कब लगाएं? सिर पर तेल- स्नान करने के पहले या स्नान करने के बाद?

बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार इन तीनों दिनों में सिर में तेल लगाने के साथ साथ पूरे शरीर की धूप में बैठकर मालिश कर स्नान करना बहुत ही फायदेमंद तथा सौभाग्यवर्धक रहता है

तेल नहाने के पहले या बाद में कभी भी लगा सकते हैं। लेकिन पूरे शरीर की मालिश करनी है, तो स्नान पूर्व ही उचित है।

सुगन्धित तेल से-कैसे और क्यों करें- मालिश (अभ्यङ्ग)

अभ्यंग करने का सही तरीका

वेदों में आयुर्वेदिक अभ्यङ्ग

तन-मन को प्रसन्न रखे-मालिश

शरीर को स्वस्थ्य बनाने हेतु मालिश

क्यों आवश्यक है,

जाने “5 आयुर्वेद” की प्राचीन पुस्तकों से

आयुर्वेद के अनुसार मालिश

(अभ्यङ्ग) अर्थात हर्बल मसाज़ कैसे करें?

How to do Abhyanga

HERBAL MASSAGE?

आयुर्वेद में मालिश का बहुत महत्व है-

सप्ताह में दो बार-अभ्यंग अवश्य करें…

विशेषकर बुधवार, शुक्रवार और शनिवार इन तीन दिनों में से कोई भी दो दिन मालिश के लिए निश्चित कर लें।

इन दिन/वार में मालिश करने से मन अच्छा रहता है। शरीर में फुर्ती-ऊर्जा-उमंग का संचार होता है।

महर्षि वाग्भट्ट की एक टीका में लिखा है कि- उपरोक्त वारों में मालिश करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है।

चरक सहिंता के अनुसार…

अमृतम काया की तेल के अभ्यंग से सिर की हड्डियां ताकतवर होती हैं और ऑस्टियोकेल्सिन बढ़ता है। इसलिए इन वारों में सिर से तलवों तक अच्छी तरह अभ्यंग कर स्नान कर सके, तो तन-मन-अन्तर्मन के लिए अत्यन्त उचित रहेगा।

सुगन्धित तेल अमृतम “काया की ऑयल” के चमत्कारी लाभ-

रहस्यमयी शनि नामक पुस्तक में उल्लेख है- शनिदेव की प्रसन्नता के लिए शनिवार को शनि भगवान पर तेल अर्पित करें या नहीं करें। परन्तु हरेक मानव को शनिवार के दिन अपने शरीर पर तेल जरूर लगाना चाहिए। फिर स्नान करें।

शुक्रवार को चंदनादि, जैतून, बादाम, अमृतम कुंकुमादि तेल तथा गुलाब इत्र युक्त सुगन्धित Kaya key oil तेल की मालिश से धन-समृद्धि बढ़ती है।

तन्त्र रहस्य के मुताबिक….

शुक्रवार को किसी पुराने एकांतवासी जीर्ण-शीर्ण शिवलिंग पर 7 शुक्रवार नियमित सुगन्धित तेल के लेपन करने या तेल लगाकर राहु की तेल के 5 दीपक जलाने से महा भयंकर कष्टों का निवारण होने लगता है।

!!अभ्यंग से मस्त मलंग!!

मालिश को संस्कृत में अभ्यंग कहते हैं। जिसका अर्थ है देह के एक एक अंग में, जो अभय यानी शक्ति उत्पन्न कर दे, जो शरीर को भय मुक्त बनाकर मनोबल को बढ़ा दे।

टूटे मन और कमजोर तन और हड्डियों

को मजबूत बनाने के लिए आयुर्वेदिक विधि से

हर्बल मसाज यानि मालिश से दूर होते हैं,

22- विकार अभ्यंगस्नान से तन में तीव्रता व तेज़ी आती है।

मानव के मन की मलिनता मिटती है।

अभ्यंग व्यक्ति को अभय अर्थात भय मुक्त करता है।

“अभ्यंग चिकित्सा शास्त्रों”

के “लेप-मर्दन प्रकरण में हर्बल ऑयल द्वारा

अभ्यंग (मालिश) के बारे में स्पष्ट लिखा है कि-

तन को तेल से सराबोर यानि

पूरी तरह भिगा लेना चाहिये। !! अमृतम!!

