क्या होगा भारत का भविष्य और कैसी होगी दुनिया की हाल या चाल…

कट्टरपंथियों का अंत सन्निकटहै?…

लाखों वर्षों से दुनिया भाग्य के भरोसे चलायमान है और भारत के राष्ट्रगीत में आया है कि

 “भारत भाग्य विधाता” भारत के भाग्य का विधाता तो एक मात्र महादेव ही है अन्य कोई नहीं। अवधूत कहते हैं कि –
शिव ही विधाता शिव ही विधान
शिव ही ज्ञानी, शिव ही ज्ञान।।
शेष सब भ्रम है। कुछ धनलोलूप भस्मादुर, तो ऐसे हैं जिन्होंने धर्म को ही धंधा बना दिया।
ईश्वरोपनिषद में खा गया है जिसका आरंभ जैसा होता है, उसका अंत भी वैसा ही होगा। या ऋषि वाक्य हैं।
ज्योतिष के अनुसार विश्व का भविष्य….
स्कंधपुराण के ज्योतिष खंड में ज्योतिष की अनेकों सूत्रावली श्लोकों का उल्लेख है। मान्यता मुताबिक चंद्रमा के तेरह महान चक्रअवधियों की अवधारणा है।
 प्रत्येक चंद्र चक्र की अवधि ३५४ वर्षों की होती है, जो कलयुग में सन् १५३५ से प्रारंभ होकर सन् ६१३७ में समाप्त होगी।
इस दौरान सनातन मनुष्य जाति के लिए उत्तम, लाभप्रद हैं तो कुछ अत्यंत बुरी, निकृष्ट अशुभ सिद्ध होगी।
वर्तमान में हम चंद्रमा की द्वितीय महान चक्र अवधि से गुजर रहे हैं, जो सन् १८८९ से शुरु होकर सन् २२४३ में समाप्त होगी।
 यह समय नवीन टेक्नोलॉजी, विज्ञान की नई खोज मनुष्य जाति के लिए रजतयुग जैसी है।
भारत पुनः बनेगा  विश्व गुरु और दुनिया का मार्गदर्शक एवम नया नेता….
वो दिन अब दूर नहीं कि संसार भारत की हर बात मानेगा। यह क्रम सन २०२५ के करीब आएगा। चंद्र या सूर्य ग्रहण के दौरान भारत में किए गए व्रत उपवास, सूतक आदि का प्रभाव से चंद्रमा की शुभता देश के लिए महा लाभकारी सिद्ध होंगी।
राहु का कमाल….
गोचर में गृहस्थी के हिसाब से गुरु ग्रह जब वृषभ राशि यानि धर्म की राशि में प्रवेश करेंगे और राहु मीन से कुंभ की तरफ वक्री गति से चल, तो दुनिया के अनेक देश यानि पश्चिमी यूरोप एवं अमेरिकी प्रभुता का अंत सन्निकट ही होगा। ठान त्राहि त्राहि मचेगी।
राहु का मटके में जाना होगा खतरनाक
 महा मारकाट, रोग, बीमारी, ग्रह गूढ़ के हालात से करोड़ों लोग काल के गाल में समा जायेंगे।
राहु के कुंभ राशि में आने का अर्थ है राहु का कुंभ अर्थात मटके में निवास करना।
रावण ज्योतिष संहिता के हिसाब से राहु ही बुरी चीज का कर्क होता है। जुआ, सट्टा, सत्ता, शराब, व्यभिचार, चरित्रहीनता आदि जितने भी विश्व के विकार हैं। ये सब राहु के मटके में बंद हो जाने के कारण रुक जायेंगे।
दुनिया को धर्म, ध्यान की तरफ उन्मुख होना ही पड़ेगा, तब भारत सबकी मदद कर जीने का मार्ग सुझाएगा।
करीब ४८ एशियाई देश, जिनका नेतृत्व भारत करेगा, प्रभुता के सर्वोच्च शिखर पर भारत के नेता धर्म गुरु की तरह स्थापित होंगे।
मध्यपूर्व के देशों में एक नयी धार्मिक विधि का प्रकटन हो सकता है। लोग ध्यान का नया धर्म बनाएंगे।
जड़ीबुटियो, वृक्षों, औषधियों की पूजा होने लगेगी।
शांति के लिए सामूहिक रूपी संस्कृत का श्लोकों का विश्व की सभी सांसदों में गायन होगा।
महादेव के मंत्र, स्तुति गाई जाएंगी। सभी कथा भागवत, प्रचान करने वाले या धर्म के नाम पीआर मूर्ख बनाने वाले, पाखंडी पंडित, ज्योतिषी कनागल होकर जेल जा सकते हैं।
