परशुराम में ऐसा क्या खास था जो उन्हें भगवान बनाता है?

  • भगवान परशुराम शिव जी के परम भक्त थे और भोलेनाथ से दीक्षा ग्रहण कर अनेक सिद्धियां पाकर दानवीर कर्ण को भी सिखाई थीं।
  • अमरीतम पत्वा्रीका से साभार परशुराम जी के बारे में दुर्लभ जानकारी पढ़े…
  • महादेव के परम शिष्य भगवान परशुराम अग्नि उपासक थे, इसी कारण उनका स्वभाव क्रोधी था।

सृजन-पालन और संहार तीनो शक्तियों का पालन करते थे।

  • “परशुराम शतक ग्रन्थानुसार”- मुंबई से कन्याकुमारी तक के क्षेत्र को 8 कोणों में विभाजित कर सूर्याष्टक प्रान्त बनाया था। गऊ धाम (गोवा) इन्हीं का बसाया नगर है।
  • त्वचा रोगों के नाश के लिए गोवा से 30 km दूर तांबड़ेश्वर शिवालय अदभुत है। इन सब स्थानों पर अनुष्ठान के भक्त संकल्प लेते समय आज भी परशुराम क्षेत्र कहा जाता है।
  • परशुरामजी राजतंत्र को मिटाकर लोकतंत्र की स्थापना पहली इन्होंने ही की थी।
  • परशुरामजी को त्रिवन्त भी कहा जाता है। उनकी तपःस्थली केरल की राजधानी में स्थित पद्मनाभ मन्दिर है। यहां शेषनाग का स्थान है। पद्मनाभ मन्दिर में अकूत खजाना परशुराम द्वारा रखवाया गया था। इसके दरवाजे पर कोई ताला नहीं है। यह नाग-गरूण मन्त्र से कीलित है।

गायत्री स्त्रोत मन्त्र इन्हीं की रचना है।

  • न देत्यं न पलायनम् – के आदर्श हैं। सदैव निर्भय होकर अन्याय के खिलाफ संघर्ष के प्रेरक बने रहेंगे।
  • अमृतम परिवार परशूरण जयंती पर ह्रदय से अभिनंदन-साधुवाद करता है।

परशुराम के शिव मंदिर…

  • स्कन्ध पुराण के चतुर्थ खण्ड के अनुसार इन्होंने 88 हजार स्वयम्भू शिवलिंगों की खोज की थी। लगभग 1000 से अधिक शिवालयों की स्थापना की थी।

दुनिया का सबसे प्राचीन शिवालय

  • गुडीमल्लम गाँव तिरुपति से लगभग 30 किलोमीटर दूर कालहस्ती वायुतत्व शिवलिंग के नजदीक तथा पापनापीपेट के पास
  • एक सुंदर स्वयम्भू शिव मंदिर है, जिसे परशुरामेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। गुडीमल्लम मंदिर को संसार का सबसे पुराना शिव मंदिर एवं इस लिंगम को त्रिमूर्ति का चित्रण करने के लिए माना जाता है।
  • एक बेहतरीन ज्ञान…परशुरामजी और दशानन रावण ये दोनों महदेव के भक्त और शिष्य थे। शिव ने ही इन्हें गुरुमंत्र से दीक्षित किया था।
  • दोनों ही कट्टरपंथी ब्राह्मण होने के बाद भी इनका सर्वाधिक विरोध ब्राह्मण समाज ने ही किया और आज भी कर रहे हैं। यह पूर्णतः अनुचित है।
  • कृपया रावण के बारे में भ्रान्ति दूर करने के लिये रावण रचित “मन्त्रमहोदधि, अर्क प्रकाश, रावण सहिंता और लंकेश्वर आदि किताबों का अध्ययन कर सत्य का अवलोकन करें।
  • परशुराम जी कट्टर शिव भक्त और शिष्य थे। हिंदुओं के विरोध के चलते इन्होंने अरब सागर के मक्का में पलायन कर नए धर्म की स्थापना की।
  • आप ध्यान योग के विशेष जानकर थे और हिंदू धर्म से घृणा होने के कारण एक नए धर्म की स्थापना की जो बिल्कुल हिंदू परंपरा के विपरीत था।
  • मक्केशवर की खोज इन्होंने ही की थी। मुस्लिम धर्म की सभी परंपरा उल्टी हैं।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *