना है। चेहरा कैसे निखारे या गोरा बनाएं।
  • इस बारे में कई दवा या खाद्य संबंधी नुसखे इंटरनेट और ख़ासतौर पर सोशल मीडिया पर देखकर लोग आजमाते हैं।
  • इसको बिना विशेषज्ञ की सलाह के खाना नुकसानदेह हो सकता है। सूक्ष्म पोषक तत्वों के बारे में चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही किसी दवा का सेवन करें।

जिसका काम उसी को साजे

  • जिस तरह इंजीनियरिंग के प्रशिक्षण के बिना किसी को इमारतें बनाने का जिम्मा नहीं सौंपा जा सकता, या जिस तरह आप बड़ा निवेश करने से पहले आर्थिक सलाहकार की सलाह लेते हैं, उसी तरह रोग निदान, उपचार और अपने स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हैं।

अगर खोजबीन कर ही रहे हैं

  • आप आयुर्वेद के जाने माने चिकित्सकों से ऑनलाइन सलाह मशविरा कर सकते हैं। आपको घर बैठे ही सभी समाधान और दवाएं उपलब्ध हो सकती हैं। लिंक क्लिक करें
  • – तुरंत समाधान, दो दिन या दो हफ्ते में समस्या ख़त्म, घरेलू उपचार से ठीक होना जैसे दावों पर बिल्कुल भी यक़ीन न करें। – हमेशा ध्यान रखें कि एक ही लक्षण के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
  • इसलिए, फलां रोग हो ही गया है या स्थिति सामान्य है, यह न सोच लें। ख़ुद (और अपने परिजनों) का उपचार कदापि न करें। यदि आपको हाल ही में जांच और डॉक्टरी परामर्श से ख़ुद में किसी शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य स्थिति का पता चला है, तो इसके बारे में और जानने के लिए इंटरनेट की मदद ले सकते हैं।
  • इसके लिए केवल विश्वसनीय वेबसाइट्स का ही उपयोग करें। जिन वेबसाइट्स के अंत में .EDU या .GOV होता है उनमें अधिक शोध-समर्थित जानकारी होती है। लेकिन इनका इस्तेमाल केवल अधिक जानकारी पाने के लिए ही करें, न कि ख़ुद इलाज करने के लिए।
  • आयुर्वेदिक चरक संहिता, अष्टांग ह्रदय ग्रंथ की माने में, तो इनमें हेल्दी लाइफ के कुछ नुस्खे आजमाकर हमेशा स्वस्थ्य रह सकते हैं।

तन, मन और अंतर्मन की तंदुरुस्ती हेतु दिशा निर्देश

  1. हेल्दी लाइफ के लिए प्राचीन सिद्धांतो को अपनाना और उसके प्रति सावधानी, पथ्य – अपथ्य और परहेज विशेष जरूरी होते हैं।
  2. तेल लगाने के पश्चात सहवास न करें और 7 दिन तक नियमित लगाने के बाद ही सेक्स करें।
  3. देर रात्रि में भोजन न करें। तुअर, अरहर की दाल, मीठा नमकीन दही, गरिष्ठ भोजन, फल, सलाद, पूड़ी, पराठें, बेसन, मैदा, ज्यादा चिकनाई, तेल युक्त पदार्थों को खाने से परहेज रखें।
  4. असंतुलित आहार, भरपेट भोजन और अधिक मात्रा में शारीरिक क्षमता का अवलंब न करें।
  5. कब्ज, गैस व एसिडिटी, मधुमेह, बीपी से बचें।
  6. तनाव, चिंता, भय, भ्रम, भ्रांतियों आदि मानसिक स्वास्थ्य समस्यायों जैसे अवसाद, डिप्रेशन से बचे। गहरी व अच्छी नींद लेवें।
  7. सुबह जल्दी उठें। घूमने जाएं। योगा, प्राणायाम और व्यायाम करने का अभ्यास करें।
  8. अत्याधिक नशा, ध्रुमपान, सिगरेट, तंबाखू, गुटका, पुड़िया और शराब का उपयोग कम करें या त्याग देवें।
  9. सप्ताह में एक या बार सुबह की धूप में आयुर्वेदिक ओषधि तेल KAYA KEY Oil से पूरे तन का अभ्यंग करें, ताकि मन प्रसन्न रह सके और वतन रूपी शरीर का प्राण रोका जा सके। मालिश से हड्डियां मजबूत होती हैं। फुर्ती, चुस्ती आती है।
  10. संभव हो, तो केशर आदि 55 जड़ी बूटियों से निर्मित कुमकुमादी तेल से मसाज करें। इससे इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है।
  11. Kumkumadi oil तेल बहुत महंगा है। इसमें केशर जैसा बहुमूल्य घटक होता है। 200 ML की कीमत 12000/ रुपए है। यह सौंदर्य निखार कर नव यौवन प्रदायक है। सभी रहीस लोग, अभिनेत्री एवं अभिनेता इसकी मालिश से हमेशा युवा बने रहते हैं।

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