आयुर्वेद अतीत और भविष्य के मध्य ईश्वर का दिया हुआ वर्तमान का उपहार है। दरअसल आयुर्वेद चिकित्सा के साथ-साथ जीवन पध्दति है। यह देह के सिस्टम अर्थात शरीर की कार्यप्रणाली को ठीक करता है, ताकि कोई भी बीमारी तन में पनपे ही नहीं।
आयुर्वेद औषधियों की विशेषता यह भी है इसे बिना बीमारी के भी लिया जा सकता है। जैसे-अमृतम च्यवनप्राश, अमृतम गोल्ड माल्ट, मधु पंचामृत, कुन्तल केयर हर्बल माल्ट (केशरोग नाशक इत्यादि।)
आयुर्वेद अतीत-वर्तमान के साथ भविष्य का भी विज्ञान है।
आयुर्वेद की और देख रही दुनिया
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पूरे विश्व के लोग अब एलोपेथिक चिकित्सा
से ऊब चुके हैं। अंग्रेजी दवाओं के दुष्प्रभावों ने अनेक नई बीमारियों को जन्म दिया है ।
भविष्य की चिकित्सा एलोपेथी से नहीं,
अमृतम आयुर्वेद पर निर्भर होगी ।
रोगों का काम खत्म
अमृतम- द्वारा सभी नर-नारी की बीमारी दूर करने हेतु अलग-अलग रोगों के लिए कई तरह के malt (अवलेह) का निर्माण
किया है । जैसे-
AMRUTAM gold malt
यह रस-रक्त,बल कारक है,
भूख व खून बढ़ाता है ।
इसमें आमला मुरब्बा,
सेव मुरब्बा, गुलकंद
मुन्नका, आदि मेवा-मासालों
का मिश्रण है। ।
केवल महिलाओं के लिए-
NARi soundrya malt
(नारी सौंदर्य माल्ट)
जो पीसीओडी यानि सोमरोग को जड़ से मिटाकर स्त्रियों का मासिक धर्म समय पर….. बिना तकलीफ के लाकर महिलाओं सुंदर, स्वस्थ, खूबसूरत बनाकर बुढापा आने से रोकता है।
आयुर्वेद के नियमानुसार देह में त्रिदोष के प्रकोपित होने से अनेक संक्रमण, उदर रोग, त्वचा रोग एवं मधुमेह, यकृत रोग पनपने लगते हैं। अतः स्वस्थ्य रहने हेतु सर्वप्रथम त्रिदोष की चिकित्सा जरूरी है।
यह जानने के लिए अमृतम ने आयुर्वेद के योग्य, विद्वान, अनुभवी और वरिष्ठ वैद्यों तथा वेद-चिकित्सकों के परामर्श-परिश्रम के फलस्वरूप
एक बेहतरीन पुस्तक प्रकाशित की है। इस किताब का नाम
Ayurveda Life Style है
असन्तुलित वात-पित्त-कफ अर्थात त्रिदोषों की जांच स्वयं अपने से करने के लिए यह अंग्रेजी की किताब आयुर्वेदा लाइफ स्टाइल
यह आपकी बहुत मदद करेगी। इसमें उपाय भी बताएं हैं। अपनी लाइफ स्टाइल बुक का अध्ययन तथा अमल कर सदैव स्वस्थ्य रह सकते हैं।
स्वस्थ्य रहने हेतु अपने नियमित नियमावली का डेटा सुरक्षित रखने हेतु एक प्लानर भी बनाया है।
हमें एक कहानी दें कि अमृतम ने कैसे खूबसूरती से अतीत में वर्तमान के साथ विलय कर दिया है। अतीत से समकालीनों के ज्ञान के संदर्भ में इसे वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों के अनुसार।
अमृतम ने लगा दी दम….
