हजारों साल पुरानी मुख मंडल चिकित्सा कुम-कुमादि के 32 अजूबे
जानकर हैरान रह जाएंगे… आप
कुमकुमादि तैलम को आयुर्वेद ग्रन्थों में
“केसर ऑयल” के नाम से जाना जाता है। यह ३२ तत्वों का एक अद्भुत मिश्रण है,
जो चेहरे की त्वचा को नर्म बना कर
उस पर चमक लाता है। इसे आयुर्वेद का “रूप मन्त्रा” कहा गया है।
रोम-रोम की मरम्मत करने में सहायक…
∆ त्वचा को कोमल, मुलायम और
ग्लोइंग बनाएं
∆ जगमगाता गोरापन लाएं
∆ चेहरे की चमक बढ़ाये
∆ ऑयल कंट्रोल करे
∆ खोया निखार वापस लाये
∆ दाग-धब्बों से राहत दे
∆ झुर्रियां कम करे
∆ बेहतर रंगत दे।
∆ आत्मविश्वास बढ़ाये
कुमकुमादि ऑयल की प्राचीनता-
इस तेल के फार्मूले की खोज लाखों-हजारों साल पहले आयुर्वेदिक वैज्ञानिक महर्षि अंगारक ने की थी।
★ अर्कप्रकाश,
★ स्कन्दः पुराण,
★ ईश्वरोउपनिषद,
आदि पुरानी किताबों से पता लगता है कि-
इसका उपयोग कोमल, निखरती त्वचा और चेहरे को चमकदार बनाने एवं खूबसूरती के लिए किया जाता रहा है।
राजे-रजवाड़ों के महंगे शौक–
अमृतम कुंमकुमादि तैल
का उपयोग प्राचीन
काल से होता आ रहा है। यह बहुत
बहुमूल्य होने के कारण इसे केवल
राजे-रजवाड़ों एवं रानी-महारानी के अलावा अमीर-रहीस लोग ही
इसका इस्तेमाल करते थे।
यह बुढापे को रोकता है इसलिए उम्ररोधी
यानी एंटीरेजिंग भी होता है।
सदियों में या किसी भी मौसम में हाइपरपिगमेंटेशन के लिए यह तेल
काफी लाभदायी माना गया है।
क्यों होता है पिगमेंटेशन….
इस समय दुषित आवो-हवा की वजह से
पूरे विश्व के युवा स्त्री-पुरुषों को त्वचा
संबंधी इस समस्या का सामना करना
पड़ रहा है।
महिलाओं का मानसिक क्लेश..
पिगमेंटेशन या हायपरपिगमेंटेशन त्वचा की एक सामान्य समस्या है। जो प्रदूषण और प्रदुषित वातावरण के चलते 10 में से 7 महिला या मर्द चेहरे की स्किन खराब होने के भय से पीड़ित है।
पिगमेंटेशन/हायपरपिगमेंटेशन
में त्वचा का कोई-कोई भाग सामान्य से गहरा रंग का होकर, त्वचा पर दाग-धब्बे पड़ने लगते हैं। जिससे सुन्दरता क्षीण हो जाती है। त्वचा में यह समस्या त्वचा में मेलानिन का स्तर बढ़ने से होती है।
अमृतन कुम-कुमादि ऑयल
के नियमित उपयोग से काले धब्बे, काले घेरे, निशान तथा चेहरे पर होने वाली अन्य समस्याओं से भी निजात दिलाता है।
जैसा वेदों ने सुझाया…..
आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (AFI) के मुताबिक यह चेहरे पर
निखार लाने और खूबसूरती
बढ़ाने के लिए अत्यंत कारगर है।
कुम-कुमादि तेलम का
फार्मूला आयुर्वेद के अति प्राचीन ग्रन्थ “योगरत्नाकर” के क्षुद्ररोगाधिकार
तथा
चरक सहिंता के त्वचा रोगाधिकार
और भैषज्य रत्नाकर के “सुन्दरता वृद्धि योग” से लिया गया है।
आयुर्वेदिक फार्मूलेशन ऑफ इंडिया भारत सरकार द्वारा मान्य आयुर्वेद की
सबसे विश्वसनीय पुस्तक है।
इसमें केशर से निर्मित
कुम-कुमादि तेल के फार्मूले का
संस्कृत में एक श्लोक का वर्णन है।
कुंकुम चन्दनं लोध्रं
पतंग रक्तचन्दनम् !
कालियकमुशीरं च
मजिंष्ठा मधुयष्टिका !!१!!
पत्रकं पद्मकं पद्मकुष्ठं
गोरोचनं निशा !
लाक्षा दारूहरिद्रा च
गैरिकं नागकेशरम् !!२!!
पलाशकुसुमं चापि
प्रियंगगुश्च वटाअंकुरा !
