- गर्म पानी से पीने प्राणी को बहुत नुकसान होता है। दुनिया के सभी पशु पक्षी गर्म पानी कभी नहीं पीते और हमेशा स्वस्थ रहते हैं।
- सुबह उठते ही गर्म पानी पीने से पित्त की वृद्धि हो सकती है। ऐसा आयुर्वेदिक शास्त्रों का निर्देश है।
- पानी को गर्म करने से उसके प्राकृतिक घटक क्षीण हो जाते हैं। जरूरी मिनरल नष्ट हो सकते हैं।
- लोग अभी समझ नहीं पा रहे हैं कि- एक साजिश के तहत दुनिया को बीमार करने के लिए गलत जानकारी दी जा रही है।
- कभी अपने पूर्वजों से पूछना कि- उन्होंने जीवन में कितना गर्म पानी पिया?
- संसार में सारा भ्रम फैलाया जा रहा है और अधिकतर लोग सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास कर लेते हैं।
- हमें पुराने ग्रन्थ-किताबें पढ़ने की आदत बनाना चाहिए। यह सुख-सुविधा का साधन हैं।
क्यों पीना चाहिए सुबह सादा जल-
- आयुर्वेद के कुछ प्राचीन नियमों पर गौर करें। हमारे पूर्वजों की भी यही परम्परा थी, तभी सौ वर्ष जीते थे- क्या करें तन्दरुस्त रहने के लिए 17 खास जानकारी- आयुर्वेद के अनेक ग्रंथो में जल चिकित्सा का वर्णन आया है। इन ग्रंथों का अध्ययन करें.. ◆ औषधि शास्त्र, ◆ रस रत्नाकर, ◆ शरीर शास्त्र, ◆ रक्ताभिसरण शास्त्र, ■ रसेन्द्र मंगल, ◆ जल चिकित्सा, ■ कक्षपुटतंत्र एवं आरोग्य मंजरी आदि
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आयुर्वेदिक पुस्तकों में उल्लेख है कि-
- सुबह जब व्यक्ति सोकर उठता है, तो उसकी जठराग्नि अर्थात पेट की गर्मी तेज रहती है, इसलिए उठकर सदैव सादा पानी पीने से उदर तथा शरीर की गर्माहट शान्त हो जाती है, जिससे शरीर में कभी अकड़न- जकड़न नहीं होती।
- सादे जल के पीने से वात-पित्त-कफ कुपित नहीं होते। हमें केवल त्रिदोष रहित रहने का प्रयास करना चाहिए।
- वात-पित्त-कफ का संतुलन बनाये रखने के लिए आयुर्वेद लाइफ स्टायल किताब का अध्ययन व अमल करें। यह सदैव स्वस्थ्य रखने में मदद करेगा। इस बुक से त्रिदोष में किसकी अधिकता है यह भी जान सकते हैं।
सावधान रहें- गर्म पानी का सेवन ग्रन्थिशोथ पैदा कर सकता है…
- थायरॉइड (ग्रन्थिशोथ) जैसे वात रोग नहीं सताते। इसलिए सुबह उठते ही सादा जल पीना ही श्रेष्ठ रहता है।
- मधुमेह से पीड़ित लोगों को सुबह सुबह कभी भी गर्म पानी नहीं पीना चाहिए, इससे पेट में खुश्की उत्पन्न होती है।
- आयुर्वेद के अधिकांश ग्रंथों में लिखा है कि- प्रकृति ने हमें जैसा, जो दिया है, वही स्वास्थ्य के लिये लाभकारी है और जहां गर्म पानी की जरूरत है, वहां परमात्मा ने गर्म पानी दिया है।
- जैसे-यमुनोत्री, बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा तथा रोशनपुर गुरुद्वारा आदि स्थानों पर प्राकृतिक गर्म पानी के कुंड हैं।
- हिमाचल के मणि महेश शिवालय, पार्वती लेक, भृगु लेक में भी गर्म पानी का झरना है। कुछ नियम जिन्हें सहजता से अपनाया जा सकता है–
- भरपूर पानी पिएं। गर्मियों के दिनों में दिन भर में कम से कम ५ से ७ लीटर और सर्दी में 4 से 5 लीटर पानी शरीर के लिए जरूरी है।
झुर्रियों से बचाव
- आयुर्वेद के जल चिकित्सा ग्रन्थ तथा वैद्य कल्पद्रुम में उल्लेख है कि कम उम्र में चेहरे पर जो झुर्रियां पड़ती हैं, उसकी वजह शरीर में पानी की कमी है।
- जल का पर्याप्त मात्रा में उपयोग उम्ररोधी बताया गया है। पानी ऐसे पियें-जैसे खा रहे हों
- आयुर्वेद की एक सलाह है कि भोजन ऐसे करें, जैसे पी रहे हों अर्थात खाने को बहुत चबा-चबाकर जब तक कि वह पानी की तरह तरल न हो जाये। धीरे-धीरे खाने से कभी मोटापा नहीं बढ़ता।
- पानी को सदैव ऐसे पियें जैसे खा रहे हों। पानी को हमेशा धीरे-धीरे बैठकर ही पीना बहुत लाभकारी होता है। खड़े होकर जल ग्रहण करने से घुटनों व जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है। यह पीड़ा बुढ़ापे में बहुत दुःख देती है। इसलिए पानी हमेशा बैठकर ही पीना चाहिए।
सुन्दरता वृद्धि में सहायक
- एक ग्रन्थ में बताया है कि जो लोग बहुत आराम से एक-एक घूंट करके पानी पीने की आदत बना लेते हैं, उनके चेहरे पर निखार आता चला जाता है। सुन्दरता में वृद्धि होती है।
- चमकदार त्वचा और जवां बने रहने हेतु पानी पीने के पहले 3 से 4 बार बहुत गहरी श्वांस लेकर धीरे-धीरे छोड़ना चाहिए, फिर पानी पिएं।
