क्या आपको मालूम है – 13 अगस्त लेफ्ट हेंडर्स डे के रूप में मनाते हैं। उल्टे/बाएं हाथ और लेफ़्टिज के लिए विशेष दिन

क्यों महत्वपूर्ण है “13 अगस्त” – का दिन केवल ‘13% लोगों के लिए’…जाने एक दिलचस्प बात।

    गर्व से कहो…हाँ… हम “लेफ्टी”  हैं। 

13 अगस्त… वर्ल्ड लेफ्ट हेंडर्स डे

यदि आप लेफ्ट हेंडर्स हैं, उल्टे हाथ से लिखते या काम करते हैं, तो इस ब्लॉग को आराम से पढ़ें!  100 पेज का यह लेख आपके दिमाग की परतें खोल देगा।

लगभग 70 से भी अधिक बिंदुओं पर क्रमवार जाने… क्या है इस लेख में

【१】लेफ़्टिज की जो किताब है, ये बहुत रहस्यमयी और बेहिसाब है…..

【२】अगस्त का अर्थ….

【३】राहु-केतु का क्लेश..

【४】 चार अंक का खेल, अंक ज्योतिष, शिंवलिंग और श्रीयंत्र का रहस्य…

【५】आठ अंक चमत्कारी है….

【६】13 के अंक शुभ या अशुभ क्यों …

【७】परमपूज्य पुरुषों को प्रणाम.

【८】लेफ्ट हेंडर्स के लिए 13 अगस्त का दिन विशेष महत्वपूर्ण है।

【९】तेरा तुझको अर्पणक्या लागे मेरा...

【१०】तेरहवीं का महत्व क्यों है..

【११】तरह-तरह के तेरह…..

【१२】तेहरवीं का कारण

【१३】गुरुग्रन्थ साहिब” के शब्द हैं कि

【१४】लेफ्टी की लिस्ट…..

【१५】लेफ़्टिज स्त्री एक बेहतरीन मिस्त्री.

【१६】जो तुमको हो पसन्द, वही बात ..

【१७】रोज-रोज की खोज

【१८】लेखक ने शोध में लेफ़्टिज गुण-अवगुण लिखे हैं..

【१९】शिव के त्रिशूल की तरह होता है लेफ़्टिज यानि लेफ्ट हेंडर्स का दिमाग….

【२०】गणित के गुण…..

【२१】बायें हाथ की बुद्धि…..

【२२】लेफ़्टिज के दिमाग की दांस्ता

【२३】चिन्ता नहीं चिन्तन….

【२४】घाटा ही लेफ़्टिज का गुरु होता है..

【२५】अनूठा है अंगूठा….

【२६】आदत से इबादत-

【२७】दिल की लगी न हो, तो क्या जिंदगी है।

【२८】लेफ़्टिज का जीवन जीन में….

【२९】हरि-हरियाली के लवर्स, लेफ़्टिज…

【३०】लेफ्टी होते हैं साउथ पॉ…

【३१】नजरों को बदला, तो नजारे बदले 

【३२】बायां हाथ बंगाली, कभी न जाये खाली

【३३】जानिए लेफ्ट हेंडर्स की विशेषताएं

【३४】कलयुग में यार की यारी..

बहुत छोटी सी उम्र से ही मैंने लेफ़्टिज के बारे में लिखना, संकलन करना शुरू कर दिया था। इस ब्लॉग को लिखने में 45 वर्षों से भी ज्यादा का अनुसंधान, अध्ययन और संघर्ष है। इस लेख का 1-1 अक्षर ‘बसरे का मोती, गजमुक्ता’ की तरह मूल्यवान है।

सीधा दिमाग चलता है, उल्टे हाथ वालों का…

वामहस्त विशेषज्ञ का कहना है कि – लेफ़्टिज भले ही उल्टे हाथ से लिखते-खाते, काम करते हों। इनका हाथ उल्टा चलता हो, लेकिन दिमाग सीधे तरफ वाला चलता है।

लेफ़्टिज यानी वाम हाथ वाले व्यक्ति सुबह से शाम तक काम में तल्लीन रहते हैं। अधिकतर लेफ़्टिज ताम-झाम, ऐशो-आराम और जाम (वाइन/Wine) से दूर रहते हैं। कभी-कभा बाहर के घाव भरने के लिए “डिटोल” तथा अन्दर के जख्म हेतु “अल्कोहल” यानि ‘दारू’ – का प्रयोग करते हुए… शिव श्याम में तल्लीन रहकर बिना विराम उन्नति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं।

 आज “लेफ़्ट हैंडर्स डे” है….

प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को दुनिया के उन तमाम 13 फीसदी वामहस्त, लेफ़्टिज लोगों को याद किया जाता है जो अपना हर काम बाएं हाथ अर्थात लेफ्ट हैंड से करते हैं। बचपन से हम जिस हाथ से काम करते हैं, उसी हाथ से हमें कार्य करने की आदत पड़ जाती है। उल्टे हाथ लेकिन सीधी बुद्धि से काम करने वाले विश्व में मात्र 13 फीसदी लेफ़्टिज की एकरूपता को प्रदर्शित करने के लिए हर साल 13 अगस्त को “विश्व लेफ्ट हेंडर्स डे” के नाम से मनाया जाता है।

लेफ़्टिज की जो किताब है, ये बहुत रहस्यमयी और बेहिसाब है…..

मोटे तौर पर 40 फ़ीसद लोग अपने बाएं कान का, 30 प्रतिशत लोग बाईं आंख का, और 20% लोग बाएं पैर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जब हाथ की बात आती है, तो 13% लोग ही लेफ्टी है। विश्व समुदाय में उल्टे हाथ से लिखने वाले या वाम हाथ से कर्म करने वालों को 13 अगस्त का यह दिन समर्पित है।

अगस्त का अर्थ…..

अगस्त का सन्धिविच्छेद करें तो होगा- अग+अस्त। व्याकरण हिंदी शब्दकोष के हिसाब से “अग” का अर्थ आग, तपन, गर्मी है अर्थात अगस्त का मतलब आग, गर्मी।अगस्त महीने के बाद भूमि पर गर्मी अस्त यानी कम होना शुरू हो जाती है।

अगस्त महीने के बाद सूर्य की तपन का प्रकोप क्षीण होने लगता है। कुल मिलाकर 13 अगस्त यानि आठवां महीना 4 और 8 का घालमेल है। लेफ़्टिज के जीवन में 4 एवं 8 अंक का लाभ-हानि, जीवन-मरण, सुख-दुःख के रूप में विशेष योगदान रहता है।

अगस्त में जन्मे लोग….

अगस्त, मस्ती का महीना है। इस में पैदा होने वाले व्यक्ति मेहनत से त्रस्त नहीं होते ना हैं कभी परेशानी में गश्त खाते हैं। हमेशा मस्त, स्वस्थ रहते हैं। अगस्त में जन्मे लोगों का सीधा सा फंडा होता है-मौज करो, रोज करो, नहीं मिले, तो खोज करो।

अगस्त में आठ अंक चमत्कारी है….

8 का अंक नीचे-ऊपर दो शून्य यानि जीरो जोड़कर बनता है। ऊपर की जीरो आध्यात्मिक शक्ति का तथा नीचे का शून्य भौतिकता का प्रतीक है। आठ अंक के बारे में पूरा एक वैज्ञानिक लेख कभी आगे दिया जाएगा। श्री नरेंद्र मोदी का जन्माक भी “8″ ही है।

लेफ़्टिज पर देशी अनुसंधान और खोज..

जीवन में लगभग 2 हजार से भी अधिक लेफ़्टिज से चर्चा कर उनके नेचर-विचारों के बारे में जाना, तो लेफ़्टिज में एक बात बहुत कॉमन लगी कि उनकी जिंदगी में 4-8-13 अंक का विशेष महत्व रहा। अनेकों लेफ़्टिज के जन्मदिन में यह अंक समाहित था।

जानवरों का भय…

उल्टे हाथ वालों को जीवन में एक बार कुत्ता अवश्य काटता है अथवा किसी जानवर के कारण हानि होती है।

भाग्योदय दायक उपाय….

 पशु-पक्षियों को तेज मसाले का नमकीन चुगाना चाहिये।

 शिंवलिंग पर प्रत्येक रविवार नारियल का जल अर्पित करें, तो चमत्कारी लाभ होता है।

 पैसे, धन-दौलत की चाह रखने वालों को अमृतम द्वारा निर्मित “राहुकी तेल” का नित्य दीपक जलाना बहुत शुभकारी होता है।

राहु-केतु का क्लेश….

अंक ज्योतिष में 4 का अंक का मालिक राहु व केतु दोनो  हैं। चीनी न्यूमरोलॉजी लोशु ग्रिड में ‘4’ को राहु का तथा 7 को केतु का अंक माना है। लेफ़्टिज कि लाइफ में राहु-केतु अचानक हानि-लाभ या अपार सफलता अथवा बदनामी दिलाता है। इस भय के कारण ये लोग अत्यधिक ईश्वरवादी होकर ऐसी मानसिकता बना लेते हैं कि…अंत भला तो सब भला। 

चार के अंक और श्रीयंत्र का रहस्य….