मालती च मधूच्छिष्टम
सर्षपा: सुरभिवर्चा !!३!!
अर्थात–
5000 वर्ष पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथो के अनुसार अमृतम कुमकुमादि तेल में डाले गए 35 से ज्यादा घटक द्रव निम्नलिखित हैं-
जो त्वचा की सूक्ष्म कोशिकाओं की मरम्मत करने में खास उपयोगी हैं–
◆केसर, ◆चंदन, ◆लोध्रं,
◆पतंग काष्ठ, ◆रक्त चन्दन ◆लाख (लाक्षा)
◆मंजिष्ठा ◆यष्टिमधु (मुलेठी) ◆दारुहल्दी
◆उशीर ◆पद्मक ◆नील कमल
◆बरगद (वट वृक्ष) ◆पाकड़/पाखर
◆कमल केसर ◆बिल्व ◆अग्निमंथ
◆श्योनाक ◆गंभारी ◆पाटला,
◆नागकेशर, ◆वट अंकुर, ◆पलाश,
◆प्रियंगुमंजरी, ◆शालपर्णी पृश्नपर्णी ◆गोखरू (गोक्षुर) ◆बृहती
◆ कंटकारी या भटकटैया,
◆मालती और ◆मधु आदि
★★★ !!अमृतम!!★★★
कुमकुमादि तेल बनाने की विधि….
उपरोक्त सब जड़ीबूटियों को जौकुट करके
16 गुने पानी में 24 से 36
घण्टे तक गलकर छोड़ दिया जाता है।
फिर, 5 से 7 दिनों तक कम अग्नि पर
इसको 1/4 भाग रहने तक उबालते हैं।
इसके बाद ठंडा होने पर छानकर
काढ़े को 15 के 20 दिन तक मंदी आंच पर तिली आदि तेलों में पकाकर, जैतून, बादाम, मालकांगनी मिलाकर अमृतम कुमकुमादि तेल 45 दिनों में तैयार हो पाता है।
महंगा क्यों है यह तेलम….
इसमें मिलाए गए द्रव्य-घटक महंगे होने के कारण इस तेल को हर्बल में बहुत बहुमूल्य माना गया है।
निर्माण प्रक्रिया भी अति श्रमसाध्य होती है।
राजा-महाराजाओं और रहीस-अमीरों
की खूबसूरती का रहस्य....
आज से हजारों वर्ष पहले इसका उपयोग केवल राज्य-परिवार की रानियां और धनाढ्य लोग ही किया करते थे।
चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने हेतु इसमें मिलाया गया चन्दन, केशर की वजह से कुमकुमादि तेल त्वचा के लिए काफी गुणकारी होता है।
केशर पूरे प्रेशर से त्वचा की पूरी गन्दगी बाहर निकालकर, चेहरे के कलेवर को बदल देता है।
लटकती ढ़ीली त्वचा, झुर्रियां, बुढापे के लक्षण आदि समस्याओं का स्थाई हल है- कुम-कुमादि तेलम क्योंकि
इसमें केशर का पर्याप्त समावेश है, जो प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक पदार्थ या यौगिक है, जो त्वचा के जिद्दी जीवाणु को मार डालता है ये स्किन में पैदा होने वाले अज्ञात कृमि- कीटाणुओं के विकास को रोकता है।
कुमकुमादि तेल की विशेषता…
प्रतिजैविक रोगाणुरोधी यौगिकों का व्यापक समूह होता है, जिसका उपयोग कवक और प्रोटोजोआ सहित सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जाने वाले जीवाणुओं के कारण हुए संक्रमण के इलाज के लिए होता है।
अमृतम कुमकुमादि तेल की खासियत–
इसमें
★ एंटीऑक्सीडेंट,
★ एंटी-ह्यपरपिगमेंटशन,
★ मॉइस्चराइजर,
★ डेमल्सेण्ट,
★ एंटीबैक्टीरियल,
★ एंटी-इंफ्लेमेटरी,
★ एंटी-माइक्रोबियल,
★ एंटी-प्रुरितिक,
★ नेचुरल सनस्क्रीन गुण होते हैं।
सुंदरता हमेशा से लोगों के लिए बहुमूल्य रही है। खूबसरती दूसरों का ध्यान आकर्षित करने का एक अच्छा साधन है।
अमृतम कुमकुमादि तेल पुराने से पुराने
कील-मुंहासे, झुर्रियां, दाग-धब्बे, कालापन एवं चेहरे की समस्याओं से पीड़ित
स्त्री-पुरुषों के लिए अति उत्तम आयुर्वेदिक
ओषधि है। ये पूर्णतः
हानिरहित, बिना साइड इफ़ेक्ट के
प्राकृतिक उपाय है।
आयुर्वेद के अनुसार–
क्यो चली जाती है-चेहरे की चमक...
