केश हेतु पेश है–
5 दवाओं का अनूठा संग्रह
भारतीय ग्रंथों की गाथा
डॉ रामशंकर शुक्ल “रसाल“
द्वारा सम्पादित
2000 अधिक पृष्ठों का
भाषा शब्द कोष के अनुसार
“कुन्तल“
के अनेक पर्यायवाची शब्द बताये हैं, जैसे-
?केश
?किरण,
?वरुण,
?विश्व,
?श्रीहरि
?विष्णु,
?सूर्य,
?सिर के बाल
?जुल्फें
आदि ये सब कुन्तल के अर्थ हैं ।
सारांश में कुन्तल का मतलब है-
देवी-देवताओं, अप्सराओं
जैसे घने,लम्बे,काले, चमकदार बाल ।
बालों के कारण जिन बालाओं,
कन्यायों, महिलाओं में बला की
खूबसूरती, सुन्दरता, मुख मंडल
पर ओज दिखे, जिनके बालों
को देखकर मन मचल जाए ।
संस्कृत में
उसे कुन्तल कहते हैं ।
इन कुन्तल की केयर अर्थात
बालों की रक्षा करने वाली इन
5 तरह की प्राकृतिक
अमृतम ओषधियों का नाम है-
? कुन्तल केयर हर्बल हेयर टेबलेट
क्या है-अमृतम आयुर्वेद की किताबों में
- स्त्री जातक,
- केश का क्लेश
- बालाओं का बल -बाल
- नामक पुस्तकों एवं
- भाषा कोष,
- संस्कृत की संस्कृति
आदि ग्रंथों तथा
?अमृतम मासिक पत्रिका
में केश सम्बंधित अद्भुत ज्ञान भर पड़ा है ।
इनमें बाल झड़ने के अनेक वैज्ञानिक और
प्रकृति प्रदत्त कारण बताये गये हैं ।
केश झड़न,
बालों का टुटना,झड़ना,
कमजोर होना
यह सब परेशानियां अब विकराल
रूप लेती जा रही हैं ।
अवसाद (डिप्रेशन) के लगातार होने से हमारे शरीर में दिनों-दिन पोषक तत्व, हार्मोन्स कम होते जाते हैं ।
वैज्ञानिकों ने माना है की लम्बे समय तक तनाव ग्रस्त रहने से बालों की जड़े कमजोर होने लगती हैं । शरीर में जीवनीय शक्ति क्षीण हो जाती हैं ।
आज की भागम-भाग,अनियमित खानपान, वायु एवं वाणी प्रदूषण के चलते दुनिया में 38% तक लोग अवसाद से पीड़ित हो चुके हैं । जिसका दुष्प्रभाव हमारे मस्तिष्क व बालों पर पड़ रहा है ।
इसी कारण डिप्रेशन इन दिनों खास
तथा आम समस्या है ।
डिप्रेशन हमारी जीवनशैली में
समाहित हो चुका है ।
ग्रंथिशोथ के कारण बालों का झड़ना
ग्रंथिशोथ अर्थात थायरॉइड ग्लैंड के अधिक या कम सक्रिय होने का संबंध बालों के झड़ने से भी है ।
बहुत लंबे समय तक तेज
बुखार, टायफाइड या वायरल संक्रमण के कारण भी तेजी से बाल झड़ने लगते हैं ।
आपके हेयर स्टाइल उपकरण
नहाने के बाद बालों को सुखाने के
लिए हेयर ड्रायर उपयोग बहुत
हानिकारक बताया गया है ।
यह बाल झड़ने का कारण बन
सकता है। इसके अलावा जल्दी-जल्दी
अपने बालों का कलर बदलना,
सीधा या घुंघराले बाल बनाने के लिए
प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरण
या ट्रीटमेंट भी बालों के झड़ने की
गति को तेज़ करते हैं।
गर्भावस्था के समय
!! कुछ विशेष प्रकार हानिप्रद अंग्रेजी दवाएं,
!! खून पतला करने हेतु ली जाने वाली दवाएं, !! विटामिन ए सप्लीमेंट, गठिया, ह्रदय रोगों से !! जुड़ी दवाएं, बीपी की गोलियां,
!!कंट्रासेप्टिव दवाएं या फिर
!! नींद की दवाओं का अधिक
उपयोग बालों की जड़ों को
कमजोर करता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के
शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन
का संतुलन बिगड़ जाता है
जिसके कारण भी बाल तेजी से झड़ते हैं।
फंगल संक्रमण, वायरस या
अधिक तनाव
से खोपड़ी में तेज
खुजली होती है ।
महिलाओं के बालों का सजाना,
चोटी करना,
जुड़ा बांधना 16 श्रृंगारों में एक माना है ।
यह एक कला है।
विश्व की कुछ अन्य जातियाँ
इस कला में बड़ी निपुण हैं।
पूरी दुनिया में महिलाएँ
अपने अपने ढंग से अपने
बालों को सजाती, सवांरती हैं।
केश की देख-रेख
‘बालों की देखभाल से ही स्त्रियों, महिलाओं की सुंदरता, स्वास्थ्य एवं सौंदर्य वृद्धि होती है ।
आजकल कम उम्र में ही बालों का टूटन,झड़ना,गंजापन की परेशानी
विशाल रूप ले चुकी है ।
इस कारण व्यक्ति अधेड़ या
अपनी उम्र से बड़ा दिखाई देने लगता है ।