भावप्रकाश निघण्टु के अनुसार हमने अतीत की जड़ीबूटियों को खोजकर अनेक अनुसन्धान किये और उसके परिणाम आश्चर्यचकित थे।
हमने केरल एवं दक्षिण भारत के प्रवास के दौरान पाया कि वहां की महिलाओं के बाल अधेड़ावस्था में भी घने, काले लम्बे थे, इस रहस्य को समझने के लिए कठोर प्रयास किये। फलस्वरूप हमे जो मिला उसी फार्मूले के आधार पर कुछ औषधियों का निर्माण घरेलू तरीके से कर…. उसके कुछ सेम्पल अपने घर-परिवार, यार- रिश्तेदार ओर मिलने वालों को दिए। उनमें अधिकांश नव युवतियां तथा कुछ शादीशुदा महिलाएं तथा युवा वर्ग के पुरुष थे, जो केश झड़न, टूटने, रूसी, रूखापन, गंजापन आदि बालों की विकराल समस्याओं से जूझ रहे थे,
यह हर्बल काढ़ा उन्हें दिया जिससे चमत्कारिक लाभ हुआ और आये दिन हमसे बालों की ये दवा जिसे अमृतम ने हर्बल हेयर स्पा नाम दिया था। उसकी दिनों दिन मांग बढ़ने लगी।
हमने खाने या भोज्य सप्लीमेंट के रूप में एक आयुर्वेदिक अवलेह का निर्माण किया यह दुनिया का पहला उत्पाद है, जिसके सेवन से बालों की बीमारी भाग जाती हैं।
अमृतम ने इसे कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा, हेयर ऑयल, शेम्पो, हर्बल माल्ट ओर भृङ्गराज हेयर थेरेपी के नाम से इन 5 उत्पादों का आयुष मंत्रालय से ओषधि निर्माण हेतु लायसेंस लिया।
अमृतम का उद्देश्य है- कल से सीखो, आज के लिए जियो ओर आने वाले कल के लिए सपने देखो। सबके लिए सबसे जरूरी बात… कभी भी रुको मत। चलना ही जिंदगी है। यह धेय-सोच का क्रम चलता रहे, तो निश्चित पराक्रम बढ़ता है।
अतीत का आयुर्वेद कुछ व्यवस्थित नहीं था। वही पुराना तरीका कि- कुछ आवश्यक जड़ीबूटियों को लेकर जौकुट या खड़ी सीधे तिल या मूंगफली के तेल में मिलाकर उबाल दी और हेयर आयल तैयार हो गया, जो निष्क्रिय हेयर ऑयल था।
जैसे शास्त्रों ने सुझाया….
अमृतम ने नवीन जड़ीबूटियों की खोज की अनेकों पुराने शास्त्र खंगाले जिनमे-द्रव्यगुण विज्ञान, भारत भैषज्य रत्नाकर, भावप्रकाश निघण्टु, आयुर्वेदिक सारः संग्रह, अष्टाङ्ग ह्रदय, चरक व सुश्रुत सहिंता, वनोषधि चंद्रोदय, आदर्श निघण्ट एवं भैषज्य रत्नावली आदि अनेक प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन-अमल कर बालों के लिए एक दम नया हर्बल हेयर योग (दवा) तैयार की, इसमें साउथ की परंपरा का भी सहारा लिया।
कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा”
नवयुवतियों, युवाओं, महिलाओं-पुरुषों हेतु
एक बहुत सुविधाजनक हर्बल केशवर्द्धक योग है,
जो खोपड़ी से रूसी आदि गन्दगी को बाहर निकालकर केशों को पतन से बचाता है।
बालों का झड़ना, टूटना, रूखापन, दोमुंहापन और डैन्ड्रफ आदि केश रोगों को जड़मूल से मिटा देता है।
¶¶ कुन्तल केयर बास्केट में
“हेयर की केयर” करने वाले इसमें
■~ हर्बल स्पा ■~ शेम्पू, ■~ हेयर ऑयल ■~ हर्बल माल्ट के रूप में 4 केश रत्न हैं।
जो बालों की सम्पूर्ण चिकित्सा हेतु उपलब्ध हैं।
¶¶ कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा हेम्प युक्त
अमृतम का एक ऐसा हर्बल प्रोडक्ट है जिसे आधुनिक जीवन शैली के अनुरूप देशकाल परिस्थितियों के अनुसार निर्मित किया है। वात-पित्त-कफ को संतुलन बनाये रखता है तथा त्रिदोष नाशक है। यह त्रिदोष रोग की वजह से झड़ रहे केश विकारों एवं मानसिक विकारों को भी शांत करता है। इसके उपयोग से नींद गहरी, अच्छी आती है।
¶¶ कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा (हेम्प युक्त)
दुनिया का पहला चिकनाहट व चिपचिपाहट रहित हर्बल उत्पाद है।
यह बालों की जड़ो में समाहित
होकर तत्काल सूख जाता है।
इसमें 27 से अधिक प्राकृतिक जड़ीबूटियों
के काढ़े की तासीर रची-बसी है।
१- शिकाकाई
२- मेहन्दी
३- ब्राह्मी
४- शंखपुष्पी
५- भृङ्गराज