हिंदी में  लिखें, तो ऊपर का मुख खुला है, इसलिए ऊपर आकाश, ब्रह्माण्ड का सम्पूर्ण ज्ञान इस अंक में समाहित होता रहता है।  “” अंक वाले लोग कुछ अधिक ज्ञानी तथा कंजूस प्रवृत्ति के होते हैं। चार के अंक को अंग्रेजी में “4″ लिखें, तो ऊर्ध्व त्रिकोण  (∆) अर्थात शिंवलिंग जैसा बनता है। इसी ∆ को उल्टा नीचे की तरफ कर दे, तो अधोलिंग त्रिकोण श्री लक्ष्मी का स्वरूप हो जाता है। “शारदा तिलक तन्त्र” शास्त्र में उल्लेख है कि.. ऊपर की ओर त्रिकोण।  को उर्ध्वलिंग शिंवलिंग तथा अधोलिंग को योनि मानकर दोनो के जोड़ से श्रीयंत्र की रचना हुई। जो धनवृद्धि एवं लक्ष्मी प्राप्ति का वैज्ञानिक यन्त्र है। सभी धर्मों में यह पूज्यनीय है। यन्त्र के बीच का बिन्दु प्रथ्वी की शक्ति, आध्यात्मिक, भौतिक, सांसारिक सत्यता का घोतक है। दोनों त्रिकोणों के मिलन से ही सृष्टि का निर्माण हुआ।

चार में सन्सार है…

1- अथर्ववेद, सामवेद आदि 4 वेद हैं।

2- सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग 4 युग हैं।

3- धर्म-अर्थ, काम-मोक्ष यह चार पुरुषार्थ हैं।

4- साम-दाम, दण्ड-भेद 4 नीतियां हैं।

5- सत्य-धर्म, पवित्रता-दान धर्म के 4 पैर हैं।

6- प्राणतत्व, जलतत्व, तेजतत्व एवं प्रकाश भगवान विष्णु के चार हाथ से नियंत्रित हैं।

7- नांरी की 4 अवस्था- बाला, तरुणी, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धा होती हैं।

8- चार प्रकार की महिलाओं से बचे

 स्वस्त्रियामपि गमने निषेधातिथि:

 (विष्णुस्मृति भाग 2/१६-५८ श्लोक के अनुसार पुरुषों को 4 तरह की स्त्रियों जैसे- हीनांगस्त्री, अधिकाँग स्त्री, गर्भवती एवं उम्र से बड़ी महिला से बचने की सलाह दी है

9- मन-बुद्धि, चित्त-अहंकार चार तरह के अंतःकरण बताये हैं।

10- प्रत्येक प्राणी की …जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति व तुरीय ये चार अवस्थाएं होती हैं!

11- ब्रह्मानंद, आत्मानन्द, विद्यानन्द और सांसारिक विषयानन्द ये चार आनंद जीवन के होते हैं।

12- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र ये चार वर्ण होते हैं।

13- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं सन्यास इन्हें चार आश्रम बताया है।

14- चौपाई में चार लाइन होती हैं। रामचरित मानस चौपाइयों का संकलन है।

13 के अंक को अशुभ क्यों मानते हैं…

कहावत है कि..”कुंआरी के भाग्य से ब्याही मर जाती है”- लेकिन ऐसा कभी-कभार होता है। इसी तरह 13 या 4 तारीखों में कोई अनहोनी होने से इसे अशुभ घोषित कर दिया और दुनिया ने इस बात को बिना सोचे-समझे अपना भी लिया। इसी कारण विश्व में अनेकों होटल, आफिस ऐसे भी हैं, जिनमें 4 एवं 13 नम्बर का रूम ही नहीं है।

परमपूज्य पुरुषों को प्रणाम…

दुनिया में आज तक बहुत से अवतार, महापुरुष हस्त नक्षत्र में जन्मे हैं, जो 27 नक्षत्रों में तेरहवाँ है… हस्त के नक्षत्र में जन्मी आत्माओं में….. 

● देवताओं में प्रथम पूज्य श्रीगणेशजी

● शेषनाग भगवान

● रूद्रावतार बजरंगबली, 

● भगवान श्री परशुराम

● सिख धर्म के प्रवर्तक गुरुनानक देव

● गुरुतेगबहादुर जी साहिब

● गुरु गोविंदसिंह जी

● ईसाई धर्म के प्रेरक ईसा मसीह जी

● भगवान श्रीराम की राशि और लग्न कर्क है, जो चौथी है।

● हिन्दू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। इस महीने सूर्य कर्क यानि चौथी राशि में स्थित रहते है और यह महीना शिव उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

● अघोरी परमहँस श्री श्री कीनाराम जी  इनकी तांत्रिक विद्या अचूक थी। नीचे लिखे अघोरी तन्त्र की भाषा आज तक कोई समझ नहीं पाया….

काला निकाल कर लाल डाल,अंजरी-बजरी सब खा ले।चार अंगुल थी आठ अंगुली फटी, सब नाथों के आगे नाठी।।

● इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, जो चौथा है।

चार से विवाद मत करो – मूर्ख, पागल, गुरु और माता पिता से।

चार में शर्म नही करना- पुराने कपड़ो में, ग़रीब साथियों में, बूढ़े माता-पिता में तथा रहन-सहन में।

चार दुर्लभ गुण- धन के साथ पवित्रता, दान के साथ विनय, वीरता के साथ दया और अधिकार के साथ सेवाभाव।

चार बुराई भाग जाती है – देव-गुरु दर्शन से दरिद्रता, भगवान की वाणी से पाप, जागते रहने से चोर एवं धैर्य से क्रोध।

चार से नुकसान- पति-पत्नी में तनातनीजन्म पत्रिका में  “शनि“, माइंड में  “मनी ” और जीवन में  “दुश्मनी“। पहले बड़े-बुजुर्ग समझाते थे कि- शब्दों का भी अपना तापमान होता है। शब्द सकूंन भी देते हैं और जला भी देते हैं।

खाली है मेरा हाथ, तेरा हाथ चाहिए..

’13’ के अंक में “तेरा”… छुपा है। लेफ़्टिज जगत में सबके कल्याण के लिए जन्म लेते हैं। ये जानते हैं कि भला करोगे, तो लाभ होगा। पीड़ा से पार पाने और पार जाने के लिए बस, तेरा-तेरा करते चलो, यही सन्सार का सार है।

लेफ्ट हेंडर्स के लिए 13 अगस्त का दिन विशेष महत्वपूर्ण है।

पिछले कुछ वर्षों तक किसी को यह ज्ञात नहीं था की देश-दुनिया में कितने प्रतिशत लोग लेफ्ट हेंडर्स हैं, किन्तु कुछ समय पूर्व हुए एक सर्वे के अनुसार पता लगा कि विश्व की कुल जनसंख्या में से 13% लोग उल्टे हाथ से लिखते या काम करते हैं । इसीलिये अगस्त माह की 13 तारीख को लेफ्ट हेंडर्स डे के रूप में इसे मनाया जाने लगा है ।

तेरा तुझको अर्पणक्या लागे मेरा…

अंक ज्योतिष में वैसे तो “13” तथा ‘1+3 =4’ एवं ‘4’ का दुुगुना  “8” इन तीनों अंकों को अशुभ मानते हैं। हो सकता है कि “13” अंक में तेरा-तेरा छुपा हुआ हो। स्वार्थ के इस संसार में कोई भी व्यक्ति तेरा-तेरा करना नहीं चाहता। इसलिए तेरह के अंक को अशुभ माना जाता हो, क्योंकि सन्सार में सब मेरा-मेरा करने में लगे हैं।

तेरहवीं का महत्व क्यों है….

शायद इसी कारण जब हम पूरा जीवन मेरा, अपना करते रहतें हैं, तो मृत्यु के 13 दिन बाद तेहरवीं मनाने का नियम बनाया हो, कि मरने के बाद उसको मेरा, अपना, मोह-माया से मुक्ति मिले। तेरहवीं के पश्चात वह तेरा-तेरा कर सके अर्थात मरने के 13 दिन बाद सब कुछ तेरा है। माता-पिता की मृत्यु के पश्चात ही पुत्रादि सम्पत्ति के कानूनन उत्तराधिकारी बन पाते हैं।

तरह-तरह के तेरह…..

¶ मोती रत्न 13 प्रकार के होते हैं जैसे-बंशमुक्ता, गजमुक्ता, नागमुक्ता आदि।

¶ नृत्य अंतर्गत शिरः 13 तरह का होता है।

¶ अप्सराएं भी तेरह होती हैं जैसे-अलमूषा, मिश्रकेशी, रम्भा, रक्षिता, केशिनी आदि।

¶ राजा दक्षप्रजापति की 16 में से 13 कन्याएं अग्नि को ब्याही थीं जैसे-तुष्टि-पुष्टि, दया, शांति, तितिक्षा यानि सहनशीलता, बुद्धि आदि, क्रिया, श्रद्धा, मैत्री आदि।

यज्ञोपवित यानी जनेऊ 13 तरह का होता है।

¶ लेखक लिखते समय 13 तरीके से विचार करके लिखता है जैसे-निंदा, प्रशंसा, आदि।

¶ ज्योतिष में हस्त नक्षत्र भी तेरहवाँ है।

¶ महापापोद्भव तेरह तरह के रोग पूर्वजन्मकृत महापाप के कारण होते हैं-मधुमेह, कर्कट रोग केन्सर, पक्षाघात आदि।

तेहरवीं का कारण-

धार्मिक परम्परानुसार किसी की मृत्यु उपरांत 13वे दिन तेरहवीं की जाती है। मान्यता है कि तरह दिन पश्चात मृतात्मा को मुक्ति मिल जाती है। गौर देखा जाए,तो जो लोग जिंदगी भर “मेरा-मेरा” करके मरते हैं, तेरहवीं उन्ही की होती है और जो पुण्यात्माएं तेरा-तेरा करके जाती हैं, उनकी पुण्यतिथी मनाई जाती है। ये महान आत्माएं कुछ इस तरह गुनगुनाते हुए जीवन गुजार देती हैं……  शम्भू पार लगा दे, अबकी बार लगा दे।  ये लोग तेरा-तेरा करते स्वयं भी तर जाते हैं और दुनिया को तार देते हैं सिखधर्म के सिद्ध सद्ग्रन्थ

गुरुग्रन्थ साहिब” के शब्द हैं कि

मेरा मुझमें कुछ नहीं
जो कुछ है,सो तेरा !
तेरा तुझको सौप के
क्या लागे मेरा,क्या लागे मेरा !!