जब बाल कमजोर होकर टूटना प्रारम्भ हो जाते हैं, तो उन्हें रोकना बहुत मुश्किल होता है।
बाल टूटने के और भी कारण
गीले बालों में कंघी करना, तेल लगाना,
सिंथेटिक शेम्पो से बाल धोना,
प्रदूषित खानपान आदि
बाल झड़ने के अनेक कारण हैं ।
अनुवांशिक कारणों के अलावा विकार,
किसी विष का सेवन कर लेने,
उपदंश, दाद, एक्जिमा
आदि के कारण ऐसा हो जाता है।
बालों के समय से पहले गिरने की
एक अन्य आनुवंशिक समस्या को
एंड्रोजेनिक एलोपेसिया
कहा जाता है,
जिसे आमतौर से
पैटर्न बाल्डमनेस
के रूप में जाना जाता है।
पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही बाल गिरने का यह सामान्य रूप है,
लेकिन गंजेपन की शुरुआत होने
का समय और प्रतिरूप (पैटर्न) लिंग के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
इस समस्या से परेशान पुरुषों मे
बाल गिरने की समस्या किशोरावस्था
से ही हो सकती है,
जबकि महिलाओं में इस प्रकार
बाल गिरने की समस्या 30 के बाद
उत्पन्न होती है।
पुरुषों में इस समस्या को सामान्
रूप से मेल पैटर्न बाल्डनेस के
नाम से जाना जाता है।
इसमें हेयरलाइन पीछे हटती जाती है
और शीर्ष पर विरल हो जाती है।
महिलाओं में एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया को फीमेल पैटर्न बाल्डनेस के नाम से भी जाना जाता है।
इस समस्या से पीड़ित महिलाओं में
पूरे सिर के बाल कम हो जाते हैं,
लेकिन हेयरलाइन पीछे नहीं हटती।
महिलाओं में एंड्रोजेनिक एलोपेसिया के कारण शायद ही कभी पूरी तरह गंजेपन की समस्या होती है।
कुछ हर्बल नुस्खे और खान-पान के तरीके के अलावा दैनिक जीवन-शैली बालों की ग्रोथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
नमक का अधिक सेवन करने से भी गंजापन आ जाता है।
अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान
से उड़ जाए तो गंजे के स्थान पर
सुबह खाली पेट गुनगुने दूध के
साथ 3 महीने तक लगातार लेते रहने तथा
सूखे बालों में लगाकर, दूसरे दिन
से बाल धोने से पुनः बाल आने लगते हैं। सिर के जिस हिस्से से बाल उड़ जाएं, खोपड़ी पर चिकनापन आने लगे,तो
सूखे बालों में रात को हल्के हाथों
से जड़ों में लगाकर दूसरे दिन शेम्पो
से बाल धोने से से बाल आने लगते हैं।
बालों में रोज
3 महीने तक लगाने से भी राहत मिलती है ।
कुन्तल केयर में मिलाये गए
घटक निम्नलिखित हैं
?आंवला फल
में विटामिन सी पत्यप्त पाया जाता है ।
?अमरबेल
अमरबेल के पौधे का रस सिर से डेंड्रफ तेजी से मिटाता है । बालों का झडना रोकता है ।आम के पेड पर चढी हुई लता को अमर बेल कहते हैं । गंजापन दूर करने में सहायक है।
?गेंदा
गेंदा के फूलों सभी तरह के संक्रमण, फोड़े- फुंसियों में लाभकारी है।
?बहेडा
इसे आयुर्वेद की भाषा में भिवितकी कहा जाता है । यह बाल चमकदार बनाकर, जडें भी मजबूत करता हैं। बालों की समस्याओं में हर्बल जानकारों के अनुसार त्रिफला का सेवन हितकर माना गया है। बहेड़ा त्रिफ़ला का ही एक घटक है ।
?गुड़हल या जासवंत
इससे बालों के काला होने में मदद मिलती है। साथ ही, यह एक बेहतरीन कंडीशनर की तरह काम करता है।
?पारिजात
आदिवासियों के अनुसार जो जंगली जड़ी बूटियों जानकार होते हैं । पारिजात बालों का पुन: उगाने में सहायक है । साथ ही, बालों के झडने को रोकने में मदद करता है।
?शिकाकाई
यह एक नेचुरल शैम्पू है। आदिवासी जानकारों के अनुसार इसका इस्तेमाल बालों को चमकदार और स्वस्थ बनाने के साथ, बालों का दोमुंहा होना बंद कर देता है।
?जटामांसी
से असमय बालों का पकना और झड़ना रुक जाता है। आदिवासियों का मानना है कि इसके प्रयोग से बालों का दोमुंहा होना भी बंद हो जाता है और बाल स्वस्थ हो जाते हैं।\
?तिल
तिल के तेल बालों को चमकदार, खूबसूरत घने बनाकर गंजेपन को रोकने में मदद भी करता है।
