अमृतम ओषधि गिलोय, जो 200 से अधिक रोगों को जड़ मूल से मिटाती है।
गिलोय के अन्य नाम-
हिन्दी-गिलोय, अमृत, अमृतम, गुर्च
संस्कृत-गुडुची, अमृता, छिन्नरुहा
बंगला- गुलंच
मराठी-गुलबेल
गुजराती-गलो
कन्नड़- अमरदबल्ली
तेलगु- तिष्पतिगा,टिप्पाटिगो,
यतितिज, गोधुचि
तमिल- शिंडिलकोडि
फारसी- गिलाई
अरबी-गिलोई
अंग्रेजी- गुलंच
लैटिन-टाइनोस्पोरा कार्डिफोलिया
Tinospora cordifolia
Willd miers
वनस्पति कुल (family)
मैनीस्पर्मेसी menispermaceae
गिलोय की लता (बेल) होती है, जो बरसात के दिनों में
“नीम वृक्ष” पर ज्यादा लगने के कारण इसे “नीम गिलोय” भी कहते हैं।
घरेलू रोग नाशक उपाय- इसकी बेल घर पर लगाने से पूरा परिवार निरोगी रहता है।
श्री,बुद्धि,लक्ष्मी की वृद्धि होती है गिलोय (अमृता) में पाये जाने वाले प्रमुख तत्व-
★ग्लुकोसाइन
★गिलोइन
★गिलोइनिन
★गिलोस्टोराल
★बर्वेरीन आदि
गिलोय (अमृतम) के उपयोग-
■त्रिदोष (वात,पित्त,कफ) नाशक
■विशेष पित्त नाशक
■आमवात दूर करे
■मलेरिया,बुखार,मिटाये
■बलकारक रसायन
■हृदय के लिए हितकारी
■मधुमेह(शुगर) डाइबिटीज में लाभकारी
■रक्तदोष नाशक
■कामला, खाँसी,कोढ़
■खूनी बबासीर
■थायराइड
■समस्त वातरोग
■बांझपन
■लिकोरिया
■उदर विकार
■मनोरोग
आदि मानसिक रोगों को मिटाकर
मानव मन की मलिनता को दूर
करने में उपयोगी।
गिलोय एक अमृतम रत्न
दुनिया में ऐसी कोई आधि-व्याधि
नहीं है जिसे गिलोय जड़ से न मिटाती हो।
आयुर्वेद में इसे “अमृतम रत्न”
कहा गया है।
अमृता की इसी विलक्षणता को
देखते हुए अमृतम के सभी
“माल्ट” या “अवलेह” में इसके
काढ़े को मिलाया गया है।
अमृतम गोल्ड माल्ट
में गिलोय को विशेष विधि-विधान
से विशेष रूप से मिलाया गया है।
गिलोय को संग्रह करने का समय-
वर्षा ऋतु में गिलोय की लताएं
पत्तों से लड़ जाती हैं।
पत्ते पान की आकृति वाले होते हैं।
गिलोई का पूरा पंचांग अर्थात
पांचों अंग (जड़,तना, पत्ते,छाल,फल)
उपयोगी हैं।
अधिकांश हर्बल दवाओं में
इसके तने (काण्ड) का उपयोग
करते हैं,जिसका संग्रह
जनवरी से मार्च के बीच
किया जाता है।
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