क्या आपको मालूम है- सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ ने ही कि थी गुरु-शिष्य परम्परा की शुरुआत

भगवान शिव के 10 परम शिष्य
शिव के 10 परम शिष्य के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। सभी सनातन धर्मियों को
इन शिवभक्तों के प्रति पूर्ण आस्था और श्रद्धा
रखना हमारा परम कर्तव्य है।
तत्काल तकलीफ मिटाये-
घोर परेशानियों के समय इन शिव शिष्यों का
स्मरण करने से कष्ट तत्काल कट जाते हैं। यह मेरा निजी अनुभव है। आप भी एक बार आजमा सकते हैं।
सप्तर्षियों ने जाना शिव के रहस्यों को
जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई।
शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी।
भगवान भोलेनाथ के 10 परम् शिष्य हैं-
【1】बृहस्पति (गुरु ग्रह)
【2】विशालाक्ष,
【3】दैत्य गुरु शुक्राचार्य (शुक्र ग्रह)
【4】सहस्राक्ष,
【5】मच्छेन्द्र नाथ,
【6】प्राचेतस मनु,
【7】भरद्वाज
【8】परम् शिव भक्त रावण (दशानन)
【9】भगवान परशुराम
【10】गौरशिरस मुनि भी थे।
यह जानकारी दुनिया में बहुत ही कम लोगों को है।
निम्न लिखित ग्रंथो से यह जानकारी 
जुटाई गई है-
स्कन्दः पुराण
हरिवंश पुराण
श्रीमद्भागवत
ब्रह्मवैवर्त पुराण
लिंग पुराण
लंकेश्वर ग्रन्थ
अर्क प्रकाश
64 योगिनी विद्या
आदि ग्रंथों से साभार

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