लेफ्टी की लिस्ट
लेफ़्टिज की गणना लगभग 50 वर्ष पूर्व हुई। इसके पहले इन्हें हैय या निम्न दृष्टि से देखा जाता था। लोग इन्हें तांत्रिक,पागल कहते थे।

सच्चाई का पता लगा..

इंग्लैंड में 30 वर्ष पहले हुए एक सर्वे के अनुसार 15 से 24 वर्ष की उम्र वाले  13%  औऱ 55 से 64 वर्ष  की अवस्था वाले 8% लोग लेफ्ट हेंडर्स थे। महिलाएँ 3 फीसदी जो बहुत कम थी।

लेफ़्टिज स्त्री बहुत बेहतरीन मिस्त्री..

यह बहुत भावुक, मिस्त्री यानि कलाकार अच्छी लेखक, कवि, आर्टिस्ट हो सकती हैं। इन्हें केवल प्यार से ही जीता जा सकता है। लेफ़्टिज महिलाएँ वफादार प्रेमिका और पतिव्रता होती हैं। ये बुद्धि या दिमाग से नहीं चल पाने के कारण कभी-कभी बहुत दुःखी-पीड़ित हो जाती हैं। दुनिया इन्हें दर्द देती रहती है, क्यों कि इनमें आत्मीयता बहुत होती है। लेफ़्टिज महिलाएं हमेशा दिल का उपयोग ज्यादा, दिमाग का कम करने के कारण अक्सर धोखा खाती हैं।

बहुत तकलीफ उठाई, मैंने तेरे इश्क़ में,

जहाँ दिल था, वहाँ अब दर्द रहता है।

कुल मिलाकर समझौता करके चलना इनकी मजबूरी होती है। हार-थककर कहती हैं…….

जो तुमको हो पसन्द, वही बात करेंगे…

सबकी पसन्द का ध्यान रखकर, लेफ़्टिज महिलाओं का स्वभाव किसी का दिल दुखाने वाला नहीं होता। ये थोड़ी जिद्दी जरूर होती हैं, लेकिन जल्दी मान भी जाती हैं। इनमें समर्पण बहुत रहता है। दुःख को छिपाकर कभी दिखावा नहीं करती। पहनावा भी इनका बहुत सादगी युक्त रहता है।

एक रिसर्च के अनुसार जो महिलाएँ लेफ्ट हेंडर्स होती हैं, वे वैवाहिक जीवन में बहुत सफल होती हैं। कुछ क्रांतिकारी होकर देश-दुनिया में ख्याति पाती हैं। इनके विचारों को, भावनाओं को लोग या परिवार के सदस्य कम ही समझ पाते है।

रोज-रोज की खोज
निरन्तर खोज के परिणामों से वैज्ञानिकों ने
उस जीन का पता लगा लिया,जो व्यक्ति को
लेफ्टी बनाता है ।
“LRRTM-1”  नामक जीन दिमाग के उस हिस्से को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं,जो भावना औऱ वाणी जैसी शारीरिक क्रियाओं को चलायमान रखता है।
वैज्ञानिकों का विचार है कि यह जीन अनुवांशिक रूप से अगली पीढ़ियों में प्रवाहित होता रहता है। जो बच्चें जुड़वा हो, उन्हें लेफ्टी बनाया जाए,तो वे बहुत ही भाग्यशाली व विद्वान होते हैं।

राइट हैंड-लेफ्ट हैंड किताब के लेखक ‘क्रिस मेक मेनस’ जो खुद भी लेफ़्टिज थे, उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर अनेकों ऐसे खुलासे किए कि- लोग उल्टे हाथ से लिखने के लिए प्रेरित हो जाएं। क्रिसमेक  ने लिखा कि जो प्राकृतिक यानि पैदाइशी लेफ़्टिज होते हैं, यदि उन्हें सीधे हाथ से लिखने या काम करने को मजबूर किया जाए, तो वे “डिस्लेक्सिया रोग” से पीड़ित हो सकते हैं। इस बीमारी के लक्षणों में अक्षरज्ञान लुप्त होने, नये शब्दों को देरी से समझना, सीखना, पढ़ना, हकलाना, देरी से बात करना शामिल है।

‘राइट हैंड-लेफ्ट हैंड’- पुस्तक के अनुसार उल्टे हाथ वाले मौके का इंतजार कर अत्याधिक उन्नति करते हैं। ये बहुत मेहनती, लगनशील, ईमानदार होने के साथ-साथ अपने समय का सदुपयोग करते हुए सफल जरूर होते हैं। सट्टा, शेयर, जुआ, MCX आदि जैसे कामों में लेफ़्टिज का गणित बहुत सही-सटीक बैठता है। ये कभी नुकसान नहीं उठाते यदि धैर्य से काम लें। लेफ़्टिज में हानि-नुकसान, घाटे को रिकवर करने की योग्यता होती है। इस किताब में लेखक ने शोध में गुण-अवगुण लिखे हैं..

? सीधे हाथ वाले कुछ ही लोगों से इनका मत मतलब विचार मिल पाता है।

? लेफ़्टिज अंधविश्वास और अविश्वास के बीच का रास्ता खोज आगे बढ़ते हैं।

? धन के कारण किसी का मन नहीं दुखाते। बेईमान नहीं होते।

? ऐतिहासिक दृष्टि से उल्टे हाथ वाले सामान्य रूप से अधिक और उससे भी ऊपर के शिखर को छूते हैं। शिखर पर पहुंचना इनका सपना होता है इसके लिए लेफ़्टिज पूरी ताकत झोंक देते हैं। इन्हें केवल काम से प्यार होता है।

? आजतक धर्म-कर्म और तन्त्र के क्षेत्र में अधिकांशत: लेफ़्टिज ही सफल हुए हैं।

? इनके दिमाग की बनावट कुछ अलग तरह की होती है। इसलिए ये हमेशा कुछ अलग हटकर, कुछ नया कर दिखाने की ललक रखते हैं।

? ये सफलता और उद्देश्य की पूर्ति हेतु पूर्ण एकाग्रता से गोपनीय रूप से संलग्न रहते हैं।

? लेफ़्टिज का बायां अंग ही ज्यादा क्रियाशील होता है। इनमें विचारशीलता और दूरदृष्टि अधिक होने के कारण किसी क्षेत्र में तुरन्त कूंद पड़ते हैं।

शिव के त्रिशूल की तरह होता है लेफ़्टिज यानि लेफ्ट हेंडर्स का दिमाग….

एक वामहस्त सिद्ध शिव साधक शिवकाली तांत्रिक का कहना है कि…लेफ़्टिज के दिमाग की बनावट भगवान शिव के त्रिशूल की तरह होती है, जिससे त्रिशूल का बीच वाला ऊपरी हिस्सा बेकार-व्यर्थ की निगेटिव बातों को माइंड के अंदर नहीं आने देता। त्रिशूल के दोनों तरफ वाले दाएं-बाएं वाले भाग में केवल ज्ञान और सदविचार ग्रहण कर संग्रह कर लेते हैं।

गणित के गुण…

लेफ़्टिज का हर क्षेत्र में गणित एवं कैलकुलेशन बहुत सटीक बैठता है। यह लोग जीवन को चलाने के लिए भी गणित का इस्तेमाल करते हैं। कोई भी कार्य हो, यहां तक कि सड़क भी पार गणित लगाकर ही  करते है। इसी वजह से इनके साथ आकस्मिक दुर्घटना कम ही होती है। एक सर्वे के हिसाब से सड़क हादसे में मरने वाले आज तक लेफ़्टिज बहुत कम ही एक्सीडेंट का शिकार हुए हैं।

लेफ़्टिज का अपना अलग गणित होता है

बचपन में मुझसे स्कूल में पूछा गया कि..   ४० किलो का एक मन होता है। दो मन मिलते हैं, तो क्या होता है! ‘मैंने कहा’- कि’…विवाह होता है। टीचर को बहुत क्रोध आया। फिर, उन्होंने बताया कि विवाह नहीं, 80 किलो होता है। बाद में जब टीचर की शादी हुई, तो उन्हें समझ आया, क्योंकि उनके तलाक का मुकदमा कोर्ट में चल रहा था।

 “श्रीनिवास रामानुजन इयंगर” एक महानगणितज्ञ भी लेफ़्टिज थे। इनके गणित के सिद्धांत के आगे दुनिया को नतमस्तक होना पड़ा। 1887 में जन्मे तथा 1920 में अलविदा होकर मात्र 33 वर्ष की उम्र में इनके गणित के संख्या सिद्धान्त का आज तक कोई अंत न कर सका। आज गणित जगत इनका ऋणी है। अमृतम परिवार नमन करता है।

मान-सम्मान, स्वाभिमान…

लेफ्ट हेंडर्स स्वाभिमानी बहुत होते हैं। ये मानते हैं कि….

