स्त्री, मिस्त्री की क्या विशेषताएं होती हैं ! Amrutam
स्त्री और मिस्त्री सभी को हमेशा मुसीबत ही लगते हैं। ये दोनों फेलारा करने में सिद्ध हस्त होते हैं।
स्त्री और मिस्त्री कभी किसी के वश में नहीं रहते। यही प्राचीन हिस्ट्री रही है। नारी हमेशा पुरुषों के रग रग में बसती है लेकिन वश में नहीं रहती।
महिला पर दिमाग लगाओ, तो आग से भर जाओगे। ये अपनी पर आ जाए, तो निरोध लगाकर भी सेक्स करने पर गर्भ धारण कर सकती है।
क्रोध स्त्री हो या मिस्त्री दोनो के मुख पर सदैव बना रहता है और इनका विरोध करने का मतलब है, अपने पैरों पर पत्थर पटकना।
मौसम, मौत, मोदीजी, मानसून और महिलाओं के बारे में कोई भी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता।
पत्नी का संधि विच्छेद करने पर अर्थ निकलता है।, जो पति पर तनी रहे। जिनके प्रपंच का पता नहीं चलता उसे पत्नी कहते हैं।
शास्त्रों में पत्नी को शक्ति बोला है। इस शक्ति में छोटी इ की मात्रा हटाते ही यह शक्त हो जाती है और शक्त चीज को मुलायम करना किसी का बुता नहीं है।
अभी आपका नया नया प्यार या नई शादी है। कुछ दिन में ढल जाओगे और उसकी हर भाषा और इशारा समझने लगोगे।
सिर दबाते हुए पत्नी ने पूछा? शादी के पहले कोन दबाता था। पति बोला! पहले दर्द हुआ ही नहीं।
शादी में जाना था भावुक होकर पूछ लिया? कौनसा कोट पहनकर जाऊं, तो पत्नी बोली पेटीकोट।
पूराने गाने सुनो तो किस गम में मरे जा रहे हो नये सुनो तो जवानी सूझ रही है। ये पत्नी के प्रवचन होते हैं।
एक दार्शनिक का कूटेशन पढ़ा था कि एक सफल के पीछे एक का हाथ होता है, तब से ही मैंने अपना ध्यान पढ़ाई में कम और औरतों में ज़्यादा देने लगा। इससे ज्ञान वृद्धि भी हुई।
वैसे आदमी की बुद्धि की शुद्धि केवल फुद्धी मिलने के बाद ही होती है, तभी वह विद्वान खलाता है।
नारी के नखरों की चर्चा हरेक ग्रंथ पुराण में मिलेगी।
तेज दिमाग वाली स्त्री से प्रेम करना आसान नहीं होता।
भारतीय विवाह संस्था का इतिहास’ के पृष्ठ १२८ में
स्त्रियों की कामुक मनोदशा का वर्णन करता है कि प्राचीन काल में किसी भी स्त्री को किसी भी पुरुष द्वारा रतिक्रिया के लिए पकड़कर ले जाना, उस काल में धर्म माना जाता था। यदि किसी स्त्री को, कोई पुरुष ले जाकर सम्भोग नहीं करता, तो वह स्त्री बहुत उदास होकर रोया करती थी कि उसे कोई पकड़कर नहीं ले जाता और रति सुख नहीं देता।
उत्तम पुरुष वह है जो बिना कहे ही, नारी की इच्छा जान, उसे खींचकर संभोग कर ले। मध्यम पुरुष वह है जो नारी के कहने पर संभोग करे और जो बार-बार कामातुर नारी के उकसाने पर भी संभोग नहीं करे, वह पुरुष नहीं, नपुंसक है।(खट्टर काका, पृ. १८८, सं. छठाँ)
आगे लिखा है कि- मेरे पास आकर मुझे अच्छी तरह स्पर्श करो। ऐसा मत समझना कि मैं कम रोयें वाली संभोग योग्य स्त्री नहीं हू अर्थात बालिग नहीं हूँ।
अनुभवी लोगों का मानना है कि जिद्दी स्त्रियों को सेक्स की संतुष्टि देकर ही वश में किया जा सकता है।
पत्नी उसी की पतिव्रता या देवी कहलाती है, जिसका देवा यानि लिंग लम्बा और कठोर होता है।
लिंग की शिथिलता, ढीलापन, मिटाने और शीघ्र पतन, नपुंसकता से मुक्ति पाने के लिए आप
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