आयुर्वेद की प्राचीन एंटीबायोटिक, एंटीएलर्जिक, एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल एवं एंटीरह्यूमेटिक चमत्कारी कारगर ओषधि है-
जाने इस ब्लॉग में…
सर्दियों के मौसम में
इम्युनिटी को बढ़ाने में मददगार साबित होता है। कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनी इस औषधि का सेवन बच्चों से लेकर बूढ़े तक करते हैं।
बार-बार दवाइयों का सेवन करने से अच्छा है कि आप एक बार आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं। च्यवनप्राश इन्हीं आयुर्वेदिक उपायों में से एक है।
कारगर, हानिरहित और
विशुद्ध ओषधि के लिए
वैद्य वगभट्टाचार्य
जी का कथन है कि–
प्रयोग: शमयेद्व्याधिं
योsन्यमन्यमुदीर येत्!
नाsसौ विशुद्ध: शुद्धस्तु
शमयेघौ न कोपयेत्!!
(अ.ह.सूत्र स्था अ. १३-२६)
इस अमृतम श्लोक का अर्थ है कि ओषधियाँ वे होती हैं, जो आधि-व्याधि और बीमारियों को जड़ से दूर करें। एक रोग का शमन या ठीक करके, दूसरी बीमारी उत्पन्न करे, उसे आयुर्वेद में अशुद्ध, अनुपयोगी या दुषित ओषधि कहा गया है।
५००० साल पुरानी एक ऐसी ही ओषधि है- अमृतम च्यवनप्राश।
आयुर्वेदिक दवाएं 100 तरह के रोगों का नाश करती हैं और कुछ भी विकृति यानि साइड इफ़ेक्ट न करे, उसी को लाभदायक ओषधि समझना बुद्धिमानी है।
अमृतम च्यवनप्राश के साइड बेनिफिट
इतने ज्यादा हैं कि- उपयोग करने पर ही मालूम चलते हैं।
च्यवनप्राश क्या है?
इससे पहले कि आप अमृतम च्यवनप्राश के फायदे जानें, यह जानना ज़रूरी है कि च्यवनप्राश क्या है और कैसा होता है?
पहली बात च्यवनप्राश अनेक असरकारक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से कच्चे आँवले से
केवल नवम्बर माह में बनता है और इसका मुख्य घटक है-आंवला, जिसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है। यह रोग मिटाने के साथ ही बुढापा जल्दी नहीं आने देता।ओरिजनल च्यवनप्राश स्वाद में खट्टा-मीठा और हल्का तीखा लगता है।
आयुर्वेदिक ग्रन्थ “रसतन्त्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह” प्रथम खण्ड के पाक-अवलेह प्रकरण में च्यवनप्राश के बारे में वह सब कुछ लिखा है, जिसे आप जानना चाहते हैं।
शास्त्रों में 52 से अधिक ओषधियों से तैयार इस अवलेह के अनेकों गुण और लाभ बताएं हैं।
【1】अमृतम च्यवनप्राश उत्तम शक्तिप्रदाता है।
【2】यह पाचन संस्थान पेट को निरोग बनाता है।
【3】फेफड़े, गले और श्वसन संस्थान को साफ रखकर शरीर का कायाकल्प करता है।
【4】ह्रदय, मस्तिष्क, रक्त एवं वातवाहिनियों, मूत्र और प्रजनन संस्थान आदि को शक्ति प्रदान करना इसका मूल कार्य है।
【5】अमृतम च्यवनप्राश उत्सर्जक इंद्रियों को सबल व ताकतवर बनाकर आवश्यक शोधन कार्य भी करता है, जिससे शारीरिक सर्व व्यापार सरलता पूर्वक चलने लगता है।
【6】यह क्षय, उर:क्षत, शोथ, सूजन, ह्रदय रोग, स्वरभंग, निर्बलता, कमजोरी, कम्पन्न, कांस- खांसी, श्वास, प्यास, वातरक्त, नेत्ररोग, नेत्राभिष्यंड, मूत्र दोष, वीर्य के दोष, तथा पित्त और कफ की अधिकता से होने वाले रोग दूर करने में हितकर है।
【7】बालक, सगर्भा स्त्री, वृद्ध, क्षतक्षिण, सब तरह के विकारों में सभी उम्र वालों के लिए लाभदायक है।
【8】बल, वीर्य, मेधा, स्मृति और कांति को बढ़ाना इसका मुख्य कार्य है।
【9】अमृतम च्यवनप्राश किसी भी बीमारी के बाद आयी निर्बलता, कमजोरी,
वजन कम होना, थकान, आलस्य को मिटाकर जीवनीय शक्ति को बहुत जल्दी बढ़ा देता है। इसी कारण च्यवनप्राश को जीवन भी कहा गया है।
चरक सहिंता का फार्मूला…
च्यवनप्राशावलेह का मूल पाठ “
चरक सहिंता” से लिया गया है।
“महर्षि चरक” के फार्मूले के अनुसार एक असरकारी च्यवनप्राश बनाने के लिए
कच्चे आँवले को देशी घी में भूंजने
स्पष्ट निर्देश है।
आंवला के अतिरिक्त च्यवनप्राश में अश्वगंधा, तुलसी, नीमकेसर, पिप्पली, दालचीनी, इलायची, ब्राह्मी, देशी घी आदि कई और जड़ी-बूटियां मौजूद होती हैं।
बाजार की मारामारी….