“दिल की लगी न हो, तो क्या जिंदगी है”

★ ये हानि से नहीं, मानहानि से व्यथित हो जाते हैं। वाणी और जवानी का पूरा ध्यान रखते हैं।

★ लेखन, सम्पादन, वकालात, चित्रकारी, स्पोर्ट्स, डिजाइनर,आयुर्वेद, प्राकृतिक उद्योग तथा व्यापार में जीनियस होते हैं। घोर घाटा होने पर भी इनके स्वभाव में बेईमानी का भाव नहीं आता। नियत से खरे होते हैं।

★ लेफ़्टिज नुकसान से नहीं नुक्ताचीनी से अधिक भय खाते हैं। ये लोग चुनोतियों से नहीं चूतियों से घबराते हैं।

★ दो हाथ वाले कलयुगी धंधेबाज कथावाचक, सन्त-महात्मा जब “हजार हाथ वाले” यानि ईश्वर  के बारे में कुछ भी मनगढ़ंत बोलकर जनता को वेवकूफ बनाते हैं, तो इन्हें बहुत जबरदस्त गुस्सा आता है।

दुःख के अंदर सुख छुपा है, 

दुख ही सुख का ज्ञान।

दर्द सहकर जन्म लेता,

हर कोई इंसान।।

यह लेफ़्टिज जानते हैं। दुःख के समय कभी नहीं घबराते। स्वयं दुःख के सागर में डूबकर भी दूसरे को भवसागर से पार लगाने की क्षमता इनमें होती है। इनके संग..,हर्ष का मतलब संघर्ष से है। जब संघर्ष नहीं होता, तो यह खालीपन, डिप्रेशन महसूस करने लगते हैं। इनके दिमाग की संरचना बहुत विचित्र होने के कारण अनन्त ज्ञान स्टोर कर सकते हैं। लेफ़्टिज चाहें, तो अनेकों भाषाओं एव पशुपक्षियों की बोली बोल सकते हैं। 

हसीं-मजाक इन्हें अत्यंत प्रिय होता है। ये नये-नये शब्द, चुटकुले खोजकर मित्रों का मनोरंजन करते हैं। जैसे कपिल शर्मा कॉमेडी शो

बायें हाथ की बुद्धि…..
मानव शरीर के किसी भी हिस्से का काम करना हमारे मस्तिष्क द्वारा निर्धारित  किया जाता है। यह नियम हमारे हाथों की कार्य-प्रणाली पर भी लागू होता है ।
शिवलिंग स्वरूप हमारे मस्तिष्क में स्थित दिमाग दो हिस्सों में बटा हुआ है,दोनों ही हिस्से अंग्रेजी के अक्षर (C) सी की तरह सी वायर्ड होते हैं । एक प्रकार से हमारे दिमाग की आकृति शिव के डमरू (X) की तरह हैं। इनमें से दाहिनी तरफ वाला हिस्सा शरीर के बायें हिस्से को औऱ बायीं ओर का हिस्सा दाहिने तन को संचालित करता है।

लेफ़्टिज के दिमाग की दांस्ता
कुल मिलाकर लेफ्ट हेंडर का सीधे तरफ का दिमाग याानि राइटहैंड माइंड काम करता है औऱ राइट हेंडर्स का उल्टा दिमाग काम करता है। अर्थात सीधी-सपाट भाषा में समझें, तो उल्टे हाथ से लिखने,खाने वाले लेफ्ट हेंडर्स सीधे दिमाग से काम करते हैं, जो दुनिया में मात्र 13% ही हैं। इसका मतलब ये भी निकाला जा सकता है कि…..दुनिया को सही-सीधे दिमाग से चलाने वाले लोग देेेश-दुनिया मेंं केवल तेरह प्रतिशत ही हैं।

बायीं बुद्धि और हाथ का खेल
लेफ्ट हैंड साइड के दिमाग मानव बोलना, भाषा, लेखन, गणना, गिनती करना आदि को
संचालित करता है, जिसे
लीनियर थिंकिंग मोड
कहा जाता है । वहीं दाहिनी तरफ राइट साइड के दिमाग हमारी रचनात्मक,संगीत भाव आदि को संचालित करता है, जिसे “होलिस्टिक थिंकिंग मोड” कहते हैं । इसी कारण संगीत के क्षेत्र में लेफ्टी कम ही मिलते हैं। यदि कुछ हैं भी, तो वे बहुत उच्चतम स्तर के लेफ्टी होते हैं ।

चिन्ता नहीं चिन्तन-

चिन्ता चिता जलाती है यह बात लेफ़्टिज अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए
बायें हाथ वाले सदा चिंतन, अध्ययन और लेखन में व्यस्त रहते हैं।

आस्ट्रेलियन शोधकर्ताओं का कहना है कि…..बायें हाथ वाले चिंता कम, चिन्तन ज्यादा करते हैं। सोचने-समझने की क्षमता तेज़ होने के कारण लेफ्टी हर मुक़ाम पर चेम्पियन होते हैं।

न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट के अनुसार
लेफ्ट व राइट (बायें औऱ दाएँ)
“हेमिस्फयर” में सम्बन्ध होने के
कारण उल्टे हाथ से लिखने, काम करने
वाले (लेफ़्टिज) का दिमाग बहुत ही तेज़ व शार्प होता है। लेफ़्टिज केवल उन्नति, ऊँचा उठने, कुछ कर गुजरने, देश समाज, घर-परिवार का भला करने का मूलमन्त्र का सारतत्व अपने पास रखते है औऱ सारहीन बातें जल्दी भूलकर अपने मन-मस्तिष्क से
विदा कर अपने दिमाग से निकाल फेंकते हैं। यह लोग पैसे की जगह प्रसिद्धि के लिए ज्यादा प्रयास करते हैं।

बायें हाथ का कमाल-
बायें हाथ वाले लेफ़्टिज आसानी से
दिमाग के दोनों हिस्सों का इस्तेमाल करते हैं। एक प्रयोग के दौरान एक लेफ़्टिज

डॉक्टर निकचियरब्यून” ने पाया कि

विचारों के आदान-प्रदान औऱ विपरीत
परिस्थितियों में या घाटा व परेशानियों के समय लेफ़्टिज दिमाग के दोनों हिस्सों का भरपूर उपयोग कर महान कष्टों से भी मुक्ति पा जाते हैं।

घाटा ही लेफ़्टिज का गुरु होता है….

लेफ़्टिज हमेशा घाटा-नुकसान सहकर अनुभव एकत्रित करते हैं। लेफ़्टिज कभी भी बाधा व व्याधि, घाटा औऱ घाटी से नहीं घबराते। घाटा ही इनका गुरु होता है। यह बादाम खाकर बुद्धिजीवी नहीं बनते, बल्कि ठोकर खा-खाकर ठाकुरजी बन जाते हैं।

मौके का फायदा उठाने में ये दक्ष होते हैं, लेकिन स्वार्थी बिल्कुल नहीं होते। ये किसी के धोखे में नहीं आते, इन्हें धोखा देना आसान नहीं है। महत्वपूर्ण वार्तालाप या चर्चा तथा व्यापारिक गतिविधियों के दौरान इनके दोनों दिमाग तेजी से काम करते हैं।

कलाकार लेफ़्टिज….

लेफ्टी कला चुराने में माहिर होते हैं। किसी भी कार्य को एक बार देखने पर ये हूबहू कर सकते हैं। काम करते या सीखते समय यह दिमाग के दोनों हिस्सों के भरपूर उपयोग करते हैं। लेफ़्टिज के दिल में कोई बात चुभ जाए, या फिर  बदला लेने का प्रतिशोध जाग जाए, तो दुश्मन को पूरी तरह तबाह कर देते हैं। जीवन में कभी अपमान और धोखे का बदला लेना नहीं भूलते।

अनूठा है अंगूठा-

लेफ़्टिज यह बात बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि.. चार अंगुलियां-एक अंगूठा, सब झूठा सत्य नाम है शंकर। वृक्ष में बीज, बीज में बूटा, जग रूठा संग साथ है शंकर।।

मेडिकल साइंस के स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा
लेफ़्टिज वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि-
प्रत्येक बच्चा अपनी मां के गर्भ में ही
अंगूठा चूसने लगता है ।
गर्भस्थ शिशु जिस हाथ का भी अंगूठा
चूसने में इस्तेमाल करता है, वही हाथ
बच्चों के जीवन में मुख्य भूमिका निभाता है ।

आदत से इबादत-
न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट एवं न्यूरोसांईटिस्ट
मैगज़ीन के अध्ययनकर्ताओं ने एक
प्रयोग का जिक्र किया है।
इस प्रयोग में चिकित्सकों के एक दल
ने गर्भ में पल रहे करीब 80 बच्चों
पर अध्ययन में पाया कि 60 बच्चे
दाएँ हाथ (राइट हैंड) का औऱ 20 बच्चे बायें हाथ का अंगूठा चूस रहे थे। सभी बच्चे जब 10-12 वर्ष के हुए, तो चिकित्सकों ने पाया कि.. जो बच्चे गर्भ में लेफ्ट अंगूंठा चूस रहे थे, उनमें 15 बड़े होकर लेफ्ट हेंडर्स थे। शेष 5 बच्चे माँ-बाप की डांट-फटकार के कारण लेफ्टी नहीं बन सके।