कलाकार, व्यापारी धर्मगुरुओं के लिए २०२४ से २०२८ का समय भूत विपरीत होगा। इनकी स्मृति छीन ली जाएगी।
 मध्यपूर्व के अरब देशों का आपसी क्लेश के कारण क्रमश: अवसान अर्थात खात्मा होता चला जाएगा।
२०२५ के समय तृतीय विश्व युद्ध में भारत ही शांति स्थापक की भूमिका निबाहेगा। सभी देश उसकी सहायता की आतुरता से प्रतीक्षा करेंगे। यही नहीं मध्यपूर्व के अनेक इसलामिक देश भारत के इन शांति प्रयासों में अनपेक्षित रूप से सहयोग करेंगे।
तृतीय विश्वयुद्ध अभी नहीं तीसरे महायुद्ध की स्थिति दस वर्ष बाद सन् २०१२ से २०२५ के मध्य उत्पन्न हो सकती है।
२०२२ से २०२७ तक
युद्ध लगातार होते रहेंगे यह स्थिति जरूर बनती है। विश्व राजनीति के अनुसार भी तृतीय विश्वयुद्ध की आशंका निर्मूल सिद्ध नहीं।होगी। युद्ध हो सकता है,
लेकिन स्थानीय स्तर पर आज भी विश्व की महाशक्तियां तृतीय विश्व युद्ध में प्रवृत्त होने का खतरा नहीं उठा सकया, क्योंकि उसका अर्थ होगा, अब तक हुए विकास का विनाश।
शास्त्रों में विशेषकर भविष्य बद्री पुराण में भारत की भावी विश्वव्यापी प्रभुता के बार-बार संकेत किये हैं, लेकिन यह प्रभुता हथियार, गोला बारूद, परमाणु बम या शस्त्रों के नहीं, वेद, पुराण,शास्त्रों के, भारतीय जीवन दर्शन के ‘वसुधैवकुटुम्बकम’ जैसे सिद्धांतों द्वारा स्थापित होगी।
ब्रह्मवेवरत के हिसाब से देखें, तो इसमें अद्भुत भविष्यवाणी की है, वह आनेवाले समय में भारत की शक्ति अत्यतं व्यापक होने का संकेत देती है।
 इसमें कहा गया है कि भारत खंड द्वीप-राष्ट्र में एक महान परम शिव भक्त या गुरु भक्त अथवा तांत्रिक पीठ से संबंधित राजनेता का उदय होगा।
यह राजनेता मेष, वृश्चिक या कुंभ राशि का हो सकता है। संभवत उसका जन्म नक्षत्र गुरु या शनि राशि का हो।
सन २०२४ में अगस्त से कार्तिक मास के मध्य भारत के किसी महान धार्मिक नेता की किसी दुर्घटना में मृत्यु या अचानक हत्या की वजह से हत्या हो सकती है। इससे लाखों मलछ पिशाच जाति के लोग मरेंगे।
इसके बाद कोई बहुत मजबूत और कट्टर नेता देश की बागडोर संभाल सकता है।
 वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के जरिए समाप्त करेगा।
भारत का कोई ईश्वर्ववादी नेता शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान शासक कहलाएगा। वह बहुत प्राचीन शिवमंदिरों को दुनिया के सामने लाएगा। गद्दारों से शिवालय छुड़ाएगा।
कुछ लोग इसे शुरू में न्फरत्वक्रें फिर सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करनेवाला माना जाएगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पाएगा।
एक शांतिदूत पूर्व के सभी राष्ट्रों पर हावी होगा ।
ग्रहों के गोचर के अनुसार सूर्य के उपासकों को आगे बढ़ाएगा, उन्हे ही स्वास्थ्य रखेगा। मांसाहार के संक्रमण से करोड़ों लोग जल्दी ही काल के कपाल में समा जायेंगे।
चरित्रहीनता, देह व्यापार, छल कपट खत्म होना शुरू होंगे। सप्तसागरों के नाम वाला पूज्यनीय धर्म तेजी से पनपेगा
चंद्रमा पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा।’ चांद की तिथियां मानने वाले धार्मिक लोग धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म की मुख्यधारा से जुड़ेंगे।
 इस्लाम के कट्टर कानून का पतन….
