क्यों होता है थायरॉइड | What is Thyroid?
थायरॉइड की सर्वोत्तम दवा
आयुर्वेद में थाइराइड को
ग्रंथिशोथ कहा गया है।
क्यों होता है थायरॉइड (Thyroid)
पाचन तन्त्र व पेट की खराबी से
उदर की नाड़ियाँ कड़क हो जाती हैं।
जिससे मेटाबोलिज्म अव्यवस्थित
होकर पाचन प्रणाली को दूषित
कर देता है।
दुष्परिणाम–
@ पाचन रस निर्मित नहीं हो पाता।
@ रक्तसंचार शिथिल हो जाता है।
@ रस-रक्त एवं सप्त धातु कमजोर
हो जाती है।
@ शरीर की सम्पूर्ण कोशिकाएं
और नाड़ी प्रणाली के अवरुद्ध
होने से नवीन रक्त का निर्माण
नहीं होता।
@ धीरे-धीरे तन का पतन प्रारम्भ
होने लगता है।
@ मन में घबराहट (एंजाइटी)
बैचेनी,चिन्ता होने लगती है
@ शरीर की सभी ग्रन्थियां,
रक्त संचार के
अभाव में नाड़ियाँ
जाम होकर
कड़क हो जाती है जिससे
ग्रन्थियों के मुलायम भाग में
सूजन शुरू हो जाती है।
उदर एक महासागर-
उदर महासागर की
तरह होता है।
इसके रहस्य को आज तक
कोई नहीं सुलझा पाया।
शरीर को स्वस्थ्य बनाने वाली
सभी क्रियाएं पेट से ही सम्पन्न होती हैं
विकृत उदर ही शुगर जैसे
विकारों का दाता है।
जो दर-दर भटकाता है।
कभी इधर,कभी उधर
चिकिसकों को दिखाकर
रोग सुधर नहीं पाता।
नजर कमजोर होने लगती है।
आयुर्वेद का भेद–
प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार
थायराइड (ग्रंथिशोथ)
खतरनाक वातविकार
माना गया है। 88 प्रकार के
वात-विकारों में थायराइड (Thyroid) भी है।
इसके दर्द से हिम्मती मर्द भी
मात खा जाते हैं।
वात रोग पुराना होने पर
हड्डियों को कमजोर कर देता है
जिससे चटकने की आवाज आने
लगती है। हड्डियां टूटने लगती हैं।
उपाय एवं चिकित्सा
हर बल देने वाली हर्बल ओषधि
ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल
एवं
ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट
जिसके सेवन से
वात-विकार
हाहाकार कर
नष्ट हो जाते हैं।
“ऑर्थोकी”
१- उदर की कड़क एवं जाम
नाडियों व ग्रंथियों को
मुलायम कर वात रोगों को
दूर करता है।
२- पुनः कब्जियत नहीं होने देता।
३- हाथ-पैरों की सूजन
४- अकड़न-जकड़न
५- अंगों की शिथिलता
६- शारीरिक क्षीणता
7- गले की सूजन
8- थायराइड
9- कमर व जोड़ों के दर्द
आदि पुराने व जटिल
वात रोगों को ठीक कर
तन को हष्ट
मन को पुष्ट कर
शरीर को बलवान बनाता है।
सुखी हड्डियों में नवीन
रस और रक्त का निर्माण
करता है।
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