लेफ़्टिज का जीवन जीन में

सन 2007 में एक लेफ़्टिज वैज्ञानिक ने एक रिसर्च में पाया कि लेफ्टी के शरीर में परमेश्र्वर प्रदत्त एक ऐसी जीन है जो बच्चों को बचपन से ही लेफ्ट हेंडर्स बनाने के लिए प्रेरित करती है। यह जीन यदि एक कदम और आगे बढ़ जाये, तो वे लेफ्टी पागलपन की कगार तक पहुंच सकते हैं। एक कदम पीछे होने से अधिकांश लेफ्टी अत्यंत तेजस्वी अर्थात शार्प माइंड होते हैं।

हरि और हरियाली के प्रेमी लेफ़्टिज…

लेफ्टी हरदिल अजीज, हरफनमौला, हर दुःख के साथी, हरि और हरियाली से हर पल लगाव रखने वाले होते हैं। हर क्षेत्र के जानकार, भावुक होते हैं तथा अध्यात्म, क्रूरता और भौतिक तीनों क्षेत्रों में अपना परचम लहराते हैं।

लेफ्टी होते हैं साउथ पॉ…

कभी किसी समय वामहस्त के व्यक्ति को साउथ पॉ और सिनिस्ट्रिल भी कहा जाता था, जिसका मतलब उल्टा, अशुभ, बुरा होता है, लेकिन जब लेफ़्टिज आगे बढ़े, सफल हुए तो लोग इन्हें सम्मान की दृष्टि से देखने लगे।

नजरों को बदला, तो नजारे बदल गए …

कुछ समय पूर्व एक रिसर्च के दौरान पता लगा कि अधिकांश लेफ़्टिज अमीरों की श्रेणी में शुमार हो चुके हैं। यह समान्य लोगों से 35 फीसदी ज्यादाअमीर हैं। 13 फीसदी लेफ़्टिज में से 70 से 80 प्रतिशत लोग अपने-अपने क्षेत्रों में सफल हुए हैं। 72 फीसदी स्नातक, 45% पोस्ट ग्रेजुएट हुए हैं।

बायां हाथ बंगाली, कभी न जाये खाली..

अर्थात बाएं हाथ वाला व्यक्ति बंगाली हो, तो वह विचित्र तांत्रिक, जादूगर होता है।  बायां हाथ वाला कभी खाली नहीं बैठता। आज से करीब 100-50 साल पहले यह मान्यता थी कि बंगाल (कामाख्या असम) का जादू या तन्त्र इतना खतरनाक और चमत्कारी था कि.. वे वहीं बैठे हुए दुनिया के किसी भी व्यक्ति के नाम से मारण मूठ मन्त्र का आव्हान करते थे, तो उसकी मृत्यु हो जाती थी। उच्चाटन, मारण, यक्षिणी, कर्ण पिशाचिनी विद्या का बंगाल गढ़ रहा है और आज भी कुछ हद तक है।

बंगाल के अघोरी ध्यान-मन्त्र के द्वारा चोरी करने में सिद्धहस्त थे। आदमी को कबूतर, तोता, कौआ आदि जानवर बनाना बंगाली तांत्रिकों के लिए बाएं हाथ का खेल था। किसी समय बंगाल का जादू विश्व प्रसिद्ध था। इनके अनेको किस्से हैं, जो कभी अमृतम के ब्लॉग में अलग से दिए जाएंगे। दुरुपयोग होने की वजह से अब ये सभी तन्त्र विद्या लुप्त, गोपनीय तथा कीलित कर दिए गए हैं।

बाएं हाथ का महत्व इसलिए भी और बढ़ जाता है क्योंकि अधिकतर बंगाली तांत्रिक वामहस्त थे। बंगाल में मान्यता है कि जो लेफ़्टिज हैं और तन्त्र-मन्त्र के मामले में न्यूनाधिक ज्ञान रखता है, उस पर सिद्धियां होने के बाद भी उनका खुलासा, प्रचार या उपयोग बहुत ही सावधान पूर्वक करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि एक बार बंगाल का जादू भले ही निष्क्रिय हो जाये, किन्तु लेफ़्टिज कभी असफ़ल नहीं होता इसीलिए यह कहावत बनी कि.. बायां हाथ बंगाली- कभी न जाये खाली।

बंगाल के तांत्रिकों की एक कहावत प्रसिद्ध है कि..बंगाल जादूगरों का घर है

जादू का घर बंगाला, बायां हाथ छिनाला 

अपने घर को कर रीता,बायां हाथ पलीता

अर्थात.. बाएं हाथ वाले व्यक्ति से कुछ भी छीन पाना मुश्किल है। चाहें वह धन हो, रहस्यमयी ज्ञान हो या जादू। लेफ़्टिज किसी पर फिदा या प्रसन्न हो जाएं, तो भावुक होकर दान-धर्म करके अपने घर को रीता यानी खाली कर देते हैं।

गुरुनानकदेव भी लेफ़्टिज थे। बचपन में उनका एक किस्सा बहुत मशहूर है कि… जब वे दुकान पर अनाज तोल रहे थे, तब तेरह की गिनती आने पर तेरह-तेरा करके गोदाम खाली कर दिया था

दाएं हाथ वाले का दम

अध्यात्म या पूजा पाठ के मामले में प्राचीन काल से यह माना गया है कि सभी शुभ कार्य राइट हैंड से करना चाहिए तथा तन्त्रादि मारक क्रियाएं, पिण्डदान आदि उल्टे हाथ से करना श्रेष्ठकर होता है क्यों कि उल्टे हाथ से की गईं अशुभ क्रियाएं या कार्य तुरन्त परिणाम देती हैं। यदि कोई आध्यत्मिक क्षेत्र में दखल रखता है, तो लोग उसे गुरु की तरह मानते हैं। ऐसे लोगों पर ईश्वर की विशेष कृपा होती है। लेफ़्टिज यदि शिवभक्त है, तो उस पर रिद्धि-सिद्धि का विपुल भण्डार रहता है। लेफ़्टिज लोग नित्य नई खोज करने पर भरोसा करते हैं।

ज्योतिष की ज्योत…

ज्योतिष के क्षेत्र में अपने आत्मानुभव के कारण जीवन को सफल बना लेते हैं। लेफ़्टिज द्वारा बताए गए उपाय, ग्रह-शान्ति, टोना-टोटका जीवन में चमत्कारी लाभ होता है। यह सभी उपाय बिना किसी लालच के केवल कल्याण हेतु बताते रहते हैं।

हिम्मत न हार,फ़कीरा चल-चलाचल-

हिम्मत शब्द का संधि-विच्छेद करें तो हिम+मत होता है। हिम का अर्थ ठण्डा, वर्फ़, शिथिलता होता है तथा मत मतलब नहीं होता है दूसरे अर्थों में बुद्धि, सहमत होना कहते हैं। लेफ़्टिज कभी अपने दिमाग को ठंडा या शिथिल नहीं होने देते। हमेशा स्वयं के मत यानि बुद्धि से ही चलकर सब कुछ पा लेते हैं।संघर्ष ही इनके जीवन का सब कुछ होता है। वे जानते हैं बिना मेहनत, तकलीफ के कुछ नहीं मिलता। सदा ‘संग’ जिसके ‘हर्ष’ हो, उसे ही “संग+हर्ष” मानते हैं

तकलीफ़” दोनों का संधि विच्छेद करें, तो
तक‘ का अर्थ है- अंतिम सीमा ऒर बहुत छोटी वस्तु को ‘लीफ‘ कहते हैं । इन सकारात्मक विचारों के सहारे बड़े से बड़े दुख दूर कर लेते हैं ।
लेफ़्टिज जानते हैं कि पहाड़ जैसी परेशानी से भी हम पार लग जाएंगे।
दुःख-सुख की परवाह किये बिना ये चलते जाते हैं ये सोचकर कि-
मुसाफिर हूँ यारों
न घर है,न ठिकाना ,
बस चलते जाना है।

बस, लेफ़्टिज कभी रुकते नहीं हैं –
ये रास्ता है जिंदगी,
जो थम गए,तो कुछ नहीं।

लेफ़्टिज जानते हैं कि…..
चलना ही जिंदगी है,
रुकना है मौत तेरी।

लेफ़्टिज के खुद की किताब
कोरी ही रह जाती है । ये बहुत कुछ
पाना चाहते हैं, तभी कसक इनके
दिल में बनी रहती है ।
कोरा कागज़” चलचित्र का ये गीत
इन पर खरा उतरता है कि….
मेरा जीवन कोरा कागज
कोरा ही रह गया।
जो लिखा था,
आंसुओं के संग बह गया।

लेफ़्टिज अपनी धुन के पक्के होने के कारण
हिम्मत न हार
फ़कीरा चल-चलाचल”

अपने आत्मबल के बल पर लेफ्टी
बस,चलते ही रहते हैं।

लेफ़्टिज से विशेष निवेदन-
यदि आप लेफ्ट हेंडर्स हैं। केवल बायें हाथ से लिखने, काम करने या उल्टे हाथ से खाने वालों के लिए यह दुर्लभ और अद्भुत जानकारी हेतु इस ब्लॉग को पूरी तल्लीनता से पूरा जरूर पढ़िए। अपनी विशेषताओं को बताने के लिए अन्य लोगों को भी पढवाये।

यह लेख बहुत बड़ा है,फिर भी आप बोर नहीं होंगे। उनके लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। जिसे आज तक किसी ने कहीं सुना या पढ़ा नहीं होगा । यह “अमृतम पत्रिका” का दावा है।

