शहद खाने साथ साथ पूजा, रुद्राभिषेक ओर तांत्रिक प्रयोगों में उपयोग होता है। शहद के फायदे जानकार ऋषि मुनि भी अचम्भित हो गए थे।
शिवलिंग पर 54 दिन लगातार मधु पंचामृत अर्पित करने से पितृदोष-कालसर्प की शान्ति एवं पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे घोर दरिद्र रोगादि आर्थिक परेशानी मिटती है।
शहद आयुर्वेद का अमृत है और अनुपान हीनता से ये हानिकारक हो जाता है। शहद को वनस्पतियों का राजा बताया है।
- amrutamअमृतम पत्रिका 2008 के शहद अंक में शहद के तांत्रिक प्रयोग धन वृद्धि के लिए अदभुत थे।
- गरीबी मिटाने का एक बहुत ही सरल उपाय से लोगों को बहुत फायदा हुआ था। कुछ उपाय इस आर्टिकल में भी दिए जा रहे हैं।
- आयुर्वेदिक शास्त्रों में मधु को प्रकृति का वरदान बताया है।
- शहद या मधु के गुणों बारे में अनेक वैदिक श्लोकों का वर्णन है। शिवलिंग पर मधु अर्पित करने से मंगल दोष शांत होता है। कर्ज खत्म होता है।
ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः। माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः॥
मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिव रजः। मधु द्यौरस्तु नः पिता॥
मधुमान्नो वनस्पतिर्मधुमाँ२ अस्तु सूर्यः। माध्वीर्गावो भवन्तु नः।।
ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीनर्मदेश्वरसाम्बसदाशिवाय नमः, मधुस्नानं समर्पयामि, मधुस्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, शुद्धोदकस्नानान्ते आदि
- द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार एक दिन में 20 से 25 ग्राम तक ही शहद का सेवन लाभकारी है अन्यथा ये त्वचा रोग उत्पन्न करता है।
भूतेषु-भूतेषु विचित्य धीरा:
- जैसे एक मधुमक्खी फूलों की क्यारी में जाकर प्रत्येक फूल से केवल उसका रस ग्रहण करती है। फूल का ज्यों का त्यों छोड़ देती है। फूल पर बैठी जरूर, लेकिन उससे केवल रस ले लिया।
- कड़े परिश्रम पश्चात अनेक फूलों के रस को लेकर फिर एक रस बनाती है, उसका नाम है शहद। इसी शहद को शुध्द व पवित्र कर बनता मधु पंचामृत।
- मधु पंचामृत के नियमित उपयोग से शरीर में जीवन दायिनी कुदरती खुबियां ज्यों की त्यों बनी रहती है।
- शरीरिक शक्ति दृढ़ करने में मधु पंचामृत रामबाण है। इसे शुद्ध शहद में ब्राह्मी रस, पान का रस आदि मिलाकर तैयार किया है, जो इम्युनिटी बढ़ाने में बेजोड़ है।
- शहद को शुध्द व पवित्र कर इसमें चार और स्वास्थ्यवर्द्धक, शक्तिदायिनी जड़ीबूटियों के अर्क-रस को मिलाकर तैयार होता है-मधु पंचामृत
- मधु पंचामृत-पोष्टिक सबसे स्वादिष्ट और प्राकृतिक अनमोल अमृत हैं।
- इसमें स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेद की चार सुप्रसिध्द जड़ी बूटी जैसे- ब्राम्ही रस, पान का रस, मधुयष्टि, तुलसी का रस अति शुभकारक ओषधियों का समावेश है।
- शुद्ध शहद यानी मधु पंचामृत गुणों का अम्बार है।
जाने 24 चमत्कारी फायदे
- चरक सहिंता, वनोषधि सहिंता और अष्टाङ्ग ह्रदय आदि ग्रन्थों में शहद को योगवाही, योगविद्या कारक ओषधि बताया है।
- सम्पूर्ण संसार में शहद एक मधु ही एक ऐसी प्राकृतिक अमृत औषधि है, जो शरीर में जाते ही अपना कार्य शुरू कर देती है।
- मधु पंचामृत के उपयोग से शरीर ऊर्जावान बनता है।
- शक्ति-साहस में वृद्धि होती है।
- ठंडे दूध के साथ बढ़ते बच्चों के लिए सर्वोत्तम।
- नास्ते के समय एक छटाक मलाई में एक बड़ा चम्मच मधु पंचामृत मिलाकर खाने से दिमाग और स्नायुओं को असाधारण रूप से शक्ति मिलती है। क्योंकि इसमें स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेद की सुप्रसिध्द जड़ी बूटी ब्राम्ही रस का समावेश है।
- बहुत कम लोग जानते हैं कि सन्सार में सर्वाधिक परिश्रमी, मेहनती केवल मधुमक्खी होती है। इनके द्वारा ही फूल-पराग से मधु एकत्रित किया जाता है.
