116 तरह के बनते हैं हलुए…

  1. उत्तर भारत के सर्दी के सीजन में सभी को गजीर, बादाम, अखरोट, मूंग की दाल,
  2. चिरौंजी, चने की दाल, पिस्ता एप्रिकॉट, करांची हलुआ, खजूर का हलवा और हब्शी हलवा आदि का हलवे के गुण और उसकी तासीर स्मरण आने लगती है।
  3. कुछ काल पूर्व ये सभी हलुआ घर पर ही बनाये जाते थे।
  4. आजकल हममें से अधिकांश लोग इन्हें हलवाई की दुकान से खरीदकर ही खाते हैं।
  5. हलुआ का महत्व और स्वास्थ्य वर्धक रहस्य केवल भारतवासी ही जानते है।
  6. हर रोज का हल हलुआ में छुपा हुआ है। हलुआ आदि विचित्र स्वादिष्ट पदार्थ भारत की ही देन है।
  7. खानपान का सही तरीका भारत के आयुर्वेदाचार्यों ने ही विश्व को दिया।
  1. ऐसे बनाये स्ट्राबेरी फलाहारी हलुआ…
  2. अरबी, केला या सिंघाड़े इन तीनों में से किसी एक का आटा 200 ग्राम।
  3. अगर फलाहारी हलुआ नहीं बनाना चाहते हों, तो शरबती गेहूँ का आटा भी ले सकते हैं।
  4. शक्कर 100 ग्राम या स्वादानुसार।
  5. नारियल का बूरा 50 ग्राम।
  6. नागकेशर, आधा ग्राम, केशर 100 mg
  7. 2 छोटी इलायची सबको मिलाकर पॉवडर करें।
  8. काजू, किसमिस, बादाम आदि मेवा अपनी इच्छानुसार हल्की आंच में गदहे के साथ सेंककर मेवा के टुकड़े करके रखें।
  9. विधि-स्ट्रॉबेरी फल काटकर 2 या 3 टुकड़े कर लें। छिलका फेंक देंवें।
  10. सबसे पहले आटा लेकर हल्की आंच में सिकाई करें। फिर, नारियल का बूरा और शक्कर के साथ मिलाकर मिक्सी में..
  11. अच्छी तरह से एक सार कर इसमें आटा तथा स्ट्रॉबेरी का रस मिलाकर इस मिश्रण को कढाई में उडेल दें। आंच कम रखें।
  12. आयुर्वेद की पुरानी किताबों में लगभग 116 तरह के हलुआ का उल्लेख मिलता है।
  13. महर्षि चरक जो कि आयुर्वेद के महान और विशाल ग्रन्थ चरक सहिंता के रचयिता थे।
  14. जब चरक ऋषि अधेड़ावस्था में आकर बुजुर्ग वयोवृद्ध हुए, तो उन्हें किसी कारण वश एक राजकुमारी नवयुवती से शादी करनी पड़ी
  15. तथा विवाह पश्चात अपना यौवन और पौरूष पुनः जागृत करने के लिए चरक ने च्यवनप्राश का आविष्कार किया।
  16. अमृतम च्यवनप्राश आयुर्वेद की 5000 वर्ष पुरानी पध्दति से चरक सहिंता के अनुसार निर्मित किया है, जो एंटीएजिंग यानि उम्र रोधी आयुर्वेदिक ओषधि है।
  17. यह एक देशी दवाओं से तैयार हलुआ था। आयुर्वेद में इसी को अवलेह एवं अंग्रेजी में माल्ट कहते हैं।
  18. हलवा शब्द की उपज आयुर्वेद के अवलेह से हुई ऐसा मानना अधिक सार्थक सहज लगता है।
  19. दक्षिण में सूजी के हलुए को केसरी भात कहा जाता है। जो साधन संपन्न हैं, वे इसमें किशमिश-चिरौंजी आदि डालते हैं।
  20. अधिक समृद्ध धनपति लोग शुद्ध बादाम का हलवा बनाते हैं। गांव-देहात में मोटे अनाज रागी, मडुवा, बाजरे अथवा आटे का गुड़ से मीठा किया गया हलवा भी बनाया जाता है।