इस लेख में उल्टे हाथ से काम करने वालों की आदत, भाव-स्वभाव, प्रभाव और अभाव तथा उनके दुःख-दर्द के बारे में बहुत विस्तार से लिखा है।

जानिए लेफ्ट हेंडर्स की विशेषताएं…

【1】लेफ्ट हेंडर्स का आईक्यू लेवल ज्यादा माना जाता है। 

【2】लेफ्ट हैंडर लोग, जिनके दिमाग का दाहिना भाग अधिक सक्रिय होता है, इस वजह से वे अधिक क्रिएटिव और डिबेट एक्सपर्ट होते हैं।

【3】न्यूयॉर्क की सेंट लॉरेंस यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक राइट हैडर्स के मुकाबले लेफ्टी लोगों आईक्यू लेवल 140 से अधिक होता है।

【4】नई-नई खोजों से कई रोचक तथ्य सामने आए हैं, जो लेफ्टीस की विशेषता को और भी बढ़ा देते हैं जैसे-

【5】 लेफ्टीस अपनी कल्पना शक्ति का उपयोग संगीत और कला के क्षेत्र में अधिक करते हैं।

【6】 लेफ़्टिज बहुमुखी प्रतिभाशाली और बहुत ज्ञानी, शार्प माइंड होते हैं।

【7】 किसी बात की तह तक जाने में विश्वास करते हैं, क्रियेटिव और रचनात्मक विचारों वाले होते हैं।

【8】लेफ़्टिज की उपलब्धियाँ ऊँची होती हैं।

【9】लेफ़्टिज खेल-कूंद में दक्ष होते है।

【10】लेफ्टीस अच्छे लड़ाकू और फाइटर्स हो सकते हैं।

【11】अध्ययन, पढ़ाई और रिसर्च में बहुत काबिल होते हैं।

【12】जुड़वा बच्चों में से किसी एक के लेफ्टी होने की संभावना अधिक होती है।

【13】कार्य करने के लिए सीधे हाथ का इस्तेमाल अच्छे से कर लेते हैं।

【14】लेफ्ट हेंडर्स लिखते बहुत अच्छा हैं तथा इनकी राइटिंग सुन्दर होती है।

लेफ़्टिज की प्रचलित हैं कई भ्रांतियाँ जैसे-

【15】लेफ्ट हेंडर्स बच्चों को अक्षर अल्फाबेट्स सीखने में परेशानी होती है।

【16】वामहस्त को अशुभ मानते हैं।

【17】वामहस्त अल्पायु होते हैं। लेकिन यह सच्चाई नहीं है। अभी कई शोध चल रहे हैं।

【18】बचपन में स्वभाव संकोची होता है। लेफ्ट हैंडर्स में हकलाने और डिस्‍लेक्सिया की बीमारी की दर सबसे ज्‍यादा होती है।

【19】सबसे बड़ी बात प्रथ्वी एवं पानी के अंदर किसी भी चीज को पहचानने की क्षमता लेफ्ट हैंडर्स में सबसे तेज होती है।

【20】लेफ्ट हैंडर्स क्रिकेट, बॉलीबॉल,टेनिस, बेसबॉल, स्विमिंग और फेंसिंग जैसे खेलों में मास्टर होते हैं।

【21】दाएं हाथ से काम करने वाले लोगों की तुलना में लेफ्ट हैंडर्स कम उम्र में जल्‍दी परिपक्‍व हो जाते हैं।

【22】अमेरिका के अपोलो मिशन पर जाने वाले हर चार अतंरिक्ष यात्रियों में से एक लेफ्ट हैंडर जरूर रहता है।

【23】लेफ़्टिज में कल्‍पना करने तथा सपने देखने की क्षमता बहुत तेज होती है।

【24】लेफ़्टिज महिलाएं पुरुषों के मुकाबले दो गुना तनाव महसूस करती  हैं।

लेफ़्टिज के लिए सफल होना बहुत जरूरी है। बार बार की नाकामियों से भी डिप्रेशन आ जाता है

【25】लेफ्ट हैंडर्स अधिक प्रतिभाशाली और अच्छे लीडर होते हैं। आप हैरान हो जाएंगे यह जानकर कि आज तक अमेरिका के अधिकांश राष्ट्रपति लेफ्ट हैंडर्स ही हुए हैं। इनमें बराक ओबामा, रोनाल्ड रीगन, जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन शामिल हैं।

【26】रोनाल्‍ड रीगन  40वें अमरीकी राष्‍ट्रपति भी लेफ्ट हैंडर ही थे। हालांकि वह अक्‍सर मजाक में कहते थे कि मैं लिखता उल्टे हाथ से हूं , पर उपयोग सीधे दिमाग का करता हूँ। ज्ञात हो कि सीधे हाथ से काम करने वालों का लेफ्ट साइड का दिमाग काम करता है और लेफ्ट हेंडर्स का राइट साइड वाला।

 【27】41वें अमरीकी राष्ट्राध्यक्ष बिल क्लिंटन, जॉर्ज एच.डब्‍लू बुश तथा उनके बाद अमेरिका के 42वें राष्‍ट्रपति बिल क्लिंटन भी लेफ्ट हेंडर्स ही रहे हैं।

【28】बराक ओबामा अमेरिका के 44वें लेफ्ट हेंडर्स राष्‍ट्रपति थे।  हालांकि अनेको अनुसंधानों में यह कहा गया कि उल्टे हाथ वाले लोग डिबेट यानि बहस में होशियार नहीं होते, किन्तु ओबामा ने शायद उन रिसर्च को गलत सिद्ध कर दिया था।

【29】ओबामा का जन्म 4-8-1961 को हुआ था। लेफ़्टिज के जीवन में 4 और 8 अंक का विशेष घालमेल होता है।

【30】अमेरिका का जानी दुश्मन और दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी “ओसामा बिन लादेन” भी लेफ्ट हेंडर्स ही था।

【31】ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन भी अपने करीबी दोस्‍त बराक ओबामा की ही तरह लेफ्ट हैंडर हैं।

【32】बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्‍चन भाग्यशाली लेफ्टी है। वे लेफ्टी होना बहुत ज्यादा शुभ मानते हैं।

【33】मास्‍टर ब्‍लास्‍टर सचिन तेंदुलकर जो खेलते तो दाएं ह‍ाथ से थे लेकिन वास्तव में सचिन एक लेफ्ट हैंडर हैं।

【34】माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर और IT क्षेत्र में युवाओं के पथप्रदर्शक  ‘बिल गेट्स’ आज विश्वविख्यात व्यक्ति हैं। कभी दाएं हाथ से अच्‍छी हैंडराइटिंग नहीं होने के कारण बहुतअपमान झेला, इसलिए ही उन्‍होंने लेफ्ट हैंड से लिखने की कोशिश शुरू की थी।

【35】पागलपन की प्रवृत्ति एवं खड़ूस बॉस के तौर पर मशहूर एप्‍पल के को-फाउंडर स्‍टीव जॉब्‍स ने उल्टे हाथ से ही एप्‍पल के हर प्रोडक्‍ट को मार्केट में उतारा।

【36】फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकेरबर्ग भी बायें हाथ वाले लोगों की श्रेणी में आते हैं।

【37】जॉन मैकनैरो लेफ्ट हैंड से विनिंग शॉट लगाने के कारण प्रसिद्ध हुए। यह टेनिस के बादशाह और कई खिलाड़‍ियों के आदरणीय थे।

【38】स्‍टार खिलाड़ी लियोनल मेसी के लिए भी 13 अगस्त का दिन विशेष है। मेसी भी आज इस दिन को सेलिब्रेट करने वाली हस्‍ती हैं।

【39】’प्रिटी वुमन’ जूलिया रॉबर्ट की मां ने कई बार दाएं हाथ से ही काम करने को कहती थी लेकिन उन्‍हें सिर्फ बाएं हाथ से काम करना ही सुविधाजनक लगता था।

【40】प्रिंस विलियम ब्रिटेन के शाही परिवार के लाडले और महत्वपूर्ण सदस्य भी लेफ्टी हैं, जो कि रॉयल एयरफोर्स में ऑफिसर हैं।

दम मारो दम मिट जाएं गम,

【41】ओफ्रा विन्‍फ्रे का कहना है कि काम में दम लगाओ, चिलम में नहीं। गम या दुःख काम करने से दूर होते हैं। अपने संघर्ष और बुद्धिमता के दम पर आज की युवा पीढ़ी में एक अलग पहचान बना चुकी है।

तुम इतना क्यों मुस्करा रहे हो…

{{1}} दुनिया को ‘हास्य के नये-नये रूपों से रूबरू कराकर, दर्शकों को हंसने के लिए मजबूर करने वाले चार्ली चैप्लिन, कपिल शर्मा भी लेफ्ट हैंडर होकर प्रसिद्ध हुुए।

बाएं हाथ के वैज्ञानिक न्‍यूटन

{{2}} आपने न्‍यूटन का गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त यानि ‘लॉ ऑफ ग्रैविटी’ के जनक न्‍यूटन भी बाएं हाथ के कारीगर थे

{{3}} “मोनालिसा” की पेंटिंग में रहस्‍यमी मुस्‍कान लियोनार्डो द विंची के बाएं ह‍ाथ का ही कमाल है।

{{4}} दुनियाभर के अमीरों का रिकॉर्ड रखने वाली फोर्ब्‍स मैगजीन के स्‍टीव फोर्ब्‍स भी दुनिया के 13% लेफ़्टिज में से एक हैं।

