जन्मपत्रिका में अकेला केतु सभी के लिए खराब होता है।
- धनु लग्न हो और केतु अष्टम में कर्क में हो, तो इस लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाता है। ऐसे जातक उच्च स्तर के क्रिमिनल भी हो सकते हैं।
- चौथे भाव में बैठे गुरु की दृष्टि असम में होने से चंडाल योग, ठग, फर्जी आदि कामों में एसएफएलटीए दिलाता है।
- शनि की दृष्टि केतु पर हो, तो व्यक्ति धोखाधड़ी, सट्टा, शेयर के कार्य में सलग्न रहता है।
- केतु की सर्वश्रेष्ठ स्थिति लग्न, चौथे सातवे और दशम स्थान पर होती है यानी केंद्र स्थित केतु के साथ शनि होने से महधनी योग बनता है और यही गुरु की दृष्टि हो, तो महालक्ष्मी पति योग निर्मित होता है।
- राहु केतु के बारे में विस्तार से कालसर्प विशेषांक में लिखा हुआ है। ये किताब 2004 में ग्वालियर से प्रकाशित हुई थी और अभी मेडिकल वालों को निशुल्क भेजी गई थी।
- अगर यह पूरक मिल जाए, तो राहु केतु के बारे में सारे भ्रम मिट जायेंगे। इसमें बताए उपाय भी चमत्कारी हैं।
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