तन में तनिक सी विटामिन्स की कमी,
चेहरे के निखारने, मेकअप या खूबसूरत बनाके लिए सिंथेटिक तथा निम्न दर्जे के उत्पादों का उपयोग, और
अधूरी नींद, कब्ज, अपचन, मानसिक अशांति, हार्मोनल चेंजेज आदि अनेक वजहों से चेहरे की त्वचा फीकी पड़ने लगती है।
केमिकल्स की क्रूरता...
बिना जांचे-परखे केमिकल युक्त पदार्थ के इस्तेमाल करने के फलस्वरूप धीरे-धीरे फेस पर फुंसियां, कील-मुँहासे, काले धब्बे, झुर्रियां, होने से चेहरा निस्तेज हो जाता है। कम उम्र में आकर्षण कम होकर बुढ़ापे के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
इन सब समस्याओं से बचने के लिए आयुर्वेद में हानिरहित अनेकों उपाय हैं। जिसमें बहुत ही बहुमूल्य ओषधि है अमृतम द्वारा निर्मित कुमकुमादि तेल, जो केशर आदि 35 जड़ीबूटियों के रस तथा काढ़े से निर्मित है। बस इसे सुबह स्नान के पहले या पश्चात और रात सोने से पहले 4 से 8 बून्द एक माह तक निरन्तर लगाना है।
अत्यधिक ठंड के मौसम में त्वचा सूखी और बेजान Dry skin हो जाती है। इसकी उचित देखभाल हेतु बेहतरीन ट्रीटमेंट के लिए
अमृतम कुमकुमादि तेलम अत्यंत कारगर है।
ताकि आपकी त्वचा अस्वस्थ ना हो।
कुछ खर्चीला काम …
यदि आप अधिक धन व्यय कर सकें,
तो एक महीने पूरे शरीर में एक बार
में 25 से 30 मि.ली. लगाकर अभ्यंग मालिश कर सकते हैं।
क्या होंगे- फायदे….
¶ इसकी मालिश से त्वचा की सारी सूक्ष्म गन्दगी बाहर निकल जाती है।
¶¶ कुछ ही दिनों में चेहरे पर खूबसूरती का एहसास आप स्वयं करने लगेंगे।
¶ कुमकुमादि तेल पूर्णतः साइड इफ़ेक्ट रहित हर्बल ऑयल है।
¶ आयुर्वेद टेस्टबुक के मुताबिक इसके हजारों साइड बेनिफिट हैं।
बुढ़ापे से बचाये-समृद्धि बढ़ाये….
¶ बुढ़ापे से बचने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को पूरे शरीर की मालिश करने
से विशेष भाग्योदय भी होने लगता है।
क्योंकि भौतिक सम्पदा के दाता शुक्र ग्रह हैं, जो इस बहुमूल्य तेलम के अभयंग
से बहुत प्रसन्न होते हैं। यह प्रयोग भी
एक बार आजमा कर देखें।
सम्मोहन शक्ति के लिए–
बड़े-बड़े महात्मा, सन्त, अवधूत कुंकुमादि तेल को घिसे हुए चन्दन में
अच्छी तरह फेंटकर इसका लेप का माथे पर त्रिपुण्ड या टीका लगाते हैं, जिससे उनमें विशेष आकर्षण आने लगता है।
शिव रहस्योपनिषद और भविष्यपुराण के
तिलक-टीका अध्याय में सम्मोहन विद्या
प्राप्ति के कुछ दुर्लभ प्रयोग बताये गये हैं।
अमृतम “कुमकुमादि तेलम” के 25 जबरदस्त फायदे…
【१】इसके नियमित उपयोग से आंखों की रोशनी भी बढ़ सकती है।
【२】ढ़ीली त्वचा टाइट हो जाती है।
【३】कुमकुमादि तेलम
में मूल घटक केसर है, जिसका आयुर्वेद के
ग्रन्थ योगरत्नाकर, भावप्रकाश, चरक सहिंता, ऋग्वेद आदि में इसके आलौकिक औषधीय गुणों और अद्भुत विशेषताओं का वर्णन किया है।
【४】बताया गया है कि-
त्वचा को निखारने
के लिए केशर के मुकाबले सृष्टि में
अन्य कोई दूसरी ओषधि है ही नहीं।
केशर शरीर के सभी अवयवों, नाड़ियों एवं त्वचा की देखभाल, पोषण, रक्षण तथा सौन्दर्यवर्धन के लिए प्रतिपादित किया गया है।
【५】अमृतम कुमकुमादि ऑयल
से त्वचा पर केश के पास में होने वाला कालापन दूर होकर त्वचा सतेज, सुन्दर, खूबसूरत और चमकदार लगती है।
【६】कुम-कुमादि तेलम नारी सौन्दर्य का
सम्पूर्ण समाधान है।
【७】कील-मुँहासे, पिम्पल्स, आंखों के नीचे के काले निशान जड़ से मिटाता है।
【८】आयुर्वेद में इसे अत्यंत उपयोगी माना है। जिनके चेहरे पर बड़े मस्से हों, तिल हो, दाग हों ओंठ अटपटे या मोटे हों इन सब खामियों को कम कर वर्ण को निखारकर
और रंग साफ करता है
【९】चेहरे की गौरा बनाने में सहायक है।
कैसे करें यूज़ यानि इस्तेमाल….