दुनिया में कई ख्यातिलब्ध हस्तियाँ जैसे-क्वीन विक्टोरिया,

नेपोलियन बोर्नापार्ट,

एलेक्जेंडर द ग्रेट सिकंदर,

पाबलो पिकासो, जूलियस सीजर रोम, अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, रितिक रोशन, वैज्ञानिक आइंस्टीन,

सौरव गांगुली, ब्रायन लारा, सचिन तेंदुलकर,

युवराज सिंह, के साथ साहित्य, कला, राजनीति, खेल और विज्ञान से संबंधित और भी कई लोग हैं, जो अपनी पर्सनालिटी और कार्यों के लिए, तो विख्यात हैं ही, पर इन सभी में एक और विशेषता है कि ये ख्याति प्राप्त लोग 13 फीसदी ‘लेफ्टीज’ में से ही हैं।

 पुणे में है –लेफ्ट हेंडर्स की संस्था

एसोसिएशन ऑफ लेफ्ट हेंडर्स, 10-गीतांजलि अपार्टमेंट, द तनाजीवाड़ी, शिवजीनगर – पुणे 411005 MH।           के नाम से आज से 20 साल पहले पूना महाराष्ट्र में थी, जिसका आजीवन सदस्यता शुल्क 2000 रुपये था।

इस ब्लॉग को 45 वषों के अथक परिश्रम, गहन अध्ययन,अनुसंधान के पश्चात अशोक गुप्ता जो स्वयं लेफ़्टिज हैं के द्वारा अपने अनुभव के बाद तैयार किया गया- जो

अमृतम फार्मास्युटिकल्स”
संस्थापक तथा प्रबंध निदेशक हैं ।

लेखन की ललक-

◆ “अमृतम पत्रिका“के मुद्रक,प्रकाशक,सम्पादक हैं। अब इसे
www.amrutampatrika.com
ऑनलाईन पढ़ सकते हैं।
◆ सन 1991 में इनके द्वारा स्थापित
मरकरी एम.एजेंसी (प्रा) लिमिटेड
हर्बल प्रोडक्ट की मार्केटिंग
के लिए प्रसिद्ध  है।
◆ 2002 में प्रकाशित
कालसर्प विशेषांक
25 साल के संघर्ष,अध्ययन के फलस्वरूप
बहुत आर्थिक तंगी, परेशानियों के पश्चात
इसका प्रकाशन हो सका । इस पुस्तक से प्राप्त आय से अनेक जीर्ण-शीर्ण शिवालयों का पुनरुद्धार हुआ ।
इसमें कालसर्प-पितृदोष का सम्पूर्ण निवारण
था। राहु-केतु शांति के उपाय तथा भाग्य के भरोसे भटकते हुए लोगों हेतु उन्नति के चमत्कारी तरीके बताएं हैं, इसमें विज्ञान व
अध्यात्म की विस्तृत व्याख्या है।
विशेष लेखन शैली औऱ अदभुत
दुर्लभ जानकारी के कारण एक वर्ष में
“कालसर्प विशेषंक” की 70000 सत्तर हजार प्रतियां मात्र एक वर्ष में विक्रय हुईं।

सदाशिव का साथ-

मेरा बचपन से ही मानना रहा की सब कुछ
“शिव” ही है, शिव में सब है। इसके चलते पूरे भारत के लगभग 20 से 25 हजार शिवालयों के दर्शन सम्भव हो सके । बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि-शिव के    “12 ज्योतिलिंगों” के अलावा पंचमहाभूतों (पंचतत्वों) एवं नवग्रहों के अलग-अलग महाशिवालय,देवालय भी हैं।

1- तिरु अन्नामलाई-अग्नितत्व शिवालय
2- श्री कालहस्ती- वायु तत्व राहु मंदिर
3- श्री चिदम्बरम-आकाश शिवलिंग
4- श्री जम्बुकेश्वर-जल तत्व शिव मंदिर
5- तिरु एकम्बरेश्वर- पृथ्वी तत्व शिवालय
ये सब प्राचीन ज्योतिर्लिंग हैं
नव ग्रहों के 9 शिवालय…..
27 नक्षत्रों के 27 स्वायंभुव शिवलिंग
64 योगिनियों के 64 शिवलिंग
इसी तरह 12 राशियों के 12 विभिन्न शिव मंदिर ऐसे बहुत से दुर्लभ अनेक-असंख्य शिव मंदिरों के दर्शन का सौभाग्य मिला ।
घने वन में स्थित शिवलिंगों को बड़े मन से निहारने का मौका मिला । इन 20-25 हजार शिवालयों के नाम दे पाना इस लेख में सम्भव नहीं है ।
अमृतम के अगले लेखों “शिव के शिवालयों का सन्सार” नामक लेख में देश के बहुत से अनजान शिवलिंगों की जानकारी दी जावेगी।

प्रत्येक प्रश्न का उत्तर, उत्तराखंड में- एक बार हरेक लेफ़्टिज को उत्तराँचल, हिमाचल की यात्रा जरूर करना चाहिए। क्योंकि प्रकृति,धर्म,अध्यात्म औऱ स्वयं को स्वयम्भू बनाने, उच्च स्तर पाने, हर प्रश्न का उत्तर उत्तरांचल में उपलब्ध है, तभी,तो सृष्टि के सभी शिवालयों, शिवमंदिरों में शिवलिंग की जलहरी उत्तर की औऱ होती है ।

बर्फीले हिम में जाने की हिम्मत

उत्तरांचल के गौमुख से ऊपर हिमालय में बसे
सप्तऋषि कुंड यात्रा के समय हिम्मत से हिम में बिराजे महातपस्वी, परम्
शिव उपासक योगिराज ने
शिवभक्ति का महत्त्व बताया था कि
संसार “शिवकृपा” से चलायमान है ।
सब शिव की ही सब शक्ति है ।
सभी देवी-देवता,किन्नर-राक्षस,
दैत्य-अदैत्य,भूत-भभूत,
प्रेत-पिशाच,पितृ-पूर्वज
सदा से शिवभक्ति में तल्लीन हैं ।
कल,काल,अकाल,ताल,खाल,
जीवन के जाल-जंजाल
हर हाल पर “महाकाल” का

ही अधिकार है ।
हानि-लाभ,
जीवन-मरण,
सुख-दुख
ये शिव के ही हाथ में होने के कारण
स्कन्धपुराण” में इन्हें “जगन्नाथ” यानि जगत का नाथ कहा गया। शिव के बिना हम सब “शव” हैं उन्होंने कहा- हमारा मस्तिष्क, दीपक की ज्योत (लौ) सब शिव स्वरूप है।

लेफ़्टिज अघोरी शिव…

भोलेनाथ के 5 मुखों में से एक मुख अघोरी रूप में है। इनके उल्टे हाथ में एक तांत्रिक कपाल है, जो एक तरह का वैज्ञानिक कंप्यूटर है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का लेख-जोखा इसी में है। इसलिए अघोरी-अवधूत साधु अपने शरीर से 108 तक शिवमुद्राएँ बना लेतें हैं।  अघोरी-अवधूत कहते हैं….

आज तक हमने, जो देखा है,

वह ऊपर की रूप रेखा है।

हर पल की जो घटना है

महाकाल की वह गणना है।।

स्वास्थ्यवर्द्धक फार्मूला-
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में स्वस्थ्य जीवन के सूत्र बताये हैं कि कोई भी प्राणी प्रकृति प्रदत्त परम्पराओं को  अपनाए,तो परेशान-पीड़ित होने से बच सकता है। उचित आहार-विहार, आचार-,विचार तन-मन को  विकार और विनाश से बचाता है ।

अमृतम की अमृतवाणी
दुनिया में सर्वाधिक प्रचलित आयुर्वेद के प्रसिद्ध व प्राचीन ग्रंथ
चरक सहिंता, सुश्रुत सहिंता, बागभट्ट
आदि में संस्कृत श्लोकों के सूत्र सिखाते हैं कि संसार में सत्य केवल हमारा स्वास्थ्य ही है, इसी के सहारे चतुर्थ पुरुषार्थ
(धर्म,अर्थ,काम-मोक्ष)
की प्राप्ति सम्भव है। बाकी सब कुछ तेरा है।
जो लोग हमेशा हमारा-हमारा,मेरा,-मेरा करते हैं, ऐसे राग-रंग में रमे-रंगे लोगों के रग-रग में रोग समाहित होकर उनका तन फिर, त्रिदोष,त्रिशूल,त्रिपात से घिर जाता है,
जिससे पाचन तन्त्र या मेटाबोलिज्म बिगड़ता है। उदर विकार परेशान करते हैं ।फिर, इसका दुष्प्रभाव मानव मस्तिष्क पर होता है। इन सब कारणों से आधि-व्याधियों से व्यक्ति बर्बाद हो जाता है।
सन्तों की वाणी
उच्चकोटि के साधक परमपूज्य श्री “अड़गड़ानंद जी” ग्राम धारकुंडी, सतना
द्वारा रचित “यथार्थ गीता” पुस्तक में
मानव शरीर व महाभारत दोनों में समानता
बतायी है। महाभारत का मतलब है-
आत्मबल भीम है। मोह-माया की ऑंखे नहीं होती वह घृतराष्ट्र है। जीवन में एकाग्रता अर्जुन की तरह है। शरीर को चलाने वाली कोशिकाएँ-नाड़ियां शरीर की सेना है।बिना कमाई के धन को बर्बाद करना दुर्योधन जीवन के कष्ट ही कृष्ण है आदि।

