गधी का दूध महंगा क्यों है?

गधी का दूध 7000 से 10 हजार रुपए किलो बिकता है? हरियाणा किसी ने गधी के दूध की डेयरी डाली है।वैसा किसी अखबार में पढ़ा था।

गधे की 15 मशहूर कहावते जरूर पढ़ें-

आयुर्वेदिक निघन्टुकार ने केवल इतना लिखा है कि बहुत ही विशेष परिस्थितियों या पागलपन में गधी का दूध केवल 2 चम्मच से 15 Ml तक 3 दिन लिया जा सकता है।

लगता है नये-नए खोजकर्ता एक दिन कुत्ते का पेशाब भी फायदेमंद बता देंगे।

गधे की मानसिकता—

पुरानी किताब में लिखा है गधी के दूध से दिमाग कमजोर होने लगता है। वह उल्टा गधे जैसा सोचने लगता है। जैसे गधा गर्मी के दिनों में मौत तन्दरुस्त हो जाता है क्यों कि वह सूखे घांस के मैदान में जाकर घांस खाकर सोचता है—

अरे वाह, मैने तो पूरा खेत खा लिया और इसी सोच से वह तन्दरुस्त हो जाता है।

इसी मानसिकता के चलते इसे गधा कहते हैं। गधा, सधा, तो सधा और नहीं सधा तब रायता फैला देता है।

सर्दी-बरसात में कमजोर—

जबकि सर्दी-बरसात के समय चारों तरफ हरीभरी घांस के कारण वह दिन भर खाता है, तब भी चारो तरफ हरियाली दिखती है। फिर गधा चिंता करने लगता है कि आज तो कुछ भी खा ही नहीं पाया।

गधे को स्वभाव के कारण मूर्खता का पर्याय समझा जाता है। आमतौर पर हम गधे के लिए मूर्ख शब्द का प्रयोग करते हैं परन्तु उसके कर्म में समर्पण, स्वभाव में सरलता और सहनशीलता बहुत अधिक होती है।

गधा ही एक एक मात्र ऐसा प्राणी है जो सब अत्याचार चुपचाप सहता है। फिर भी कभी उसके चेहरे पर अन्याय के प्रति असंतोष नज़र नही आता।

गधे से सदैव धैर्य, संघर्ष सीखना चाहिए। कुम्हारों या प्रजापति जाती के लोगों के लिए गधा रोजगार का साधन है। ढहेन्चु-ढेचू करना गधे का एक राग है। बहुत दुःखी होने पर ऐसा ही चिल्लाता है।

गधे की दुलत्ती प्रसिद्ध है।

भारत में सबसे उत्तम किश्म के गधे स्पिती नस्ल के होते है।

वेद-पुराणों में गधा—

गधे का प्राचीनतम उल्लेख ऋग्वेद के ३:५३:२३ तथा ऐतरेय ब्राह्मण-४:९ तैत्तिरीय संहिता-५:१:२:१ में मिलता है।

ऐसा लगता है कि गधा भी बेचारा कालसर्प से पीड़ित होता है। जिसकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, वह व्यक्ति भी जीवन भर गधे की तरह अथाह मेहनत करके भी कुछ भी नहीं प्राप्त कर पाता है।

जाने कालसर्प के लक्षण-

गधे की【1५】जबरदस्त कहावतें—

【१】गधे के खाइल खेत, न इहलोक के रहे, न परलोक के रहे।

अर्थात-क्षुद्र या छोटी सोच वालों के साथ नेकी करने से कोई लाभ नहीं होता।

【२】गेढा खरसा यानी गर्मी में मोटा होता है।

【३】गधा घोड़ा एक भाव अर्थात योग्य आदमी की परख न करने वाला या सोने-पीतल में फर्क न समझने वाला मूर्ख व्यक्ति।

【४】गधा पानी पिये खँगोल के। गधा पानी को गन्दा करके ही पियेगा।

【५】गधा पीते घोड़ा नहीं होता यानि मूर्ख को पीटने से वह जिकनी नहीं होगा।

【६】गधा बरसात में भूखा मरे अर्थात बरसात मेंअधिक घांस होने के कारण गेढा कहा नहीं पाता और भूखा मरता है।

【७】घड़ी भी जवानी में खूबसूरत लगती है। यह बदसूरत लड़कियों पर कटाक्ष है।

【८】गधे का जीना, थोड़े दिन भला। मतलब बेचारा जीवन भर मेहनत करता है, इससे तो मरना भला।

【९】गधे का मांस, कुत्ते के दांत किसी काम का नहीं होता।

【१०】गधे की आंख में नोन (नमक) दिया, उसने कहा…”मेरी आँख फोड़ी” कहने का आशय यही है कि मूर्ख का भला करने पर वह सोचता है कि मेरा नुकसान तो नहीं हो जाएगा।

