शिवपुराण की रचना ऋषि व्यास ने की। इणक द्वारा ही 18 पुराण का अनुवाद हुआ। इन्हें जगत गुरु की उपाधि प्राप्त है। गुरुपूर्णिमा पर्व व्यास जी के स्मरण में मनाया जाता है।
बताते हैं कि वेदों से ही सब शास्त्रों, उपनिषद की रचना हुई। वेद की ऋचाएँ ब्रह्मांड में गूंज रही थी। जिन त्रिकालदर्शी ऋषियों ने जैसा अपने ध्यान में देखा, वैसा ही अपने शिष्यों को सुनाया। यह वेद धीरे-धीरे कलमबद्ध होता गया।
वेद की ऋचाएँ ध्यान साधना में देखने वाले उन ऋषियों के नाम हरेक मन्त्र के साथ दिए हैं। ऐसे 98 त्रिकालदर्शी हुए है। नीचे चित्र में हर ऋचा के पहले ऋषियों के नाम लिखे हैं। ध्यान से देखें।
यह बात जब समझ आएगी, जब वेद को पढ़ेंगे-समझेंगे।
वेद में शिव को ईश्वर बताया है। शिव ही पंचमहाभूतों के मालिक, रचनाकार, निर्माता हैं। पंचतत्व से ही सब चलायमान है।
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