काया की हर्बल मसाज़ ऑयल”

में 7 तरह के आयुर्वेद की जांची-परखी

हर्बल ओषधियों का मिश्रण है।

काया की हर्बलमसाज आयल

में मिलाया गया

१- गुलाब,

2- केशर

३-चन्दनादि इत्र

की प्राकृतिक खुशबू से

तन-मन महक उठता है।

एक खुशबूदार मसाज़ ऑयल

जिसे बनाया है शुद्ध प्राकृतिक तेलों से

!1!- शुद्ध बादाम गिरी तेल

!2!- कुम-कुमादि तेल

!3!- जैतून तेल

!4!- केशर इत्र

!5!- चंदन इत्र

!6!- गुलाब इत्र

!7!- आदि सुगन्धित हर्बल

द्रव्यों से निर्मित

सम्पूर्ण परिवार के लिए

अभ्यंग (मालिश) हेतु सर्वोत्तम है।

अमृतम काया की मसाज़ ऑयल

22-रोग नाशक हर्बल तेल है

1,हड्डियों को मजबूत बनाये।

2,त्वचा को मुलायम करे।

3,रंग को साफ करने में सहायक।

4,रक्त के संचार को गति प्रदान करता है

5,शिथिल नाड़ियों को शक्तिशाली बनाता है

6,छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है

7,बच्चों की मालिश हेतु अति उत्तम

8,बच्चों के सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है

9,बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है

10,तुष्टि-पुष्टि दायक है

11,उन्माद,सिरदर्द,सिर की गर्मी

में राहत देता है

12,तनाव मुक्त कर,नींद लाता है

13,शरीर को सुन्दर बनाता है

14,महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर

खूबसूरती व योवनता प्रदायक है

15,ऊर्जावान बनाये

16,फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है

17,बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है

18,नजला,जुकाम दूर कर,

19,याददास्त बढ़ाता है

20,वात-विकार से बचाव करता है

काया की हर्बल मसाज़ ऑयल

21,बुढापा रोकने में मदद करता है

22, सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है

मालिश का सही तरीका-

आयुर्वेद ग्रन्थों में लिखा है कि —

अंग-अंग में अभ्यंग

कब औऱ कैसे करें–

मालिश बहुत हल्के हाथ से

सुबह खाली पेट और रात्रि में

सोते समय करना चाहिए।

उपयोगी हर्बल चिकित्सा

अभ्यंग का अर्थ है मालिश।

अर्थात

तन में तेल अच्छी तरह लगाना ।

शरीर को ताकतवर,हड्डियों को

मजबूत बनाने हेतु अभ्यङ्ग बहुत जरूरी है।

रोज की मालिश से शिथिल, कमजोर

रक्त नाडियों में खून का संचरण होने लगता है।

शरीर हल्का रहता है। अनेक आधि-व्याधि

नहीं सताती हैं।

किस ‘वार’को करें मालिश

अमृतम आयुर्वेद की आदिकालीन ग्रंथों में

कहा गया है-

मालिश करने के बाद कम से कम

40 से 45 मिनिट बाद स्नान

करना लाभकारी है।

ग्रंथों की गुजारिश

किस वार को अभ्यंग करने से

क्या फायदा होता है, इसके

बारे में अमृतम आयुर्वेदिक ग्रंथों में

विस्तार से बताया है-

“मन की चंचलता”

मिटाने हेतु सोमवार को अभ्यंग या

मालिश करना हितकारी है!

“बुद्धि-विवेक वृद्धि हेतु”

बुधवार को

“आलस्य व शिथिलता” दूर करने के लिए

शुक्रवार को तथा

“भय-भ्रम,चिन्ता,तनाव” से मुक्ति एवं

राहु-केतु और शनि ग्रहों की

शान्ति के लिए शनिवार को

स्नान से एक से दो घन्टे पूर्व मालिश या

अभ्यंगस्नान का महत्व बताया है।।

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