६- बादाम गिरी
७- नारियल गोला
८- गेहूं सत्व
९- सीताफल के बीज
आदि के घनसत्व से निर्मित है।
जाने क्या है घनसत्व-
सभी आवश्यक घटक द्रव्यों,
जड़ीबूटियों को साफकर
जौ समान कूट लेते हैं,
इसे जौकुट कहते हैं।
तत्पश्चात जौकुट की गई
ओषधियों को 16 गुने पानी
में 24 से 30 घंटे तक गलाकर
मंदी आँच (अग्नि) में जल दोगुना
होने तक पकाते हैं।
जैसे-10 किलो जौकुट दवाओं
को 160 लीटर पानी में
24 से 30 घंटे गलाकर,
फिर इतना उबालना कि
वह 30 से 35 लीटर तक
काढ़ा रूपी पानी शेष
बचने पर छानते हैं।
उबलने की यह प्रक्रिया
4 से 5 दिन में पूरी हो पाती है।
पुनः छने काढ़े को 12 से 15
दिन तक बहुत धीमी आग में
इसलिए उबालते हैं,ताकि
रसोषधियों का स्वाभाविक
तत्व व मूल असर क्षीण न हो जाए।
कुन्तल केयर के इस काढ़े को
खदका-खदका कर बहुत गाढ़ा होने तक
उबालते हैं।
फिर ठंडा होने के बाद
मानसिक शांति हेतु इसमें
!!*नागर मोथा का सत्व
!!*बालछड़ का अर्क
!!*तुलसी का रस
!!*पुदीना का सत्व
!!*सुगंधित द्रव्य मिलाकर
पैक किया जाता है।
स्पा बनाने की यह प्राचीन परम्परा कभी
“केरल प्रान्त” में हजारों वर्षों से उपयोग में
लाई जाती थी। इसीलिए दक्षिण भारत की
बुजुर्ग महिलाओं के बाल भी
बहुत लम्बे,काले,घने बने रहते हैं।
क्योंकि यह रूसी (डैंड्रफ)
नाशक हर्बल हेयर स्पा का सालों से
इस्तेमाल कर रही हैं।
यदि आप भी बाल की खाल
एवं जड़ों को कमजोर
करने वाला खतरनाक
रूसी रोग से रोज-रोज
परेशान हो रहे हैं,तो एक बार
कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा
का 1 माह तक नियमित
उपयोग करें।
चिन्ता को चित्त करें-
यह हर 2 या 3 दिन में वापस
आने वाला रूसी रोग (Dandruff)
को आने से रोककर जड़ से
मिटा देता है।
7 दिनों में ही असर दिखने लगता है।
इसे लगाकर तुरन्त बाल धोने की
जरूरत नहीं पड़ती !
कुन्तल केयर हर्बल हेयर स्पा
को जड़ों में हल्के हाथ यानि
उंगलियों की पोरों से बालों की
जड़ों में लगाकर 15 से 20
मिनिट बाद कंघी कर कहीं
भी आ-जा सकते हैं। यह
“रूसी (Dandruff) GONE
With
“NO चिपचिपाहट”
शुद्ध हर्बल फार्मूला है
हर्बल मेडिसिन बनाने की
प्रक्रिया बहुत ही जटिल,
कठिन और खर्चीली है।
मधु में अनेक प्राकृतिक पोषक तत्व होते हैं।
मधु के सेवन से ऊर्जा-उमंग और फुर्ती आती है। मानसिक तनाव घटता है। निघण्टु के मुताबिक यह प्राकृतिक ग्लूकोज की पूर्ति करता है।
मोटापा कम करने के लिए मधु में नीबू का रस गर्म पानी के साथ लेते हैं, तो चर्बी गलने लगती है।
मधु के साथ कुछ अन्य चीजे उपयोग करने से मुखमंडल में ग्लो बढ़ता है। मधु व अमृतम उबटन शक्ल पर प्रकट धाग-धब्बे, कील-मुंहासे और झुर्रियों से मुकाबला करने में मदद करता है।
मधु को चेहरे पर नियमित लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है।
मधु स्किन पोर्स में जमी अशुद्धियों को बाहर निकालता है।
आप इसे अपनी स्किन केयर रूटीन में शामिल कर सकती हैं।
पंचामृत परम् हितकारी है…
शिवपुराण में पंचमहाभूतों की प्रसन्नता के लिए पुराणों में पंचामृत द्वारा शिवलिंग के अभिषेक का वर्णन है। सत्यनारायण की कथा हो या सामान्य पूजा में पांच तरह के अमृत जैसे-दूध, दही, मधु, शक्कर का बूरा, गाय का शुद्ध देशी घी का मिश्रण करते हैं, उसे पंचामृत कहते हैं।
स्कन्ध पुराण, शिव सहिंता तथा कालितन्त्र में उल्लेख है कि-शिवलिंग या ईश्वर को पंचामृत का स्नान करने से अनेकों रोग-शोक, वास्तु, कालसर्प-पितृदोष, गरीबी आदि परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
भगवान को अर्पित नैवेद्य का प्रसाद रूप में ग्रहण करने से शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी की वृद्धि होती है।
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