मंत्र महोदधि,रावण संहिता के मुताबिक राम का बीज मंत्र छोड़कर राम – राम जपने वाले कंगाल होकर कुत्तों की मौत मरेंगे।
 मुस्लिम महिलाएं धर्म त्याग कर नया धर्म स्थापित के सकती हैं।
गर्भ उपनिषद् = कृष्ण यजुर्वेद, सामान्य उपनिषद् के मुताबिक चांद-तारे वाले धर्म की पतन की घोषणा करनेवाला माना गया है। इस भविष्यवाणी का भावार्थ कुछ इस तरह है :
हम देखेंगे मूरों के कानून का पतन। इसके बाद एक अन्य सुखद मानवीय कानून पनपेगा। मूर अरब या खाड़ी के निवासियों को कहा जाता है। उनका कानून अर्थात इसलामिक कानून।
  इस भविष्यवाणी को इसलाम के अवसान का सूचक माना जा सकता है। भ्विष्यपुरा आदि धार्मिक ग्रंथ यही मानते हैं कि एक दिन इसलाम का खात्मा हो जाएगा।
जल्दी ही कट्टरपंथियों का सफाया होगा….
राजनीतिक, आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए किसी भी धर्मग्रंथ के सिद्धांतों को तोड़मरोड़कर व्याख्या की जा सकती है। कट्टरपंथी भी इसलाम के साथ यही कर रहे हैं, लेकिन बहुसंख्यक मुसलिम समुदाय को यह कट्टरता पसंद नहीं है।
कहा भी है, संघर्ष, सांप्रदायिकता और शत्रुता के लंबे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी।
सन २०२८ से २०३० के बीच भारतीय धर्म ग्रंथ, भाष्य, उपनिषद विचारधारा वेदांत पर आधारित होगी।
भविष्य में रविवार की जगह वह गुरुवार को उपासना दिवस घोषित होगा।
भारत का राजनेता वह गैर मुस्लिम ईसाई हो सकता है। उसकी कीर्ति, सराहना, आदर, सत्ता और शासन धरती और समुद्र पर चंद्र कलाओं की तरह निरंतर बढ़ेगा । एक तूफान और पूर्व की वर्षा की तरह वह समूचे विश्व में भ्रमण करेगा तथा भारत का नाम उज्जवल करेगा।
 यह महापुरुष विभिन्न धर्मावलंबियों का अतिशय उदार मित्र बनेगा तथा दुष्ट, कुटिल बुद्धि तथा क्रूर लोगों का नाश करेगा। वह भारतीय संस्कृति का मूर्तिमंत रूप होगा।
कुल मिलाकर ग्रह गोचर के अनुसार
एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हुआ।
भारत में लंबे संघर्ष के बाद सभी धर्मों एवं जातियों की एक विचारधारा पर आस्था एक समान होगी।

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