व्यापार और नार जीवन के दोनों महत्वपूर्ण अंग हैं। अगर आप बिजिनेस करना सीख गए, तो सदैव व्यस्त रह सकते हैं।
व्यापारी के सम्पर्क सूत्र नारी से भले ही कम रहते हैं। लेकिन समाज, शहर में अच्छी पकड़ होती है।
व्यापारी को बेरोजगारी का तनाव नहीं रहता और ये नारी की तरह भटकना एवं किसी भी काम में अटकना नहीं जानते।
व्यापार दो शब्दों से मिलहर बनता है। व्या+पार= व्यापार का अर्थ है व्या यानी दुख, गरीबी से पार होना और समाज को पार लगाना।
व्यापार के कारण दुनिया के लोगों से तार जुड़ जाते हैं। ये आलस्य के खुमार में नहीं रहते।
व्यापारी की नारी भी होशियारी सिख जाती है।
- करदाता होने की वजह से सरकार भी इनकी आभारी रहती है।
- व्यापारी का जीवन भारी नहीं होता।
अब विवाह की बात करते हैं… यह कामयाबी के लिए आवश्यक है।
बिना विवाह के जीवन तबाह हो जाता है। तवा से लेकर हवा तक व्यापारी…नारी के भरोसे रहता है।
स्त्री जातक के मुताबिक स्त्री के हाथ में इतनी बरकत होती है कि धन को सवा कर देती है।
दुनिया का कितना बड़ा व्यापारी हो, अक्सर वह पत्नी के आगे सर नवा के ही चलता है।
व्यापारी मानता है कि घर की नारी लक्ष्मी का रूप है। बरकत पत्नी के हाथों में ही होने के कारण सारा पैसा इनके यहां महिलाएं ही संभालती हैं।
- शादी में सबसे जरूरी चीज है- मेल का फीमेल से सही तालमेल बैठना। शादी कोई खेल नहीं है कि-रेल में पत्ते खेलें और सफर कट गया।
- शादी के बाद मर्द का तेल निकल जाता है। कभी कोई पत्नी अपने पति को इतना पेल कर रखती हैं।
- गलती से उसे किसी रखैल का पता लग जाये, तो फिर ऐसी नकेल पहनाती है कि इंसान झेल नहीं पाता।
- एक निवेदन-
- हमारे जबाब बहुत सहज-सरल तरीके से लिखने का प्रयास करते हैं। हमारी लेखन शैली ऐसी होती है,
- जसए हम आपस में कुछ दोस्त-यार मजाक या बातचीत कर रहे हैं। कृपया हमारे व्यंग्य लेखों को बहुत गम्भीरता से न लेवें।
- मांग भरने के बाद ही नारी की मांग शुरू होती है। कभी नेल पॉलिश, कभी साड़ी, कभी गाड़ी के चक्कर में मर्द दिहाड़ी मजदूर बन जाता है।
- कुछ लोग अपना दर्द मिटाने के लिए कभी-कभा ताड़ी पीने लगते हैं, उसे ये भी नहीं भाता।
- कभी मूड बनने पर काढ़ी खड़ी हो जाये, तो वो तुरन्त आड़ी होकर सोने का बहाना करती है।
- कुल मिलाकर पुरुष को शादी के बाद हिमालय से भी बढ़ी पहाड़ी पर चढ़ने जैसा है।
- अगर कभी नाड़ी ठंडी पड़ने लगे, तो पत्नी इस समय पूरी तरह साथ निभाती है।
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