- शरीर को दे अपार ऊर्जा …मधु पंचामृत तुरन्त शारीरिक शक्ति प्रदान करता है एथेलीट, खिलाड़ी, पर्वतारोही, समुद्र के गोताखोर, रोगियों तथा फैक्ट्ररियों के श्रमिकों के लिए लाभकारी है जिन्हें शीघ्र ऊर्जा पूर्ति की आवश्यकता है।
- स्वस्थ तन्तुओं को पोषित कर विभिन्न प्रकार के चर्मरोग, छालों, ज्वर, आंत्रशोध जनित रोगों में उपयोगी हैं।
- सभी उम्र के बालकों-स्त्री, पुरूषों के लिए स्वास्थवर्धक टॉनिक हैं।
- जीर्ण-शीर्ण असाध्य रोगियों एवं जो अक्सर अंग्रेजी औषधियों का उपयोग करते हैं, उन्हें प्रतिदिन मधु पंचामृत Madhu Panchamrit (शहद) का सेवन अवश्य करना चाहिये क्योंकि इसके नित्य सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
- बच्चों के लिये उपयोगी मधुपंचामृत शहद…दाँत निकलते समय बच्चों की तकलीफ दूर करने में सहायक है।
- बच्चों को सर्दी-जुकाम सताए, तो…सर्दी-खाँसी-जुखाम-निमोनिया, कमजोरी, सुस्ती, खून व भूख की कमी आदि रोगों में अमृतम चाइल्ड केयर माल्ट माँ के दूध या सादा दूध से देवें! अमृतम बेबी केयर तेल की धूप में रोज मालिश करें।
- यदि बचपन से ही बच्चों को ब्रेड, पराठा या रोटी में मधु पंचामृत खलाया जाये, तो बच्चे पुरूषार्थी और होनहार होते हैं।
- मधु में नवग्रहों का वास…अमृतम् मधु पंचामृत शहद में सभी ग्रह नक्षत्रों का वास है यह प्राकृतिक नियम है कि तिथि क्षय हो जाये लेकिन मधु एकत्रित होने की रीति क्षय नहीं होती।
- मंगलकारी मधु….मधु मंगल स्वरूप एवं मंगल कारक होता है, राहु के रंग जैसा और इसमें केतु सी चमक होती है। शनि की मन्द गति जैसा इसका निर्माण होता है, तो गुरु की अग्नि का तेज होता है।
- चन्द्रमा जैसी शीतलता और बुध का प्रिय भोजन है इसलिए बुध ग्रह को राजकुमार की संज्ञा दी गई है।
- मधु नियमित प्रयोग से शुक्र की वृद्धि एवं शुक्र देव प्रसन्न होते है।
- मधु में नव ग्रहों को शान्त करने की क्षमता है।
- प्राचीन काल में कब्र के साथ मधु रखने की परंपरा थी ऐसा माना जाता था कि मधु रखन से मृतात्मा को मुक्ति मिलती है!
