राष्टीय चिकित्सक सम्मान दिवस…
अमृतम की शुभकामनाएं- बधाई
जादूगर है – भगवान है,
या है कोई हकीम तू।
हर दर्द भूल जाता हूँ,
तेरे पास आने के बाद।
धरती पर भगवान के रूप में हमारे
जीवन को बचाने वाले, सदैव मदद
को तैयार बैठे डॉक्टर्स की किसे
जरूरत नहीं पड़ती।
चिकित्सक/वेद्य/हकीम के इस
महायोगदान को याद करने के लिए ही नैशनल डॉक्टर्स डे आज है।
ईश्वर का दूसरा रूप हैं-डॉक्टर्स….
हमारे जीवन को माता-पिता के बाद
स्वस्थ्य-सुखी बनाने के लिए अगर
किसी ने हमारा ध्यान रखा और
देखभाल किसी ने की है,
तो वह चिकित्सक, डॉक्टर वेद्य ही है।
अमृतम पत्रिका परिवार देश के
सभी चिकित्सकों, डॉक्टर्स,
वैद्यों को कोटि-कोटि शुभकामनाएं
अर्पित करता है।
सच कहते हैं जीवन जीना एक कला है
कई बार मृत्यु के नजदीक से
आपको वापस लाने वाला चिकित्सक
उसकी सही कीमत बता जाता है।
क्यों मनाते हैं डॉक्टर्स डे….
भारत सरकार द्वारा चिकित्सकों का
सम्मान और मनोबल बढ़ाने के लिए
सन 1991 में इस डॉक्टर्स डे दिन
को मनाने की शुरुआत की थी।
1 जुलाई को देश के महान चिकित्सक
और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री
डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय
जो बहुत ही पुण्य-प्रतापी थे।
अपना पूरा जीवन रोगियों की सेवा
में लगा दिया था।
आज इनका जन्मदिन और पुण्यतिथि है।
डॉ रॉय के स्मरण में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाकर भारत के सम्पूर्ण चिकित्सा बिरादरी का सम्मान कर श्रद्धांजलि दी जाती है।
डॉक्टर बिधानचंद्र का जन्म
1 जुलाई, 1882 को हुआ था और
उनका निधन भी
1 जुलाई 1962 में हुआ था।
यह एक संयोग ही है।
आज के दिन ऐसी महान आत्माओं
को याद कर ह्रदय से नमन करना
जरूरी है।
कोरोना फाइटर्स को प्रणाम…
कोरोना काल में जिस तरह डॉक्टर्स
ने मरीजों के लिए अपनी जान-जोखिम
में डालकर कोविड-19 से लड़कर लोगों
को बचाने के लिए हर संभव कोशिश
कर रहे उन चिकित्सकों को भी
अन्तर्मन से साधुवाद करना हमारी जिम्मेदारी बनती है।
क्योंकि यह दिन बहुत खास है।
लिखने का शौक,
वैसे, तो कुछ खास न था हमें।
पर मर्ज का इलाज ढूढ़ते-ढूढ़ते
खुद हकीम बन गए….
पुनश्च अनंत बधाइयां….
उन चिकित्सक, हकीमों को जिनकी
चिकित्सा मानवीय परोपकारों पर
आधारित है।
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