  21. पोस्ते का हलवा जिसे खसखस के दानों को पीसकर बनाया जाता है। काश्मीर में कुछ कुशल हलवाई केशर, विहिदाना तथा सेब का हलवा भी बनाते हैं।
  22. नानवेज हलुए भी बनाते हैं- चटोरे लोग
  23. दुर्लभ हलवों में गोश्त का हलवा, मिर्च का हलवा और अण्डे का हलवा भी लोग बनाकर खाते हैं।
  24. कुशल कारीग़र इसे इस तरह बनाते हैं कि खाने वाला भाप नहीं सकता कि इन्हें किस पदार्थ से बनाया गया है।
  25. इम्युनिटी बूस्टर ओस के गेहूं का हलुआ…
  26. भारत में अवध के बावर्ची भिन्न-भिन्न हलुए के आविष्कार करते रहते थे।
  27. वहां अंकुरित गेहूं को रातभर ओस में भिगोकर जो हलवा बनाया जाता था, उसे जॉर्जी सोहन हलवा कहते हैं।
  28. कैसे बनाएं ओस के गेंहू का हलुआ….
  29. 500 ग्राम शरबती गेंहू
  30. शक्कर 200 ग्राम
  31. गुड़ 200 ग्राम
  32. सभी गर्म मसाले, त्रिकटु चूर्ण 25 ग्राम
  33. मेवा घी में सिकी या तली हुई।
  34. बनाने की विधि- कड़क सर्दी के समय गेहूं को 50 ml एलोवेरा जूस में मिलाकर खुली छत पर 2 से 3 दिन तक रखें,
  35. ताकि उस में भीग जाएं। तत्पश्चात गेहूं को पीसकर इसे हल्की आंच में बादामी होने तक सकें।
  36. जब अच्छी तरह सिक जाए, तो इसमें गुड़, शक्कर की चाशनी मिलाकर गाढ़ा कर आग बन्द कर दें।
  37. फिर इसमें मेवा मसाले मिलाकर किसी ट्रे में जमाकर ठंडा होने देंवें। बाद में इसके छोटी पीस काटकर सेवन करें।
  38. ओस के गेंहू के हलुआ अनेक जिद्दी व अज्ञात बीमारियों को जड़ से मिटाता है।
  39. खासकर जिन लोगों को शरीर में जकड़न, अकड़न हो उन्हें रोज सुबह दूध के साथ लेना चाहिए।
  40. यह रक्त एवं रस वृद्धि में सहायक है। जो महिलाएं चेहरे पर निखार लाने चाहती हैं,
  41. उन्हें पृरी सर्दी खाना खाना चाहिए।
  42. भारत के नबाबों को विभिन्न प्रकार के हलुए खाने का भारी शौक था।
  43. अवध के राजा महाराजा के खानसामा या बावर्ची ओस में भीगे अंकुरित गेहूं का हलवाबहुत ही विधि-विधान से बनाते थे।
  44. यह गेहूं का हलुआ विशेष रूप से रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर नवयौवन प्रदान करता है।
  45. वीर्य को गाढ़ा कर पुरुषार्थ शक्ति इन बढोत्तरी करता है।
  46. संगठित भारत में कभी सिंध का अंकुरित गेहूं से दांतों में चिपकने वाला कराची हलवा बनाया जाता रहा है जो विभाजन के बाद बंबई हलवे के नाम से मशहूर हुआ।
  47. दक्षिण भारत में इसे ही गोधुम हलवा कहा जाता है।
  48. पंजाब में आटे, घी और शक्कर के मिश्रण से ‘कड़ा’ हलवा तैयार होता है।
  49. यही कड़ा हलुआ अमृतसर जो स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा साहिब में गुरुभोग के रूप में वितरित व शिरोधार्य किया जाता है।

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