- अघोरी की तिजोरी से….एक साधक के अनुसार शहद में राहु का वास होता है। यदि जलाने से पूर्व मृतात्मा के शरीर पर मधु का लेप किया जाये, तो परिवार में राहु कभी भी अनिष्ट नहीं करते।
- सिद्ध अवघूत-फकीरों का कहना है कि 27 दिन तक नियमित राहुकाल में मधु पंचामृत शहद शिवलिंग पर चढ़ाने से राहु-केतु की विशेष कृपा एवं कालसर्प, पितृदोष की शान्ति होती है।
- मधुपंचामृत खायें-भाग्य जगाएं….मधुपंचामृत प्रतिदिन हथेली पर रखकर चाटने से दुर्भाग्य दूर होता हैं।
- यदि इसे ग्रह-नक्षत्र के अनुसार निम्न समयावधि तक प्रतिदिन खाया जावे तो निश्चित ही भाग्योदय सहायक है।
चन्द्रमा की शन्ति हेतु 27 दिन,
मंगल की शान्ति के हेतु 54 दिन,
बुध की शान्ति हेतु 35 दिन,
शुक्र की शान्ति व वृपा हेतु 70 दिन,
गुरु की शान्ति हेतु 48 दिन,
सूर्य की शान्ति हेतु 120 दिन,
- शनि से सावधान…जिन लोगों पर शनि की महादशा, अन्तर्दशा, साढ़े साती, ढैया चल रही हो अथवा जिनका जन्म नक्षत्र पुष्य, अनुराधा या उत्तरा भाद्रपद एवं आद्रा, स्वाती, शतभिषा हो उन्हें मधु पंचामृत 72 दिन लगातार स्नान ध्यान के पश्चात खाली पेट हथेली या पान पर रखकर अवश्य चाटना चाहिये।
- मधु मिटाये राहु-केतु के दोष कालसर्प, पितृदोष एवं राहु की शान्ति हेतु 81 दिन और केतु की प्रसन्न करने के लिए 150 दिन मधु पंचामृत प्रतिदिन हथेली पर रखकर चाटना चाहिए।
- केतु की विशेष कृपा हेतू…केतु व्यक्ति को कष्ट देकर कायाकल्प कर श्रीकृष्ण बना देते है। जब बुद्धि-सिद्धि काम न करें और चारों तरफ से हताश हों, तो एक नारियल गोले में अमृतम मधुपंचामत भरकर किसी बरगद या फलाश वृक्ष के पास रखकर राहु की तैल के पाँच दीपक जलाने से 24 घन्टे में राहत मिलती है।
- अमृतम मधुपंचामृत शहद का पेटेंट नाम है, जो केवल ऑनलाइन उपलब्ध है।
- मधुपंचामृत में चार तत्वों का मिश्रण है…पान का रस – जो कि पूज्यनीय, ऊर्जा कारक तथा नाग आकृति का है। इसके सेवन से चन्द्र सूर्य एवं राहु प्रसन्न होते है। मन प्रसन्न रहता है।
- ब्राम्ही का रस- मानसिक तनावों को दूर कर बुद्धि प्रदाता तथा मन को शांति देता है। इससे बुध ग्रह की अनिष्टता दूर होती है।
- तुलसी का रस- श्रीहरि विष्णु का कृपा पात्र बनाकर जीवन शक्ति को बढ़ाता है।
- मधुयष्टी- यह बुढ़ापे को रोककर शुक्र में वृद्धि करता है। अमृतम् मधुपंचामृत से मानसिक, शारीरिक रोगों से मुक्ति और आध्यात्मिक उपयोग के द्वारा सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
मधु खाने से रोगों का काम खतम….आधुनिक प्रयोगों से भी पता चला है कि मधु रोग्यजन्य कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
- गुणों की खान मधुपंचामृत शहद…मधु योगवाही होने से गरम के साथ गरम एवं ठण्डे के साथ ठण्डा प्रभाव होता है। शहद की हर बूंद स्फूर्ति, उत्साह, ताजगी व शक्ति से भरी है।