एक युद्ध अपने ही विरुद्ध….
श्रीमद्भागवत का सार तत्व यह है कि-
यह संसार कुरुक्षेत्र है। प्रत्येक प्राणी कुरुक्षेत्र की भूमि पर खड़ा है और उसके भीतर -बाहर यानि मन-मस्तिष्क और आत्मा में निरन्तर महाभारत चल रहा है। मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन युद्धमय  है। युद्ध के बिना कोई भी आध्यात्मिक और भौतिक विजय नही मिलती।

कर्तव्य- पालन की बाधाओ से निरन्तर युद्ध  करना ही स्वधर्म है। आलस्य, मोह, मिथ्याचार, कामचोरी, और विकास जीवन के शत्रु हैं। श्रीमद्भागवत गीता इनसे निरन्तर युद्ध करने का आदेश देती है।

संसाररूपी कुरुक्षेत्र मैं विजय पाने के लिए परमेश्वर महादेव ने जीव को मानव-देह दी, बुद्धि, बल, कर्म का अधिकार दिया और अपनी परमकृपा से आगे बढ़ाया। मनुष्य संसार में आया, हसा- खेला, भयभीत हुआ, रोया और  रोजी-रोटी और उन्नति का मार्ग खोजने लगा। कुछ लोग माया और गुणों के खिलौनों से खेलने लगे, अपने धेय्य, पथ और परमेश्वर से बिछुड कर अनायास ही रोगरूपी शत्रु के हाथों मारे गए। कुछ अपने साथी परमपुरुष श्रीकृष्ण का सहारा लेकर उठे, संकट के समय उनसे सहायता हेतु याचना की और अपने मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार के चारों घोडों की बागडोर परमेश्वर के तारक हाथों में सौंप दी। मनुष्य जैसा चाहता है, भगवान वैसा ही करते हैं, परन्तु प्रत्येक अवस्था में कर्म मनुष्य को ही करना पड़ता है।

कलयुग में कर्म ही पूजा है…

कर्मक्षेत्र में भय, संशय और भीष्म- जैसी  भीषण बाधायें सामने आती हैं। ऐसे समय में ईश्वर अपनी अतुलित शक्ति से भक्त की रक्षा करते हैं, उसका उत्साह बढ़ाते हैं और उसे फिर साहस देकर कुरुक्षेत्र की भूमि पर प्रगति करने का महादेव शिव सभी को सत्य और सुन्दर सन्देश देते हैं।l

आयुर्वेद,यूनानी,धर्म शास्त्रों का मूल सार यही है कि स्वास्थ्य की सुरक्षा सबसे बड़ा धर्म है । शास्त्रमत और प्रकृति प्रदत्त परम्पराएं प्राणी को पार पहुंचा देती है।

कहते हैं जीवन का आधार,जीवन का सार
आयुर्वेद ही है।

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? लेफ़्टिज की मेहनत व्यर्थ नहीं जाती। ऐसी परिस्थितियां नहीं बनती कि….

‘रातों काता कातना, सिर पर नहीं नातना’ अर्थात-पूरी रात सूत काता यानि चरखा चलाया फिर भी सिर को ढकने के लिए लत्ता अर्थात वस्त्र, कपड़ा नहीं तैयार हो सका।

? लेफ़्टिज धुन के पक्के होते हैं। जिस काम के पीछे पड़ जाएं, सफल होकर ही दम लेते हैं।

?लेफ़्टिज हमेशा जीवन को गोबर की तरह उपयोग करते हैं। गोबर जहां भी गिरेगा, तब भी कुछ न कुछ लिपटेगा ओर गोबर पर भी कुछ गिरेगा, तो भी कुछ न कुछ चिपकेगा। अर्थात ये हानि-लाभ, जीवन-मरण, सुख-दुःख शिव हाथ सोच वाले होते हैं। हानि में भी लाभ की दृष्टि रखकर नुकसान के समय भी शान से जीते हैं। लेफ़्टिज स्वार्थरहित राग में रत रहकर ईश्वर पर अटूट भरोसा रखते हैं।

? एक लेफ़्टिज शायर ने लिखा है कि….    राजी हैं हम उसी में, जिसमें तेरी रजा है।अर्थात हर हाल में मस्त रहते हैं।

जाहे विध जाखे शम्भू, वाहे विध रहिये या

? जो कछु कीन्हा, कान्हा कीना वाली परिपक्व आस्था के साथ ये जीवन को बोझ नहीं समझते। सारांश यही है कि…”रात छोटीबड़ी कहानी” की तरह इनका जीवन होता है।

? मित्रता में इनका कोई सानी नहीं होता। ये रिश्तों को दिल से निभाते हैं। लेफ़्टिज आत्मा के सम्बन्ध बनाते हैं, दिमाग के नहीं। एक बार कोई दिल से निकल गया, तो फिर ये लोग मुड़कर नहीं देखते।

बड़ी मार दातार की, दिल से दयो निकार” मतलब जो लोग धोखा, छल-कपट देकर चले गए, वे एक दिन ईश्वर की मार से पीड़ित जरूर होंगे। ऐसा सोचकर लेफ़्टिज दुुख का निवारण कर लेता है।

? कलयुग में यार की यारी..

टेक्नोलॉजी के जमाने में हर चीज बदल रही है। अब दोस्त के लिए अस्त होने, खुद मिटाना मुश्किल ही है। किसी ने सही कहा है

यार का दिल यार रखे, तो यार का भी रखिये। खास के घर खीर बने, तो तनिक सी चखिये। यार के घर आग लगी, तो पड़े-पड़े तकिये।  स्वार्थी साथियों के स्वांग ने मित्रता को स्वाहा कर दिया। सदा सब पर विश्वास इनकी आदत होती है। फिर भी कुछ सूत्र ध्यान में रखें, तो निश्चित सफलता कदम चूमती है। इन्हें दगावाजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है — जिनकी बोली में दगा, उन्हें दूर ही भगा। 

? वचन की वजनदारी से कमजोर लोगों से इन्हें बचना आवश्यक है। नित्य नये प्रयोग करने से धन-सम्पदा बढ़ा लेते हैं क्योंकि-

“दाम बचावे घाम, दाम करे सब काम” ? अनुभव में पाते हैैं कि धन बिन सब सून है।  लेफ़्टिज के लिए पूंजी,पूजा और पूर्वज का ध्यान-सम्मान बहुत जरूरी है। बिना पूंजी के ये अपनी कोई इज्जत नहीं समझते।

“टका हो जब हाथ में, वह बड़ा है जात में”

? इसलिए पूंजी यानि धन चाहिए, तो धर्म कर तथा मुक्ति के लिए भज.. भोले और अंत में लेफ़्टिज से यही प्रार्थना है कि…..

रुक जाना नहीं, कहीं तुम हारके।

जीवन में मिलेंगे, साये बहार के।।

यही चिंतन-मन्थन कर परमपिता परमेश्वर पर छोड़कर अपने कर्म में इस भाव के साथ लगे रहो कि..

या शिव मेरी आबरू, हर दिन रखियो सोय। जा दिन सब सन्सार का, निर्मल लेखा होय।।

कि यह भी सत्य है दगा किसी का सगा नहीं, नहीं किया तो करके देख। जिसने जग में दगा किया है, उनके जाके घर को देख।।

साधा जीवन उच्च विचार….

सधा हुआ, सादा जीवन.. व्यक्ति को वन बनने से बचाता है। लेेफटीज को कभी भी साझेदारी यानि पार्टनरशिप में कोई काम नहीं करना हितकारी होता है।

अगस्त-सितंबर माह में स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतें। अक्सर लेफ़्टिज सावन-भादों में बीमार पड़ते हैं। इनके लिए कहा गया है कि-

या मारे साझे का काम, या मारे भादों की घाम

लेफ़्टिज या तो बहुत जिम्मेदार होते हैं या फिर भयंकर लापरवाह। इन्हें हर काम की जल्दी रहती है लेकिन अगर काम टल गया, तो महीनों में पूरा नहीं होता।

आदमी पूरे जीवन में जितना काम करता है, लेफ़्टिज उतना काम जीवन की शुरुआत में पूर्ण कर लेते हैं। यह दुनिया में कुछ नया करके जाते हैं। लेफ़्टिज प्रेरणा स्त्रोत होते हैं। पुराने रिकार्ड यही लोग ध्वस्त करते हैं। मृत्यु के उपरान्त दुनिया इनकी स्तुति गाती है।

कुछ सलाह बच्चों के लिये ..

जो बच्चे ठीक से नहीं पढ़ते हों, जिनकी याददाश्त कमजोर हो, जिद्दी हों, तो उन्हें प्रतिदिन एक पेज लेफ्ट हैंड से लिखवाने की आदत डालना चाहिए।

लाइलाज इंसान का इलाज..

मन को शांत करने और याददाश्त वृद्धि के लिए उल्टे हाथ से लिखना लाभकारी है।

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2 responses to “क्या आपको मालूम है – 13 अगस्त लेफ्ट हेंडर्स डे के रूप में मनाते हैं। उल्टे/बाएं हाथ और लेफ़्टिज के लिए विशेष दिन”

  1. शेख अजी़ज़ avatar
    शेख अजी़ज़

    सब मन घडक बाते है, ऐसा कुछ भी नहीं, मे खुद उलटे हाथ से लिख था हू और लेफटि हू, जिसने भी अपने जीवन के ४५ वर्ष इस विषय पर खराब कये वो मेरे नज़र मे काम चोर और बेवाकुफ है।

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