● आजकल मार्केट में उपलब्ध
च्यवनप्राश सब तेल से निर्मित हैं जो लाभकारी नहीं होते।
● दूसरा अधिकांश कम्पनियों द्वारा सूखे आंवले से च्यवनप्राश बनाना उचित नहीं है। यह कफ में वृद्धि करता है।
● ‘शारंगधर सहिंताकार’
ने कच्चे आंवले को पीसकर केवल देशी घी में पकाने का विधान लिखा है।
● आप खुद ही विचार करें कि कच्चा आँवला हमेशा नवम्बर के महीने में आता है, तब तक पूरे भारत में 50 फीसदी च्यवनप्राश बिक चुका होता है।
ग्राहकों से आग्रह
● कृपया च्यवनप्राश खरीदते समय अपनी समझदारी का उपयोग करें।
● च्यवनप्राश बहुत पुराना न हो।
असली और ताजी अमृतम च्यवनप्राश मंगवाने के लिए अपना ऑर्डर ऑनलाइन
बुक करें।
• सूखे-साखे को भी हरा-भरा कर दे
19 रोगों में लाभकारी है…
अमृतम च्यवनप्राश को आयुर्वेद में विशेष रसायन कहा गया है। यह शरीर की सूखी, कमजोर हड्डियों और नाड़ियों में रस-रक्त का संचार करने में सहायता करता है। इसीलिए च्यवनप्राश को उम्ररोधी यानि एंटीरेजिंग ओषधि बताया गया है।
•• यह अदभुत कान्तिवर्द्धक है।
••• रूखे-सूखे चेहरे पर आकर्षण लाने में कोई दूसरा उत्पाद आज तक आयुर्वेद में अन्य है ही नहीं।
•••• अमृतम च्यवनप्राश बाजीकर भी है।
••••• यह शरीर में अथाह शक्ति का संचरण करता है।
•••••• अमृतम च्यवनप्राश दीपन-पाचन, पित्तप्रकोप-शामक, सारक, मूत्रजनक रुचिकर और असाध्य चर्मरोगनाशक है।
••••••• थायरॉइड यानी ग्रंथिशोथ जैसे विकारों को जड़ से कुछ ही दिनों में मिटा देता है।
•••••••• अमृतम च्यवनप्राश बड़े-बुजुर्ग और बड़ी आयु वाले रोगी मनुष्यों के लिए चमत्कारी इम्यून पॉवर बढ़ाने वाला है।
••••••••• शरीर की सब शिथिल क्रियायों को सुधर जाती हैं।
•••••••••• त्रिदोष या अन्य दोषों को जलाकर कम हुई शक्ति की फिर से वृद्धि करता है।
11:- उदर की अपान वायु शान्त कर देता है।
12:- पेट की कोष्ठ में दुष्ट मल संगृहीत होने पर विविध रोगों की सृष्टि का आविर्भाव होता है।
13:- रक्तविकार, कुष्ठ रोग अर्थात सफेद दाग, त्वचा का शुष्क व काली हो जाना अथवा प्रमेह, मधुमेह या महिलाओं का श्वेतप्रदर की उत्पत्ति होना या फिर मासिक धर्म में त्ती रज:स्त्राव होना आदि विकारों की यह रामबाण ओषधि है।
अमृतम च्यवनप्राश के अनगिनत फायदे भैषज्य रत्नावली,
सुश्रुत सहिंता,
शालाकय विज्ञान,
फॉर्मूलेशन ऑफ इंडिया में बताये गए हैं।
जिनका विवरण आगे लेख में दिया जाएगा।
14:- बच्चों को बार-बार होने वाले सर्दी-खांसी जुकाम, निमोनिया, पसली चलना आदि अनेक तकलीफों में अमृतम च्यवनप्राश बहुत ही ज्यादा उपयोगी है।
15:- यह हृदय की मांसपेशियों को पुष्ट करता है।
16:- रक्त को शुद्ध और सबल करता है।
17:- भूख बढाकर खून की कमी दूर करता है।
18:- युवाओं को होने वाले स्वप्न दोष से छुटकारा दिलाता है।
19:- अमृतम च्यवनप्राश के सेवन से बल-बुद्धि, विवेक, इंद्रियों की शक्ति, अग्नि और आयु की वृद्धि होकर युवास्था की पुनः प्राप्ति होती है। और जीवन में उत्साह-उमंग आने लगता है।
इसमें कोई भी संशय नहीं है।
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