हमारा इम्यून सिस्टम हमें कई तरह की बीमारियों से सुरक्षित रखता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कई तरह के बैक्टीरियल संक्रमण, फंगस संक्रमण, प्रदूषण और दुषित जलवायु से सुरक्षा प्रदान करता है।
इम्यून सिस्टम के कमजोर होने से हानि..
■ रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर
शरीर की ऊर्जा-उमंग खत्म हो जाती है।
■ हमेशा आलस्य बना रहता है।
■ बीमारियों का असर जल्दी होता है।
■ शरीर सफेद या पिला पड़ने लगता है
■ ऐसे में शरीर कमजोर होता चला जाता है और हम जल्दी-जल्दी, बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं.
■ इम्युनिटी पॉवर के क्षीण या वीक होने से शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं और शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देती हैं।
रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के शुरुआती लक्षण निम्नप्रकार से हैं:-
【१】हमेशा कब्ज रहना, एक बार में पेट साफ न होना और पेट में दर्द!
【२】लगातार खांसी-जुकाम बने रहना
【३】पीरियड्स में तकलीफ
【४】निप्पल में बदलाव
【५】मूत्राशय में बदलाव
【६】एनीमिया यानि खून की कमी
【७】बुखार, जड़ाई, फ्लू
【८】भूख न लगना
【९】तनांव का बना रहना
.【१०】मसूड़ों में सूजन होना या उनसे खून निकलना, दांतों में दर्द बने रहना
【११】ज्रम सी खरोंच लगने पर अक्सर पक जाना या गहरा जख्म होना।
【१२】संक्रमण होना
【१३】जोड़ों में दर्द
【१४】अत्याधिक थकान
आदि तकलीफ हैं, तो समझ लीजिए कि-
तन का वात-पित्त-कफ़ अर्थात त्रिदोष सम नही है। इसकी वजह से रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।
अमृतम आयुर्वेद में इसका शर्तिया इलाज
आयुर्वेद के प्रसिद्ध तीन फल जिसे दुनिया में त्रिफला के नाम से जाना जाता है।सेव मुरब्बा, त्रिकटु, मधुयष्टि आदि ऐसी ओषधियाँ हैं जिसके सेवन से रोगप्रतिरोधकक्षमता में तेजी से वृद्धि होने लगती है।
उपरोक्त गुणकारी जड़ीबूटियों से निर्मित है।इसे नियमित तीन महीने तक दिन में 2 से 3 बार लेवें। रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली यह कारगर दवा है। इसे अवलेह रूप में तैयार किया जाता है।
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