- जल को सदैव सम्मान के साथ, अच्छे विचारों से, पवित्र भाव से पीना चाहिए।
मासिक धर्म की समस्या से निजात-
- जिन स्त्रियों, महिलाओं, नवयौवनाओं को अक्सर माहवारी से सम्बंधित परेशानी या विकार हों, उन्हें सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये खाली पेट 2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
- आयुर्वेद के अनुसार अकेला सादा पानी भी प्रतिरक्षा तन्त्र को बहुत मजबूत कर देता है। पानी पीने से शरीर के 100 से अधिक विकार मूत्र विसर्जन केद्वारा बाहर निकल जाते हैं।
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पथरी से बचाव-
- पर्याप्त पानी पीने वालों को कभी पथरी की शिकायत नहीं होती। मूत्ररोग, मधुमेह विकार, उदर रोग उत्पन्न नहीं होते।
एसिडिटी हो शान्त-
- जब कभी पेट में गेसा बनती हो या अम्लपित (एसिडिटी) की दिक्कत हो या फिर, बार-बार हिचकी आ रही हो, तो हर 2 या 3 मिनिट में एक गिलास पानी को 15 से 20 मिनिट तक एक-एक घूंट करके पीते रहें। सराय एसिडिटी, हिचकी, पेट की जलन बेचैनी दूर हो जाती है।
सोने का पानी
- सोने के बर्तन का पानी ब्रेन यानि दिमाग की सुप्त नाडियों को जागृत करने में चमत्कारी है। इसे अक्टूबर से मार्च (सर्दियों में) पीना चाहिए।
मिट्टी के घड़े का जल
- मिट्टी के घड़े का पानी शरीर की जलन,मानसिक वेदना, पेट की बीमारियों को दूर करने में सहायक है इसे मार्च से जून (गर्मियों में) पीना हितकर रहता है।
- सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने से शरीर 100 रोगों से घिर जाता है। आप माने न माने लेकिन सच यही है कि अधिकांश जानकारी बीमारी बढ़ाने वाली दी जा रही हैं।
तांबे के पात्र का पानी
- ताम्बे के बर्तन का पानी रक्त तथा अवयवों की शुद्धि के लिए अत्यंत फायदेमंद है इसे अप्रैल से सितम्बर (वर्षा ऋतु) तक पीना उपयोगी है।
- हमारे पूर्वजों ने कभी उठते ही गर्म पानी नहीं पिया और बिना रोगों के 90 से 100 साल तक निरोग रहकर संसार से प्रस्थान किया।
- चिकित्सा कंद्रोदय में त्रिकाल दृष्टा महर्षि ने एक श्लोक के द्वारा निर्देशित किया है कि मनुष्य को केवल देह की रक्षा करें। शेष शव शिव संभाल लेंगे। जैसे पिता मां ने आपको संपत्ति से दी। अब आप उसकी देखभाल करें या बर्बाद कर दें।
- भारत के अनेक तीर्थ में गर्म पानी के झरने हैं। क्योंकि वहां गर्म पानी जरूरी था। अभी विगत 10/15 वर्षों से जन बूझकर गर्म पानी पीने की सलाह दी जाने लगी और जब से ही भयंकर बीमारियां बढ़ने लगीं
- आज मधुमेह, रक्त चाप, ग्रंथि शोथ यानि थायराइड, चिंता, अवसाद, मानसिक क्लेश, डिप्रेशन आदि समस्या विकराल रूप से बढ़ती जा रही हैं।
- सुबह गर्म पानी पीने से पाचन रस नहीं बन पाता। इसी से रस, रक्त, वीर्य बनता है। उसका निर्माण अवरूद्ध हो जाता है।
- आप खाने के एक घंटे बाद गुना या गर्म पानी घूंट घूंट करके पीना अत्यन्त लाभकारी है।
- गर्म गुनगुने पानी को लेकर केवल इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया ने भारी भ्रम फैला रखा है। ओर लोग मानते भी नहीं हैं।
- आजकल आसानी से मनुष्य सब कुछ पाना चाहता है। तुरन्त किसी की भी बात या सुने सुनाए किस्सों को सच मानकर प्रयोग करने लगता है।
- पुराने ग्रन्थ, पुराण, शास्त्र या किताब पढ़ता नहीं है और अधूरे ज्ञान को लेकर बहस करता है।
- हमारी दादी कहती थीं कि आने वाला समय का इन्सान 98 गुणों से सम्पन्न होगा लेकिन उसके 2 अवगुण उसे बर्बाद कर देंगे। आजकल के लोग एक तो कुछ जानते नहीं हैं, दूसरा किसी की मानते नहीं हैं।
- अन्त में सबसे यही निवेदन है कि सुबह सादा जल लेवें। भोजन के बाद गर्म पानी पिएं।
- शरीर की निर्बलता ओर शक्तिशाली होना हमारे यकृत यानि लिवर पर निर्भर करता है।
- इसलिए हर घर परिवार को हमेशा स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए आयुर्वेदिक लिवर टॉनिक रोजाना जरूर लेना चाहिये। इससे पाचनतंत्र सुचारू, सटीक और सही रहता है।
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- की लिव सिरप को सुबह खाली पेट और शाम भोजन से पूर्व सेवन करें।
- मात्रा 1 से दो चम्मच सादे जल के साथ।
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