【११】गधे के खिलाये पुण्य न पाप।

【१२】गधे को दिखाएं-अंगूरी बाग।

【१३】गधे को गधा की खुजाता है यानि ओछों कि संगत ओछे लोग ही करते हैं

【१४】गधों से हल चले, तो बैल कौंन बिसाय अर्थात यदि छोटों से कम पूरे होने लगें, तो बड़ों को कौंन पूछेगा।

【१५】गधे के सिर से सींग की तरह गायब होना।

【16】खुदा मेहरवान, तो गेढा पहलवान यानी जिस पर सदगुरु या ईश्वर की कृपा होने लगती है, तो गधा, वेवकूफ आदमी भी नेता या धनवान बन जाता है।

देश की राजधानी दिल्ली में और राज्यों की राजधानी में बहुत से श्वेत वस्त्रधारी गधों का जमावड़ा रहता है।

गधा पुराण को प्रणाम—

ग्वालियर शहर के प्रसिद्ध गीतकार श्री कैलाश कमल जी ने एक गधा पुराण लिखकर विश्व को चोंका दिया था। इनकी लिखी रचना फिलहाल कहीं गुम गई है। मिलते ही कुछ अंश इसमें जोड़ दिये जायेंगे

इनके एक पुत्र पुष्पराज जैन मासूस बहुत अच्छे कवि हैं और दूसरे पुत्र केदार जैन देश के विख्यात फोटोग्राफर हैं। तानसेन समारोह की आर्ट गैलरी इनके द्वारा ही सजाई जाती है।

गधी बहुत परिश्रमी होने से इनका इम्यून सिस्टम बहुत मजबूत होता है। हो सकता है कि गधी के दूध से कोरोना का इलाज होगा इसकी कोई खास सन्तुष्ट जानकारी नहीं मिली। कुल मिलाकर दुनिया को प्राकृतिक चिकित्सा की तरफ लौटना ही पड़ेगा।

गधे के अभी बहुत किस्से हैं।

अन्य पशुओं का दूध—

भावप्रकाश आदि शास्त्रों में गाय-भैसों के दूध के अनेकों लाभ बताये हैं।

कुछ समय पहले डेंगू फीवर में लोगों को बकरी के दूध से आराम मिला था।बकरी के दूध के फायदे-

लघु भावप्रकाश ग्रन्थ में संस्कृत का उल्लेख है कि-

छागं कषायं मधुरं ग्राहि तथा लघु।रक्तपित्तातिसारघ्नं क्षयकासज्वरापहम्।।

अर्थात-बकरी अधिक मेहनत करने, घूमने, फिरने कुछ भी खाने के कारण इसका दूध अनेक रोगों का नाश करति है।

निघण्टु में 10 तरह के पशुओं के दूध के बारे में वर्णन है लेकिन गधी के दूध के विषय में निघण्टु कार ने कुछ भी नहीं लिखा है। हो सकता है कि घोड़ी के गुण जैसा ही गधे का दूध का असर हो।

हम आयुर्वेद के अनुसार इतनी गारंटी ले सकते हैं कि कैसा भी गधा-गवाँर या मूर्ख इन्सान हो, यदि वह निम्नलिखित जड़ीबूटियों का सेवन करें, तो निश्चित ही ज्ञानी बन सकता है।

ब्राह्मी, शंखपुष्पी, अगर, जटामांसी,

शतावर, अश्वगंधा,

भृङ्गराज, त्रिकटु, हरीतकी मुरबा, गुलाब, खसखस, स्मृतिसागर रस, ब्राह्मी वटी, स्वर्ण भस्म, नीलोफर, इलायची, चतुर्ज़ात, मॉलकांगनी एवं गाजर, आदि ओषधियों का नियमित सेवन करे, तो वह विद्वान हो सकता है।

अधिकांश बड़े, अमीर लोग बचपन से अपने बच्चों को यह योग सेवन कराते हैं।

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का हमेशा दूध के साथ सेवन कर अपनी बुद्धि को तेज-तर्राट बना सकते हैं। यह मानसिक विकार, तनाव, डिप्रेशन, कमजोर याददाश्त, सिर दर्द, माइग्रेन, बेचैनी आदि समस्याओं का जड़मूल से अंत कर देता है।

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गधा अपने शरीर की मालिश नहीं कर सकता, लेकिन आप कर सकते हो। अतः चन्दन, बादाम, जैतून, केशर आदि से निर्मित काया की तेल आपकी काया का कायाकल्प कर देगा। एक बार उपयोग करके देलह सकते हैं। इसकी सुगन्ध भी अत्यन्त महकदार है।

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