★★★!! ॐ !!★★★
आयुर्वेद में त्रयोदशांग गूगल गठिया,
लकवा की सर्वश्रेष्ठ दवा है।
त्रयोदशांग गुग्गल में मिलाएं गए घटक-द्रव्य
निम्नलिखित हैं-
■ बबूल की फली या छाल
■ अश्वगंधा, ■ हाउबेर, ■ शतावरी,
■ गिलोय, ■ गोखरू, ■ काला निशोथ,
■ रास्ना, ■ सौफ, ■ कचूर, ■अजवायन और
■ अमृतम सौंठ चूर्ण
सभी बराबर लेकर सबके वजन का शुद्ध
गुग्गल लेकर सभी ओषधियों का मिश्रण
कर कूट लें और सूखकर 500 मिलीग्राम की
गोली बनाएं।
मात्रा-सेवन विधि…
1. से 2 गोली रोज दिन में 2 से 3 बार केवल
गुनगुने दूध से 5 महीने तक लेवें।
रोगाधिकार-
त्रयोदशांग गुग्गल पुराने से पुराने गठियावात
पक्षाघात, लकवा, गृध्रसी वात यानि साइटिका
अस्थि/हड्डी, सन्धि, मज्जागत, स्नायु अर्थात
मानसिक विकार, एवं कोष्टस्थित वात रोगों
का जड़ से नाश हो जाता है।
इसे एक साल तक ऑर्थोकी माल्ट के साथ
नियमित लेने से कभी-कभा
लूले, लँगड़े, पंगु मरीज भी ठीक हो जाते हैं।
ऑर्थोकी माल्ट के साथ लेने से 88 तरह
के वातरोग, थायराइड, कमर दर्द, जोड़ों के दर्द
दूरकर जोड़ों में नवींन रक्त का निर्माण करता है।
त्रयोदशांग गुग्गल ऑर्थोकी माल्ट सहित
लेने से हड्डियों में ऑस्टियोकेल्सिन का निर्माण
करके जोड़ों में नया लुब्रिकेंट बनाता है। यानि
चिकनाहट उत्पन्न है करता है।
वतरोगियों को सुबह आधा से एक घण्टा
धूप जरूर लेना चाहिए।
प्रतिदिन ऑर्थोकी पैन ऑयल की मालिश
अत्यन्त लाभकारी है।
किस कम्पनी का लेवें-
धुतपापेश्वर कम्पनी का ही सर्वश्रेष्ठ है।
अन्य कम्पनियों के रिजल्ट उतने अच्छे
नहीं है। अथवा घर में बनाये, तो अतिउत्तम है।
परहेज-
रात में अरहर की दाल, दही न खाएं।
दही सुबह ही लेवें, वह भी मीठा।
रोज 15 से 25 मिनिट कसरत, अभ्यंग
अवश्य करें।
खाने में अरबी, अखरोट, उड़द की दाल,
बादाम और मधुर मीठे पदार्थो का उपयोग करें।
साभार, सन्दर्भ ग्रन्थ..
रस-तन्त्र सार
आयुर्वेद सार संग्रह
द्रव्यगुण विज्ञान
कायचिकित्सा
माधव निदान
भेषजयरत्नावली
आदर्श निघण्टु
अमृतम मासिक पत्रिका जुलाई-2007
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