शिवपुराण के अनुसार कैसे हुआ ज्वर का जन्म

बीमारियों को जड़ से मिटाने वाला उपाय
ज्वरनाशक वैदिक मन्त्र
जो जड़ से मिटा देता है रोगों को
वर्तमान के इस भागम-भाग
भौतिक युग में प्रदूषित वातावरण एवं
प्रदूषण और संक्रमण के कारण
शरीर में अनेकों संक्रमित रोग
उत्पन्न हो जाते हैं।
आयुर्वेद ग्रन्थ
【1】द्रव्यगुण विज्ञान
【2】धन्वंतरि शास्त्र
में ज्वर आदि रोगों को संक्रमण माना गया है।
शास्त्रों में कहा गया है कि
ज्वर शरीर को जर्जर कर देता है।
बार-बार आने वाले खतरनाक ज्वर
से बचने के लिए दवा के साथ साथ
ऊपर वाले कि दुआ भी बहुत जरूरी है।
ज्वर का जन्म
शिव पुराण के अनुसार ज्वर का जन्म
महादेव के क्रोध से हुआ है।
ज्वर और इसके कारण उत्पन्न अनेक
विकार जैसे-  चिकिनगुनिया,
स्वाइन फ्लू;
डेंगू फीवर व खतरनाक जीर्ण ज्वरों से बचने के लिए पुराणों में निम्न लिखित मन्त्र के जाप का
विधान बताया है। इस मंत्र के जाप से
91 तरह के ज्वर समाप्त हो जाते हैं।
ऐसा प्राचीन शास्त्रों में उल्लेख है।
 यह अदभुत प्रयोग एक बार करके देख
सकते हैं। यदि सभंव हो,
तो ५ या ११ बार इस महामन्त्र
का जाप किसी एकांत शिवमंदिर में
अमृतम द्वारा निर्मित राहुकी तेल के
2 दीपक जलाकर करें।
मन्त्र
   अघोरेभ्यो$घोरेभ्योघोरघोरतरेभ्या! 
   सर्वेभ्यासर्वसर्वेभ्योनमस्तेअस्तुरुद्ररुपेभ्या!!
इस मंत्र के प्रभाव से सभी तरह के
ज्वर का नाश होकर, जीवन में कभी भी
रोगों का भय नहीं सताता।
         फ्लूकी माल्ट
     अनेक ज्वर नाशक
     अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि है।
इसे तीन महीने तक दिन में दो से
तीन बार ले सकते हैं।

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