योगरत्नाकर ग्रन्थ के मुताबिक
इसे सुबह और रात्रि में सोने से पहले चेहरे पर लगाकर 20 से 25 मिनिट तक
लगा रहने दें। जरूरी समझे, तो
हल्के गुनगुने पानी से चेहरा साफ करें अथवा रुई के फोहे से पोंछ लेना चाहिए।
【१०】अमृतम कुंकुमादि तेल त्वचा को चमकाता है और निखार लाता है। यह हाइपरपिग्मेंटेशन रंग बदलने में सहायक है।
【११】 रासायनिक आधारित क्रीम की तुलना में त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमद है।
【१२】यह आयुर्वेद का एक उत्तम प्रोडक्ट है और इसका हमारे चेहरे पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता है।
【१३】कुंकुमादि तेल का उपयोग
आमतौर पर चेहरे के निखार के लिए किया जाता है।
【१४】यह शुष्क त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
【१५】इसे हम मॉइशर के तोर पर भी उपयोग में लाते है।
【१६】यह त्वचा से सबंधित सभी रोगो को ख़त्म करता है।
【१७】चेहरे के ऊपर से काले धब्बे और आखो के नीचे होने वाले काले घेरे को ख़त्म करने का काम करता है।
【१८】मुँहासे मिटाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
【१९】यह एंटी एन्जाक का काम करता है। जिससे स्किन जवां दिखती है।
【२०】इस तेल का उपयोग नाक के लिए भी किया जाता है। नाक में इसके ३-४ बून्द डालने पर पित्त को ठीक किया जा सकता है।
【२१】इस तेल को त्वचा पर लगाने से उसकी कोशिका निकल जाती है। जिससे चेहरा चमकता है।
【२२】इस तेल को चेहरे पर लगाने से झुर्रियां साफ हो जाती है।
【२३】इस तेल से चेहरे पर मालिश करने से रक्तसंचार यानि ब्लड सर्कुलेशन ठीक हो जाता है।
【२४】जिसकी त्वचा रूखी है, स्किन शुष्क है वह इसे रात में लगाकर सो जाये और सुबह उठाकर धो ले।
【२५】यह त्वचा में होने वाली सूजन को रोकता है।
【२६】इसका यूज़ करने से चेहरे के रंग में भी सुधार होता है।
【२७】इसे हाइपरपिग्मेंटेशन के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
【२८】मस्से को ख़त्म करने के लिए भी इसका यूज़ किया जाता है।
【२९】घाव के निशान को ठीक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
【३०】गाल पर भूरे रंग के चकते को भी ठीक करता है।
【३१】इसका उपयोग सदियों से ब्यूटी आयल के तोर पर किया जा रहा है।
【३२】यह एक हर्बल और वानस्पतिक तेल होता है।
कुंकुमादि तेल के नुकसान/ साइड इफ़ेक्ट
कुंकुमादि तेल का उपयोग करने से पहले इसके एलर्जी के बारे में पता कर लेना
चाहिए। इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट भी
होते है जो निम्नलिखित है-
* चेहरे पर खुजली होना।
* गाल पर लाल चकते
* कुमकुमादि तेल का उपयोग करने से पहले इसके एलर्जी के बारे में पता कर लेना चाहिए कि- यह आपके स्किन पर उपयोग करने लायक है या नहीं।
यदि इसका यूज़ करने पर आप के शरीर पर खुजली या लाल चकते हो रहे हो तो इसका यूज़ करना बंद कर दे और रक्त साफ करने वाली आयुर्वेदिक औषधि अथवा
“कीलिव माल्ट” का 2 महीने सेवन करें
कुंकुमादि ऑयल का
वैसे तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं
होता है। जिसकी स्किन ऑइली है उसे
इस तेल का कम इस्तेमाल करना चाहिए।
इस तेल का यूज़ करने से त्वचा सुन्दर
और निखरती है।
कुंकुमादि तेलम के इस्तेमाल से
अब आप भी खुश रह सकते हैं।
आयुर्वेद हमें सेहत सम्बन्धी अनेक तरह की तकलीफों से बचाता है।
कुंकुमादि तेल का उपयोग केवल बाहरी यूज़ के लिए किया जाता है।
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