- मधुपंचामृत शहद का सेवन विविध रूपों में आदिकाल से हो रहा है। ऋग्वेद, कुरान, एंजिल, भाव प्रकाश, सुश्रत सहित भैषज्य रत्नावली, शालिगराम निघण्टु आदि प्राचीन धार्मिक ग्रन्थ शहद की प्रशंसा से भरे पड़े है।
शहद के साइड इफ़ेक्ट
- शहद को 20 से 25 ग्राम तक ही सेवन करें, तो इसका कोई हानिकारक स्वभाव या दुष्प्रभाव नहीं है। यह शीघ्र ही शरीर में आत्मसात होकर औषधि का प्रभाव बढ़ा देती है।
- सावधानियाँ- शहद को अधिक गर्म या ठण्डे पानी के साथ अथवा मछली, मांस, चिकनी चीजें, तेल, गरम पदार्थ, मिश्री, खांड, गुढ़, शक्कर समभाग घी, पके कटहल के साथ सेवन नहीं करना चाहिए।
कालसर्प-पितृदोष का शर्तिया उपाय-
- अगर कालसर्प की समस्या से जूझ रहे हों, हर क्षेत्र में रुकावट हो, तो प्रत्येक रविवार शाम 4.22 से ६.१६ के बीच शिवलिंग पर अरोइट कर एक दीपक Rahukey oil का जलाएं।
- अघोरी तन्त्र एवं रहस्योपनिषद के अनुसार प्रतिदिन शिंवलिंग पर 56 दिन लगातार मधु पंचामृत अर्पित करने से घनघोर परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
- दुर्भाग्य को दूर करे
भगवान शिव का रुद्राभिषेक यज्ञ, हवन, पूजादि कार्यो के साथसाथ तांत्रिक प्रयोग मे मधु का विशेष प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। विशेष सिद्धि या मनोकामना के लिए कामाख्या शक्ति पीठ के तांत्रिक केवल मधु द्वारा हवन करते हैं।
एक जानकार तांत्रिक ने बताया कि नवरात्रि के दौरान जब अष्टमी या नवमी को कहीं हवन हो रहा हो, तो हवन कुण्ड में ब्राह्मी का रस, तुलसी का रस, पान का रस, शुद्ध मधु युक्त मधुपंचामृत आहुति रूप में डालने से शीघ्र ही मंत्रों के सिद्धि, बुद्धि में प्रखरता एवं धन वृद्धि कारक है।
नवरात्रि को नमन… यदि दोनों गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिन लगातार 9 अलग-अलग शिव मन्दिरों में प्रतिदिन शिवलिंग पर अर्पित कर एक “राहुकी तैल” का दीपक जलाने से सन्तान की कामना पूर्ण होती है।
शिव को पसंद है शहद… हिंदुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में मधु (शहद) का उपयोग आवश्यक रूप से होता है।
भगवान शिव के रूद्राभिषेक, हवन, यज्ञ, कथा आदि या कि अनुष्ठानों में दूध, दही, गाय का घी और बूरा में मधु डालकर पंचामृत बनाने का प्राचीनतम विधान है।
वैदिक रीति से भगवान शिव का रूद्राभिषेक कराते समय मधुपंचामृत में संसार के कल्याण की भावना निहित है—
ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः। माध्वीनः सन्त्वोषधीः!!
- अर्थात- ऋतुओं के अनुसार सदा चलते रहने वाला समय हम लिए मधु की भाँति स्वास्थ्य वर्धक हो, सदा प्रवाहित रहने वाली नदियों स्वच्छ, स्वादिष्ट मधु की भांति प्रवाहित करती रहे। हमारी औषधियाँ अमृतम् मधुमती हों।
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