?नीम
असमय बालों के पकने और बालों के झड़ने के क्रम को रोकने के लिए होशंगाबाद के पास घने वन में रहने वाले पातालकोट के आदिवासी बताते हैं कि नीम का एक माह तक लगातार इस्तेमाल करने से बालों का झड़ना, डेंड्रफ रुक जाता है।
?निम्बू
बालों से रूसी,खुजली दूर करता है।
?कनेर
से गंजापन तथा बालों का असमय पकना दूर हो जाता है।
?सहजन या मुनगा
सिर से रूसी या डेंड्रफ़ खत्म करता है । इस रस का इस्तेमाल कम से कम एक सप्ताह तक करना जरूरी है। सहजन की फलियों
में विटामिन ई पर्याप्त होता है । इसे बेहत्तर परिणाम हेतु शैंपू में मिलाया है ।
आधुनिक विज्ञान भी सहजन में पाए जाने वाले विटामिन ई को बालों के लिए लाभकारी मानता है।
?मेथी
मेथी की सब्जी का ज्यादा सेवन बालों की सेहत के लिए उत्तम माना जाता है। मेथी के बीज बालों से डेंड्रफ जड़ से नष्ट करता हैं।
?अरण्डी
इसके बीजों के तेल के इस्तमाल से बालों का काला होना शुरू हो जाता है।
आयुर्वेद के कुछ विशिष्ट ग्रंथो जैसे
–
- गॉंव में ओषधि रत्न
- औषध गुणधर्म विवेचन,
- केश रोग विज्ञान,
- चिकित्सा तत्व प्रदीप
- आयुर्वेद निघण्टु,
- भाव प्रकाश
- काय चिकित्सा
आदि 27 प्राचीन पुस्तकों से
इन जानकारियों को एकत्रित कर
का निर्माण किया है । बालों की रक्षा में विश्वसनीय यह अमृतम दवाएँ
सभी केश रोग नाशक हैं ।
विशेष
कुन्तल केयर के इस ब्लॉग में बालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण ओषधि शिकाकाई के बारे में विस्तार से बता रहे हैं ।
इस तरह ही अगले लेख में अन्य और आवश्यक जड़ी बूटियों के विषय में सम्पूर्ण जानकारी दी जावेगी ।
क्या है शिकाकाई
शिकाकाई (Acacia concinna) एक आरोही क्षुप (climbing shrub) है। यह एशिया का देशज है और भारतके मध्य तथा दक्षिणी गरम मैदानों में आसानी से उगती है। इस झाड़ी पर पैण्टोपोरिया होर्डोनिया नामक तितली के लारवा को पोषण मिलता है। इसके फलों में एल्केलऑयड की अच्छी मात्रा होती हैं।
शिकाकाई पौधे का परिचय
समूह (Group) : कृषि योग्य
वनस्पति का प्रकार : झाड़ी
वैज्ञानिक नाम : अकाचिया कांसिना
सामान्य नाम : शिकाकाई
उपयोग :
इसका उपयोग रूसी नियंत्रित करने के लिए, बालों के विकास के लिए और बालों को जड़ो से मजबूत करने के लिए किया जाता है।
यह बालों को फफूँदी संक्रमण और असमय सफेदी से बचाता है।
इसकी फलियों का अर्क विभिन्न त्वचा रोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
यह मस्तिष्क पर एक ठंडा और उत्तेजक प्रभाव डालता है और जिससे गहरी नींद आती है।
मलेरिया ज्वर में इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है।
फलियों के काढ़े का उपयोग पित्तदोष और रेचक के रूप में किया जाता ह
यह संपूर्ण भारत में विशेष रूप से डेक्कन क्षेत्र में पाया जाता है। वर्मा, दक्षिण चीन और मलाया में भी यह पाया जाता है। मध्य भारत में यह व्यापक रूप से मिलता है। मध्यप्रदेश में यह समान्य रूप से पाया जाता है।\
वितरण:
शिकाकाई आमतौर पर
उपयोग की जाने वाली उपचारात्मक
गुणों से परिपूर्ण झाड़ी है।
शिकाकाई का मतलब “
बालो के लिए फल ”
होता है और सदियों से भारत में
पारंपरिक रूप से इसका उपयोग
प्राकृतिक शैम्पू के रूप में किया जा रहा है। भारत और सुदूर पूर्व एशिया में अब यह वाणिज्यिक रूप से पैदा किया जा रहा है। बालों के शैम्पू और साबुन के लिए यह एक प्रमुख घटक है।
यह एक आरोही झाड़ी है।
इसकी शाखायें काँटेदार होती है जिन पर भूरे रंग की चिकनी धारिया बनी होती है।
काँटे छोटे और चपटे होते है।
पत्तिंया
पत्तियाँ के डंठल 1 से 1.5 से. मी. लंबे होते है । पत्तियाँ दो सुफने में 5-7
जोड़े के साथ होती है।
फूल
गुलाबी रंग के होते है।
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