युवा पीढ़ी ने सेक्स को रिलेक्स का सरल साधन बना लिया है। यदि पूर्व परंपरागत प्रक्रिया जानेंगे, तो युवावस्था में वीर्य को बर्बादी से बचने का कठोर निर्देश है।
क्योंकि वीर्य से ही वीरता आती है। डिप्रेशन जैसे मानसिक विकार नहीं सताते। सुख समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
जवानी में पानी की बरबादी न करें अन्यथा अधेड़ावस्था में नानी याद आ जायेगी। फिर कभी जवानी की मस्त भरी कहानी सुनाने से पहले ही चल बसोगे।
जो लोग जवानी आते ही प्रेम कहानी में उलझ जाते हैं। फिर ताड़ी के शौकीन हो जाते हैं। वे शादी के कुछ समय बाद ही बोल जाते हैं। उनका खोल यानि शरीर बीमारी से भर जाता है। नारी भी घर को नरक बना देती है।
इनकी कम उम्र में ही काड़ी खराब हो जाती है और साड़ी लायक नहीं बचते। कम आयु में रतिक्रिया करने से वात, पित्त, कफ तीनो नाड़ी असंतुलित हो जाती है।
खाड़ी देशों के लोग शादी से पूर्व इस तरह के सेक्स को व्यभिचार मानते हैं।
जीवन को कबाड़ी की तरह जीना हो, तो अलग अलग के साथ सेक्स करें। एक दिन हालात दिहाड़ी मजदूर जैसे हो जायेंगे। कोई भी ऐसे काम न करें, जो भविष्य में परेशानी का सबब बने।
पहाड़ी लोगों की तरह स्वच्छ साफ जीवन जीने की कोशिश करें। आड़ी लाइफ से अच्छा सरल, संस्कृत जीवन माना गया है।
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