शिव कर्ता सन्सार के,
शिव सृष्टि के मूल।
रोम-रोम शिव रमने दो,
शिव को कभी न भूल।।
- बस दो शब्द से सारा आगा-पीछा सिद्ध सफल हो जाता है।
शिव का रूप जगत यह सारा।
धरती पर शिव का उजियारा।।
- जीवन में जो भी पाने की कामना है और कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा। शिवभक्ति से मिलता है।
- इसीलिए अघोरी-अवधूत राजा भृर्तहरि सबसे कह गए…
- शिव में मनवा मन को रम ले।
- शिव किस्मत की रेखा बदले।।
- शिव हैं जिनके संगी-साथी।
- उन्हें न विपदा कभी सताती।।
- Amrutam पत्रिका से साभार
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