अश्व मुख यानि घोड़ों की शक्ल वाले वैद्य श्री अश्विनी कुमारों ने ही अत्यन्त ही वृद्ध एवं क्षीणकाय च्यवन ऋषि को, वृद्धत्व एवम् जर्जर काया से मुक्त करते हुए, अपने समान ही सुन्दर और आकर्षक बना दिया था।
ऋषि दधिचि का मस्तक काट कर, वहां अश्व का मस्तक लगाना हो या विश्यला नामक स्त्री का पैर कट जाने पर, वहां धातु का पैर लगाने की कला हो; या फिर अति वृद्धा एवं घोर रोगिणी, घोषा नामक स्त्री का रोग एवं वृद्धत्व नष्ट कर, रूपवती तरूणी बनाने की क्षमता हो, अश्विनी कुमारों की चिकित्सा क्षमता के चमत्कार अनगिनत हैं एवम् उनका समकक्ष, कहीं अन्यत्र नहीं मिलता।
भोलेनाथ के परम भक्त ये दोनों भाई आज भी भेष बदल कर इस जीव-जगत के सभी प्राणियों की चिकित्सा सहायता के लिए सदा सर्वदा तत्पर रहते हैं। कोई इन्हें दिल से याद करे, तो कैसा भी असाध्य रोग 24 घण्टे में पकड़ में या ठीक होने की कगार पर आ जाता है।इनका स्मरण करने पर तुरन्त मदद करने के कारण इन वैद्य की यश गाथा, आज भारत में आयुर्वेद से जुड़े लोग भी भूल चुके हैं।
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चिर यौवन प्राप्ति के लिए देवताओं के अश्विनी कुमार-वैद्य श्री अश्विनी कुमारों का स्मरण स्वस्थ रहने के लिए हमेशा करना चाहिए। दोनों सगे भ्राता सदेव एक साथ ही रहकर ही किसी का भी उपचार, एक साथ मिलकर ही किया करते हैं। सूर्य एवं संज्ञा के संयोग से जन्मने वाले अश्वीनी कुमार शनिदेव के सौतेले भाई हैं।
अश्वनी कुमार द्वौ की साधना अब लुप्त हो चुकी है, किन्तु सम्पूर्ण भारतवर्ष में, अब भी, कतिपय ऐसे आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं, जिन्हें यह साधना करनी आती है। हिमालय की अगम्य कन्दराओं में अभी भी ऐसे ऋषि हैं, जिन्हें अश्विनी कुमारों का वरदहस्त प्राप्त है। केदार नाथ के पास त्रियुगीनारायण में एक बूटी वाले बाबा थे, जिनकी आयु लगभग 100 वर्ष की रही होगी। वे सदैव अश्वनीकुमारों का स्मरण करते और केवल जड़ीबूटियों का सेवन करते थे। करीब 35 साल पहले ही इन बाबा जी ने मुझे 2 दीपक जलाकर अश्वनीकुमारों का ध्यान करने का बताया था, जिसे मैं आज तक करता हूँ।प्रातः सूर्योदय के समयमें, घोड़ों अथवा पक्षियों से जुते हुए स्वर्ण रथ पर आरूढ़ होकर जब अश्विनी कुमारों की सवारी निकलती है, तब उस समय रात्रि का अवसान हो चुका होता है एवम् भगवान् भास्कर की सवारी के आने का समय सन्निकट होता है। इसीलिए आयुर्वेद ने ऊषापान अर्थात ब्रह्ममहूर्त में जागने का निर्देश दिया है। जो यह रहस्य समझ लेगा, वह सदैव ही रोगमुक्त एवम् प्रसन्नचित्त होकर दीर्घजीवी बना रहेगा।अश्विनी कुमारों की साधना के कम से कम पांच मन्त्र अभी भी प्रयोग में हैं, किन्तु उन्हें यहां बिना गुरुआज्ञा के देना अनुचित होगा।कोरोना काल में लोगों का भय कम या खत्म हो, इसलिए मेरा निवेदन है कि रोज 2नो भाइयों के लिए 2 दीपक जलाकर स्वास्थ्य रहने की कामना करना चाहिए।अश्विनी कुमारों की क्षमता, योग्यता एवम् रूप सौन्दर्य स्मरण रहित करने वाले भारत वासियों को उनका नित्य ध्यान याद हैतु यह जानकारी कल्याणार्थ प्रस्तुत है।
हमेशा स्वास्थ्य रहने के लिए अमृतम दवाओं का सेवन करे-
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