6 प्रकार की पाइल्स के बारे में जाने

पिछले ब्लॉग/लेख में बताया गया था कि
बवासीर/पाइल्स 6 प्रकार का होता है

(1) वातज
(2) पित्तज
(3) कफ़ज
(4) सान्निपातज
(5) रक्त
(6) सहज
इन 6 तरीके के पाइल्स कैसे और क्यों होते हैं
यह जानकारी अगले ब्लॉग में दी जाएगी।

इसके अलावा खूनी और बादी बवासीर भी होती हैं, जिसकी वजह कब्ज है।

पाइल्स की पीड़ा का कारण है – कब्ज ।

लगातार कब्जियत रहने की वजह से मल
कड़ा, सूखा और कठोर हो जाता है ।
यही वजह है, जिससे मल विसर्जन सरलता से नहीं हो पाता। मलत्याग के समय रोगी को काफी वक्त, तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे गुदा द्वार की रक्त वाहनियों एवं नाडियों पर जोर पड़ता है और वह मस्से की तरह फूलकर गुदा पर लटक जाती हैं।
अर्श/बवासीर भोजन के न पचने से, पाचन तन्त्र और पेट की खराबी से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से  ओर महिलाओं को गर्भावस्था या प्रसव/डिलेवरी के बाद भी हो सकता है।

पाइल्स अनुवांशिकता भी इस रोग का एक कारण हो सकता है। इसीलिए कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। जो लोग घंटों खड़े होकर कार्य करते हैं, जैसे – बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।

बवासीर, अर्श या पाइल्स  एक ख़तरनाक गुदा रोग है। पाइल्स दो प्रकार की होती है। आम भाषा में इसको ख़ूँनी और बादी पाइल्स/बवासीर के नाम से जाना जाता है।

【1】खूनी बवासीर :- खूनी बवासीर में गुदा में स्थित मस्सों में खून आता है।
पहले पखाने/मल में लगकर, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से केवल खून आने लगता है। गुदा के अन्दर मस्सा की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में यह मस्सा हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।

【2】बादी बवासीर :-

हमेशा कब्ज बना रहना,  गैस(वायु विकार) पाइल्स/बवासीर की वजह से पेट का बराबर खराब रहना। कहने का आशय यही कि पेट गड़बड़ और कब्जियत/कॉन्स्टिपेशन की वजह से पाइल्स होती है। इसके कारण गुदा में लगातार

■ खुजली सी होते रहना,

■ जलन, दर्द, शरीर मै बेचैनी,

■ काम में मन न लगना इत्यादि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

■ मल/टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी भाषा में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है।

कैसे होता है भगन्दर –

अर्श/बवासीर या पाइल्स बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। भगन्दर में मल मार्ग के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।

पाइल्स/बवासीर की समस्या से बच सकते हैं-:

पाइल्स की गोल्ड माल्ट और टेबलेट
8 प्रकार की बवासीर ठीक करने में उपयोगी है।इसमें मिलायी गई अभया सहित 50 से अधिक आयुर्वेदिक ओषधियाँ व्यक्ति को  भय से मुक्त कर अभय बनाती है।

पाइल्स की गोल्ड माल्ट में डाले गए घटकों के विषय में अगले ब्लॉग में पढ़ें।

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